गेंद उछल रही है उससे पहले मेरे टखने एड़ियाँ पंजे गेंद में देख रहे हैं मेरे पैर अपनी उछाल मेरे पैर गेंद के अंदर हैं पैर को यूँ उछलता देख बेचैन होता है मेरा सिर देने के लिए - शाबाशी कोई देख सकता है मुझे यूँ हवा में उछलते हुए।
हिंदी समय में अभिज्ञात की रचनाएँ