बिहार प्रान्तीय किसान सभा का विधान
1. नाम-इस
संस्था का नाम 'बिहार प्रान्तीय किसान सभा' है।
2. लक्ष्य-आर्थिक
प्रश्नों के आधार पर किसान संगठित होकर शान्तिपूर्ण उपायों से अपने मौलिक
अधिकारों को प्राप्त करें, यही इसका लक्ष्य है।
3. किसान
की परिभाषा-(1) किसान वह है जिसकी जीविका, प्रधानतया खेती के बिना
नहीं चल सकती।
(2) शरीर-रक्षा और स्वास्थ्य के लिए साधारण भोजन, वस्त्र, मकान और मामूली
पढ़ने-लिखने के सामान को जीविका कहते हैं।
4. मौलिक
अधिकार-किसानों के मौलिक अधिकार ये हैं-
(क) किसान ही जमीन के मालिक हैं।
(ख) कंकरीली, पथरीली, जंगली, पहाड़ी, बालूवाली, ऊसर, दलदली, सैलाबी
(बाढ़वाली) वगैरह जमीन जिसमें खेती करने की लागत से ज्यादा उपज नहीं होती,
या जिस जमीन की पैदावार, किसान परिवार के मुनासिब मेहनत करने पर भी, उसकी
जीविका का काम चलाने से अधिक नहीं होती उस जमीन के लिए किसान को किसी
प्रकार का कर नहीं देना पड़े।
(ग) हर किसान परिवार के पास कम-से-कम इतनी जमीन रहने का प्रबन्धा जरूर हो
जितनी उसकी जीविका के लिए जरूरी है।
(घ) जितनी जमीन किसान परिवार की जीविका के लिए जरूरी है वह, और खेती का
सामान किसी किस्म की डिग्री में नीलाम नहीं हो।
(ङ) काश्तकारी कानून केवल किसान के ही हिताहित की दृष्टि से बने।
(च) सरकार तथा किसान के बीच में कोई शोषक-वर्ग न रहे।
5. सदस्य-जो
किसान या किसान-हित के व्रती इस सभा के लक्ष्य को मानने की प्रतिज्ञा
करें और एक पैसा सालाना चन्दा दें, वही इसका सदस्य होगा (जो सदस्य नहीं
होगा उसे सभा के चुनाव में भाग लेने तथा सभा के पदाधिकारी या सदस्य होने
का अधिकार नहीं मिलेगा।)
6. संगठन-(क)
इस सभा की आगे लिखी शाखाएँ होंगी-
(1) जिला किसान सभा, (2) थाना किसान कौंसिल।
(ख) थाने में किसान-सभा के सदस्य यदि दो हजार होंगे तो वे अपने में से
सात व्यक्तियों को चुन लेंगे और वर्ष-भर के लिए इन्हीं सात की थाना किसान
कौंसिल होगी।
दो हजार से अधिक सदस्य होने पर प्रति दो हजार पर दो अधिक सदस्य थाना
किसान कौंसिल में चुने जायेंगे। परन्तु, किसी भी हालत में थाना किसान
कौंसिल के सदस्य 21 से अधिक नहीं हो सकते।
नोट-
1. यदि थाना किसान कौंसिल चाहे तो एक या कई ग्रामों को मिलाकर अपने अधीन
ग्राम किसान कौंसिल या किसी विशेष जमींदारी की किसान कौंसिल संगठित करा
सकती है जो पाँच चुने हुए व्यक्तियों की होगी।
2. एक थाना से अधिक के ग्राम यदि एक जमींदारी में हों, तो जिला किसान सभा
की आज्ञा से उनका एक अलग संगठन हो सकताहै।
(ग) थाना के सदस्य, थाना किसान कौंसिल के सदस्यों के चुनने की बैठक में
ही जिला किसान सभा के लिए प्रत्येक थाने से, जिसकी सदस्य संख्या दो हजार
हो, दो सदस्य चुनेंगे। और इस प्रकार थानों से चुने गये सदस्यों की ही
जिला किसान सभा होगी।
दो हजार से अधिक सदस्य होने पर प्रत्येक दो हजार पर एक अधिक सदस्य जिला
किसान सभा के लिए चुने जायेंगे। परन्तु किसी भी हालत में एक थाना से सात
से अधिक सदस्य नहीं चुने जा सकते।
(घ) बिहार प्रान्तीय किसान सभा के सदस्य जिला किसान सभाओं के द्वारा चुने
जायेंगे। प्रत्येक जिले के जहाँ 25 हजार सदस्य बन चुके हों, पाँच सदस्य
चुनने का अधिकार होगा। लेकिन जिस जिले में आधो से कम थाने संगठित हों और
25 हजार सदस्य नहीं बने हों, वहाँ से केवल तीन ही सदस्य चुने जायेंगे। 25
हजार से अधिक सदस्य होने पर, प्रत्येक दो हजार पर एक अधिक सदस्य जिला
किसान सभा को चुनने का अधिकार होगा। परन्तु किसी भी हालत में प्रान्तीय
सभा के लिए 11 से अधिक सदस्य नहीं चुन सकेगी।
7.
पदाधिकारी तथा उनका चुनाव-(क) प्रत्येक सभा और कौंसिल के पदाधिकारी
होंगे एक सभापति, एक मंत्री और दो सहायक मंत्री। इनका चुनाव प्रतिवर्ष
हुआ करेगा।
(ख) नवसंगठित प्रान्तीय और जिला किसान सभा की पहली बैठक में ही
पदाधिकारियों और किसान कौंसिल के सदस्यों का चुनाव होगा और जब तक ऐसा न
हो जाये तब तक पुराने पदाधिकारी और सदस्य ही काम करेंगे। वर्ष के बीच में
किसी कारण से ऐसा कोई स्थान खाली हो जाने पर चुनाव के द्वारा उसकी पूर्ति
होगी। प्रान्तीय और जिला किसान सभाओं का कोरम एक-तिहाई सदस्यों का होगा।
(ग) थाना किसान कौंसिल और ग्राम किसान कौंसिल के पदाधिकारी भी उनकी प्रथम
बैठक में ही चुने जायेंगे।
8. किसान
कौंसिल- प्रान्तीय तथा जिला किसान सभा की
कार्यकारिणी का नाम क्रमश: 'प्रान्तीय किसान कौंसिल' तथा 'जिला किसान
कौंसिल' होगा। प्रान्तीय सभा के पदाधिकारियों को मिलाकर प्रान्तीय किसान
कौंसिल के 15 और जिला-सभा के पदाधिकारियों को मिलाकर जिला कौंसिल के कुल
11 सदस्य होंगे। किसान कौंसिलों का कोरम चार सदस्यों का होगा।
9. अनुशासन
संबंधी नियम-(क) ग्राम या थाना कौंसिल से लेकर प्रान्तीय किसान सभा
या प्रान्तीय कौंसिल तक किसी भी संस्था के सदस्य यदि बिना उचित कारण
बताये लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित होंगे तो उनकी जगह खाली समझी जाकर
चुनाव से उसकी पूर्ति होगी।
(ख) यदि किसी अधीनस्थ किसान सभा, किसान कौंसिल या उसके सदस्य के बारे में
प्रान्तीय किसान कौंसिल को यह विश्वास हो जाये कि उसने किसान हित के अथवा
किसान सभा की आज्ञा या सिध्दान्त के विरुध्द काम किया है तो वह सभा या
कौंसिल तोड़ दी जायेगी और वह सदस्य पदच्युत करार दिया जायेगा। लेकिन ऐसा
करने से पहले उनको प्रान्तीय कौंसिल के सामने अपनी सफाई पेश करने का मौका
दिया जायेगा।
10. विशेष
शुल्क और आय-(क) थाना किसान कौंसिल, जिला किसान सभा और प्रान्तीय
किसान सभा के सदस्यों को क्रमश: चार, आठ और सोलह आना सालाना विशेष शुल्क
देना पड़ेगा और बिना उसे दिये वे बैठक में भाग न ले सकेंगे।
(ख) साधारण सदस्य-शुल्क से जो आय होगी उसका आधा बिहार प्रान्तीय किसान
सभा का होगा और आधो में जिला सभा और थाना किसान कौंसिल का बराबर-बराबर
भाग होगा।
(ग) सदस्य बनाने के लिए रसीद बही जिला सभाएँ छपवायेंगी परन्तु रसीद में
प्रान्तीय किसान सभा का ही नाम छपेगा। जिलों को प्रान्तीय सभा की ओर से
सदस्यता की रसीद का नमूना भेजा जायेगा।
(घ) प्रान्तीय तथा जिला सभा चन्दा एकत्र करने के लिए रसीद बहियाँ छपवा
सकेंगी, परन्तु थाना कौंसिल को चन्दे के लिए जिला से ही रसीद बही लेनी
होगी।
11. विधान
सम्बन्धी नियम- प्रान्तीय किसान सभा की अधीनस्थ संस्थाओं को अधिकार
होगा कि अपना काम चलाने के लिए ऐसे नियम बना लें जो इन नियमों के विरोधी
न हों और जिनकी स्वीकृति प्रान्तीय किसान कौंसिल से ले ली गयी हो। जिला
किसान सभा अपनी मातहत संस्थाओं के नियमों की स्वीकृति साधारणत: देकर उसकी
सूचना प्रान्तीय कौंसिल को देगी। यदि चाहे तो प्रान्तीय कौंसिल इसमें
हस्तक्षेप करेगी।
12.
प्रान्तीय सम्मेलन-(क) साधारणत: साल में एक बार प्रान्तीय किसान
सम्मेलन हुआ करेगा जिसके लिए जिला सभाएँ प्रतिवर्ष सम्मेलन के अवसर पर ही
निमन्त्रण दिया करेंगी। ऐसा न होने पर प्रान्तीय कौंसिल स्थान और समय का
निश्चय करेगी। निमन्त्रिात होने पर भी समय का निश्चय कौंसिल ही करेगी।
(ख) जरूरत होने पर वर्ष के बीच में विशेष सम्मेलन भी होगा जिसके करने तथा
स्थान, समय आदि का निश्चय प्रान्तीय कौंसिल करेगी।
(ग) प्रान्तीय सम्मेलन के प्रतिनिधि थाना कौंसिल, जिला किसान सभा और
प्रान्तीय किसान सभा के सदस्य ही होंगे जिन्हें प्रतिनिधि शुल्क आठ आना
देना होगा। प्रत्येक जिला सभा का मंत्री अपने जिले के प्रतिनिधियों को
प्रमाण-पत्र देगी जिसे स्वागत समिति के कार्यालय में प्रतिनिधि शुल्क के
साथ पेश करने पर उन्हें प्रवेश-पत्र मिलेगा। विशेष परिस्थिति में स्वागत
समिति शुल्क माफ कर सकती है।
(घ) प्रान्तीय सम्मेलन के सभापति का चुनाव साधारणत: सम्मेलन की निश्चित
तिथि से दो मास पहले हो जायेगा। इस बारे में आवश्यक आदेश प्रान्तीय
कौंसिल देगी। सभापति का चुनाव जिला किसान सभाएँ अपनी विशेष बैठक में
करेंगी और बहुमत से चुने गये सज्जन का नाम प्रान्तीय कौंसिल के पास
निश्चित तिथि के भीतर भेज देंगी। जो जिला निश्चित तिथि तक अपनी सम्मति इस
बारे में न भेजेगा उसकी राय मानने को किसान कौंसिल बाधय न होगी। इस
प्रकार हर जिले से चुनकर आये नामों में जिनके बारे में जिलों का बहुमत
होगा वही सज्जन प्रान्तीय सम्मेलन के सभापति होंगे। इस बात की सूचना
प्रान्तीय कौंसिल स्वागत समिति को देगी और घोषणा भी कर देगी।
(ङ) यदि कोई दैवी गति हो जाये या किसी कारण से मनोनीत सभापति उस पद को
स्वीकार न करें तो प्रान्तीय किसान कौंसिल सभापति का चुनाव करके घोषित कर
देगी।
(च) प्रान्तीय किसान सम्मेलन की विषय समिति प्रान्तीय किसान सभा ही होगी।
विषय समिति की बैठक आवश्यकतानुसार सम्मेलन के आरम्भ होने से पहले भी हो
सकेगी। प्रान्तीय सम्मेलन का निर्णय प्रान्तीय किसान सभा को निर्विवाद
रूप से मान्य होगा।
(छ) जिस जिले में प्रान्तीय सम्मेलन होगा वहाँ की जिला किसान सभा के
सदस्य स्वागत समिति के सदस्य माने जायेंगे। लेकिन उनके सिवा और लोग भी
स्वागत सदस्य हो सकते हैं। स्वागत सदस्य का शुल्क एक रुपया होगा। इस
प्रकार जितने सदस्य होंगे वे साधारणत: सम्मेलन के अधिवेशन से तीन मास
पूर्व मिलकर एक बैठक में स्वागताधयक्ष, मंत्री आदि का चुनाव कर लेंगे।
सम्मेलन के समस्त प्रबन्धा का उत्तारदायित्व स्वागत समिति पर ही होगा।
(ज) प्रान्तीय सम्मेलन के खर्च के बाद जो कुछ बचत होगी उसमें से सम्मेलन
की रिपोर्ट छपाने का खर्च बाद में देकर शेष का आधा प्रान्तीय सभा को और
बाकी जिला किसान सभा को मिलेगा। सम्मेलन की रिपोर्ट अधिवेशन के तीन मास
के भीतर स्वागत समिति तथा जिला किसान सभा की सहायता से प्रान्तीय किसान
कौंसिल छपवायेगी।
13. जिला
किसान सम्मेलन-यदि जिला किसान सम्मेलन की आवश्यकता समझी जाये तो वह
भी प्रान्तीय सम्मेलन की ही तरह किया जायेगा और उसके लिए वही नियम लागू
होंगे। अन्तर यही होगा कि उसके प्रतिनिधि उसी जिले की थाना और जिला सभा
के सदस्य तथा उस जिले से प्रान्तीय सभा में भेजे गये सदस्य होंगे,
साथ-ही-साथ ग्राम सभा या विशेष जमींदारी के संगठन के सदस्य भी। प्रतिनिधि
शुल्क चार आना या एक पसेरी गल्ला देना होगा। प्रान्तीय किसान कौंसिल और
जिला किसान सभा शब्द ऊपर की धारा 12 की उपधाराओं जहाँ-जहाँ आये हैं
वहाँ-वहाँ उनकी जगह पर क्रमश: जिला किसान सभा, जिला किसान कौंसिल और थाना
किसान कौंसिल समझी जायेगी। विषय समिति जिला किसान सभा होगी।
14. थाना
किसान सम्मेलन-थाना किसान सम्मेलन के प्रतिनिधि थाना-भर के ही सदस्य
होंगे। स्वागत सदस्य दो आना या आधी पसेरी गल्ला देने पर हो सकेंगे। ग्राम
सभा या किसी विशेष जमींदारी की सभा या कोई भी ग्राम थाना कौंसिल की आज्ञा
से या पूर्व थाना सम्मेलन के निश्चय के अनुसार ही थाना सम्मेलन कर सकेगा।
15.
सम्मेलनों के सभापति-थाना, जिला तथा प्रान्तीय सम्मेलनों के सभापति
वे ही चुने जायेंगे जो किसान सभा के लक्ष्य तथा रीति नीति से पूर्णत:
सहमत हों।
16.
आय-व्यय निरीक्षक-साल के शुरू में ही प्रान्तीय किसान सभा अपनी पहली
ही बैठक में एक आय-व्यय निरीक्षक नियुक्त कर देगी जो सभी सभाओं के
आय-व्यय की जाँच करके उसकी रिपोर्टें प्रान्तीय किसान कौंसिल में पेश
करेगा। एतदर्थ उचित आदेश और नियम प्रान्तीय किसान कौंसिल बनावेगी।
17.
कोषाधयक्ष-प्रत्येक सभा का एक कोषाधयक्ष होगा जो चुने जाने पर तब तक
रह सकेगा जब तक उसका बदलना जरूरी न समझा जाये। उसी का काम होगा कि
आय-व्यय का हिसाब रखे। इसके लिए जरूरी नियम प्रान्तीय कौंसिल बनावेगी।
18. बैठक
की सूचना-सभी किसान सभाओं और कौंसिलों के लिए एक सप्ताह पहले बैठक की
सूचना भेजी जायेगी। लेकिन विशेष आवश्यकता पड़ने पर सभापति और मंत्री जब
चाहें सूचना देंगे और मीटिंग करेंगे।
19.
प्रकीर्ण-(क) किसान सभा का वर्ष पहली जनवरी से हुआ करेगा। वर्षारम्भ
से पहले साधारणत: सभी सभाओं और कौंसिलों का संगठन हो जाया करेगा। इसके
संबंध में विस्तृत नियम आदि प्रान्तीय कौंसिल बनावेगी और आदेश जारी
करेगी।
(ख) जो बातें इन नियमों में स्पष्ट न लिखी हों उनका निर्णय और उनके बारे
में नियमादि बनाना प्रान्तीय किसान कौंसिल का काम होगा।
(ग) इन नियमों में परिवर्तन बिहार प्रान्तीय किसान सभा की विशेष बैठक में
उपस्थित सदस्यों की दो-तिहाई की राय से ही होगा।
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