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हरिवंश राय बच्चन

 

 

 

 कविताएँ
कहते हैं, तारे गाते हैं
साजन आए, सावन आया
प्रतीक्षा
निर्माण
संवेदना
जो बीत गई
नव वर्ष
पतझड़ की शाम
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है
आज तुम मेरे लिए हो
हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती..
तुम तूफान समझ पाओगे ?
अँधेरे का दीपक

( - पुस्तकें)
 

मधुशाला

 

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