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कविता

पहेलियाँ

अमीर खुसरो


1.
गोश्त क्यों न खाया?
डोम क्यों न गाया?
उत्तर-गला न था

2.
जूता पहना नहीं
समोसा खाया नहीं

उत्तर- तला न था

3.
अनार क्यों न चखा?
वज़ीर क्यों न रखा?

उत्तर - दाना न था
(दाना=बुद्धिमान)


4.
सौदागर चे मे बायद? (सौदागर को क्या चाहिए)
बूचे (बहरे) को क्या चाहिए?

उत्तर - 
दो कान भी, दुकान भी


5.
तिश्नारा चे मे बायद? (प्यासे को क्या चाहिए)
मिलाप को क्या चाहिए

उत्तर - चाह (कुआँ भी और प्यार भी)

 

6.
शिकार ब चे मे बायद करद? (शिकार किस चीज़ से करना चाहिए)
क़ुव्वते मग़्ज़ को क्या चाहिए? (दिमाग़ी ताक़त को बढ़ाने के लिए क्या चाहिए)

उत्तर 
- बा-दाम (जाल के साथ) और बादाम


7.
रोटी जली क्यों? घोड़ा अंडा क्यों? पान सड़ा
 क्यों ?

उत्तर - फेरा न था

8.
पंडित प्यासा क्यों? गधा उदा
स क्यों?

उत्तर - लोटा न था

9.

उज्जवल बरन अधीन तन, एकचित्त दो ध्यान।
देखत मैं तो साधु है, पर निपट पारकी खान।।

उत्तर - बगुला (पक्षी)

10.
एक नारी के हैं दो बालक, दोनों एकहि रंग।
एक फिर एक ठाढ़ा रहे, फिर भी दोनों संग।

उत्तर - चक्की

11.
आगे-आगे बहिना आई, पीछे-पीछे भइया।
दाँत निकाले बाबा आए, बुरका ओढ़े मइया।।

उत्तर - भुट्टा

12.
चार अंगुल का पेड़, सवा मन काफ्ता।
फल लागे अलग अलग, पक जाए इकट्ठा।।

उत्तर - कुम्हार की चाक

13.
अचरज बंगला एक बनाया, बाँस नबल्ला बंधन धने।
ऊपर नींव तरे घर छाया, कहे खुसरो घर कैसे बने।।

उत्तर - बयाँ पंछी का घोंसला

14.

माटी रौदूँ चक धर्रूँ, फेर्रूँ बारम्बर।
चातुर हो तो जान ले मेरी जातगँवार।।

उत्तर - कुम्हार

15.

गोरी सुन्दर पातली, केहर काले रंग।
ग्यारह देवर छोड़ कर चली जेठ केसंग।।

उत्तर - अ
रहर की दाल

 

16.
ऊपर से एक रंग हो और भीतर चित्तीदार।
सो प्यारी बातें करे फिकर अनोखीनार।।

उत्तर - सुपारी

17.
बाल नुचे कपड़े फटे मोती लिए उतार।
यह बिपदा कैसी बनी जो नंगी करदई नार।।

उत्तर - भुट्टा (छल्ली)


18.
एक नार कुँए में रहे,
वाका नीर खेत में बहे।
जो कोई वाके नीर को चाखे,
फिर जीवन की आस न राखे।।

उत्तर - तलवार

19.
एक जानवर रंग रंगीला,
बिना मारे वह रोवे।
उस के सिर पर तीन तिलाके,
बिन बताए सोवे।।

उत्तर - मोर

20.
चाम मांस वाके नहीं नेक,
हाड़ मास में वाके छेद।
मोहि अचंभो आवत ऐसे,
वामे जीव बसत है कैसे।।

उत्तर - पिंजड़ा

 

21.
स्याम बरन की है एक नारी,
माथे ऊपर लागै प्यारी।
जो मानुस इस अरथ को खोले,
कुत्ते की वह बोली बोले।।

उत्तर - भौं (भौंए आँख के ऊपर होती हैं।)

22.
एक गुनी ने यह गुन कीना,
हरियल पिंजरे में दे दीना।
देखा जादूगर का हाल,
डाले हरा निकाले लाल।

उत्तर - पान

23.
एक थाल मोतियों से भरा,
सबके सर पर औंधा धरा।
चारों ओर वह थाली फिरे,
मोती उससे एक न गिरे।

उत्तर - आसमान

24.
गोल मटोल और छोटा-मोटा,
हर दम वह तो जमीं पर लोटा।
खुसरो कहे नहीं है झूठा,
जो न बूझे अकिल का खोटा।।

उत्तर - लोटा

25.
श्याम बरन और दाँत अनेक,
लचकत जैसे नारी।
दोनों हाथ से खुसरो खींचे
और कहे तू आ री।।

उत्तर - आरी

 

26.
हाड़ की देही उज् रंग,
लिपटा रहे नारी के संग।
चोरी की ना खून किया
वाका सर क्यों काट लिया।

उत्तर - नाखून

26.
बाला था जब सबको भाया,
बड़ा हुआ कुछ काम न आया।
खुसरो कह दिया उसका नाव,
अर्थ करो नहीं छोड़ो गाँव।।

उत्तर - दिया

27.
नारी से तू नर भई
और श्याम बरन भई सोय।
गली-गली कूकत फिरे
कोइलो-कोइलो लोय।।

उत्तर - कोयल

28.
एक नार तरवर से उतरी,
सर पर वाके पांव
ऐसी नार कुनार को,
मैं ना देखन जाँव।।

उत्तर - मैंना

29.
सावन भादों बहुत चलत है
माघ पूस में थोरी।
अमीर खुसरो यूँ कहें
तू बुझ पहेली मोरी।।

उत्तर - मोरी (नाली)

30.
तरवर से इक तिरिया उतरी उसने बहुत रिझाया
बाप का उससे नाम जो पूछा आधानाम बताया
आधा नाम पिता पर प्यारा बूझ पहेली मोरी
अमीर ख़ुसरो यूँ कहें अपना नामन बोली

 


 

 


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हिंदी समय में अमीर खुसरो की रचनाएँ