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आलोक धन्वा
सन् 1948 में बिहार के मुंगेर ज़िले में जन्में आलोक धन्वा की पहली कविता ‘जनता का आदमी’ 1972 में ‘वाम’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। उसी वर्ष ‘फिलहाल’ में ‘गोली दागो पोस्टर’ कविता छपी। ये दोनों कवितायें देश के वामपंथी सांस्कृतिक आन्दोलन की प्रमुख कवितायें बनीं और आलोक बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र और पंजाब के लेखक संगठनों से गहरे जुडे। ‘कपड़े के जूते’, ‘पतंग’, ‘भागी हुई लड़कियाँ और ‘ब्रूनो
की बेटियाँ' जैसी लम्बी कवितायें हिंदी और दूसरी
भाषाओ में व्यापक चर्चा का विषय बनीं। प्रोफेसर डेनियल वाइसबोर्ट और गिरधर
राठी के सम्पादन में साहित्य अकादेमी द्वारा प्रकाशित हिंदी कविताओं के
अंग्रेजी संकलन ‘सरवाइवल’ में उनकी कवितायें संकलित हैं। इसके अलावा
प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रिका ‘क्रिटिकल इनक्वायरी’ में भी अनुवाद प्रकाशित हुए
हैं। |
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