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कविता

जियांगनान रेशम

तियांहे

अनुवाद - साधना अग्रवाल


मेरा शहर इरेवियर
वैसे ही प्यार करता हूँ उसे,
जैसे जियांगनान रेशम के टुकड़े को
जियांगनान रेशम, नदियों में पानी की तरह है
दूषित हुए बिना
मेरा घर रेशम का एक नाजुक टुकड़ा है
और उसमें मेरा पुराना दोस्त चियांगसम है
एक हवा को मैं देखता, फहराता
तब आप उसे एक हड्डी के ब्रोच के साथ
चिपकाते हैं वहाँ
 


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