कविता
कविता खुआन रामोन खिमेनेज अनुवाद - सरिता शर्मा
उस व्याकुल बालक सी मैं हाथ पकड़ कर घसीटते हैं वे जिसे दुनिया के त्यौहार से। अफसोस कि मेरी आँखें लगी रहती हैं चीजों पर... और कितने दुख की बात है वे उनसे दूर ले जाते हैं।
हिंदी समय में खुआन रामोन खिमेनेज की रचनाएँ