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विमर्श

भोजपुरी लोकगीतों में औरत की दुनिया

अशोक सिंह यादव

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मिर्जा-साहिबाँ की प्रेमगाथा

मिर्जा दानाबाद (आज का फैसलाबाद, पाकिस्तान) निवासी वंजाल और फतेह बीबी का बेटा था। फतेह बीबी के 'दुग्ध सहोदर भाई' (Milk Sibling) महनी खान पंजाब के सियाल सूबे के खेवा गाँव के निवासी थे। इस महनी खान की बेटी थी साहिबाँ। मिर्जा बचपन में साहिबाँ के गाँव में ही रहता था और दोनों सहपाठी हुआ करते थे। बालसुलभ रुचियों के कारण उस वक्त मिर्जा यह नहीं जानता था कि साहिबाँ अनन्य सुंदरी है। लेकिन धीरे दोनों बच्चे किशोरावस्था में पहुँच गए, अब दोनों के दिलों में प्रेम की तरंगें हिलोरें लेने लगीं। एक दिन मदरसे से वापस लौटते हुए नौजवान मिर्जा ने कुतूहलवश अलग रास्ता पकड़ लिया। वह बाजार के नुक्कड़ तक गया। वहाँ उसने देखा कि साहिबाँ घर के लिए सब्जियाँ खरीद रही थी। दुकानदार तय मात्रा से ज्यादा सब्जियाँ तौल दे रहा था, क्योंकि वह साहिबाँ के रूप सौंदर्य में खोया हुआ था। मिर्जा भी साहिबाँ के लावण्य को देखकर जड़वत हो गया और प्रेमाग्नि में दहकता हुआ घर आया।

मिर्जा जब कुछ और बड़ा हुआ तो उसने घुड़सवारी और तीरंदाजी सीखी। वह बक्की नाम की तेजतर्रार घोड़ी की सवारी करता। वह इतना काबिल तीरंदाज था कि उसके द्वारा कमान से छोड़ा गया हर तीर निशाने पर अचूक लगता था। साहिबाँ वक्त बीतने के साथ खूबसूरत और केवल ज्यादा से ज्यादा खूबसूरत होती गई। पाकिस्तानी शायर पीलू ने साहिबाँ की खूबसूरती की भूरि-भूरि प्रशंसा की है और कहा है :-

'साहिबाँ अपने कमर में केवल एक लुंगी लपेट कर निकली तो नौ परियाँ उसका हुस्न देखकर मर गईं।'

जल्दी ही उनका प्रेम इतना प्रगाढ़ हो गया कि मिर्जा को अपनी साहिबाँ के बिना जिंदा रहना मुश्किल लगने लगा। वे दोनों अपने ख्वाबों की दुनिया में ही खोए रहने लगे। एक दिन प्यार में गाफिल साहिबाँ ने अपने पाठ का गलत उच्चारण किया तो उसके मौलवी ने उसे चिम्मक से पीटा। इनसान के जिस हिस्से पर इसकी चोट पड़ती है वहाँ जलन महसूस होती है। सजा पाने के बाद साहिबाँ ने मौलवी से कहा 'इस सजा से आप मुझे क्यों जला रहे हैं? मैं तो पहले से ही प्यार की आग में जल रही हूँ।'

साहिबाँ के माँ-बाप को भी इस प्यार के बारे में पता चल गया। उन्होंने मिर्जा को वापस उसके घर भेज दिया। बिना समय गँवाए उन लोगों ने साहिबाँ की शादी अपने ही शहर के ताहिर खान से तय कर दी। साहिबाँ ने अपने एक मित्र कर्मू ब्राह्मण के हाथों प्रियतम मिर्जा को चिट्ठी भेजकर इस शादी की सूचना दी : 'तुम आओ और साहिबाँ के हाथ शादी की मेहँदी से सजाओ।' मिर्जा के घर वालों ने उसे साहिबाँ के इस तंज पर ध्यान न देने को कहा और तरह-तरह से समझाकर वहाँ जाने से मना किया। लेकिन मिर्जा ने जाने का इरादा पक्का कर लिया तो उसके पिता वंजाल खान ने कहा 'यदि तुम जा ही रहे हो तो साहिबाँ को लेकर ही आना। वरना बहुत बेइज्जती होगी।' इसी के साथ वांजाल खान ने बेटे को प्यार में सफल होने की दुआ दी।

मिर्जा तीर कमान के साथ बक्की पर सवार होकर साहिबाँ के घर पहुँचा तो शादी की रस्म शुरू ही होने वाली थी। वह चुपके से साहिबाँ के कमरे में दाखिल हुआ। उसने साहिबाँ को अपना इंतजार करते हुए पाया। मिर्जा ने शादी के लाल जोड़े में और भी अधिक खूबसूरत लग रही साहिबाँ की तारीफ की और उसके मेंहदी लगे हाथों को चूमा। बिना एक भी अतिरिक्त क्षण गँवाए, उसने साहिबाँ का हाथ पकड़ा और घोड़े पर बैठकर दोनों निकल भागे, तब तक भागते रहे, जब उन्हें लगा कि वे एक महफूज दूरी तय कर चुके हैं। थकान के कारण मिर्जा ने पेड़ की छाया में सुस्ताने का निश्चय किया। वह साहिबाँ की गोद में सिर रखकर सो रहा था और साहिबाँ उसके ऊपर झुकी हुई उसे निहार रही थी।

इधर शादी की रस्मों के लिए साहिबाँ के भाई उसे बुलाने के लिए कमरे में गए। साहिबाँ को कमरे में न पाकर उन्हें कुछ गड़बड़ लगा। साहिबाँ के भाई, दुष्ट दूल्हा और अन्य चचेरे भाई घोड़ों पर सवार होकर मिर्जा-साहिबाँ की तलाश में निकले।

साहिबाँ जब अपने सोए हुए प्रेमी को निहार रही थी, अचानक यह सोचकर भयभीत हो उठी कि जल्द ही उसके भाई वहाँ पहुँच जाएँगे। उसे समझ में नहीं आया कि क्या करना चाहिए। यदि उसके भाई आ गए और मिर्जा जाग गया, तो मिर्जा के तीखे तीरों से उसके भाइयों का मरना तय है। इस उम्मीद में कि उसके भाई उसे प्यार से अपना लेंगे, वह मिर्जा के तरकश के पास पहुँची और उसमें रखे तीखे तीरों को तोड़ दिया। उसे भरोसा था कि इससे खून-खराबा नहीं होगा। अचानक साहिबाँ के भाई और संबंधी वहाँ पहुँच गए। साहिबाँ के भाई की कमान से एक सनसनाता हुआ तीर निकला और सो रहे मिर्जा के गले में धँसा। मिर्जा उठा और तुरंत अपने तीरों के पास पहुँचा। उसने देखा तीर टुकड़े-टुकड़े हो चुके थे। उसने प्रश्नभरी नजरों से साहिबाँ के चेहरे की ओर देखा लेकिन तभी एक दूसरा तीर उसके सीने में आ धँसा और वह गिर पड़ा। साहिबा खुद भी मिर्जा की देह के ऊपर गिर पड़ी और एक ही तीर से बिंधकर दोनों मर गए।


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