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कविता

4. चार

त्रिन सूमेत्स

अनुवाद - राजलक्ष्मी


तुम श्वसन और निश्वसन करते हो
पूरे नौ जीवनों में
अपनी पूरे नौ मौतों में
एक बुद्धिमान कभी जल्दी नहीं करता
वह रुकता है
जब उसे आवश्यक हो किसी मदद की
तब भी जब किसी को आवश्कता हो उसकी मदद की
और जब यह काफी होता है


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