खुल सीसामा! और खुल गया द्वार वह जिसकी मुहरबंद शक्ति में धन था धन! अतिरिक्त और हो भी क्या सकता भला उस अली बाबा के लिए कि जिसका धनी हुए बिना ही धन पर अधिकार हो गया था तो क्या वह बीमार हो गया था?
(यह कविता मूल रूप में अँग्रेजी में लिखी गई थी।)
हिंदी समय में भुवनेश्वर की रचनाएँ