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कविता

रोओ नहीं मेरे लिए

बेल्‍ला अख्‍मादूलिना


रोओ नहीं मेरे लिए, जी लूँगी मैं -
खुशनसीब भिखारिन या भले स्‍वभाव की बंदिनी
या उत्‍तर की शीत में दक्षिण के मलेरिया के बीच
क्षयरोग से ग्रस्‍त पिटर्सबर्ग की दुष्‍ट औरत की तरह
जी लूँगी मैं।

रोओ नहीं मेरे लिए, जी लूँगी मैं -
गिरजे की ड्योढ़ी पर पहुँची अपंग
या खाने की मेज पर सिर टिकाये बैठी शराबी औरत
या दिव्‍य माँ के चित्रों के निर्माता
या दरिद्र नास्तिक की तरह जी लूँगी मैं।

रोओ नहीं मेरे लिए, जी लूँगी मैं -
उस लड़की की तरह
आ गया है जिसे लिखना-पढ़ना
बुद्धू-सी जो याद करेगी मेरी कविताएँ।

रोओ नहीं मेरे लिए, जी लूँगी मैं -
मौत से पहले विवेकहीन युद्ध में
रेडक्रास की नर्स से भी अधिक दयालु होकर
अपने चमकते सितारों के नीचे
कुछ भी हो जी लूँगी किसी भी तरह मैं।

 


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