अध्यापक : बच्चों कर लो नाश्ता
लो थोड़ा विश्राम
देखो दोपहरी हुई
तेज हो रहा घाम
चंपा : मगर गुरू जी आ रहा
मजा बहुत है आज
हमें हुए मालूम हैं
आज बहुत से राज
अजय : आज बहुत से राज
बढ़ा है ज्ञान हमारा
बिखरा चारों ओर
न जाने कितना सारा
बिन्नी : चलो करेंगे बात बाद में पहले खा लें
सुनीता : बात ठीक है चलो हम सभी टिफिन निकालें
प्रदीप : अरे, तुम्हारे पास नहीं है क्या बिरयानी
समीर : नहीं मगर मीठा हलुआ है लाई नानी
बिन्नी : मेरी माँ ने मठरी दी है तुम लोगी क्या
सुनीता : हाँ, हाँ मैं तो लूँगी लेकिन तुम दोगी क्या
चंपा : हम सारे बच्चे बाँटेंगे अपना खाना
समीर : आएगा तब ही तो हमें मजा फिर कितना
(सभी बच्चे अपना अपना टिफिन निकाल कर खाना खाते हैं और आराम करते हैं।)
अध्यापक : चलो उठो अब सारे बच्चों
देखो शाम हुई
दोपहरी भी चली गई है
अब कम घाम हुआ
अभी घूमना बाकी भी है
बागीचा सुंदर
देखो पेड़ों ने छाया दी है
कितनी सुखकर
(सभी बच्चे उठ जाते हैं।)
बिन्नी : हम सब हैं तैयार गुरुजी
हम सब हैं तैयार
समीर : घूमेंगे सारा बागीचा
ठंडी यहाँ बयार
अध्यापक : यह मकोय का पौधा देखो
बड़े काम वाला
हमें बताएगा अपने गुण
यह भोला भाला