पंचाचूली, ढका हुआ शुद्ध धवल बर्फीली चादर से अविचल, नीरवता सेवी तपस्वी समाधि में है युगों से परिवर्तनों से बेफिक्र, संसार के कल्याणधर्मी अनुष्ठान में संलग्न साधक सा अनवरत्।
हिंदी समय में अखिलेश कुमार दुबे की रचनाएँ