अखिल भारतीय किसान सभा की नियमावली
(अखिल भारतीय किसान कमिटी की नियामतपुर, बिहार, 14, 15 जुलाई की बैठक
द्वारा स्वीकृत।)
धारा 1. इस संस्था का नाम 'अखिल भारतीय किसान सभा' है।
धारा 2. ''जनता को आर्थिक और राजनीतिक शोषणों से हर तरह का छुटकारा मिलने
के साथ ही उसके हाथ में पूर्ण रूप से आर्थिक और राजनीतिक शक्ति आ जाये''
यही किसान सभा का लक्ष्य है।
धारा 3. इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किसान सभा किसानों को उनकी तात्कालिक
माँगों के आधार पर संगठित करेगी और उनकी प्रतिदिन की लड़ाइयों को चलायेगी
ताकि अन्यशोषित और पीड़ित दलों के साथ मिलकर किसान पूर्ण स्वतन्त्रता के
राष्ट्रीय युध्द में भाग लें और उसे जबर्दस्त बनायें।
धारा 4. अखिल भारतीय किसान सभा के अंग ये हैं-
(1) प्रारम्भिक सदस्य, (2) प्रान्तीय किसान संस्थाओं के नियमानुसार संगठित
थाना, तहसील या अन्य स्थानीय किसान संस्थाएँ, (3) जिला किसान संस्थाएँ, (4)
प्रान्तीय संस्थाएँ, (5) अखिल भारतीय किसान कमिटी, (6) केन्द्रीय किसान
कौंसिल, और (7) अखिल भारतीय किसान सभा का वार्षिक अधिवेशन।
धारा 5. 18 वर्ष या अधिक उम्र का कोई आदमी, जो 2, 3 धाराओं के मन्तव्यों
में विश्वास करे, इस बात की लिखित प्रतिज्ञा करे और मेम्बरी के फार्म पर
हस्ताक्षर करे साधारणतया अधिक से अधिक एक आना सालाना चन्दा देने पर
अ.भा.कि. सभा का सदस्य होगा और इसी काम के लिए अधिकार प्राप्त किसी भी
कार्यालय में अपना नाम दर्ज करा लेगा। लेकिन कोई भी आदमी एक ही समय दो
कमिटियों का प्रारम्भिक सदस्य नहीं हो सकता।
धारा 6. अ.भा.कि. सभा का कार्यक्षेत्र देशी रियासतों के सहित समस्त
भारतवर्ष होगा।
धारा 7. (क) किसी चुनाव की तिथि से पूर्व लगातार एक मास तक जिस सदस्य का
नाम मेम्बरी के रजिस्टर में दर्ज न हो वह उस चुनाव में मत नहीं दे सकेगा।
(ख) पूर्व की उपधारा (क) के अनुसार मतदाता होने पर भी कोई आदमी किसी कमिटी
की मेम्बरी या किसी पद के लिए उम्मीदवार नहीं हो सकता यदि (1) वह प्रत्यक्ष
या अप्रत्यक्ष रूप से जमींदार, साहूकार आदि शोषक वर्ग की आर्थिक या
राजनीतिक संस्थाओं या इस वर्ग के स्वार्थ साधकों की सभाओं का सहायक हो, या
(2) जो 2, 3 धारा के भावों और सभा के द्वारा समय-समय पर स्वीकृत कार्यक्रम
के विरुध्द काम करता हो।
धारा 8. (क) अ.भा. कि. सभा के वार्षिक अधिवेशन के प्रतिनिधियों की संख्या
अधिक-से-अधिक दो हजार होगी जिसमें देशी रियासतों के प्रतिनिधि 500 से
ज्यादा न होंगे। (ख) देशी रियासतों को केन्द्रीय किसान कौंसिल बीस विभागों
में बाँटेगी और हर विभाग 25 से ज्यादा प्रतिनिधि भेज न सकेगा। लेकिन
केन्द्रीय किसान कौंसिल इस संख्या को घटा-बढ़ा सकेगी और हर विभाग को अधिकार
होगा कि वहाँ कोई भी स्वीकृत किसान संस्था होने पर कम-से-कम एक प्रतिनिधि
अवश्य भेजे।
(ग) हर प्रान्त ज्यादा से ज्यादा 100 प्रतिनिधि भेजेगा। लेकिन प्रारम्भिक
मेम्बरों की संख्या का विचार किये बिना ही हर प्रान्त को हर हालत में 10
प्रतिनिधि भेजने का हक होगा और इनके चुनाव के लिए केन्द्रीय किसान कौंसिल
समय-समय पर नियम बनायेगी।
(घ) किसान सभा के 200 सदस्य मिलकर एक प्रतिनिधि चुनेंगे। यदि इसमें इसी
धारा की उपधारा (क) किसी प्रकार बाधक न हो। आवश्यकतानुसार केन्द्रीय किसान
कौंसिल इस 200 की संख्या को बढ़ायेगी।
(ङ) केन्द्रीय किसान कौंसिल के द्वारा निर्धारित तिथि तक जो प्रान्त अपने
प्रतिनिधि न चुनेगा किसान सभा के वार्षिक या दूसरे अधिवेशनों में अपने
प्रतिनिधि भेज न सकेगा।
(च) इस प्रकार चुने गये हर प्रतिनिधि आठ आना प्रतिनिधि शुल्क देकर ही अपने
अधिकारों को काम में ला सकेंगे।
धारा 9. (क) प्रतिनिधियों के चुनाव के बाद 5 या अधिक प्रतिनिधि मिलकर
वार्षिक अधिवेशन के सभापतित्व के लिए किसी प्रतिनिधि को नामजद कर सकते हैं,
बशर्ते कि यह नामजदगी केन्द्रीय किसान कौंसिल के पास निश्चित तिथि तक पहुँच
जाये।
(ख) अ.भा. कि. सभा का प्रधानमंत्री वार्षिक अधिवेशनों के सभापतित्व के लिए
इस प्रकार नामजद सज्जनों की सूची प्रकाशित कर देगा और एक तिथि नियत करेगा
जिस दिन हर प्रान्त के प्रतिनिधि अपने-अपने प्रान्त में एक निश्चित स्थान
पर जमा होकर नीचे लिखे काम करेंगे-
(1) वार्षिक अधिवेशन के सभापति का चुनाव।
(2) अपने ही में से निर्धारित संख्या में अ.भा.कि. कमिटी के सदस्यों का
चुनाव।
(ग) ज्योंही प्रधानमंत्री को सभापतित्व के (1) लिए नाम और हर नाम के लिए
दिये गये प्रान्तों के वोटों की तादाद मिल जाये उसके बाद जितनी जल्दी हो
सके कें.कि.कौ. सबसे ज्यादा वोट पानेवाले को सभापति घोषित करेगी, (2) इस
प्रकार चुने सभापति की मौत, इस्तीफा आदि हो जाने पर अ.भा.कि. कमिटी सभापति
चुनेगी।
धारा 10. अ.भा.कि. कमिटी के सदस्य प्रति दस प्रतिनिधि या उसके भाग पर एक के
हिसाब से चुने जायेंगे।
(क) कमिटी के सदस्यों की संख्या ज्यादा से ज्यादा 200 होगी जिसमें देशी
रियासतों के 50 से ज्यादा न होंगे।
(ख) हर सदस्य को वार्षिक शुल्क एक रुपया देना होगा जिसके बिना वे भाग न ले
सकेंगे।
(ग) हर प्रान्त से कम-से-कम एक सदस्य अवश्य चुना जायेगा बशर्ते कि वहाँ कोई
स्वीकृत किसान संस्था हो।
(घ) अ.भा.कि. कमिटी के सदस्य एक वर्ष के लिए चुने जायेंगे। लेकिन नये चुनाव
में फिर खड़े हो सकेंगे। एक बार चुने गये मेम्बर तब तक उस पद पर रहेंगे जब
तक नये मेम्बरों की बैठक नहीं होती। साल के बीच में किसी वजह से मेम्बर की
जगह खाली होने पर उसकी पूर्ति प्रान्तीय किसान सभाएँ करेंगी।
लेकिन जो अ.भा.कि. सभा फैजपुर में अ.भा.कि. कांग्रेस के प्रस्ताव के द्वारा
बनी है वह अप्रैल, सन् 1938 तक या जब तक अगला वार्षिक अधिवेशन न हो काम
करेगी।
धारा 11. (क) केन्द्रीय किसान कौंसिल-अ.भ.कि. कमिटी के पदाधिकारियों को
मिलाकर कुल 21 सदस्यों की होगी। इनके सिवाय चार स्थानापन्न मेम्बर भी
होंगे। कोरम 7 का होगा।
(ख) सभापति के अलावा इन सभी मेम्बरों का चुनाव अ.भा.कि.क. करेगी।
(ग) केन्द्रीय कि.कौं. के सदस्य एक वर्ष के लिए चुने जायेंगे और जब तक नयी
कौंसिल की बैठक नहीं होती वे बराबर काम करते रहेंगे।
धारा 12. (क) केन्द्रीय किसान कौंसिल के द्वारा निर्धारित तिथि और समय यदि
वह बढ़ाया न जाये, तक हर प्रान्तीय किसान सभाएँ अपने यहाँ दर्ज प्रारम्भिक
सदस्यों की प्रामाणिक संख्या प्रधानमंत्री के पास भेज देंगी।
(ख) जो सदस्य नियमित रूप से दर्ज होंगे वही प्रतिनिधियों के चुनाव में भाग
ले सकेंगे।
(ग) केन्द्रीय कि.कौं. के द्वारा निश्चित तिथि तक प्रतिनिधियों और अ.भा.कि.
क. के सदस्यों की सूची हर प्रान्त से कौंसिल के पास पहुँच जानी चाहिए।
लेकिन ऐसा न होने पर दशा विशेष में कौंसिल अपने असाधारण अधिकार से काम लेकर
पीछे से भेजी सूची के प्रतिनिधियों और मेम्बरों को भी वार्षिक अधिवेशन और
अ.भा.कि.क. की बैठक में भाग लेने का हक दे सकती है।
धारा 13. (क) अ.भा.कि. सभा का सालाना जलसा पूर्व अधिवेशन में निश्चित समय
और स्थान पर ही आमतौर से होगा। लेकिन असाधारण स्थिति में के.कि कौं. दूसरे
समय और स्थान पर होने का भी निश्चय कर सकती है।
(ख) वार्षिक अधिवेशन सभापति और प्रतिनिधियों को मिलाकर ही माना जायेगा।
धारा 14. जिस प्रान्त में वार्षिक अधिवेशन होगा वहाँ की प्रान्तीय किसान
सभा उसके लिए आवश्यक प्रबन्धा करेगी और इसके लिए एक स्वागत समिति बनायेगी।
जिसके सदस्य वे लोग भी हो सकते हैं जो प्रा.कि. सभा के मेम्बर न हों।
धारा 15. (क) वार्षिक अधिवेशन से कम-से-कम दो दिन पूर्व अ.भा.कि.क. की बैठक
विषय समिति के रूप में मनोनीत सभापति की अधयक्षता में होगी।
(ख) विषय समिति कार्यक्रम पर विचार करेगी और खुले अधिवेशन के प्रस्ताव
तैयार करेगी।
धारा 16. हर वार्षिक अधिवेशन में नीचे लिखे क्रम से काम होगा-
(1) विषय समिति के द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव। (2) ऐसे मूल प्रस्ताव जो
उपधारा (1) में न आयें, लेकिन विषय समिति के कम-से-कम जिसके दस सदस्य
समर्थक हों और खुले अधिवेशन के प्रारम्भ होने से पूर्व दो प्रान्तों के
पाँच प्रतिनिधि जिनके पेश करने की लिखित प्रार्थना सभापति के पास भेज दें।
धारा 17. प्रधानमंत्री के.कि.कौं. में सालाना रिपोर्ट और आय-व्यय का हिसाब
ओडिटर की रिपोर्ट के साथ पेश करेंगे। इसके बाद वह अ.भा.कि. कमिटी में
स्वीकृति के लिए पेश की जायेगी। जब तक कोई ओडिटर का काम करे तब तक वह
के.कि.कौं.या अ.भा.कि. का सदस्य न होगा।
धारा 18. (क) के.कि.कौं. या तो अपने ही विचार से या तीन या अधिक प्रान्तीय
किसान कमिटियों, जो स्वीकृत हों, की सम्मिलित प्रार्थना पर अ.भा.कि. सभा के
विशेष अधिवेशन करायेगी, यदि इस मामले पर वह अ.भा.कि. कमिटी की
राय लेना न चाहे। विशेष अधिवेशन का समय और स्थान परिस्थिति के अनुसार
के.कि.कौं. या अ.भा.कि.क. तय करेगी।
धारा 19. (1) अ.भा.कि. सभा का सभापति साल भर के लिए एक बार विधान में उक्त
नियमों के अनुसार चुना जायेगा और जब तक नया सभापति चुना जाकर उस पद को
ग्रहण नहीं करता वह उस पद पर रहेगा।
(2) अ.भा.कि. सभा का सभापति ही उतने समय के लिए के.कि.कौं.,
अ.भा.कि. कमिटी का भी सभापति होगा। उसकी अनुपस्थिति में उस बैठक के लिए
कमिटी या कौंसिल का कोई भी सदस्य आवश्यकतानुसार सभापति चुना जायेगा।
धारा 20. (क) केन्द्रीय कि.कौं.अ.भा.कि. सभा और किसान कमिटी की कार्यकारिणी
कमिटी होगी और इसीलिए उनके द्वारा निर्धारित नीति और कार्यक्रम को पूरा
करने का उसे अधिकार होगा। उन्हीं के प्रति वह जवाबदेह होगी।
(ख) के.कि.कौं. को अधिकार होगा कि वह-
(1) उपनियम बनाये, विधान का अर्थ लगाये और अ.भा.कि.क. और सभा की मातहती में
ऐसी हिदायतें जारी करे जिससे विधान कार्यान्वित हो। वह ऐसी हिदायतें भी दे
सकती है जिनका उल्लेख कहीं न हो।
(2) के.कि.कौं. कम-से-कम हर छ महीने में एक बार बैठेगी।
धारा 21 (क) सभापति और धारा 10 के अनुसार चुने गये सदस्यों की ही अ.भा.कि.
कमिटी होगी।
(ख) अ.भा.कि. सभा के द्वारा निर्धारित कार्यक्रम को वह कमिटी पूर्ण करेगी
और इसके कार्यकाल में जो नयी बातें आ जायें उन्हें भी सुलझायेगी।
(शीर्ष पर वापस)
मिरचईया बाबा मन्दिर में
स्वामी सहजानन्द का भाषण
वर्ष-1949
सन्दर्भ-हुंकार
''किसानों की छाती पर पड़ी तीन चट्टानें हैं-सामन्त, मालदार और
साम्राज्यवाद। तीनों को एकमुश्त हटाना होगा।''
पटेल की मृत्यु के पूर्व उनके भाषण के एक दिन बाद उसी स्थान गाँधी मैदान के
उत्तारी-पूर्व कोने के चौराहे पर स्वामीजी का भाषण
''पहले कल यहाँ आये थे। उन्होंने कहा है कि बगैर मुआवजा दिये जमींदारी
हटाने वालों को कष्ट होगा। यदि जमींदारों को मुआवजा दिया जाता है तो क्या
अंग्रेजों को भी मुआवजा दिया जायेगा? यदि बगैर मुआवजा के जमींदारी हटाने से
कष्ट होगा तो अंग्रेज हटाने, कर माल उड़ानेवालों का क्या होगा?''
मृत्यु के पूर्व बिहार शरीफ का भाषण बकौल रामाश्रय ब्रह्मचारी
''किसानों पर हो रहा जुल्म लूट है, हिंसा है, डाका है''
हमारा स्वामी हमारे किसान आन्दोलन का 'डायनुमा' है। वह सब कुछ भूलकर सदियों
से पीड़ित भारतीय जनता के दिल और दिमाग में नयी रोशनी भरने के लिए चौबीस
घण्टे चालू रहता है। चन्द वर्षों में ही उसने इस किसान आन्दोलन को वहाँ
पहुँचा दिया है जहाँ पहुँचकर यह अपने विपक्षियों को अपना लोहा मानने को
मजबूर कर रहा है। मेरा अपना खयाल है कि यह स्वामी भारत को पद-दलितों के लिए
वही है जो रूस के दलितों के लिए लेनिन था। (अखिल भारतीय, किसान सभा तुर्च
अधिवेशन, गया, 10 अप्रैल, 1939 के स्वागत भाषण से)
नोट-स्व. पं. यदुनन्दन शर्मा 1939 गया चतुर्थ अखिल भारतीय किसान सभा में
उनका स्वागत भाषण।
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