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(एकमात्र विकल्प वहाँ है जहाँ मनुष्य के विवेक के लिए
कोई विकल्प नहीं - लेव शेस्तोव।)
ध्यान से देखो बिना ऐनक
चौराहे के ठीक बीच में
घोर अपावनीकरण के बाद
पाखंड के साथ किया उच्च घोष
और आर्तनाद।
निकाल फेंका बाहर।
जो निष्क्रिय बैठे थे
लापता हो गये जीवन में।
पर आप तो
परखना नहीं चाहते थे पास से
और उसके बिना ही
बुरी तरह प्रदूषित हो चुका था पागलपन।
खेल रहे हैं वे
जमीन के नीचे क्रॉसिंग पर कहे जा रहे हैं बार-बार
यह मैं हूँ, यह मेरा सपना है… इत्यादि।
निर्विवाद है यह :
पाँवों के नीचे
कर्र कर्र की आवाज कर रही हैं
अकेले लोगों की दुनिया की विसंगतियाँ।
और कुछ तथ्यों के सीमांत पर
नंग-धड़ंग घुस गई हैं वे एक कोण में
नि:संदेह,
अपने किनारों के साथ।
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