बात करते हैं और सपने बहुत देखते हैं लोग
बेहतर भविष्य के लिए,
सुखी स्वर्णिम लक्ष्य के लिए,
देखा जाता है उन्हें दौड़ते हुए और पीछा करते हुए,
बूढ़ा होता है और फिर युवा होता है संसार
लेकिन आदमी आशा करता है सदा सुधार की
आशा उसे जीवन देती है,
हँसमुख बालक के आसपास मंडराती है वह
अपनी जादुई चमक से बाँध लेती है युवक को,
नहीं दफन होगी वह बूढ़े आदमी के साथ
क्योंकि वह काम करता है कब्र में अपनी थकान को भगाने का,
कब्र में भी लगाता है वह पौधा अपनी आशा का
भ्रम नहीं है यह सिर्फ खाली मनुहार भरा
उपज नहीं है यह मूर्खों के दिमाग की,
दिल में होती है घोषणा यह जोर से,
हम हुए हैं पैदा इसी बेहतरी के लिए,
और कहती है जो अंतरात्मा की आवाज,
नहीं देती धोखा वह आशावान आत्मा को