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मैं तुम्हें जोड़ दूँ
सबसे
एक बनाकर
बिना किसी पारियों की कहानी के उल्लेख के
(बगैर किसी परी-कथा के हवाले से)
शब्दों में हम सब सूरीनामी हैं
लेकिन, इसके बावजूद
हिंदुस्तानी, जापानीज और चाइनीज
मेरी इच्छा है
मैं तुम्हारी त्वचा का रंग बदल दूँ
तुम्हारा मन भर दूँ
एक बड़े परिवर्तन के लिए
प्रार्थना के द्वारा
इस जमीन पर
और अधिक पराएपन के साथ
नहीं घूमना चाहिए
बच्चों के साथ खेलो
जो तुम्हारी दौड़-दल में शामिल नहीं है।
अपनी जबान से सब लोगों से
एक मन होकर बात करो - बोलो
जैसे हम सब अपने-अपने
हिस्से का भोजन लेते हैं
पृथ्वी से
तुम्हारे लोगों को बेचकर
बाँटते हैं आदमी
भविष्य में जो
साथ रह सकते हैं
उन्हें अकेला कर देते हैं
आज ही से
आज के समय से
कातकर निकालते हैं
नया दिन
सुख के जन्मसिद्ध अधिकार के लिए
जो नहीं लिया है मुझसे
अभी तक
जब मैं अपने देश में प्रवेश करता हूँ
मेरे देश के बच्चे मुझे मोहते हैं !
जब मैं अपने देश को घुसता हूँ
बच्चों के अभिभावकों से मिलता हूँ
हम सब एक दूसरे को नमस्ते और सलाम के साथ
बधाई देते हैं
और इसके साथ-साथ मैं पूछता हूँ
तुम कैसे हो, आप कैसे हैं !
और तन, भाव से जटिल समय में
शर्म आती है और तनाव है
जबकि कोई भविष्य नहीं
आज, मैं अपनी आँखों से पढ़ता हूँ
छोटे प्यारे बच्चे मूल्यवान धन हैं।
जो उत्साहित करते हैं
और मन लगाते हैं।
और वे जो सूरज के ताप में जीते हैं।
ऐसे बच्चे जो कि मुझसे दूर हैं।
उन्हें देखो और उनसे प्यार करो
क्योंकि ऐसा कोई नहीं है।
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