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मोगुए, माँ और भाइयो।
साफ सुथरा और गर्मीला, घर।
आहा क्या धूप है कितना आराम
दूधिया होते कब्रिस्तान में!
पल भर में, प्यार अकेला पड़ जाता है।
समुद्र का अस्तित्व नहीं रहता; अंगूर के
खेत, लालिमायुक्त और समतल,
शून्य पर चमकती तेज रोशनी सी है दुनिया
और सारहीन शून्य पर चमकती हुई रोशनी।
यहाँ बहुत छला गया हूँ मैं!
सबसे बढ़िया बात यहाँ मर जाना है,
बस वही छुटकारा है, जो मैं शिद्दत से चाहता हूँ,
जो सूर्यास्त में मिल जाता है।
जीवन
जिसे मैं सोचता था मुझ पर यश का द्वार बंद होना,
दरअसल इस स्पष्टता की ओर
खुलता हुआ दरवाजा था :
अनाम देश
कोई भी नष्ट नहीं कर सकता, एक के बाद एक
सदा सत्य की ओर,
खुलते जाने वाले दरवाजों वाले इस रास्ते को :
अनुमान से परे जीवन!
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