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कविता

जब सोच लिया

अमरसिंह रमण


जब सोच लिया कुछ करना है
फिर जीना चाहे मरना है।
करते ही रहूँगा
जीवन भर
जीवन में उभरकर
रहना है

जब सोच लिया कुछ करना है
फिर काहे को डरना-मरना है
कर-करके जीवन कतरना है
फिर किसके लिए
जीना और सँवरना है
इस उलझन से गर
निकलना है
और जीवन के मूल्‍य को
भरना है
साहस खूब जुटाना है
हिम्‍मत को नहीं
घटाना है।

 


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