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कविता

उनींदी

माया एंजेलो

अनुवाद - सरिता शर्मा


कुछ ऐसी रातें होती हैं जब
नींद लजा कर
दूर चली जाती है और उपेक्षा कर देती है।
और जो भी छलबल
अपनाती हूँ उसकी
सेवाएँ पाने को
व्यर्थ हैं आहत गुमान की तरह,
और बहुत ही पीड़ादायक हैं।


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