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कविता

नन्हें ताबूत के सामने

मारीना त्स्वेतायेवा

अनुवाद - सरिता शर्मा


(कैथरीन पावलोवना पेश्कोवा के लिए)

माँ ने रंग दिया ताबूत को गहरे चटख रंगों से
सोयी है नन्हीं परी इतवारी पोशाक में
माथे पर अब नहीं गिरती उसके सुनहरी लट

गोल कंघी अब नहीं सँवारती
बच्ची के अधढके बाल
खुशियों से लबालब था
उसका नन्हा दिल

जीयी वह पाँच बरस तक हँसी खुशी
खेलती रही हाथ पाँव मारकर
कल्पना, सपने और लिली
रोक नहीं पाये उसकी गति को

पुष्प चाहते हैं साथ रहना उसके
आरामदायक नहीं है नया तंग बिस्तर
फूल जानते हैं नन्हीं कात्या का
सोने का दिल था

 


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