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कविता

माया के पीछे है इंसान

अमरसिंह रमण


उल्‍टी दुनिया देखकर सारी पल्‍टा खा गए मानव।
मानव की मानवता बिक गई आगे बढ़ गए दानव।।

शूद्रों के घर घेरे रहते हैं आज के बड़का पंडित।
वेद-शास्‍त्र की बात सुनाते पर मर्यादा करते खंडित।।

अपने पथ से नीचे गिर गए ऊँची पदवी लेकर।
माया के पीछे दौड़ रहे हैं मान-मर्यादा दे कर।।

पैसे को गँठियाते रहते सस्‍ता ज्ञान जता कर।
बगुला-सी पोशाक पहनते इज्‍जत पानी लुटवाकर।।

गुरु बिन ज्ञान कहाँ से पावें यह कलयुग के मेहमान
गुरु कहना है बेकार इन्‍हें अब गोरू ही तू जान

 


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