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कविता

काँची अमिया न तुरिहऽ

विद्यानिवास मिश्र


काँची अमिया न तुरिहऽ बलमु काँची अमिया

मोरे टिकोरवा न रसवा पगल हो
हियरा में गँठुली न अबले जगल हो
मोरे सुगापंखी सरिया के कुसुमी मजिठिया में
राँची धनिया न बोरिहऽ बलमु राँची धनिया
काँची अमिया न तुरिहऽ बलमु काँची अमिया

मोरे अमिअरिया में मोजरा न अइले हो
डरियन-डरियन पतवा ललइले हो
चोरिया आ चोरिया जो लगले टिकोरवा
जाँची बतिया न छुइहऽ बलमु जाँची बतिया
काँची अमिया न तुरिहऽ बलमु काँची अमिया

पुरुवा में लसिया के गिरलें टिकोरवा
बाँवे जो गइले ई दखिना पवनवा
मोजरा के गितिया त कोइली सुनवली
साँची बतियो न पुछिहऽ बलमु साँची बतिया
काँची अमिया न तुरिहऽ बलमु काँची अमिया

 


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