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कविता

लोरी

हरेराम द्विवेदी


गते-गते नैन दुअरिया रे निदिया काहे न आवै
जोहैली अँखिया डहरिया रे निदिया काहे न आवै
सूघर सपना कै लागल असरवा
दियना जराइ जोहै घरवा दुअरवा
आकुल लागैं पुतरिया रे निदिया काहे न आवै
गते-गते नैन दुअरिया रे निदिया काहे न आवै

घुघुना बजउली खेलउली खेलौना
चूमि-चूमि मथवा लगउली डिठौना
धइ दिहली आड़े डिबरिया रे निदिया काहे न आवै
गते-गते नैन दुअरिया रे निदिया काहै न आवै

मथवा पर हाथ फेरि फेरि सुहरउली
कोरवा लगाइ ठोकि-ठोकि दुलरइली
कहि-कहि अहकै मयरिया रे निदिया काहे न आवै
गते-गते नैन दुअरिया रे निदिया काहे न आवै  


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