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कौन चमकता है इस तरह?
आत्मा।
किसने सुलगाया है उसे?
बच्चे की तुतलाहट, हलकी-सी धड़कन या
पोस्त के लहराते खेत ने।
कौर करवटें बदलता है इस तरह?
आत्मा।
किसने जलाया है उसे?
उड़ते हुए बवंडर, बजते हुए चाबुक और
बर्फ जैसे ठंडे दोस्त ने।
कौन है वहाँ मोमबत्ती लिये?
आत्मा।
कौन बैठे हैं मेज के चारों ओर?
एक नाविक, एक मछेरा
उसके गाँव का।
कौन है वहाँ आकाश पर
आत्मा।
आज क्यों नहीं वह यहाँ?
लौट गई है वह अपने दादा-दादी के पास
बताती है उन्हें -
कैसी है हर चीज आज-कल यहाँ।
वे कहते हैं उसे कोई बुरी बात नहीं,
अफसोस न कर तू अपने खोये हुए पाँवों और हाथों पर
अब तू आत्मा है, तारा है
पृथ्वी के सब नाविकों और मछेरों के लिए।
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