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कविता

माँ को कविता

दीपक मशाल


चक्रफूल लौंग
काली मिर्च खड़ी लाल मिर्च
हरी और ड़ोंड़ा इलायची
कसूरी मेथी शाही जीरा
जो तुमने बताया था
उसमें से कुछ भी तो नहीं भूला
लेकिन ये पंद्रह यूरो किलो वाला पनीर
तुम्हारे सिर्फ हींग-जीरा हल्दी
धनिया मिर्च नमक में बने
पचास पैसे किलो वाले आलू के मुकाबले
अब भी बेस्वाद है

वो ना यहाँ मिलता है
ना कैसे भी इंपोर्ट करा सकता हूँ
तुम्हारे प्यार का मसाला कहाँ से लाऊँ माँ

 


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हिंदी समय में दीपक मशाल की रचनाएँ