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कविता

बौछार पे बौछार

भुवनेश्वर

अनुवाद - शमशेर बहादुर सिंह


बौछार पे बौछार
सनसनाते हुए सीसे की बारिश का ऐसा जोश
गुलाबों के तख्ते के तख्ते बिछ गए कदमों में
कायदे से अपना रंग फैलाए मेह में कुम्हलाए हुए
आग आवश्यकता से अधिक पीड़ा का बदला चुकाने की
पीड़ा निर्जीव करनेवाली उस आग से भी अधिक
दल के दल बादल
कि हौले-हौले कानाफूसियाँ हैं अफवाह की
जो अपशकुन बन कर फैली है
किसी... दीर्घ आगत भयानक यातना की
फौजी धावा हो जैसे, ऐसा अंधड़
बादलों के परे के परे बुहार कर एक ओर कर रहा
ऐसी-ऐसी शक्लों में छोड़ते हुए उनको
कि भुलाए न भूलें
आदमी पर आदमी का ताँता
और हरेक के पास
बड़े ही मार्मिक जतन से अलगाई हुई अपनी
एक अलग कहानी
उसी व्यक्ति को ले कर
जो सदा वही कुर्ता पहने
उसी एक दिशा में चला जाता रहा
रहम पर रहम की मार
मरदूद करार देने उसी व्यक्ति को
और साथ उसके मठ के पुजारी को भी
जो शपथ ले-ले के जीती और मुर्दों की
कम से कम आधे पखवाड़े में एक बार तो
झूठ बोलता ही है

(यह कविता मूल रूप में अँग्रेजी में लिखी गई थी।)


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