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कविता

पदमावत

मलिक मुहम्मद जायसी

संपादन - रामचंद्र शुक्ल

अनुक्रम रत्नसेन जन्म खंड पीछे     आगे

चित्रासेन चितउर गढ़ राजा । कै गढ़ कोट चित्रा सम साजा॥

तेहि कुल रतनसेन उजियारा । धानि जननी जनमा अस बारा॥

पंडित गुनि सामुद्रिक देखा । देखि रूप औ लखन बिसेखा॥

रतनसेन यह कुल निरमरा । रतन जोति मन माथे परा॥

पदुम पदारथ लिखी सो जोरी । चाँद सुरुज जस होइ ऍंजोरी॥

जस मालति कहँ भौंर बियोगी । तस ओहि लागि होइ यह जोगी॥

सिंघलदीप जाइ यह पावै । सिध्द होइ चितउर लेइ आवै॥

मोग भोज जस माना, विक्रम साका कीन्ह।

परखि सो रतन पारखी, सबै लखन लिखि दीन्ह॥1॥


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