हिंदी का रचना संसार

मुखपृष्ठ | उपन्यास | कहानी | कविता | नाटक | आलोचना | विविध | भक्ति काल | हिंदुस्तानी की परंपरा | विभाजन की कहानियाँ | अनुवाद | ई-पुस्तकें | छवि संग्रह | हमारे रचनाकार | हिंदी अभिलेख | खोज | संपर्क

 

दिनेश कुमार शुक्ल/ नया अनहद
 

आगमन

जंगी बेड़ों पर नहीं
न तो दर्रा-खैबर से
आयेंगे इस बार तुम्हारे भीतर से वे

धन-धरती ही नहीं
तुम्हारा मर्म तुम्हारे सपने भी वे छीनेंगे इस बार,
वे तुम सबके रक्त पसीने औरआँसुओं
का बदलेंगे रंग
तुम्हारी दृष्टि तुम्हारा स्वाद
तुम्हारी खाल
तुम्हारी चाल-ढाल का भी बदलेंगे ढंग,
बीजों के अंकुरण
और जीवों के गर्भाधान
नियंत्रित होंगे उनके कानूनों से

तुम्हें पता ही नहीं
तुम्हारी भाषाओं के अंक मिथक किस्से मुहाविरे
सिर्फ़ अजायबघर में अब पाये जायेंगे

देशों की सीमाओं का उनकी सेनायें
खुलेआम इस बार अतिक्रमण नहीं करेंगी
वे तो सिर्फ इरेज़र से ही
मिटा रहे हैं देश-देश की सीमा रेखा

सात द्वीप - नवखण्ड और सातों समुद्र में
सिर्फ पण्य की सार्वभौम सत्ता का सिक्का
चला करेगा
इस एकीकृत विश्वग्राम के मत्स्य न्याय में
एक साथ सब जीव जलेंगे दावानल में

जिन्सों की इलहाम भरी
इस नयी खेप अवतरित हुई है
एक भाव रस एक एक भाषा में सारे
बन्दीजन गुणगान कर रहे हैं उसका ही

नये ब्रान्ड का प्रेम उतारा था बज़ार में
जिसने पहले
लान्च किये हैं उसी कम्पनी ने
हत्या के नये उपकरण,
दाल-भात लिट्टी-चोखे की यादें आई हैं बजार में
सोहर चैता कजरी की
स्वर लहरी के पाउच निकले हैं

विश्व शान्ति के सन्नाटे में
कोई चिड़िया अभी कहीं फड़फड़ा रही है आसमान में
नई रौशनी की गर्मी में
उसके पंख जले जाते हैं
 
 

                         <<कविता ही दुख की बोली है<<             सूची               >> रतजगा>>

 

 

मुखपृष्ठ | उपन्यास | कहानी | कविता | नाटक | आलोचना | विविध | भक्ति काल | हिंदुस्तानी की परंपरा | विभाजन की कहानियाँ | अनुवाद | ई-पुस्तकें | छवि संग्रह | हमारे रचनाकार | हिंदी अभिलेख | खोज | संपर्क

Copyright 2009 Mahatma Gandhi Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalaya, Wardha. All Rights Reserved.