मेरी छाया को तुममें खो जाने दो मुझे खुद को खोने दो ऊँचे पेड़ों के तले, जो गोधूलि में अपनी पूर्णता खो देते हैं, आकाश और रात के सामने आत्मसमर्पण कर लेते हैं।
हिंदी समय में पेर लागरकविस्त की रचनाएँ