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कविता

माँ की मीठी लोरी

रिचर्ड रोलैंड

अनुवाद - किशोर दिवसे


गोद में बैठा है मेरा नन्हा राजा बेटा

छाती में छुप, आँखें मीच, मेरा राजदुलारा

ममता की अमृत धारा से बनेगा न्यारा जब तक

आँचल की ऊष्मा से निखरे मेरा मुन्ना तब तक

गाती हूँ मीठी लोरियाँ सुन मेरे प्यारे छौने

सो जा सपनों की निंदिया अब तू हौले हौले

छौना जब तक ना हो जाता अमृत धारा से तृप्त

सीने पर रखकर हाथ, सपनों में चिंता मुक्त

झूले में मेरा लाल सुनता है परियों की धुन

तब निंदिया रानी की पायल छमके है छुम छुम

गाती हूँ मीठी लोरियाँ सुन मेरे प्यारे छौने

सो जा सपनों की निंदिया अब तू हौले हौले

मैं जानूँ मेरे लाल कि तेरी कैसी है यह प्यास

नहीं बुझा सकेगी ऐसी मेरी ममता की आस

तुझे दिखाऊँ कैसे मैं ललना, अपने मन की थाह

सो जा मुन्ना अब आ गई है सपनीली राह

गाती हूँ मीठी लोरियाँ सुन मेरे प्यारे छौने

सो जा सपनों की निंदिया अब तू हौले हौले

पयोधरों के इन झरनों से काया तेरी है सिंचित

बढ़ता जाए मेरा मुन्ना नित दिन नित दिन नित दिन

जीवन धारा के कलश कुंभ हैं अब भी कितने व्याकुल

तेरे नव अधरों की कलियाँ छूने को हैं आकुल

गाती हूँ मीठी लोरियाँ सुन मेरे प्यारे छौने

सो जा सपनों की निंदिया अब तू हौले हौले।


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