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कविता

बच्चे आएँगे

सुभाष राय


उन्हें पढ़ने दो
मत मारो

बचे हुए बच्चे ज्यादा हैं
सबको मार नहीं पाओगे
क्या करोगे जब
तुम्हारी गोलियाँ
कम पड़ जाएँगी
तुम्हारी बंदूकें जवाब
देने लगेंगी

बच्चे आ रहे होंगे
और तुम्हारे पास
बारूद नहीं होगी
फिर बच्चे तय करेंगे
तुम्हारा भविष्य
वे तय करेंगे कि
इस दुनिया में
तुम्हें होना चाहिए या नहीं

बच्चे फिर भी
तुम्हें मारेंगे नहीं
तुम्हें मरने देंगे
खुद-ब-खुद

तुम मिट जाओगे
क्योंकि बच्चे तुम्हारी तरह
बंदूकें नहीं उठाएँगे
गोलियाँ नहीं चलाएँगे


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