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कविता

दोहा शिक्षावली

मुंशी रहमान खान


दोहा

यह दोहा शिक्षावली रची धर्म दोउ हेत।
पढ़िहें मुस्लिम हिंदुजन होवें धर्म सचेत।। 1
नहिं निंदा की किसी की दीन्‍ह धर्म उपदेश।
कहा वही अनुसार मैं जो हो रहा इस देश।। 2
बुरा भला कोइ कहै मोहिं, नहीं मुझे परवाय।
सत्‍य नीति जो धर्म की दैहौं सबहिं लखाय।। 3
धर्म ज्ञान निज दशा लख सुजन करहिं सम्‍मान।
धन्‍यवाद दैहें अवधि यही आश रहमान।। 4

 


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