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कविता

अकर्ता

भवानीप्रसाद मिश्र


तुम तो
जब कुछ रचोगे
तब बचोगे

मैं नाश की संभावना से रहित
आकाश की तरह
असंदिग्ध बैठा हूँ !

 


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हिंदी समय में भवानीप्रसाद मिश्र की रचनाएँ