hindisamay head


अ+ अ-

कविता

अभिनय

मंगलेश डबराल


एक गहन आत्मविश्वास से भरकर
सुबह निकल पड़ता हूँ घर से
ताकि सारा दिन आश्वस्त रह सकूँ
एक आदमी से मिलते हुए मुस्कराता हूँ
वह एकाएक देख लेता है मेरी उदासी
एक से तपाक से हाथ मिलाता हूँ
वह जान जाता है मैं भीतर से हूँ अशांत
एक दोस्त के सामने खामोश बैठ जाता हूँ
वह कहता है तुम दुबले बीमार क्यों दिखते हो
जिन्होंने मुझे कभी घर में नहीं देखा
वे कहते हैं अरे आप टी।वी। पर दिखे थे एक दिन
 
बाजारों में घूमता हूँ निश्शब्द
डिब्बों में बंद हो रहा है पूरा देश
पूरा जीवन बिक्री के लिए
एक नई रंगीन किताब है जो मेरी कविता के
विरोध में आई है
जिसमें छपे सुंदर चेहरों को कोई कष्ट नहीं
जगह जगह नृत्य की मुद्राएँ हैं विचार के बदले
जनाब एक पूरी फिल्म है लंबी
आप खरीद लें और भरपूर आनंद उठाएँ
 
शेष जो कुछ है अभिनय है
चारों ओर आवाजें आ रही हैं
मेकअप बदलने का भी समय नहीं है
हत्यारा एक मासूम के कपड़े पहनकर चला आया है
वह जिसे अपने पर गर्व था
एक खुशामदी की आवाज में गिड़गिड़ा रहा है
ट्रेजेडी है संक्षिप्त लंबा प्रहसन
हरेक चाहता है किस तरह झपट लूँ
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार।
 

End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में मंगलेश डबराल की रचनाएँ