(क) नाम और उद्देश्य
(1) इस संस्था का नाम ‘बिहार प्रान्तीय किसान सभा' होगा।
(2) 'संघ शक्ति सम्पादन; शान्तिपूर्ण उपायों से किसानों की त्रुटियों और
कष्टों को दूर करना और उनके हकों की रक्षा करना' इस सभा का लक्ष्य होगा।
(ख) सदस्य
(3) कम-से-कम 18 वर्ष की उम्रवाला जो किसान इस लक्ष्य को मानने की
प्रतिज्ञा करे और दो आना सालाना चन्दा दे वही इसका सदस्य होगा। लेकिन जिसने
अपने पूर्व तथा वर्तमान कामों से अपने को किसान हित का शत्रु सिध्द कर दिया
है वह मेम्बर नहीं हो सकेगा।
नोट-(1) जो सज्जन दो आने से ज्यादा चन्दा दे उनका वह दान सहायता स्वरूप
जाना जायेगा; (2) किसान उसे कहते हैं जिसका प्रधान जीविका खेती हो, या जो
किसानहित के व्रत का व्रती हो।
(ग) विभाग और स्थापना
(4) इस सभा की नीचे लिखी शाखाएँ होंगी जिनमें पूर्व के अधीन उसके बाद वाली
होगी-
(1) जिला किसान सभा, (2) सब-डिवीजनल किसान सभा, (3) थाना किसान सभा और (4)
ग्राम किसान सभा।
नोट-आवश्यकतानुसार थाना सभा सर्किल सभाएँ कायम कर सकती हैं। जिनका स्थान
ग्राम और थाना सभा के मध्य में होगा और जो एक प्रकार से ग्राम सभाओं के समूह
समझी जायेंगी।
(5) जिस ग्राम या ग्राम समूह में किसान सभा के कम-से-कम नौ सदस्य हों वहाँ
ग्राम किसान सभा स्थापित होगी।
(6) जिस थाने के कुल ग्रामों के कम-से-कम पाँचवें हिस्से में ग्राम किसान
सभा की स्थापना हो चुकी हो वहाँ थाना किसान सभा की स्थापना होगी।
(7) जिस सब-डिवीजन में कम-से-कम तीन थाना किसान सभाएँ स्थापित हों वहाँ
सब-डिवीजनल किसान सभा स्थापित होगी।
(8) जिस जिले में कम-से-कम दो सब-डिवीजनल किसान सभाएँ हों वहाँ जिला किसान
सभा स्थापित होगी।
(9) कम-से-कम 5 जिला किसान सभाएँ बन चुकने पर बिहार प्रान्तीय किसान सभा
स्थापित की जायेगी।
(घ) सभाओं का संगठन
(10) ग्राम किसान सभा द्वारा चुने सदस्यों की थाना किसान सभा होगी और ग्राम
सभाओं के प्रति 25 या इससे कम सदस्यों को अपना एक प्रतिनिधि थाना सभा के
लिए चुनने का अधिकार होगा।
(11) थाना किसान सभा के सदस्य सब-डिवीजनल किसान सभा के लिए प्रति 100 या
उससे कम सदस्यों पर अपना एक प्रतिनिधि चुनेंगे और इस प्रकार चुने
प्रतिनिधियों की ही वह सभा बनेगी।
(12) जिला किसान सभा के लिए सदस्यों का चुनाव सब-डिवीजनल सभा के सदस्य
करेंगे जिन्हें सब-डिवीजन के प्रति 500 या इससे कम सदस्यों पर एक सदस्य
चुनने का अधिकार होगा।
(13) बिहार प्रान्तीय किसान सभा के सदस्यों का चुनाव जिला किसान सभाएँ
करेंगी जिन्हें प्रति 1000 या कम सदस्यों पर एक प्रतिनिधि चुनने का अधिकार
होगा।
(च) पदाधिकारी
(14) प्रत्येक सभा के पदाधिकारी होंगे एक सभापति, एक या अधिक उप-सभापति और
एक मंत्री। इनके सिवाय प्रान्तीय सभा के तीन सहायक मंत्री भी पदाधिकारी
होंगे जो प्रत्येक डिवीजन के लिए एक-एक होने के कारण डिवीजनल मंत्री भी कहे
जायेंगे। उसी तरह जिला सभाओं में भी मंत्री के सिवाय प्रति सब-डिवीजन के
लिए एक-एक के हिसाब से सहायक मंत्री होंगे और सब-डिवीजनल सभाओं में प्रति
थाने के हिसाब से एक-एक सहायक मंत्री होंगे। ये क्रमश: सबडिवीजनल मंत्री और
थाना सभा और ग्राम सभा में क्रमश: तीन और दो सहायक मंत्री होंगे।
(छ) किसान कौंसिल
(15) प्रत्येक सभा की एक कार्यकारिणी होगी जिसका नाम 'किसान कौंसिल' होगा।
इस प्रकार 'प्रान्तीय किसान कौंसिल' से लेकर 'ग्राम किसान कौंसिल' तक
पृथक्- पृथक् होगी। इनके पदाधिकारी वही होंगे जो उन सभाओं के होंगे। लेकिन
(1) अध्यक्ष, (2) मंत्री, (3) सभी सहायक मंत्री के सिवाय ग्राम किसान कौंसिल
के 3, थाना कौंसिल के 5, सब-डिवीजनल कौंसिल के 7, जिला कौंसिल के 9 और
प्रान्तीय कौंसिल के 12 सदस्य होंगे जिनका चुनाव पदाधिकारियों की ही तरह
हुआ करेगा।
(ज) विशेष शुल्क और आम विभाग
(16) सब-डिवीजनल सभा के सदस्यों को चार आना, जिला सभा के सदस्यों को आठ आना
और प्रान्तीय सभा के सदस्यों को एक रुपया प्रतिवर्ष विशेष चन्दा देना होगा
और बिना उसके दिये वे बैठक में भाग न ले सकेंगे।
(17) किसान सभाओं की जो आय होगी उसका आधा प्रान्तीय किसान सभा का भाग होगा
और शेष आधा जिलों का होगा। आवश्यकतानुसार उसी आधा में से हरेक जिला
सब-डिवीजनल आदि सभाओं को भी देगा।
(18) समस्त प्रान्त के लिए सब प्रकार की आय की रसीद बही आदि प्रान्तीय सभा
ही छपवायेगी और जिस जिले को जितनी बही आदि दी जायेगी उसकी छपायी का खर्च उस
जिले से वसूल कर लिया करेगी।
(झ) कोरम और उपनियम आदि
(19) कौंसिल का कोरम एक-तिहाई सदस्यों का होगा और सभाओं का कोरम वर्ष के
आरम्भ में प्रत्येक सभाएँ स्वयं नियत कर दिया करेंगी। जब तक अगले वर्ष के
लिए कोरम निश्चित न हो तब तक पूर्व निश्चय के अनुसार ही काम होगा।
(20) कौंसिलों और जिला आदि की किसान-सभाओं को अधिकार होगा कि वे अपने
कार्य-संचालन के लिए ऐसे नियम-उपनियम बना लें जो इन नियमों के विरोधी न हों
और जिनकी स्वीकृति अपने ऊपर की सभाओं के द्वारा प्रान्तीय किसान-सभा से ली
जा चुकी हो।
(ट) प्रान्तीय और जिला किसान सम्मेलन
(21) साधारणत: वर्ष में एक बार प्रान्त-भर के किसान का एक प्रान्तीय किसान
सम्मेलन हुआ करेगा जिसके लिए या तो जिला किसान सभाएँ प्रतिवर्ष अलग-अलग
निमन्त्रण दिया करेंगी या ऐसा न होने पर प्रान्तीय किसान सभा अथवा उसकी
कौंसिल स्थान और समय का निश्चय करेंगी। जिलों से निमन्त्रिात होने पर भी
समय का निश्चय कौंसिल ही करेगी।
(22) जिला किसान सम्मेलन भी इसी प्रकार हर जिले के सब-डिवीजनों या थानों
में पारी-पारी से हुआ करेगा। और उसके लिए या तो थाने वगैरह से निमन्त्रण
होगा या जिला कौंसिल ही जरूरत देखकर स्थान और समय का निश्चय करेगी। यदि
चाहें तो सब-डिवीजन और थाने भी अपना-अपना सम्मेलन साल में एक बार
आवश्यकतानुसार किया करें। उनके स्थान और समय आदि का निश्चय पूर्ववत् होगा।
(23) आवश्यकता पड़ने पर वर्ष के बीच में किसान सम्मेलन का विशेष अधिवेशन भी
हो सकता है। इसका निश्चय किसान सभा कर सकती है और स्थानादि का निश्चय भी कर
सकती है।
(24) प्रान्तीय सम्मेलन में प्रति 1000 की आबादी पर एक प्रतिनिधि चुने
जायेंगे, जिन्हें क्रमश: आठ और चार आना प्रतिनिधि-शुल्क देना होगा।
(25) प्रान्तीय सम्मेलन की स्वागतकारिणी का सदस्य शुल्क आठ आना और जिला
स्वागतकारिणी का चार आना होगा।
(26) साधारणत: प्रान्तीय सम्मेलन का सभापति जिला सभा की सिफारिश के आधार पर
स्वागतकारिणी द्वारा बहुमत से चुना जायेगा, मगर जिलों की सिफारिश को मानने
के लिए स्वागत समिति खामख्वाह बाध्य न होगी। यही बात इसी प्रकार जिला
सम्मेलन में भी लागू होगी। अन्तर यही होगा कि यहाँ सिफारिश करने वाली
सब-डिवीजनल सभाएँ होंगी।
(27) यदि कोई दैवी गति हो जाये और मनोनीत सभापति अध्यक्ष पद स्वीकार न करें
तो प्रान्तीय और जिला सभाएँ इस दशा में अध्यक्ष का चुनाव क्रमश: करेंगी।
(28) प्रान्तीय सम्मेलन की विषय-समिति प्रान्तीय सभा और जिला की जिला सभा
होगी और मनोनीत सभापति ही विषय-समिति के अध्यक्ष होंगे। सब-डिवीजनल सम्मेलन
आदि में भी ये सभी बातें उक्त रीति से ही होंगी।
(29) जिला तथा प्रान्तीय सम्मेलनों की स्वागत समिति का नियमित रूप से संगठन
अधिवेशन से क्रमश: एक और दो मास पूर्व अवश्य हो जाया करेगा और उसके अध्यक्ष,
उपाध्यक्ष, मंत्री आदि का चुनाव तथा आवश्यक उपसमितियों का निर्माण भी हो
जाया करेगा।
(30) जिला सम्मेलन की बचत का आधा धान प्रान्तीय किसान सभा का होगा।
(ठ) प्रकीर्ण
(31) कोषाध्यक्ष की आवश्यकता न होगी और मंत्री आय-व्यय का हिसाब रख कर अधिक
रुपये बैंक में सभा के नाम से जमा कर दिया करेंगे।
(32) साल के शुरू में प्रान्तीय सभा एक आय-व्यय निरीक्षक नियुक्त कर देगी
जो सभी सभाओं के आय-व्यय की जाँच करके अपनी रिपोर्ट प्रान्तीय सभा में पेश
करेगा।
(33) ये नियम आवश्यकतानुसार घटाये-बढ़ाये और बदले जा सकते हैं। मगर ऐसा करने
का अधिकार केवल नियमानुसार संगठित प्रान्तीय सभा को ही होगा।
(प्रान्तीय किसान कौंसिल की ता. 15-12-29 की बैठक में स्वीकृत)।
नोट-यह पुस्तिका वस्तुत: मृत्यु पूर्व की उनकी राजनीतिक वसीयत है। इसमें
किसान संघर्ष की अहमियत, एकौनोमिक होल्डिंग, खेत मजदूर को रोजगार-उद्योग में
लगाने पर जोर है। खेत जोतने वाले का या संसदीय संघर्श पर जोर नहीं है। यह
व्यावहारिक किसान दर्शन है और आज भी संगत है।
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