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कविता

स्वराज औरी गिरमिट-कुंडलियाँ

मुंशी रहमान खान


नौरोजी, मिस्‍टर गोखले, गंगाधर आजाद।
मोतीलाल, पति, मालवी इनकी रही मर्याद।।
इनकी रही मर्याद बीज इनहीं कर बोयो।
भारत लह्यो स्‍वराज नाम गिरमिट का खोयो।।
कहें रहमान कार्य शूरन के की‍न्‍ह साज बिनु फौजी।
मुहम्‍मद, शौकत अली, अरु चंद्रबोस, नौरोजी।। 1
हौरा पहले से रह्यो हुइहै हिंद स्‍वराज।
यदि स्‍वराज के कारने जूझे बहु सिरताज।।
जूझे बहु सिरताज राज हित प्राण गँवाए।
गांधी, जिन्‍ना, नेहरू सब की आश पुराए।।
कहें रहमान रहे गुण आगर नहिं माँगे इन कौरा।
बिनु हिंसा बिनु खून के राज लीन्‍ह बिनु हौरा।। 2


दोहा

सागर श्रुति रसचंद्र की वर्ष इस्‍वी आज।
मास सिद्धि तिथि पंद्रहवीं पायो हिंद स्‍वराज।।
गांधी, जिन्‍ना, नेहरू, अद्भुत कीन्‍हों काम।
सारे जग डंका बज्‍यो अमर कीन्‍ह निज नाम।।
अमर कीन्‍ह निज नाम राज भारत कर लीन्‍हों।
उड़यो पताका सहस वर्ष पर घर घर उत्‍सव कीन्‍हों।।
कहें रहमान प्रतापी सज्‍जन करें कार्य सत साधी।
पायो राज स्‍वराज अब जिन्‍ना नेहरू, गांधी।। 3


दोहा

सिधि पदार्थ ग्रह सौर की वर्ष ईस्‍वी शोक।
मास ईश तिथि मास दिन गांधी गए सुर लोक।। 2

 


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