द
हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह दंत्य, सघोष, अल्पप्राण स्पर्श है।
दँतार
[वि.] बड़े बड़े दाँतोंवाला; दीर्घाकार दाँतों वाला।
दँवरी
(सं.) [सं-स्त्री.] काटी गई सूखी फ़सल की बालियों से मशीन या बैलों के द्वारा अनाज के दाने निकलवाना (दँवाना); फ़सल की बालों से दाने निकलवाने का काम।
दंग
(फ़ा.) [वि.] चकित, विस्मित होने का भाव; हक्का-बक्का।
दंगई
[सं-पु.] दंगा करने वाला व्यक्ति। [सं-स्त्री.] 1. दंगा-फसाद करने की प्रवृत्ति 2. दंगा 3. उपद्रव। [वि.] 1. उपद्रवी 2. फ़सादी; लड़ाका; झगड़ालू; झगड़ा करने वाला
3. नटखट; शरारती 4. प्रचंड; विकट।
दंगल
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. कुश्ती 2. अखाड़ा 3. मज़मा; समूह 4. किसी प्रकार के कौशल प्रदर्शन का अवसर या प्रतियोगिता।
दंगली
(फ़ा.) [वि.] 1. दंगल जीतने वाला 2. दंगल में जाने या भेजने के योग्य 3. योद्धा 4. बहुत बड़ा।
दंगा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. उपद्रव; बहुत से लोगों का ऐसा झगड़ा जिसमें मारपीट अथवा ख़ून-ख़राबा हो 2. हल्ला; कोलाहल 3. बलवा।
दंगाई
[वि.] दंगा करने वाला; उपद्रवी; लड़ाका।
दंगाग्रस्त
(फ़ा.+सं.) [वि.] दंगे को झेलने वाला।
दंगा-फ़साद
(फ़ा.+अ.) [सं-पु.] 1. लड़ाई-झगड़ा 2. ख़ून-ख़राबा; हिसंक प्रतिवाद।
दंगेबाज़
(फ़ा.) [सं-पु.] दंगा करने या करवाने वाला व्यक्ति; उपद्रवी।
दंड
(सं.) [सं-पु.] 1. सज़ा; जुरमाना; डाँड़; आर्थिक हानि 2. डंडा; सोटा; लाठी 3. हल में लगी हुई लकड़ी 4. चौबीस मिनट का समय; घड़ी 5. मथानी 6. एक प्रकार का शारीरिक
व्यायाम। [मु.] -भरना : किसी का नुकसान पूरा करना। -सहना : घाटा सहना।
दंडक
(सं.) [सं-पु.] 1. दंड देने वाला व्यक्ति 2. शासक; शासित करने वाला 3. डंडा; सोंटा 4. हल में लगने वाली एक लंबी लकड़ी; हरिस 5. एक प्रकार का वर्णिक छंद जिसके
प्रत्येक चरण में छब्बीस से अधिक वर्ण होते हैं 6. कतार 7. दंडकारण्य।
दंडकवन
[सं-पु.] (रामायण) एक वन; राक्षस दंडक का आवास; दंडकारण्य।
दंडकारण्य
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्राचीन वन जो विंध्य पर्वतमाला से लेकर गोदावरी नदी के किनारे तक फैला हुआ है 2. किंवदंती है कि प्राचीन काल में अयोध्या के राजा दशरथ के
पुत्र राम वनवास के समय इसी वन में बहुत दिन तक रहे थे।
दंडधर
(सं.) [सं-पु.] 1. शासनकर्ता; राजा; दंडनायक 2. न्यायाधीश 3. यमराज 4. संन्यासी। [वि.] दंड धारण करने वाला।
दंडनायक
(सं.) [सं-पु.] 1. शासनकर्ता; राजा 2. न्यायाधीश; दंडविधायक 3. सेनापति।
दंडनीति
(सं.) [सं-स्त्री.] अपराधी या शत्रु को दंड का भय दिखाकर या देकर वश में करने या रखने की नीति।
दंडनीय
(सं.) [वि.] 1. दंड के योग्य; जो दंडित होने योग्य हो 2. (कार्य या अपराध) जिसके लिए किसी को दंड दिया जाए।
दंडपाणि
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसके हाथ में दंड हो 2. यमराज 3. काशी में स्थित एक भैरव की मूर्ति।
दंडपाल
(सं.) [सं-पु.] 1. न्यायाधीश 2. पहरेदार; द्वारपाल।
दंडवत
(सं.) [सं-पु.] दंड के समान सीधे होकर पृथ्वी पर औंधे मुँह लेटकर किया जाने वाला प्रणाम; साष्टांग नमन; पाद-प्रणाम; चरणस्पर्श। [वि.] दंड के समान सीधा, खड़ा।
दंडविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] भिन्न-भिन्न समाज में अलग-अलग समय या कालखंड में अपराधियों को दी जाने वाली सज़ाओं का अध्ययन और विवेचन करने वाला विज्ञान; अपराधियों के साथ किए
जाने वाले व्यवहार का विश्लेषण करने वाला विज्ञान; अपराध विज्ञान की एक शाखा।
दंड-विधान
(सं.) [सं-पु.] दंड की व्यवस्था; जुर्म और सज़ा का कानून।
दंडविधि
(सं.) [सं-स्त्री.] वह नियम जिसमें अपराधों के लिए सज़ा का विवेचन होता है।
दंडशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. अपराधियों के साथ किए जाने वाले व्यवहार का विश्लेषण करने वाला विज्ञान 2. अपराध विज्ञान की एक शाखा।
दंड-संहिता
(सं.) [सं-स्त्री.] वह पुस्तक या ग्रंथ जिसमें किसी राष्ट्र में होने वाले अपराधों के लिए दंड या सज़ा का विधान लिखा होता है; ताज़ीरात; (पीनल कोड)।
दंडाकार
(सं.) [वि.] डंडे के आकार या स्वरूप का; दंड के समान।
दंडाज्ञा
(सं.) [सं-स्त्री.] दंड प्रदान करने हेतु आदेश; न्यायालय द्वारा दिया गया दंड।
दंडात्मक
(सं.) [वि.] दंड से संबंधित।
दंडादेश
(सं.) [सं-पु.] सज़ा मिलने का आदेश या निर्णय।
दंडाधिकारी
(सं.) [सं-पु.] 1. वह राजकीय अधिकारी जिसे फ़ौजदारी या आपराधिक अभियोगों को सुनने और विचार करने तथा अपराधियों को दंड देने का अधिकार होता है 2. न्यायाधीश;
(मजिस्ट्रेट)।
दंडायमान
(सं.) [वि.] जो डंडे की तरह सीधा खड़ा हो।
दंडाश्रम
(सं.) [सं-पु.] वह आश्रम या अवस्था जिसमें तीर्थयात्री हाथ में डंडा लेकर तीर्थ की ओर जाते थे।
दंडिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लंबी और सीधी छड़ी; छोटा डंडा 2. रस्सी; डोरी; रज्जु 3. पंक्ति; कतार 4. एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में एक रगण के उपरांत एक जगण, इस
प्रकार के गणों के जोड़े तीन बार आते हैं और अंत में गुरु-लघु होता है 5. धागे में पिरोए मोतियों की लड़ी।
दंडित
(सं.) [वि.] जिसे दंड मिला हो या दिया गया हो; सज़ायाफ़्ता; सज़ा पाने वाला।
दंडी
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो दंड धारण करता है 2. यमराज 3. राजा 4. द्वारपाल 5. नाविक; केवट 6. वह संन्यासी जो दंड और कमंडल धारण करता है 7. (योगशास्त्र)
संन्यासियों का वह संप्रदाय जो स्मृतियों में वर्णित त्रिदंड (वाग्दंड, मनोदंड और कायदंड) को बाँध कर रखता है और प्रतीक स्वरूप दाहिने हाथ में एक डंडा धारण करता
है 8. एक जिन।
दंडोत्पल
(सं.) [सं-पु.] कुकरौंधा नामक पौधा जिसे गूमा, सहदेया भी कहा जाता है।
दंड्य
(सं.) [वि.] दंड के योग्य; दंडनीय।
दंत
(सं.) [सं-पु.] 1. दाँत 2. तीर की नोक।
दंतकथा
(सं.) [सं-स्त्री.] किंवदंती; ऐसी कथा जिसे लोग सिर्फ़ एक-दूसरे से सुनते आए हों और उसका कोई ठोस प्रमाण न हो; परंपरा से चला आने वाला किस्सा; जनश्रुति।
दंतक्षत
(सं.) [सं-पु.] दाँत से काटने पर अंग पर पड़ने वाला चिह्न या निशान।
दंतचक्र
(सं.) [सं-पु.] दाँतेदार चक्र।
दंतचिकित्सा
(सं.) [सं-स्त्री.] दाँत तथा दंत-रोगों के अध्ययन और उपचार करने की विधा या विज्ञान; दंत-चिकित्सा विज्ञान; (डेंटिस्ट्री)।
दंतधावन
(सं.) [सं-पु.] 1. दाँत माँजने, धोने या साफ़ करने का कार्य; दंतमार्जन 2. दातौन; दंतवन 3. खैर, करंज और मौलसिरी का पेड़।
दंतबीज
(सं.) [सं-पु.] 1. जिसका बीज दाँत के समान हो 2. अनार; दाडिम; बेदाना।
दंतमंजन
(सं.) [सं-पु.] दाँत साफ़ करने का चूर्ण या पेस्ट; (टूथपावडर; टूथपेस्ट)।
दंतमूल
(सं.) [सं-पु.] 1. दाँत की जड़ 2. एक प्रकार की औषधि 3. दाँत का एक रोग।
दंतमूलीय
(सं.) [वि.] 1. दंतमूल या दाँत की जड़ से संबंधित; दंतमूल का 2. (भाषाविज्ञान) जिसका उच्चारण करते समय जिह्वा का अग्र भाग दंतमूल को स्पर्श करता हो, जैसे- न
वर्ण।
दंतहीन
(सं.) [वि.] जिसके दाँत न हों; बिना दाँत का।
दंताघात
(सं.) [सं-पु.] दाँतों से किया गया आघात।
दंतायुध
(सं.) [सं-पु.] जंगली सुअर; वह जो दाँत को अस्त्र की तरह प्रयोग करता है।
दंतार्बुद
[सं-पु.] मसूड़े में होने वाला फोड़ा।
दंताल
(सं.) [सं-पु.] लंबे दाँतों वाला हाथी।
दंतुल
(सं.) [वि.] जिसके दाँत आगे निकले हों; बड़े दाँतों वाला।
दंतोष्ठ्य
(सं.) [वि.] जिसका उच्चारण ऊपर वाले दाँत और नीचे वाले होंठ को मिलाकर होता हो, जैसे- 'व' वर्ण।
दंत्य
(सं.) [वि.] 1. दाँत से संबंधित; दाँतों का 2. जिसका उच्चारण दाँतों की सहायता से होता हो, जैसे- त, थ, द और ध वर्ण।
दंत्य ध्वनियाँ
ऊपरी दाँतो के पिछले भाग को जीभ से स्पर्श करने पर जिन ध्वनियों का उच्चारण होता हैं, इन्हें दंत्य कहते हैं, जैसे- 'त्, थ्, द् और ध्' वर्ण।
दंद
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी गरम जगह या पदार्थ से निकलने वाली गरमी; ज़मीन या खदान की गरमी। [सं-पु.] 1. हलचल 2. लड़ाई-झगड़ा; उपद्रव; उत्पात 3. शोर; हो-हल्ला।
दंदफंद
[सं-पु.] 1. छल-कपटपूर्ण युक्ति 2. झंझट 3. उपद्रव।
दंदाना1
[क्रि-अ.] 1. गरम महसूस करना; किसी गरम वस्तु के पास बैठने से गरमी का एहसास होना 2. सर्दी में रजाई के अंदर गरमी अनुभव होना।
दंदाना2
(फ़ा.) [सं-पु.] दाँतों की तरह उभरी कंघी, सींक, आरे या दानों की आकृति, जैसे- आरे का दंदाना।
दंपती
(सं.) [सं-पु.] पति-पत्नी; मियाँ-बीवी।
दंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. घमंड; अहंकार 2. प्रतिष्ठा के लिए झूठा आडंबर; पाखंड।
दंभक
(सं.) [सं-पु.] 1. पाखंडी व्यक्ति; कपटी; वंचक 2. घमंडी 3. प्रताड़ना। [वि.] 1. दंभी; घमंडी 2. कपटी; पाखंडी।
दंभपूर्ण
(सं.) [वि.] दंभयुक्त; दंभ या अहंकार से भरा।
दंभपूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] दंभ का प्रदर्शन करते हुए।
दंभान
[सं-पु.] 1. अहंकार; अकड़ 2. पाखंड; आडंबर 3. कपट।
दंभी
(सं.) [वि.] 1. जिसे दंभ या अहंकार हो 2. मिथ्याभिमानी; पाखंडी; ढकोसलेबाज़ 3. कपटी।
दंश
(सं.) [सं-पु.] 1. दाँत या डंक का घाव; दंतक्षत 2. विषैले जंतुओं का डंक 3. दाँत से काटने या गड़ाने की क्रिया; दंशन 4. डंक मारने की क्रिया, जैसे- सर्पदंश 5.
द्वेष; बैर 6. काटने वाली बड़ी मक्खी; वनमक्षिका 7. लड़ाई में पहना जाने वाला कवच; वर्म; बख़्तर 8. तीखा 9. (महाभारत) एक असुर 10. दाँत 11. {ला-अ.} चुभने वाली
बात या उक्ति; आक्षेपवचन; कटूक्ति; लांछन।
दंशक
(सं.) [सं-पु.] मच्छर, मधुमक्खी, कुत्ता, साँप आदि। [वि.] 1. डसने वाला 2. दाँत से काटने वाला।
दंशन
(सं.) [सं-पु.] 1. दाँतों से काटने की क्रिया या भाव 2. डंक मारना; डसना, जैसे- सर्पदंशन।
दंशना
[क्रि-स.] 1. डंक मारना; डसना 2. दाँत से काटना।
दंष्ट्र
(सं.) [सं-पु.] दंत; दाँत।
दंस
[सं-पु.] दे. दंश।
दई
(सं.) [सं-पु.] 1. दैव; भाग्य 2. ईश्वर; विधाता 3. संयोग। [वि.] दया करने वाला; दयालु।
दई-मारा
[वि.] 1. जिसपर ईश्वर का कोप हो 2. अभागा; हतभाग्य।
दकन
(सं.) [सं-पु.] 1. दक्षिण भारत; भारत का दक्षिणी भाग 2. दक्खिन; दक्षिण दिशा।
दकनी
[सं-पु.] दक्षिण भारत का रहने वाला व्यक्ति। [सं-स्त्री.] 1. दक्षिण भारत की भाषा 2. उर्दू का वह आरंभिक रूप जो दक्षिण प्रदेश (विशेषकर हैदराबाद) में विकसित और
प्रचलित हुआ था; उर्दू ज़बान का पुराना नाम। [वि.] दक्षिण भारत का; दक्षिण का।
दकियानूस
(अ.) [सं-पु.] 1. संकीर्ण विचारों वाला व्यक्ति; परंपराओं से जकड़ा हुआ व्यक्ति; रूढ़िवादी 2. प्राचीन काल के एक रोमन बादशाह का नाम।
दकियानूसी
(अ.) [वि.] 1. जो रुढ़िवादी हो; पुराने ख़याल या विचारों का; संकीर्ण सोचवाला; अंधविश्वास से युक्त; पुराणपंथी; नवीनता का विरोधी 2. सम्राट दकियानूस के समय का।
दक्खिन
[सं-पु.] 1. दक्षिण दिशा; उत्तर के सामने की दिशा 2. भारत का दक्षिण भाग 3. दक्षिण दिशा में पड़ने वाला प्रदेश।
दक्खिनी
[वि.] जो दक्षिण में हो; दक्षिण की ओर का; दक्षिण में उत्पन्न; दक्षिण संबंधी। [सं-स्त्री.] दक्षिण की भाषा; मध्यकाल में दक्षिण में बोली जाने वाली हिंदी का वह
प्रचलित रूप जिसमें मुसलमान कवि रचना करते थे। [सं-पु.] दक्षिण प्रदेश का निवासी।
दक्ष
(सं.) [वि.] 1. किसी कार्य या विद्या में निपुण; कुशल; योग्य; सिद्धहस्त; माहिर; चतुर; जो किसी कला में पारंगत हो; होशियार 2. (पुराण) एक राजा जो सती के पिता
तथा शिव के श्वसुर थे; प्रजापति।
दक्षकन्या
(सं.) [सं-स्त्री.] दक्ष प्रजापति की कन्या; शिव की पत्नी; सती।
दक्षता
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी काम को अच्छी तरह से करने की निपुणता, कुशलता या होशियारी।
दक्षसुता
(सं.) [सं-स्त्री.] दक्षकन्या; सती।
दक्षांड
(सं.) [सं-पु.] मुरगी का अंडा।
दक्षिण
(सं.) [सं-पु.] 1. चार दिशाओं में से एक दिशा; उत्तर दिशा के सामने पड़ने वाली दिशा 2. विष्णु; शिव 3. दाहिना हाथ 4. (साहित्य) सभी प्रेमिकाओं को समान प्रेम करने
वाला नायक। [वि.] दाहिना।
दक्षिणपंथ
(सं.) [सं-पु.] दक्षिणमार्ग।
दक्षिणपंथी
(सं.) [सं-पु.] 1. यथास्थिति और परंपरा का समर्थक या अनुयायी 2. सदन में सरकार के पक्षधर दल का सदस्य।
दक्षिणमार्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. दक्षिणपंथ; वैदिक धर्म या मार्ग, जिसके विपरीत होने के कारण तांत्रिक मत या धर्म 'वाममार्ग' कहलाता है 2. परवर्ती तांत्रिक मत के अनुसार एक
प्रकार का आचार जो वैदिक वैष्णव और शैव मार्गों से निम्न कोटि का बताया गया है 3. आधुनिक राजनीति में, वह मार्ग या पक्ष जो साधारण और वैधानिक रीति तथा शांत
उपायों से उन्नति तथा विकास चाहता हो और उग्र उपायों से क्रांति करने का विरोधी हो; (राइट विंग)।
दक्षिणमार्गी
(सं.) [सं-पु.] दक्षिण मार्ग का अनुयायी। [वि.] दक्षिण पंथ या मार्ग का अनुसरण करने वाला।
दक्षिणा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपहार; दान; बख़्शीश 2. वह धन जो किसी व्यक्ति को कर्मकांड या पूजा-हवन आदि करने के बदले दिया जाता है 3. (साहित्य) वह नायिका जो नायक के
अन्य प्रेमिकाओं से संबंध बनाने पर भी द्वेषभाव रहित होकर उससे प्रेम करती है 4. चढ़ावा 5. {ला-अ.} किसी को दिया जाने वाला अनुचित धन; घूस; रिश्वत।
दक्षिणाग्नि
(सं.) [सं-स्त्री.] यज्ञ-हवन आदि कार्य में गार्हपत्य अग्नि के दक्षिण की ओर स्थापित की जाने वाली अग्नि।
दक्षिणाग्र
(सं.) [वि.] जिसका अग्रभाग दक्षिण की ओर हो; दक्षिणाभिमुख।
दक्षिणाचल
(सं.) [सं-पु.] मलयगिरि नामक पर्वत।
दक्षिणात्य
(सं.) [वि.] दक्षिण के।
दक्षिणापथ
(सं.) [सं-पु.] 1. विंध्य पर्वत के दक्षिण की ओर का क्षेत्र या प्रदेश 2. भारत का दक्षिण भाग।
दक्षिणायन
(सं.) [सं-पु.] सूर्य का कर्क रेखा की ओर से मकर रेखा की ओर जाना; दक्षिण गमन; छह मास का वह समय जिसमें सूर्य विषुवत रेखा से दक्षिण में रहता है। [वि.] भूमध्य
रेखा (विषुवत रेखा) से दक्षिण की ओर का, जैसे- दक्षिणायन सूर्य; दक्षिण की ओर गया हुआ।
दक्षिणावर्त
(सं.) [वि.] जिसका घुमाव दक्षिण दिशा की ओर हो; दक्षिणाभिमुख; जिसकी प्रवृत्ति दक्षिण की ओर हो; वामावर्त का विपरीत; (काउंटर-क्लॉकवाइज़)। [सं-पु.] एक प्रकार का
शंख जिसका घुमाव या मुँह दक्षिण की ओर होता है।
दक्षिणावह
(सं.) [सं-पु.] दक्षिण या मलयगिरि की ओर से आने वाली वायु; दक्षिणपवन; दक्खिनी हवा।
दक्षिणी
(सं.) [वि.] जो दक्षिण का हो; दक्षिण से संबंधित। [सं-स्त्री.] दक्षिण देश की भाषा। [सं-पु.] दक्षिण का निवासी।
दक्षेस
(सं.) [सं-पु.] 'दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन' का संक्षिप्त रूप।
दख़मा
(फ़ा.) [सं-पु.] पारसियों का कब्रिस्तान, जो गोलाकार खोखली इमारत के रूप में होता है।
दख़ल
(अ.) [सं-पु.] 1. हस्तक्षेप 2. प्रवेश; घुसना 3. पैठ; पहुँच 4. अधिकार; अख़्तियार 5. कब्ज़ा 6. अनधिकारपूर्वक किया जाने वाला हस्तक्षेप; टोक 7. थोड़ी-बहुत
जानकारी।
दख़लंदाज़
(फ़ा.) [सं-पु.] हस्तक्षेप करने वाला; दख़ल देने वाला।
दख़लंदाज़ी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] हस्तक्षेप या कब्ज़ा करने का काम; रोड़ा अटकाना।
दख़लदिहानी
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] अदालती आदेश द्वारा किसी को किसी संपत्ति पर कब्ज़ा या अधिकार दिलाने का काम; दाख़िल-ख़ारिज; (डिलेवरी ऑव पज़ेशन)।
दख़लनामा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वह सरकारी आज्ञा-पत्र जिसमें किसी व्यक्ति को किसी चीज़ का स्वामित्व प्राप्त करने या अधिकार करने की आज्ञा होती है; दख़ल पाने का परवाना या
कागज़।
दख़ील
(अ.) [वि.] जिसका किसी संपत्ति या वस्तु पर अधिकार या कब्ज़ा हो; अधिकार रखने वाला।
दख़ीलकार
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. ज़मीन पर स्थायी कब्ज़ा पाने वाला किसान; पट्टेदार 2. वह किसान या काश्तकार जिसे दस-बारह वर्षों तक किसी ज़मींदार का खेत जोतने-बोने पर उस
खेत पर स्वामित्व मिल जाता है।
दख़ीलकारी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दख़ीलकार का कार्य, पद या दायित्व; दख़ीलकार के अधिकार 2. दख़ीलकार के मालिकाना हक की ज़मीन; कब्ज़ा; (ऑक्युपेंसी राइट)।
दगड़
[सं-पु.] बड़ा ढोल; लड़ाई का डंका।
दगदगा1
[वि.] जो चमक रहा हो; आलोकमय।
दगदगा2
(अ.) [सं-पु.] 1. भय; डर 2. संदेह; संशय।
दगदगाना
[क्रि-स.] 1. चमकाना; दमकाना 2. रोशन करना। [क्रि-अ.] 1. चमकना; दमदमाना 2. रोशन होना; चमक के साथ जलना।
दगदगी
[सं-स्त्री.] 1. भय; डर 2. संदेह; संशय।
दगधना
(सं.) [क्रि-स.] 1. जलाना 2. दुख देना। [क्रि-अ.] 1. जलना, त्रस्त होना 2. पीड़ित होना।
दगना
[क्रि-अ.] 1. (बंदूक, पिस्तौल या तोप का) छूटना या चलना 2. दागा जाना 3. जलना 4. चिह्नयुक्त होना; अंकित होना 5. कलंक लगना।
दगवाना
[क्रि-स.] किसी को दागने में प्रवृत्त करना; दागने का काम दूसरे से कराना।
दगहा1
[वि.] 1. जिसपर दाग हो; दागवाला; दागा हुआ; दागदार 2. (वह) जिसने मृतक का दाह कर्म किया हो तथा श्राद्ध कर्म कर के शुद्ध न हुआ हो।
दगहा2
(सं.) [वि.] 1. दग्ध या जलाया हुआ; भस्मीकृत 2. पीड़ित; संतप्त 3. चिह्नित; दागा हुआ 4. अशुभ।
दगा
(फ़ा.) [सं-पु.] धोखा; छल; फ़रेब; कपट; विश्वासघात।
दगादार
(अ.+फ़ा.) [वि.] जो दगा करता हो; फ़रेबी; विश्वासघाती; धोखेबाज़; छलिया; कपटी; गद्दार; ठग। [सं-पु.] धोखा देने वाला व्यक्ति।
दगाबाज़
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] धोखा देने वाला व्यक्ति। [वि.] दगा करने वाला; फ़रेबी; विश्वासघाती; धोखेबाज़; छलिया; कपटी; गद्दार; दगादार; ठग।
दगाबाज़ी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] दगाबाज़ होने की अवस्था, क्रिया या भाव; किसी को धोखा देने के लिए किया जाने वाला कार्य; धोखेबाज़ी; छल-कपट; ठगी; विश्वासघात; गद्दारी।
दगैल
(अ.+हिं.) [वि.] 1. जिसमें किसी प्रकार के दाग या धब्बे हों 2. कलंकित 3. जिसे जलाकर चिह्नित किया गया हो।
दग्ध
(सं.) [वि.] 1. जला या जलाया हुआ; भस्मीकृत 2. जिसके शरीर पर दागे जाने के निशान हों 3. {ला-अ.} अत्यधिक पीड़ा युक्त; दुखी।
दग्धाक्षर
(सं.) [सं-पु.] (पिंगल शास्त्र) वे पाँच अक्षर (झ, ह, र, भ और ष) जिनका छंद के प्रारंभ में प्रयोग करना दोषपूर्ण माना जाता है।
दग्धित
(सं.) [वि.] 1. भस्मीकृत 2. संतप्त; पीड़ित 3. चिह्नित; दागा हुआ 4. अशुभ।
दचक
[सं-स्त्री.] 1. दचकने की क्रिया या भाव; दचका 2. झटके या दबाव से लगी हुई चोट; धक्का; ठोकर।
दचकना
[क्रि-अ.] 1. दबना; दबकना 2. नीचे-ऊपर होना; झटका खाना; हलकी ठोकर खाना।
दचका
[सं-पु.] किसी वाहन में सवारी के ऊपर-नीचे होने से लगने वाला धक्का; ठोकर; धचका।
दड़बा
[सं-पु.] 1. दरबा; काठ आदि की खानेदार अलमारी या संदूक जिसमें कबूतर मुरगियाँ आदि रखी जाती हैं 2. दीवारों, पेड़ों आदि में वह कोटर जिसमें पक्षी रहते हैं।
दढ़ियल
[वि.] दाढ़ीवाला; दाढ़ीदार; जिसकी दाढ़ी बढ़ी हुई हो।
दतौन
[सं-स्त्री.] दे. दातून।
दत्त
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) ब्रह्मा, विष्णु और महेश नामक देवताओं का संयुक्त रूप 2. बंगाली कायस्थों का एक कुलनाम या सरनेम 3. दान; चंदा 4. जैन धर्म में सातवें
वासुदेव का नाम। [वि.] 1. जो दिया गया हो; दान किया हुआ; प्रदत्त 2. जिसका कर या परिव्यय आदि चुकाया जा चुका हो; (पेड) 3. हस्तांतरित।
दत्तक
(सं.) [सं-पु.] गोद लिया हुआ बच्चा; वह संतान जिसे अपनी इच्छा से वारिस बनाने के उद्देश्य से गोद लिया गया हो; मुतबन्ना; (अडॉप्टेड)।
दत्तकग्रहण
(सं.) [सं-पु.] दत्तक पुत्र बनाने की क्रिया या विधान; (अडॉप्शन)।
दत्तकग्राही
(सं.) [वि.] किसी को गोद लेने वाला; किसी दूसरे की संतान को अपनी संतान बनाने वाला; दत्तक लेने वाला; (अडॉपटर)।
दत्तकपुत्र
(सं.) [सं-पु.] गोद लिया गया लड़का; (अडॉप्टेड सन)।
दत्तचित्त
(सं.) [वि.] 1. किसी काम में बहुत मन लगाने वाला 2. कार्य में रमा हुआ 3. एकाग्र मन वाला।
दत्तविधान
(सं.) [सं-पु.] किसी के पुत्र या पुत्री को विधिसम्मत अपनी संतान के रूप में स्वीकार करना; कानूनन दत्तक बनाना (गोद लेना)।
दत्ता
(सं.) [सं-पु.] दत्तात्रेय नामक एक पौराणिक ऋषि। [सं-स्त्री.] बंगाली कायस्थों में एक कुलनाम या सरनेम।
दत्तात्रेय
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) विष्णु के चौबीस अवतारों में से एक प्राचीन ऋषि जो अत्रि मुनि और अनुसूया के पुत्र थे; दत्ता।
दत्तोपनिषद
(सं.) [सं-पु.] एक उपनिषद का नाम।
ददिहाल
[सं-पु.] 1. ददियाल; दादा का घर 2. दादा का वंश या कुल।
ददोड़ा
[सं-पु.] किसी जंतु के काटने, रक्त विकार या संक्रमण आदि के कारण त्वचा पर होने वाला चकत्ता या सूजन।
दद्रु
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का चर्मरोग; दाद; (एग्ज़िमा)।
दधि
(सं.) [सं-पु.] दही; जमाया हुआ दूध।
दधिकाँदो
[सं-पु.] एक प्रकार का उत्सव जो कृष्ण जन्माष्टमी के बाद मनाया जाता है जिसमें लोग एक दूसरे के ऊपर हल्दी मिला हुआ दही फेंकते हैं।
दधिसुत
(सं.) [सं-पु.] 1 चंद्रमा; शशि 2. मोती; मुक्ता 3. (पुराण) जलंधर नामक दैत्य।
दधीचि
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक परोपकारी और उदार ऋषि जिनकी रीढ़ की हड्डी से इंद्र ने वज्र नामक शस्त्र बनाकर वृत्रासुर नामक दैत्य को मारा था; दधीच।
दन
[सं-पु.] बंदूक या तोप आदि चलने से होने वाली आवाज़; गोली चलने की ध्वनि।
दनदन
[सं-स्त्री.] गोलियों के चलने की आवाज़।
दनदनाना
[क्रि-अ.] 1. दन-दन की आवाज़ होना 2. कुलाँचना; ख़ुश होना 3. बेफ़िक्र होकर काम करना। [क्रि-स.] 1. दन-दन की आवाज़ करना 2. ख़ुशी मनाना; मौज करना।
दनादन
[क्रि.वि.] 1. दन-दन की ध्वनि के साथ 2. जल्दी-जल्दी; तेज़ी से।
दनु
(सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) कश्यप ऋषि की एक पत्नी जिससे उत्पन्न पुत्र दानव कहलाए; दानव-जननी।
दनुज
(सं.) [सं-पु.] राक्षस; असुर; दानव। [वि.] दनु के गर्भ से उत्पन्न।
दनुजारि
(सं.) [सं-पु.] 1. दनुज या दानवों का शत्रु 2. देवता; सुर 3. विष्णु।
दनुजेंद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. दानवों का राजा 2. हिरण्यकश्यप 3. रावण।
दपट
[सं-स्त्री.] डाँटने की क्रिया; डपट; घुड़की।
दपटना
[क्रि-स.] डाँटने की क्रिया; घुड़कना।
दफ़तर
(फ़ा.) [सं-पु.] दे. दफ़्तर।
दफ़तरी
(फ़ा.) [सं-पु.] दे. दफ़्तरी।
दफ़तरीख़ाना
[सं-पु.] दफ़्तरी के काम करने का स्थान; वह स्थान जहाँ जिल्दसाज़ काम करते हैं।
दफ़ती
(अ.) [सं-स्त्री.] दे. दफ़्ती।
दफ़न
(अ.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ को ज़मीन में गाड़ने की क्रिया; गाड़ना 2. मुरदे को ज़मीन में गाड़ना। [वि.] गाड़ा हुआ; जो गड़ा हो; मदफ़ून।
दफ़नाना
(अ.+हिं.) [क्रि-स.] 1. इस्लाम के अनुसार अंतिम संस्कार की क्रिया 2. मुरदे को ज़मीन में गाड़ना 3. किसी बात को पूरी तरह से दबा देना।
दफ़ा
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. मर्तबा; बार 2. बारी; पारी; खेल में किसी खिलाड़ी का आने वाला क्रम 3. किसी नियमावली या विधान का वह अंश जिसमें किसी विषय, अपराध या कृत्य
के संबंध में किसी बात या नियम का उल्लेख होता है 4. विधि या कानून की पुस्तक का कोई अंश जिसमें कोई कानून लिखा हो 5. कानून का एक नियम; धारा। [सं-पु.] दूर
करना; हटाना।
दफ़्तर
(अ.) [सं-पु.] कार्यालय; (ऑफ़िस)।
दफ़्तरी
(अ.) [सं-पु.] 1. वह कर्मचारी जो किसी कार्यालय में दस्तावेज़ों को संभालने और रखरखाव का कार्य करता है; दफ़्तर का कामकाज 2. दफ़्तर में जिल्द बाँधने वाला
व्यक्ति; जिल्दसाज़ 3. दफ़्तर को ठीक या दुरुस्त रखने वाला व्यक्ति।
दफ़्ती
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. वह मोटा आवरण या गत्ता जो जिल्दसाज़ी के काम में उपयोग किया जाता है 2. किताबों पर आवरण चढ़ाने का मोटा कागज़; (कार्डबोर्ड)।
दब
[सं-स्त्री.] 1. बड़ों या बुज़ुर्गों का संकोच या लिहाज़ 2. दाब; दबाव 3. शासन। [वि.] किसी (चीज़) की तुलना में कमतर या घटिया।
दबंग
[वि.] 1. जो किसी से दबता न हो 2. जिसका समाज में दबदबा हो; रोबीला 3. प्रभावशाली 4. भारी-भरकम; हट्टा-कट्टा।
दबंगई
[सं-स्त्री.] 1. रौब डालने का भाव 2. प्रभाव; असर; बोलबाला।
दबक
[सं-स्त्री.] 1. दबकने की क्रिया; झोल; मचक; दाब 2. सिमटना; सिकुड़न; शिकन 3. धातु के टुकड़े को पीटकर लंबा करने की क्रिया 4. धँसन; पिचक।
दबकगर
(फ़ा.) [सं-पु.] धातु के पत्तर या परत बनाने वाला कारीगर।
दबकना
[क्रि-अ.] 1. भय या लज्जा के कारण छिप जाना; डर के मारे तंग या संकरी जगह में छिप जाना या बैठ जाना; दबना; दुबकना; छिपना; लुकना 2. गड्ढा होना; धँसकना; पिचकना।
[क्रि-स.] किसी धातु को चोट मारकर बढ़ाना या फैलाना; पीटना।
दबकवाना
[क्रि-स.] 1. दबकाने का काम कराना; दबकाने में किसी अन्य को प्रवृत्त करना 2. आड़ या ओट में करवाना।
दबकाना
[क्रि-स.] 1. दुबकाना; छिपाना; ढाँकना; ओट में करना; आड़ में करना; लुकाना 2. दबाना; डराना 3. डाँटना; डपटना।
दबदबा
(अ.) [सं-पु.] 1. प्रभाव 2. आतंक; डर 3. रोब।
दबना
[क्रि-अ.] 1. दाब या भार के नीचे पड़ना 2. प्रबल शत्रु से डरकर पीछे हटना 3. भय से किसी का विरोध न करने के लिए न केवल मजबूर होना अपितु उसके अनुकूल आचरण करना
4. किसी बात या मामले का ज़ोर न पकड़ना 5. आर्थिक अभाव में लाचार होना 6. संकुचित या शांत होना 7. सम्मान करने का भाव 8. तुलना में फ़ीका पड़ना 9. किसी के सामने
अपनी इच्छा के अनुसार कार्य न कर पाना। [मु.] दबी ज़बान में कहना : संकोचपूर्वक कोई बात कहना; अस्पष्ट या धीमी आवाज़ में कहना ताकि कोई दूसरा न
सुन सके।
दबवाना
[क्रि-अ.] दबाने का काम किसी और से कराना; दबाने में प्रवृत्त करना।
दबाऊ
[वि.] दबाकर या रोककर रखने वाला; दबाने वाला।
दबा-कुचला
[वि.] 1. तिरस्कृत और शोषित; दबाया और सताया हुआ; प्रताड़ित; पददलित 2. {ला-अ.} समाज द्वारा उपेक्षित।
दबा-ढका
[वि.] वह जो दूसरों से छिपाकर (प्रच्छन्न) रखा गया हो।
दबाना
[क्रि-स.] 1. दाब या भार के नीचे लाना 2. किसी को डराना या त्रस्त करना 3. बलपूर्वक पीछे हटाना 4. किसी बात को आगे न बढ़ने देना।
दबाव
[सं-पु.] 1. दबाने की क्रिया 2. दाब; चाँप 3. भार।
दबिश
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. दबाव; दाब; घेराव 2. किसी चीज़ को घेरकर कब्ज़े में लेना 3. पुलिस द्वारा किसी अपराधी को पकड़ने के लिए उसके छिपने की संभावित जगह का चारों
ओर से घेराव करना।
दबीज़
(फ़ा.) [वि.] मोटा; मोटे दल वाला; गाढ़ा; गफ़; घना; ठस; संगीन।
दबीर
(फ़ा.) [सं-पु.] मुंशी; मुहर्रिर; कातिब; लिपिक; (क्लर्क)।
दबैल
[वि.] 1. दबाया हुआ 2. जो किसी के उपकार से दबाया हुआ हो 3. बहुत दबने या डरने वाला।
दबोचना
[क्रि-स.] किसी को दबाना या पकड़ना; धर दबाना; झट से पकड़कर दबा लेना; दबाकर या कसकर पकड़ना या अपने नियंत्रण में लेना; काबू में करना।
दब्बू
[वि.] दब कर या त्रस्त रहने वाला; स्वभाव से दुर्बल; डरपोक।
दम
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. शक्ति; सामर्थ्य; ताकत; ज़ोर 2. श्वास; साँस; प्राण 3. जान; ज़िंदगी 4. अस्तित्व 5. क्षण; पल; लमहा 6. चरस, तंबाकू आदि नशीले पदार्थ पीने की
क्रिया 7. आलू आदि को पकाने की क्रिया। [मु.] -अटकना : मरते समय साँस रुकना। -घुटना : साँस लेने में कष्ट होना। -तोड़ना : अंतिम साँस लेना। -फूलना : साँस का ज़ोर-ज़ोर से चलना। -भरना : किसी का पूरा भरोसा रखकर उसकी चर्चा
करना। -लेना : आराम करना; सुस्ताना। नाक में दम आना : बहुत परेशान होना। -निकलना : मरना।
दमक
[सं-पु.] 1. दमन करने वाला; दबाने वाला 2. शांत करने वाला; रोकने वाला। [सं-स्त्री.] 1. आकर्षणयुक्त चमक; चमचमाहट; चमक-दमक; चाकचिक्य 2. द्युति; आभा; प्रभा;
दीप्ति।
दमकना
[क्रि-अ.] 1. आकर्षणयुक्त चमक होना; चमकना 2. द्योतित होना; जगमगाना 3. सुलग उठना।
दमकल
[सं-पु.] 1. आग बुझाने का यंत्र; अग्निशामक यंत्र 2. अग्निशमन दल 3. वज़न उठाने की घिरनी लगी हुई क्रेन या मशीन 4. कुएँ से पानी निकालने का यंत्र; (पंप)।
दमकला
[सं-पु.] 1. वह बड़ा पात्र जिसमें लगी हुई पिचकारी से महफ़िलों आदि में लोगों पर गुलाब-जल छिड़का जाता है 2. जहाज़ में, वह यंत्र जिससे पाल खड़े करते हैं 3. आग
बुझाने का यंत्र 4. ज़मीन से पानी निकालने का यंत्र।
दमख़म
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. दृढ़ता; मज़बूती 2. साहस; शक्ति; ताकत; धैर्य 3. प्राण; जीवन शक्ति 4. तलवार की तेज़ धार और उसका लचीलापन जिससे उसकी गुणवत्ता तय होती है।
दमघोंटू
[वि.] दम घोंटने वाला; साँस फुला देने वाला।
दमड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्राचीन सिक्का जिसका मूल्य एक आने के बत्तीसवें भाग के बराबर था; पैसे का आठवाँ भाग 2. चिलचिल पक्षी।
दमथ
(सं.) [वि.] मनोवेग का दमन करने वाला; भावना को दबाने वाला [सं-पु.] 1. आत्मनियंत्रण; दमन 2. दंड; सज़ा।
दमदमा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. ढोल; दमामा; नगाड़ा 2. कोलाहल; शोरगुल 3. नक्कारे की आवाज़; तोपों का धमाका; ढोल की ढमढम 4. वह किलेबंदी जो जंग के समय बोरों में मिट्टी या
रेत भरकर की जाती है; आड़ बनाकर की गई मोरचाबंदी 5. किले के चारों ओर की चहारदीवारी 6. प्रसिद्धि; शोहरत।
दमदार
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें दम या शक्ति हो; जीवन-शक्ति से भरपूर; उत्साही; जानदार 2. प्रबल; ताकतवर; अजेय 3. जिसकी धार या वार तेज़ हो; चोखा।
दम दिलासा
[सं-पु.] 1. समय पर किसी के सहायक होने के लिए उसे दिया जाने वाला आश्वासन और उसमें किया जाने वाला उत्साह या बल का संचार 2. समय पर किसी का काम न कर बहलाने
फुसलाने तथा शांत रहने हेतु किसी को दिया गया झूठा आश्वासन।
दमन
(सं.) [सं-पु.] 1. कठोरतापूर्वक दबाना या कुचलना; विद्रोह, उपद्रव आदि को बलपूर्वक दबाना 2. आत्मनियंत्रण; निरोध; निग्रह 3. (पुराण) एक ऋषि जिनके आश्रम में
दमयंती का जन्म हुआ था 4. एक उत्सव जिसे चैत्र-शुक्ल द्वादशी को मनाया जाता है। [वि.] दमन करने वाला।
दमनक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का छंद 2. दौना; द्रौणलता। [वि.] दमन करने वाला; दमनकर्ता; दमनशील; दबाव डालने वाला; शोषक; अत्याचारी।
दमनकारी
(सं.) [सं-पु.] वह जो दमन करता हो; उत्पीड़न करने वाला व्यक्ति। [वि.] दमन करने या दबाने वाला; पीड़क; विद्रोह को दबाने वाला; अत्याचार करने वाला।
दमन-चक्र
(सं.) [सं-पु.] वह निरंतर चलने वाली हिंसक कार्रवाई जो विरोधियों या उपद्रवियों के दमन हेतु की या चलाई जाती है।
दमनशील
(सं.) [वि.] दमन करने की प्रवृत्ति वाला; जो बराबर दमन किया करता हो; इंद्रियों को वश में रखने वाला; दमन करने वाला।
दमना
[सं-पु.] दौना (पौधा); द्रोणलता। [क्रि-अ.] साँस फूलना; अधिक परिश्रम के कारण दम भर जाना अर्थात साँस फूलने लगना।
दमनात्मक
(सं.) [वि.] दमन के साथ; दमन करते हुए।
दमनार्थ
(सं.) [वि.] दमन के लिए; दमन के उद्देश्य से।
दमनीय
(सं.) [वि.] 1. जो दमन करने योग्य हो 2. जिसका दमन किया जा सके।
दमबख़ुद
(फ़ा.) [वि.] 1. मौन; ख़ामोश; चुप; सन्न 2. जो आश्चर्य आदि के कारण बोल न पाए।
दमबदम
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. निरंतर; लगातार; सतत; प्रतिक्षण 2. बार-बार; थोड़ी-थोड़ी देर पर।
दमबाज़
(फ़ा.) [वि.] 1. चकमा देने वाला; फ़रेबी; फुसलाने वाला; झूठा आश्वासन देने वाला 2. दम देने या लगाने वाला; गाँजा, चरस आदि पीने वाला।
दमभर
[वि.] दम या ज़ोर के साथ; पूरी ताकत से; पूर्णशक्ति के साथ।
दमयंती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) विदर्भ देश के राजा भीमसेन की पुत्री तथा राजा नल की पत्नी 2. एक प्रकार की लता; मदनबान।
दमा
(फ़ा.) [सं-पु.] साँस का रोग; अस्थमा।
दमादम
[क्रि.वि.] 1. शीघ्रता से; तत्काल; एकदम 2. निरंतर; लगातार; बराबर 3. दम-दम की आवाज़ के साथ।
दमामा
(फ़ा.) [सं-पु.] ढोल; बहुत बड़ा नगाड़ा; डंका; धौंसा; नक्कारा।
दमाह
[सं-पु.] 1. बैलों को होने वाला हाँफने का एक रोग 2. बैल, जिसे यह रोग हो।
दमित
(सं.) [वि.] 1. जिसका दमन किया गया हो; जिसे शक्ति के साथ दबाया गया हो 2. शोषित; उत्पीड़ित; उपेक्षित।
दमी1
(सं.) [वि.] जिसका दमन किया जाए।
दमी2
(फ़ा.) [वि.] 1. दम लगाने या साधने वाला 2. गाँजा पीने वाला; गँजेड़ी 3. दमे का रोगी। [सं-पु.] हुक्का पीने की नली; दम लगाने का नैचा।
दयंत
(सं.) [सं-पु.] कश्यप ऋषि और दिति से उत्पन्न पुत्र; दैत्य; असुर; राक्षस।
दयनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसे देखकर मन में दया उत्पन्न हो; दया करने योग्य 2. घोर संकट या विपत्ति में पड़ा हुआ।
दयनीयता
(सं.) [सं-स्त्री.] दयनीय होने की अवस्था या भाव; वह अवस्था या दशा जिसपर किसी को दया आ जाए; दुखद स्थिति; संकट या विपत्ति की अवस्था।
दया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्थितिजन्य करुणा; सहानुभूति; अनुकंपा; कृपा; रहम; कोमल व्यवहार 2. (पुराण) दक्ष प्रजापति की एक पुत्री जिसका विवाह धर्म से हुआ था।
दयाकृत
(सं.) [वि.] दया पूर्वक किया हुआ।
दयादृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी के प्रति अनुग्रह का भाव; मेहरबानी की नज़र; करुणापूर्ण दृष्टि; कृपादृष्टि; दयाभाव; नज़रे इनायत।
दयानत
(अ.) [सं-स्त्री.] सत्यनिष्ठा; ईमानदारी; सच्चाई।
दयानतदार
(अ.+फ़ा.) [वि.] ईमानदार; सच्चा; सत्यनिष्ठावाला।
दयाना
[क्रि-अ.] दया दिखाना या करना; दयार्द्र होना; कृपालु होना।
दयानिधान
(सं.) [सं-पु.] 1. अत्यंत दयावान व्यक्ति; दयालु पुरुष 2. ईश्वर।
दयानिधि
(सं.) [सं-पु.] 1. दया का सागर या भंडार 2. ईश्वर।
दयापात्र
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसपर दया दिखाई जाए। [वि.] जो दया करने योग्य हो; जिसपर दया करना उचित हो।
दयामय
(सं.) [सं-पु.] परमेश्वर; ईश्वर। [वि.] दया से भरा हुआ; दयालु; दयापूर्ण।
दयार1
[सं-पु.] देवदार का वृक्ष। [वि.] दयालु; दयावान।
दयार2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. प्रदेश; प्रांत 2. भूखंड 3. आस-पास का क्षेत्र या स्थान।
दयार्द्र
(सं.) [वि.] दया से द्रवित हृदय वाला; दयालु।
दयाल
(सं.) [वि.] दयालु; दयामय; दयावंत।
दयालु
(सं.) [वि.] कृपालु, दया करने वाला।
दयावंत
(सं.) [वि.] दयालु।
दयावान
(सं.) [वि.] दया करने वाला; दयालु।
दयाशील
(सं.) [वि.] दयालु स्वभाव का; दयावीर।
दयाशीलता
(सं.) [सं-स्त्री.] दयाशील होने की अवस्था या भाव।
दयासागर
[सं-पु.] 1. दया का सागर या भंडार 2. दयानिधि; परमेश्वर।
दयासिंधु
(सं.) [सं-पु.] अत्यंत दयालु; दयानिधि; दयासागर।
दर
(फ़ा) [सं-पु.] 1. स्थान; जगह; ठौर 2. दरवाज़ा; द्वार 3. दहलीज़। [क्रि.वि.] अंदर; में।
दरअसल
(फ़ा.+अ.) [अव्य.] वस्तुतः; वास्तव में; असल में; हकीकत में।
दर-आमद
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] किसी देश में दूसरे देशों से आने वाला सामान या माल; आयात।
दरक
[सं-स्त्री.] दरकने की क्रिया या भाव; ज़ोर या दबाव से बनने वाली दरार; चीर; संधि; झिरी; दरज़। [वि.] कायर; डरपोक; भीरु।
दरकन
[सं-स्त्री.] दरक; दरकने की क्रिया या भाव; दरार।
दरकना
(सं.) [क्रि-अ.] दरार पड़ना; चिरना; फटना; चटकना।
दरका
[सं-पु.] दरार; दरक; ऐसी चोट या धक्का जिससे कि वस्तु फट या दरक जाए।
दरकाना
[क्रि-स.] दरार उत्पन्न करना; तोड़ना; फोड़ना।
दरकार
(फ़ा.) [वि.] आवश्यक; ज़रूरी; अपेक्षित; अभिलाषित। [सं-स्त्री.] आवश्यकता।
दरकारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] ज़रुरी; आवश्यकता; प्रभावपूर्ण इच्छा; अभिलाषा; कामना।
दरकिनार
(फ़ा) [अव्य.] एक तरफ़; अलग; दूर। [वि.] किसी कार्य प्रक्रिया या क्षेत्र विशेष से बाहर किया हुआ; जुदा। [क्रि.वि.] एक तरफ़; बगल में।
दरख़ास्त
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. दरख़्वास्त।
दरख़ास्ती
(फ़ा.) [वि.] 1. किसी बात के लिए प्रार्थना या निवेदन करने वाला 2. आवेदन या दरख़ास्त से संबंध रखने वाला।
दरख़्त
(फ़ा.) [सं-पु.] वृक्ष; पेड़।
दरख़्वास्त
(फ़ा) [सं-स्त्री.] 1. प्रार्थना; निवेदन 2. प्रार्थना-पत्र; आवेदन-पत्र।
दरगाह
(फ़ा) [सं-स्त्री.] 1. किसी सिद्ध पुरुष का समाधि-स्थल; मकबरा; मज़ार 2. दरबार; कचहरी 3. देहरी; चौखट।
दरगुज़र
(फ़ा.) [सं-पु.] दोषों को अनदेखा करने की क्रिया या भाव; क्षमा; माफ़ी।
दरजा
(अ.) [सं-पु.] 1. पद; स्थान; ओहदा 2. श्रेणी, वर्ग आदि के आधार पर किया गया विभाग 3. योग्यता के अनुसार पढ़ाई करने के लिए निर्धारित किया गया छात्र-छात्राओं का
वर्ग; कक्षा; जमात 4. ख़ाना; भाग; खंड।
दरज़िन
(फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. कपड़े सिलने वाली स्त्री 2. दरज़ी जाति की स्त्री 3. दरज़ी की पत्नी 4. पत्तों की सिलाई करके घोंसला बनाने वाली एक चिड़िया; फुदकी।
दरज़ी
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. कपड़ा सिलने वाला व्यक्ति; सूचिक; (टेलर) 2. कपड़ा सिलकर आजीविका चलाने वाली जाति।
दरण
(सं.) [सं-पु.] 1. दलने या पीसने की क्रिया या भाव 2. विदीर्ण करने या चीरने की स्थिति 3. विनाश; ध्वंस।
दरद
(सं.) [सं-पु.] 1. कश्मीर के पश्चिम क्षेत्र का एक प्राचीन नाम 2. उक्त देश की भाषा।
दर-दर
(फ़ा.) [क्रि.वि.] द्वार-द्वार; दरवाज़े-दरवाज़े; प्रतिगृह; हर स्थान पर। [मु.] -की ठोकरें खाना : परेशान होकर इधर-उधर घूमना।
दरदरा
(सं.) [वि.] जो बहुत महीन न हो; जिसके कण थोड़े बड़े हों; जो मोटा पीसा गया हो; रवादार, जैसे- दरदरा बेसन या आटा।
दरदराना
(सं.) [क्रि-स.] मोटा पीसना; हलके दबाव से पीसना; दलना; कम समय तक रगड़ना या पीसना।
दरदवंत
[वि.] 1. जिसे दूसरे के कष्ट की अनुभुति हो; दूसरे के कष्ट को समझने वाला; कृपालु 2. पीड़ित; दुखी।
दरदवंद
[वि.] दे. दरदवंत।
दरदीला
[वि.] 1. दर्द से भरा हुआ; पीड़ायुक्त 2. दूसरों के दुख-दर्द या कष्ट को समझने वाला; दयालु।
दरबंद
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. चहारदीवारी 2. पुल; सेतु 3. बड़ा दरवाज़ा।
दरबा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पालतू पक्षियों के रहने का लकड़ी का ख़ानेदार घर या संदूक 2. पेड़ों या दीवारों का वह खोखला भाग या कोटर जिसमें पक्षी रहते हैं।
दरबान
(फ़ा.) [सं-पु.] दरवाज़े पर नियुक्त व्यक्ति; ड्योढ़ीदार; द्वारपाल।
दरबानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दरबान या चौकीदार का पद या काम।
दरबार
(फ़ा) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ एक राजा अपने मंत्रियों के साथ मंत्रणा करता है 2. सभा; राजसभा 3. कचहरी।
दरबारदारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] प्रायः राजा के दरबार में उपस्थित होकर राजा के पास बैठने और बातचीत करने की अवस्था; किसी बड़े आदमी के यहाँ बराबर आते-जाते रहने की वह
अवस्था जिसमें बड़े आदमी का चित्त प्रसन्न करके उसका अनुग्रह प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है; ख़ुशामद करने के लिए की जाने वाली हाज़िरी।
दरबारी
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. दरबार में अधिकृत रूप से बैठने वाला आदमी; राजा या बादशाह का सभासद 2. दरबार में उपस्थित रहने वाला व्यक्ति। [वि.] दरबार का; दरबार से
संबंधित।
दरबारेआम
(फ़ा.+अ.) [सं-पु.] शासक, राजा आदि का वह दरबार जिसमें साधारणतः सब लोग सम्मिलित हों; जनता का दरबार।
दरबी
(सं.) [सं-स्त्री.] निर्मित व्यंजन आदि निकालने या चलाने हेतु एक विशेष प्रकार का उपकरण; कलछी; पौनी।
दरभ
(सं.) [सं-पु.] एक विशेष प्रकार की घास; कुश; काश; डाभ।
दरमाहा
(फ़ा.) [सं-पु.] मासिक वेतन; प्रतिमाह मिलने वाला रुपया।
दरमियान
(फ़ा.) [सं-पु.] बीच; मध्य। [क्रि.वि.] बीच या मध्य में।
दरमियानी
[वि.] बीच का; किसी अवधि या घटना के मध्य का।
दरवाज़ा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. किवाड़; द्वार; कपाट; फाटक; (डोर) 2. वह चौखटा जिसमें पल्ले या किवाड़ लगे रहते हैं 3. {ला-अ.} मुहाना; रास्ता; मार्ग।
दरवी
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. दरबी।
दरवेश
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. साधु; संन्यासी; फ़कीर; भिक्षुक 2. विनीत; विनम्र 3. इस्लाम धर्म के त्यागी फ़कीरों का एक संप्रदाय।
दरस
[सं-पु.] 1. दर्शन; दीदार 2. साक्षात्कार; भेंट; मुलाकात 3. रूप; छवि; ख़ूबसूरती; शोभा; सौंदर्य।
दरसन
[सं-पु.] दे. दर्शन।
दरसाना
(सं.) [क्रि-स.] दे. दर्शाना।
दराँती
[सं-स्त्री.] 1. हँसिया 2. फ़सल, जानवरों का चारा आदि काटने का एक औज़ार।
दराज
(इं.) [सं-स्त्री.] मेज़ में सामान रखने का ख़ाना; खंड; विभाग; (ड्रॉर)।
दराज़
(फ़ा) [वि.] लंबा; विशाल; विस्तृत। [क्रि.वि.] बहुत; अधिक।
दरार
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रेखा की तरह का लंबा छिद्र या अवकाश जो किसी चीज़ या तल के फटने पर पड़ जाता है; दरज 2. {ला-अ.} फूट; मतभेद। [मु.] -पड़ना : मतभेद होना; फूट पड़ना। -भर जाना : दोष या कमी दूर होना; मतभेद दूर होना।
दरारना
[क्रि-अ.] दरार पड़ना; विदीर्ण होना; फटना। [क्रि-स.] विदीर्ण करना; दरार डालना।
दरिंदगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दरिंदा होने की अवस्था या भाव; दरिंदे जैसा आचरण; वहशीपन; क्रूरता; पाशविक आचरण; जंगलीपन; खौफ़नाक या हिंसक व्यवहार; अमानवीय बर्ताव।
दरिंदा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. शिकार को फाड़कर खाने वाला जंगली जानवर; मांसभक्षक जानवर; हिंसक पशु 2. {ला-अ.} दरिंदे जैसा व्यवहार करने वाला निर्दयी और वहशी व्यक्ति;
क्रूर और दयाहीन व्यक्ति।
दरित
(सं.) [वि.] 1. डरपोक; डरा हुआ; भीत; भयाक्रांत 2. विदीर्ण; कटा-फटा; बिख़रा।
दरिद्र
(सं.) [वि.] जिसके पास धन न हो; निर्धन; कंगाल; गरीब; अभावग्रस्त।
दरिद्रता
(सं.) [सं-स्त्री.] गरीबी; कंगाली; निर्धनता; अभावग्रस्तता।
दरिद्रनारायण
(सं.) [सं-पु.] गरीबों, निर्धनों व दलितों के रूप में माने जाने वाले ईश्वर; प्रभु।
दरिद्री
(सं.) [सं-स्त्री.] दरिद्र होने की अवस्था या भाव; गरीबी; निर्धनता; कंगाली।
दरिया
(फ़ा) [सं-पु.] 1. नदी; सोता 2. सागर; सिंधु।
दरियाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का पतला रेशमी कपड़ा; कौशेय। [वि.] 1. दरिया या नदी-तालाब से संबंधित 2. जो नदी में रहता हो; नदी के पास का 3. समुद्र का; समुद्र
तट का, जैसे-दरियाई घोड़ा।
दरियाई घोड़ा
(फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] अफ़्रीका के जंगलों में पाया जाने वाला घोड़े की तरह का जलीय प्राणी, जो नदियों एवं झीलों के किनारे रहता है; जलीय घोड़ा।
दरियादिल
(फ़ा.) [वि.] जो दूसरों के प्रति संवेदनशील हो; विशाल हृदय वाला; दानी; परोपकारी; मुक्तहस्त; फ़ैयाज़; उदारमना; सहायता करने वाला; परम उदार; दाता।
दरियादिली
(फ़ा) [सं-स्त्री.] सज्जनता; नेकी; सहृदयता; अति उदारता; दान देने की प्रवृत्ति; दयालुता।
दरियाफ़्त
(फ़ा) [सं-स्त्री.] पूछ कर कुछ पता लगाने की क्रिया या भाव; जाँच; पड़ताल। [वि.] जिसका पता लगा हो; ज्ञात; मालूम।
दरियाबुर्द
(फ़ा.) [सं-पु.] वह भूमि या भू-खंड जिसे कोई नदी काट ले गई हो।
दरियाशिकस्त
(फ़ा.) [सं-पु.] नदी की जलधारा के साथ (अतिवृष्टि या बाढ़ के कारण) कट कर बह जाने वाली भूमि।
दरी
[सं-स्त्री.] 1. मोटे सूती धागों से बनी एक प्रकार की मोटी बिछावन; चटाई 2. शतरंज के लिए बिछाई जाने वाली शतरंजी 3. गुफा; कंदरा; खोई 4. पर्वत के नीचे का वह
खड्ड जहाँ नदी बहती है 5. सर्प की एक जाति। [वि.] 1. फाड़ने वाला; जो विदीर्ण करता हो 2. डरपोक; कायर; भयभीत होने वाला।
दरीख़ाना
(फ़ा.) [सं-पु.] अतिथि कक्ष; आगंतुक कक्ष; बैठकख़ाना।
दरीचा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. छोटा दरवाज़ा; उपद्वार 2. खिड़की; झरोखा; रोशनदान; मोखा।
दरीबा
[सं-पु.] 1. बाज़ार 2. वह बाज़ार जहाँ एक ही प्रकार की चीज़ें थोक भाव में बिकती हों।
दरेरना
(सं.) [क्रि-स.] 1. रगड़ना 2. रगड़ते हुए धक्का देना; धकेलना 3. नाश करना; तेज़ प्रहार करना 4. मोटा या दरदरा पीसना।
दरेरा
(सं.) [सं-पु.] 1. दरेरने या रगड़ने की क्रिया 2. दरेरने के लिए दिया जाने वाला धक्का; धावा 3. दबाव; चाप 4. बहाव का तोड़।
दरेस
(इं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की फूलदार मलमल की छींट या कपड़ा; दरेज़। [वि.] जो बना बनाया तैयार हो और तुरंत काम में लाया जा सके; (रेडीमेड)।
दरेसी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. काट-छाँट कर ठीक करना; व्यवस्थित करना 2. समतल करना 3. सुसज्जित करना; (ड्रेसिंग)।
दरोगहलफ़ी
(अ.) [सं-स्त्री.] न्यायालय में सत्य बोलने की शपथ लेकर भी झूठ बोलना; झूठा हलफ़।
दरोगा
(फ़ा) [सं-पु.] दे. दारोगा।
दर्ज
(अ.) [वि.] जो पंजिका, रजिस्टर या बही आदि में अंकित हो; लिखित; उल्लिखित; प्रविष्ट; कागज़ या डायरी पर चढ़ा हुआ; हिसाब-किताब के लिए लिखा हुआ।
दर्ज़
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दरार; चीरा; झिरी; शिगाफ़; फटन; बचाव या फटने के कारण दीवार आदि में पड़ी हुई दरार 2. ख़ाना, जैसे- मेज़ की दराज़।
दर्ज़न
(इं.) [सं-पु.] बारह वस्तुओं का समुच्चय या समाहार। [वि.] बारह।
दर्जा
(अ.) [सं-पु.] दे. दरजा।
दर्ज़ी
(फ़ा.) [सं-पु.] दे. दरज़ी।
दर्द
(फ़ा) [सं-पु.] कष्ट; पीड़ा; व्यथा।
दर्दनाक
(फ़ा) [वि.] 1. कष्टप्रद; दर्द से भरा हुआ 2. करुणाजनक।
दर्दमंद
(फ़ा.) [वि.] 1. जो दूसरे का दर्द समझ सकता हो; हमदर्द; सहानुभूति रखने वाला; करुणाशील 2. दुखी; पीड़ित।
दर्दशामक
(फ़ा.+सं.) [वि.] दर्द का शमन करने वाला; दर्दनाशक।
दर्दी
[वि.] 1. दूसरे की पीड़ा समझने वाला; दरदवाला; दयावान; हमदर्द 2. दुखी; पीड़ित।
दर्दीले
(फ़ा) [वि.] पीड़ा, व्यथा, दुख, तकलीफ़ आदि से भरे।
दर्दुर
(सं.) [सं-पु.] मेंढक; दादुर।
दर्देदिल
(फ़ा.) [सं-पु.] हृदय की वेदना; मन की पीड़ा।
दर्प
(सं.) [सं-पु.] अहंकार; घमंड; गर्व; मन का एक भाव जिसके कारण व्यक्ति दूसरों को कुछ न समझे; अक्खड़पन।
दर्पण
(सं.) [सं-पु.] कलई किया हुआ एक शीशा जिसमें प्रतिबिंब दिखाई देता है; आईना; आरसी।
दर्पी
(सं.) [वि.] दर्प से भरा हुआ; दर्पयुक्त; अहंकारी; गर्वित; नख़रीला; अभिमानी; घमंडी।
दर्भ
(सं.) [सं-पु.] 1. घास; कुश; डाभ 2. कुश या बड़ी घास से बनाया गया आसन; कुशासन।
दर्भट
(सं.) [सं-पु.] गुप्त गृह; घर के अंदर का एकांत कमरा; भीतरी कोठरी; घर में वह कक्ष जिसमें गुप्त रूप से बातचीत की जाती है।
दर्भण
(सं.) [सं-पु.] कुश या डाभ की बनी हुई चटाई।
दर्रा1
[सं-पु.] 1. मोटा पिसा हुआ आटा; चूरा; रवा 2. कँकरीली मिट्टी जो सड़क आदि पर डाली जाती है।
दर्रा2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पहाड़ों के बीच से होकर गुज़रने वाला सँकरा और दुर्गम रास्ता; पहाड़ी रास्ता; घाटी 2. दरार; दरज़; शिगाफ़।
दर्व
(सं.) [सं-पु.] 1. राक्षस; आततायी 2. हिंसा करने वाला व्यक्ति 3. हिंसक जंतु 4. चोट; क्षति; आघात 5. (महाभारत) उत्तरी पंजाब के एक प्राचीन राज्य का नाम 6. उक्त
प्रदेश की एक जाति।
दर्श
(सं.) [सं-पु.] 1. अवलोकन; दर्शन 2. चंद्र मास की द्वितीया तिथि; दूज।
दर्शक
(सं.) [सं-पु.] किसी घटना, दृश्य, तमाशा आदि को एक जगह पर बैठ कर देखने वाला व्यक्ति। [वि.] दर्शन करने वाला; देखने वाला; द्रष्टा।
दर्शकगण
(सं.) [सं-पु.] देखने वाले लोगों (दर्शकों) का समूह।
दर्शन
(सं.) [सं-पु.] 1. देखने की क्रिया या भाव 2. साक्षात्कार; भेंट 3. किसी विचारक, लेखक, नेता आदि की विचारधारा या सिद्धांत,जैसे- चार्वाक-दर्शन, गांधी-दर्शन 4.
दिखाई देने वाला रूप 5. धर्म, मोक्ष आदि से संबंधित शास्त्र 6. ज्ञान; बोध।
दर्शनशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] तत्वज्ञान कराने वाला एक प्रकार का ज्ञानानुशासन; प्रकृति और समाज के चिंतन से संबंधित एक शास्त्र या विज्ञान।
दर्शनाभिलाषी
(सं.) [वि.] दर्शन की इच्छा रखने वाला।
दर्शनार्थ
(सं.) [क्रि.वि.] दर्शन करने के लिए; देखने या अवलोकन के लिए।
दर्शनार्थी
(सं.) [सं-पु.] 1. दर्शन का इच्छुक; देखने को उत्सुक; दर्शक; तमाशबीन 2. तीर्थयात्री।
दर्शनीय
(सं.) [वि.] देखने या दिखाने के योग्य; दर्शन के योग्य; प्रेम और आदर के साथ देखने के योग्य; मोहक; मनोहर; ख़ूबसूरत।
दर्शाना
(सं.) [क्रि-स.] दिखाना; ज़ाहिर करना; बताना; ज़िक्र करना; सामने लाना; हाव-भाव से प्रकट करना।
दर्शित
[सं-पु.] वह आलेख या प्रमाणपत्र जो किसी पक्ष की ओर से न्यायालय में प्रमाण के रूप में उपस्थित किए जाएँ। [वि.] जो दिखाया गया हो; दिखाया हुआ।
दर्शी
(सं.) [वि.] 1. (समासांत में प्रयुक्त) दर्शन करने वाला; देखने वाला, जैसे- प्रत्यक्षदर्शी 2. साक्षात्कार करने वाला 3. विचार या मनन करने वाला, जैसे- तत्वदर्शी
4. प्रदर्शित करने वाला; ज़ाहिर करने वाला 5. अनुभूति करने वाला।
दल
(सं.) [सं-पु.] 1. संगठन; पार्टी 2. समूह; झुंड; टोली; गिरोह 3. सेना; फ़ौज का दस्ता 4. पौधे का छोटा कोमल पत्ता या फूल की पंखुड़ी, जैसे- तुलसीदल, कमलदल 5. दाने
का आधा भाग 6. परत की तरह फैली हुई वस्तु की मोटाई।
दलक
[सं-स्त्री.] 1. दलकने की क्रिया 2. चोट; टीस; रह-रहकर होने वाली पीड़ा; चुभन के साथ होने वाला दर्द 3. कुछ देर बने रहने वाले आघात से उत्पन्न कंपन; थरथराहट 4.
धमक, जैसे- ढोलक की दलक। [सं-पु.] 1. कष्ट; दुख 2. छुरी जैसा नुकीला औज़ार जिससे कारीगर नक्काशी के अंदर का मसाला साफ़ करते हैं।
दलकना
[क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ के तल का ऊपर-नीचे होते हुए काँपना या हिलना 2. भय से काँपना; थर्राना 3. दरार खाना; फटना; चिर जाना 4. {ला-अ.} विचलित होना; डगमगाना;
उद्विग्न होना; बेचैन होना। [क्रि-स.] 1. डराना; भय से कँपा देना 2. त्रस्त कर देना।
दलगत
(सं.) [वि.] दल के अनुसार; दल के विचार से; दल से संबंधित।
दलदल
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कीचड़; गारा; पंक 2. ऐसी गीली भूमि जिसपर खड़े होने पर गहराई में धँसते जाते हैं 3. {ला-अ.} वह संकट या परेशानी जिसमें से निकलना कठिन हो।
[मु.] -में फँसना : मुसीबत में पड़ना।
दलदला
[वि.] जिसमें दलदल हो; दलदलवाला, जैसे- दलदला जंगल।
दलदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] मोटी तह, परत या दलवाला।
दलन
(सं.) [सं-पु.] 1. संहार; विनाश 2. दलना; पीसना; कुचलना; चूर्ण बनाना 3. विदारण; चीरना 4. खंडन; तोड़ना। [वि.] नाशकारक; ध्वंस करने वाला।
दलना
(सं.) [क्रि-स.] 1. चक्की या जाँते में डालकर अनाज के दानों या बीजों के टुकड़े करना 2. दरदरा पीसना; दरदराना; मोटा चूर्ण करना 3. रगड़कर टुकड़े करना; चूर करना
4. बुरी तरह से कुचलना; रौंदना 5. मसलना; मलना; मींड़ना 6. नष्ट करना 7. ख़ूब दबाना 8. तोड़ना; खंडित करना।
दलनायक
(सं.) [सं-पु.] किसी दल या पार्टी का मुखिया।
दलपति
(सं.) [सं-पु.] दल का मुखिया या सेनापति।
दलबंदी
(सं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दल या समूह बनाने की क्रिया 2. किसी उद्देश्य के लिए लोगों का दल या पार्टी बनाने का काम; दलबद्धता 3. गुटबाज़ी; फूट; अलगाव।
दलबदल
(सं.) [सं-पु.] एक दल से दूसरे दल में जाने की क्रिया; पक्ष-परिवर्तन; पार्टी बदल लेना।
दल-बदलू
[सं-पु.] एक दल छोड़कर (अपना पूर्व दल) दूसरे दल में जाने वाला व्यक्ति; बार-बार दल-बदल करने वाला व्यक्ति; परपक्षग्राही।
दलबद्ध
(सं.) [वि.] दल से आबद्ध; दल से बँधा या जुड़ा हुआ।
दल-बल
(सं.) [सं-पु.] 1. सैनिकों का जत्था; लाव-लश्कर 2. संगी-साथी, नौकर-चाकर, अनुयायी आदि।
दलमलना
[क्रि-स.] किसी चीज़ को ख़ूब दलना और मलना; अच्छी तरह कुचलना, मसलना या रौंदना; पूरी तरह से ध्वस्त या नष्ट करना।
दलवाना
[क्रि-स.] 1. दलने का काम कराना, जैसे- दाल दलवाना 2. दूसरे को दलने के लिए प्रवृत्त करना 3. मोटा-मोटा पिसवाना 4. दमन कराना; नष्ट कराना; ध्वस्त कराना।
दलवाल
[सं-पु.] दल का मुखिया; सरदार; कप्तान।
दलवैया
[वि.] 1. दलन या नष्ट करने वाला; जीतने वाला 2. दलने या चूर्ण करने वाला।
दलहन
[सं-पु.] वह फ़सल जिससे दाल तैयार की जाती है, जैसे- अरहर, मूँग आदि।
दलाई
[सं-स्त्री.] 1. दलने की क्रिया या भाव 2. दलने की मज़दूरी।
दलाल
(अ.) [सं-पु.] 1. व्यापारिक लेन-देन या अन्य सौदों में मध्यस्थता करके लाभ कमाने वाला व्यक्ति; बिचौलिया; आढ़ती; (एजेंट) 2. {अशि.} संभोग के लिए स्त्री-पुरुष का
मिलन कराने वाला; कुटना 3. पारसियों की एक जाति।
दलाली
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. क्रय-विक्रय कराने के एवज़ में प्राप्त होने वाला धन; (कमीशन) 2. दलाल का काम; मध्यस्थता।
दलित
(सं.) [वि.] 1. जिसका दलन या शोषण हुआ हो 2. रौंदा या कुचला हुआ 3. अति निर्धन; कंगाल 4. जो सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक आदि रूपों से पिछड़ा हुआ हो।
दलित विमर्श
(सं.) [सं-पु.] दलित समुदाय की स्थिति, समस्याओं तथा उनके अधिकारों के संबंध में किया जाने वाला विचार-विमर्श।
दलितोद्धार
(सं.) [सं-पु.] दलित समुदाय के कल्याण के लिए किए गए उपाय; दलित अर्थात समाज की दबी या पिछड़ी हुई जातियों को आर्थिक तथा सामाजिक दृष्टि से ऊपर उठाने का काम।
दलिद्दर
(सं.) [सं-पु.] निर्धनता; कंगाली। [वि.] 1. निर्धन; गरीब 2. निम्न कोटि का।
दलिया
[सं-पु.] 1. दरदरा दला हुआ अनाज, जैसे- गेहूँ का दलिया; मोटा पिसा अन्न 2. दूध और दरदरे पिसे गेहूँ को पकाकर बनाया हुआ गाढ़ा खाद्य व्यंजन।
दलीय
(सं.) [वि.] दल या पार्टी से संबंधित; दल का।
दलील
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. अपने पक्ष में सोच-विचार कर रखा जाने वाला तर्क; युक्ति 2. वाद-विवाद; बहस।
दलेल
(इं.) [सं-पु.] सिपाहियों को वर्दी और हथियारों के साथ दंड के तौर पर कराई जाने वाली कड़ी कवायद; सिपाहियों को दंड के रूप में दिया जाने वाला काम।
दल्भ
(सं.) [सं-पु.] 1. चक्र; पहिया 2. प्रताड़ना 3. फ़रेब; धोखा; बेईमानी।
दव
(सं.) [सं-पु.] 1. वन; जंगल 2. वन में स्वतः लगने वाली आग; दावाग्नि; दावानल।
दवँगरा
[सं-पु.] 1. वर्षा ऋतु में होने वाली पहली बारिश; दौंगरा 2. तेज़ बारिश।
दवन
(सं.) [सं-पु.] दमन; नाश। [वि.] दमन करने वाला।
दवनी
(सं.) [सं-स्त्री.] अनाज निकालने के लिए सूखे डंठलों पर बैलों को चलाने की क्रिया; दँवरी; मड़ाई।
दवा
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. वह पदार्थ या तत्व जिससे किसी रोग का उपचार होता है; औषधि; (मेडीसिन) 2. उपचार; इलाज; चिकित्सा 3. {ला-अ.} किसी समस्या को ठीक करने का
उपाय।
दवाई
(अ.+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. औषधि; दवा 2. उपचार; इलाज 3. {ला-अ.} किसी समस्या को सुलझाने की युक्ति।
दवाख़ाना
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ रोगियों का इलाज किया जाता है; अस्पताल; चिकित्सालय; (हॉस्पीटल)।
दवाग्नि
(सं.) [सं-स्त्री.] वन में स्वतः लगने वाली आग; दावानल; वनाग्नि।
दवात
(अ.) [सं-स्त्री.] स्याही रखने का पात्र; मसिपात्र।
दवा-दारू
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. रोगी का उपचार करने के लिए अपनाए जाने वाले साधन; किसी रोग से मुक्त होने का उपाय 2. इलाज; चिकित्सा; उपचार।
दवामी
(अ.) [वि.] स्थायी; सदा रहने वाला; (परमानेंट)।
दवामी काश्तकार
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वह काश्तकार जिसे भूस्वामी से स्थायी रूप से सदा के लिए काश्तकारी का अधिकार मिला हो।
दवामी-पट्टा
(अ.+हिं.) [सं-पु.] वह पट्टा जिसके अनुसार स्थायी रूप से किसी चीज़ के भोग का अधिकार किसी को मिले; इस्तमरारी; (परमानेंट लीज़)।
दवामी बंदोवस्त
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] कृषि योग्य भूमि का वह बंदोबस्त जिसकी मालगुज़ारी सरकार की ओर से स्थिर कर दी गई हो।
दशक
(सं.) [सं-पु.] 1. दस का समूह 2. दस वर्षों का समय; दशाब्द; (डिकेड)।
दशकंठ
(सं.) [वि.] दस कंठ वाला। [सं-पु.] रावण।
दशकंधर
(सं.) [सं-पु.] रावण; दशानन।
दशगात्र
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर के मुख्य दस अंग 2. मृत्यु के दसवें दिन होने वाला एक अनुष्ठान।
दशधा
(सं.) [वि.] 1. दस प्रकार का; दशम; दसवाँ 2. दस रूपों वाला। [अव्य] 1. दस प्रकार से 2. दस भागों में।
दशन
(सं.) [सं-पु.] 1. दंत; दाँत 2. वर्म; कवच 3. शिखर; शृंग; चोटी।
दशना
(सं.) [वि.] दाँतोंवाली।
दशनाम
(सं.) [सं-पु.] संन्यासियों के दस भेद जिन्हें क्रमशः ये उपाधियाँ प्रदान की जाती हैं- तीर्थ, आश्रम, वन, अरण्य, गिरि, पर्वत, सागर, सरस्वती, भारती और पुरी।
दशनामी
(सं.) [सं-पु.] 1. संन्यासियों के एक संगठन (दसनाम वर्ग) विशेष के लिए प्रयुक्त शब्द 2. शंकराचार्य के दस प्रशिष्यों से चला संन्यासियों का एक संप्रदाय। [वि.]
दशनाम संबंधी।
दशनावली
(सं.) [सं-स्त्री.] दाँतों की पंक्ति; दंतावली।
दशभुज
(सं.) [सं-स्त्री.] दस भुजाओं वाली आकृति। [वि.] दस भुजाओं वाला।
दशम
(सं.) [वि.] 1. गिनती में दस के स्थान पर होने वाला 2. दसवाँ भाग।
दशम अवस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] मनुष्य के जीवनकाल में मानी जाने वाली दस अवस्थाओं में अंतिम अवस्था अर्थात मृत्यु।
दशमलव
(सं.) [सं-पु.] (अंकगणित) वह बिंदु जो संख्या '10' पर आधारित संख्या-पद्धति में पूर्णांक के पश्चात और '1' के छोटे अंश के पहले लगाया जाता है; दशमिक भग्नांश
जैसे- 0.5, 0.7 आदि। [वि.] संख्या '10' पर आधारित; दशमिक; (डेसिमल)।
दशमांश
(सं.) [सं-पु.] दसवाँ भाग, जैसे- चालीस का चार।
दशमिक
(सं.) [वि.] संख्या '10' पर आधारित; दसवें से संबंध रखने वाला; (डेसिमल)।
दशमिक प्रणाली
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रणाली जिसके द्वारा विभिन्न इकाइयों के मानों को निर्धारित करने में दस (10) का प्रयोग किया जाता है, अर्थात इसके अंतर्गत प्रत्येक इकाई
अपने से छोटी इकाई की दस गुनी बड़ी होती है और अपने से ठीक बड़ी इकाई की दशमांश छोटी होती है।
दशमी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. चांद्र मास के प्रत्येक पक्ष की दसवीं तिथि 2. दशहरा; विजयादशमी 3. शताब्दी का अंतिम दशक 4. दसवीं और अंतिम अवस्था; मरणावस्था। [वि.] 1.
सौ की आयु का; बहुत बूढ़ा 2. बहुत पुराना; अतिप्राचीन।
दशमुख
(सं.) [सं-पु.] दस मुखों वाला; रावण; दशानन।
दशरथ
(सं.) [सं-पु.] (रामायण) अयोध्या के इक्ष्वाकु वंश के प्रतापी राजा जिनके ज्येष्ठ पुत्र राम थे।
दशहरा
(सं.) [सं-पु.] 1. हिंदुओं का एक प्रसिद्ध पर्व; विजयादशमी; आश्विन शुक्ल दशमी 2. जो दस अवगुणों का हरण करे।
दशा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्थिति; हालत 2. (काव्यशास्त्र) रस के अंतर्गत नायक-नायिका की अवस्था 3. (ज्योतिष) ग्रहों की स्थिति 4. काल की दृष्टि से जीवन की विभिन्न
अवस्थाओं में से प्रत्येक।
दशांग
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु के दस अंग 2. दस प्रकार के सुगंधित द्रव्यों (गुगुल, चंदन, कुमकुम, शिलारस, जटामासी, राल, खस, भीमसेनी, कपूर और कस्तूरी) के योग से
बनने वाली एक तरह की धूप। [वि.] दस प्रकार की वस्तुओं के योग से बनने वाला।
दशांत
(सं.) [सं-पु.] 1. वृद्धावस्था; बुढ़ापा 2. दीपक की बत्ती का छोर 3. पिछला भाग।
दशानन
(सं.) [सं-पु.] दस मुखों वाला; रावण; लंकेश।
दशाब्द
(सं.) [सं-पु.] 1. दस वर्षों का समय; दस वर्षों का समाहार; दशक; (डिकेड) 2. शताब्दी का दसवाँ भाग।
दशाब्दी
(सं.) [सं-स्त्री.] दशाब्द।
दशार्ण
(सं.) [सं-पु.] 1. मध्यप्रदेश के विंध्य पर्वत के दक्षिणपूर्व में स्थित एक प्राचीन प्रदेश जिसमें धसान नदी बहती है 2. दशार्ण देश का शासक या निवासी।
दशावतार
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) विष्णु के दस अवतार; दस अवतार लेने वाले विष्णु।
दशाह
(सं.) [सं-पु.] 1. दस दिन का समय 2. किसी की मृत्यु के बाद दसवें दिन का कृत्य; दशकर्म का दिन।
दशी
(सं.) [सं-स्त्री.] दस वर्षों का समूह; दशक; दशाब्द; (डिकेड)।
दशेरक
(सं.) [सं-पु.] 1. मरुस्थलीय देश; रेगिस्तानी प्रदेश 2. मरुस्थलीय प्रदेश का निवासी 3. कम आयु का ऊँट; ऊँट का बच्चा।
दस
(सं.) [वि.] 1. संख्या '10' का सूचक 2. {ला-अ.} कई; अनेक, जैसे- वह काम न करने के दस बहाने बनाता है।
दसवाँ
[सं-पु.] किसी की मृत्यु के दसवें दिन होने वाला कृत्य; दशकर्म। [वि.] गिनती में दस की संख्या; दशम।
दसस्यंदन
(सं.) [सं-पु.] जिसका स्यंदन (रथ) दसों दिशाओं में जाता हो; दशरथ।
दसौंधी
(सं.) [सं-पु.] भाटों या चारणों की जाति में एक प्रकार का कुलनाम या सरनेम; ब्रह्मभट्ट।
दस्त
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. हाथ; पंजा; बालिश्त 2. पेट के विकार के कारण होने वाला बहुत पतला मल; (लूज़ मोशन) 3. मलरोग; (डायरिया)।
दस्तंदाज़
(फ़ा.) [वि.] दख़ल देने वाला; हस्तक्षेप करने वाला; बाधा बनने वाला; बाधक; छेड़छाड़ करने वाला; विघ्नकारक; मुज़ाहिम।
दस्तंदाज़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] छेड़छाड़; हस्तक्षेप; दख़ल।
दस्तक
(फ़ा) [सं-स्त्री.] 1. बुलाने के लिए हाथ से कुंडी खटखटाने की क्रिया या अवस्था 2. माल आदि के आने-जाने की लिखित आज्ञा 3. कर; महसूल 4. मालगुज़ारी वसूल करने का
परवाना।
दस्तकार
(फ़ा.) [सं-पु.] शिल्पकार; शिल्पी; कारीगर; हाथ से दस्तकारी का काम करने में माहिर व्यक्ति।
दस्तकारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. हस्त निर्मित (हाथ से बनाई गई) कलापूर्ण कृति या वस्तु; हाथ की कारीगरी; शिल्प 2. दस्तकार का काम 3. सजावट।
दस्तख़त
(फ़ा.+अ.) [सं-पु.] हस्ताक्षर; (सिगनेचर); जो किसी दस्तावेज़ के प्रमाण या सनद के लिए हो।
दस्तगीर
(वि.) [सं-पु.] हाथ थामने या पकड़ने वाला; सहारा देने वाला; मदद करने वाला; सहायक।
दस्तबंद
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. हाथ में पहनने का मोतियों और रत्नों से बना एक गहना; लच्छेदार गहना 2. टोड़ा; पहुँचा।
दस्तबरदार
(फ़ा.) [वि.] जिसने किसी वस्तु पर से अपना स्वत्व (एकाधिकार) हटा लिया हो; किसी कार्य या बात से स्वयं को अलग कर लेने वाला; जो बेदावा हो।
दस्तरख़ान
(फ़ा) [सं-पु.] वह कपड़ा जिसपर दावत के लिए थाली-कटोरी आदि सजाई जाती है; भोजन करने की मेज़ का कपड़ा।
दस्ता
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी औज़ार का मूठ; बेंट 2. कागज़ के चौबीस तावों की गड्डी 3. किसी बेड़े की वह छोटी टुकड़ी, जिसमें कई जहाज़ साथ मिलकर कोई काम करने के लिए
नियुक्त किए जाते हैं।
दस्ताना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पंजों और हथेलियों में पहनने का ऊन या चमड़े आदि से बनाया गया खोल; हाथों की सुरक्षा के लिए पहना जाने वाला वस्त्र; हाथ का मोजा 2. लोहे का वह
आवरण जो युद्ध के समय हाथों में पहना जाता था।
दस्तावर
(फ़ा.) [वि.] (औषधि या खाद्य पदार्थ) जिसे खाने या पीने से दस्त होने लगे; दस्त लाने वाला; विरेचक; जुलाब; रेचक।
दस्तावेज़
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच लेन-देन या व्यवहार-समझौता संबंधी वह पत्र जिसपर संबद्ध लोगों के हस्ताक्षर प्रमाण स्वरूप अंकित हो;
(डीड) जैसे- तहरीर, दानपत्र, रेहननामा आदि 2. कोई आधिकारिक पत्र; व्यवस्था-पत्र; प्रलेख; अभिलेख; (डॉक्यूमेंट)।
दस्ती
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा रूमाल 2. कुश्ती का एक दाँव 3. मशाल; छोटा बेंट 4. कलमदानी। [वि.] 1. हाथ का; हाथ से संबंधित 2. हाथ में रहने वाली वस्तु, जैसे-
रूमाल, छड़ी आदि 3. जो किसी के हाथ से भेजा जाए। [क्रि.वि.] अपने हाथ से; किसी व्यक्ति के माध्यम से।
दस्तूर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. दुनियादारी; परंपरा; रिवाज; रस्म; प्रथा; चाल; परिपाटी 2. कायदा; विधि 3. पारसियों के धर्म-पुरोहितों की उपाधि।
दस्तूरी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह बँधी हुई रकम जो सौदा लेने या ख़रीद कर ले जाने पर दुकानदारों से नौकरों को पुरस्कार स्वरूप मिलती है; नेग; (कमीशन) 2. दलाल शुल्क;
रिश्वत। [वि.] दुनियादारी से संबंधित; रीति या नियम संबंधी।
दस्तेदार
(फ़ा) [वि.] किसी वस्तु का उतना गट्ठा जो हाथ में आ सके।
दस्यु
(सं.) [सं-पु.] 1. डाकू; लुटेरा 2. म्लेच्छ; अनार्य 3. दुष्ट; खल 4. जनता का हक छीनने वाला व्यक्ति।
दस्युवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. डाकू का पेशा; लुटेरापन; डकैती 2. डाकू जैसा स्वभाव या व्यवहार।
दह
(सं.) [सं-स्त्री.] ज्वाला; लपट; दाह; अग्निशिखा। [सं-पु.] नदी का वह भाग जहाँ आस-पास की तुलना में पानी बहुत गहरा हो; पानी का कुंड; हौज।
दहक
[सं-स्त्री.] लपट; ज्वाला; आग का दहकना।
दहकन
[सं-स्त्री.] दहकने की क्रिया या भाव; दहक; धधक; लपट।
दहकना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. ऊँची लपट के साथ जलना; धधकना; धू-धू करके जलना; इस तरह प्रज्वलित होना कि लपट बाहर आने लगे; आग भड़कना; तपना 2. {ला-अ.} संतप्त होना; दुखी
होना।
दहकाना
[क्रि-स.] 1. किसी चीज़ में आग लगाना; आँच या लपट उठने तक जलाना; आग भड़काना; धधकाना; सुलगाना; जलने में प्रवृत्त करना 2. {ला-अ.} क्रोध दिलाना; आवेशित या
उत्तेजित करना; उकसाना; कुरेदना; भड़काना; तपाना; धौंकना; हवा देना।
दहन1
(सं.) [सं-पु.] 1. जलने की क्रिया या भाव; दाह; झुलस 2. किसी पदार्थ का जलना; प्रज्वलन; ताप और लपट पैदा होना 3. नष्ट करने की क्रिया या भाव; भस्मन 4. आग;
अग्नि। [वि.] 1. जलाने वाला 2. नष्ट करने वाला; विनाशक।
दहन2
(फ़ा.) [सं-पु.] मुख; मुँह।
दहना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. भस्म होना 2. दहकना; जलना 3. दुखी या संतप्त होना। [क्रि-स.] 1. दहन करना; जलाना 2. भस्म करना 3. मिटाना; नष्ट करना 4. कुढ़ाना।
दहपट
[वि.] 1. ढाया हुआ; मिट्टी में मिलाया हुआ; गिराकर समतल किया हुआ; ध्वस्त; नष्ट; बरबाद; चौपट 2. मसला हुआ; रौंदा हुआ; कुचला हुआ।
दहपटना
[क्रि-स.] 1. ध्वस्त करना, ढाहना 2. कुचल डालना 3. किसी का गर्व, मान आदि चकनाचूर करना।
दहरौरा
[सं-पु.] एक प्रकार का दही में डूबा हुआ बड़ा; दहीबड़ा।
दहल
[सं-स्त्री.] दहलने की क्रिया; आतंक; डर से होने वाली कँपकँपी या थरथराहट; भयकंप; वह डर जो किसी विकट काम या उद्देश्य को पूरा करने से पहले लगता है।
दहलना
(सं.) [क्रि-अ.] डर के मारे काँपना या घबड़ा जाना; भयभीत हो जाना; थर्राना।
दहला
[सं-पु.] ताश का वह पत्ता जिसपर किसी रंग या आकृति के दस चिह्न बने हों।
दहलाना
[क्रि-स.] भयभीत करना; डराना; किसी डरावनी चीज़ से कँपा देना।
दहलीज़
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. द्वार के चौखट के नीचे लगी हुई लकड़ी या पत्थर; देहली; देहरी; ड्योढ़ी; डेहरी 2. {ला-अ.} सीमा; मर्यादा।
दहशत
(अ.) [सं-स्त्री.] खौफ़; डर; भय; आतंक।
दहशतगर्द
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] दहशत (आतंक) फैलाने वाला व्यक्ति; आतंकवादी।
दहशतगर्दी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] जन सामान्य में आतंक फैलाने (आतंकित करने) का काम; आतंकवाद।
दहशतज़दा
(अ.+फ़ा.) [वि.] डरा हुआ; भयभीत; आतंकित।
दहा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. ताज़िया 2. मुहर्रम मास के शुरुआती दस दिन जिसमें ताज़िया रखा जाता है; मुहर्रम का समय।
दहाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दस का मान या भाव 2. लिखे हुए अंकों की गिनती के क्रम में दाहिनी ओर से दूसरे स्थान पर आने वाला अंक जिसका मान पहले अंक से दस गुना होता
है।
दहाड़
[सं-पु.] 1. शेर या बाघ का गरजन; गर्जना 2. रोते समय ज़ोर से चिल्लाने का शब्द; चीत्कार; आर्तनाद 3. {ला-अ.} डाँट।
दहाड़ना
[क्रि-अ.] 1. शेर या चीते की गर्जना 2. तेज़ आवाज़ करना 3. चिल्ला-चिल्लाकर रोना 4. {ला-अ.} किसी पर ज़ोर से चिल्लाना या गुस्से में डपटकर बोलना; क्रोधित होना।
दहाना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मुँह, चौड़ा मुँह 2. वह स्थान जहाँ एक नदी दूसरी नदी या समुद्र में गिरती या मिलती है; मुहाना 3. लगाम का वह हिस्सा जो घोड़े के मुँह में रहता
है 4. मशक का मुँह।
दही
(सं.) [सं-पु.] थक्के के रूप में जमा दूध जिसे जामन या खटाई डाल कर जमाया जाता है; दधि।
दहेंड़ी
[सं-स्त्री.] दही जमाने का मिट्टी का बरतन या हाँडी।
दहेज
(अ.) [सं-पु.] वधू के परिवार द्वारा वर के परिवार वालों को दी जाने वाली धनराशि या मूल्यवान वस्तुएँ; दायजा; यौतुक।
दहेजप्रथा
(अ.+सं.) [सं-स्त्री.] विवाह में दहेज देने या लेने की रीति या परंपरा जो एक सामजिक कुप्रथा है।
दह्य
(सं.) [वि.] ज्वलनशील; जलने योग्य; जो जल सकता हो।
दह्यमान
(सं.) [वि.] जलता हुआ; प्रदीप्त; प्रज्वलित।
दाँ
(फ़ा.) [परप्रत्य.] जानकार; ज्ञाता; विज्ञ, वेत्ता, जैसे- कानूनदाँ; अँग्रेज़ीदाँ।
दाँग
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. छह रत्ती की माप 2. किसी वस्तु का छठा भाग 3. ओर; दिशा।
दाँत
(सं.) [सं-पु.] 1. रीढ़धारी प्राणियों के मुख में अर्धचंद्राकार रूप में पंक्तिबद्ध छोटे-छोटे अस्थिखंड जो भोजन आदि को काटने और चबाने के काम आते हैं; दंत 2.
आरी, कंघी आदि का दाँता। [मु.] -काटी रोटी होना : घनिष्ठ मित्रता होना। -खट्टे करना : प्रतिद्वंद्विता या लड़ाई में पछाड़ना। दाँतों तले उँगली दबाना : आश्चर्यचकित होना, दंग रह जाना। -में जीभ सा होना : प्रतिक्षण दुश्मनों के बीच में रहना।
दाँता
[सं-पु.] किसी उपकरण में दाँत के आकार का बड़ा और नुकीला सिरा; दंदाना।
दाँता-किटकिट
[सं-स्त्री.] नित्य होने वाली किच-किच; कहा-सुनी या झगड़ा।
दाँती
[सं-स्त्री.] 1. फ़सल, घास आदि काटने का हँसिया; दराँती 2. नाव बाँधने का खूँटा 3. दंत पंक्ति 4. छोटा दाँत।
दाँतुला
(सं.) [वि.] 1. जिसके दाँत बड़े-बड़े हों 2. जिसके दाँत आगे की ओर निकले हों।
दाँतेदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] जिसमें दाँते बने हों; दाँतों से युक्त।
दाँना
(स.) [क्रि-स.] फ़सल की बालियों या डंठलों से दाने अलग करना।
दाँव
(सं.) [सं-पु.] 1. कपटपूर्ण चाल; तरकीब 2. घात; पैंतरा 3. किसी खेल में अपना प्रदर्शन करने की बारी या अवसर 4. जुए में हार-जीत के लिए धन लगाने की क्रिया या
बारी 5. कुश्ती का पेंच 6. चौसर या जुए में पाँसे के पड़ने की स्थिति या रूप जिससे किसी खिलाड़ी की हार या जीत होती है।
दाँव-पेंच
(सं.) [सं-पु.] तिकड़म; रणनीति; कुचाल; कार्य सिद्धि के लिए किया गया अनुचित या चालाकी भरा कार्य; किसी के प्रति किया जाने वाला कपटपूर्ण व्यवहार; धोखा;
मक्कारी; ठगी।
दाँवरी
(सं.) [सं-स्त्री.] डोरी; रस्सी।
दांडिक
(सं.) [वि.] दंड देने वाला।
दांत
(सं.) [सं-पु.] दमन करने वाला; दमनक। [वि.] 1. जिसने बाह्येंद्रियों का दमन किया हो 2. जिसका दमन हुआ हो; दमित।
दांति
(सं.) [सं-स्त्री.] आत्मनिग्रह; इंद्रियनिग्रह; तप; क्लेश-सहिष्णुता।
दांपत्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दंपति होने की अवस्था या भाव 2. पति-पत्नी का संबंध 3. दंपति संबंधी कार्य 4. गृहस्थ आश्रम। [वि.] दंपति का; पति-पत्नी से संबंधित।
दांपत्यसूत्र
(सं.) [सं-पु.] वैवाहिक बंधन; विवाह; परिणय।
दांभिक
(सं.) [वि.] दंभ से संबंधित; जिसमें अहंकार हो। [सं-पु.] 1. घमंडी व्यक्ति 2. ढोंग करने वाला व्यक्ति।
दाई1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धाय; धात्री 2. बच्चा जनाने वाली स्त्री; प्रसूता का उपचार एवं देखरेख करने वाली स्त्री। [मु.] -से पेट छिपाना : जानकार
से भेद छिपाना।
दाई2
(अ.) [सं-स्त्री.] दुआ माँगने वाला; प्रार्थी।
दाईं
[सं-स्त्री.] 1. दाहिनी 2. बार; दफ़ा। [वि.] दाईं ओर का।
दाऊ
(सं.) [सं-पु.] 1. बड़ा भाई; भ्राता 2. पिता; दादा 3. (पुराण) कृष्ण के बड़े भाई; बलराम; बलदेव।
दाऊदखानी
(फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का धान; एक प्रकार का गेहूँ।
दाएँ
[क्रि.वि.] दाहिनी ओर या तरफ़।
दाक
(सं.) [सं-पु.] 1. दाता; दानी; देने वाला व्यक्ति 2. यजमान।
दाक्ष
(सं.) [सं-पु.] दक्षिण दिशा। [वि.] दक्ष संबंधी।
दाक्षायण
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वर्ण; सोना 2. सोने की मोहर या अशरफ़ी 3. स्वर्णाभूषण। [वि.] 1. दक्ष संबंधी; दक्ष का 2. मुनि दक्ष के वंश का।
दाक्षायणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) दक्ष की पुत्री; सती; दुर्गा 2. कश्यप ऋषि की पत्नी 3. दंती नामक वृक्ष 4. अश्विनी, रेवती आदि नक्षत्र।
दाक्षिणात्य
(सं.) [सं-पु.] 1. भारत में विंध्य पर्वत के दक्षिण में स्थित प्रदेश 2. दक्षिण भारत या दक्षिण देश का निवासी। [वि.] दक्षिण देश का; दक्षिण से संबंधित।
दाक्षिण्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दक्षिण (दक्ष, कुशल, अनुकूल, प्रसन्न आदि) होने का भाव; निपुणता; कौशल; दक्षता 2. दूसरों को प्रसन्न या ख़ुश करने की प्रवृत्ति 3. उदारता;
सरलता। [वि.] दक्षिण संबंधी।
दाख
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मुनक्का; किशमिश 2. अंगूर। [वि.] दक्ष; कुशल।
दाख़िल
(फ़ा.) [वि.] 1. जो अंदर हो; प्रविष्ट; समाविष्ट 2. घुसा हुआ; पैठा हुआ 3. शामिल; जमा किया हुआ।
दाख़िल-ख़ारिज
(अ.) [सं-पु.] किसी वस्तु, संपत्ति या भूमि पर से किसी का स्वामित्व बदलने पर पुराने स्वामी का नाम काटकर नए स्वामी का नाम सरकारी कागज़-पत्रों पर चढ़ाया जाना।
दाख़िला
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति के कहीं दाख़िल या प्रविष्ट होने की क्रिया; प्रवेश 2. अंदर होना; समावेश 3. अदायगी; जमा करने का काम 4. वह रजिस्टर या बही
जिसमें जमा की जाने वाली वस्तु का लेखा हो 5. मालगुज़ारी, लगान, चुंगी आदि महसूल या टैक्स की रसीद 6. प्रवेश शुल्क।
दाग1
(सं.) [सं-पु.] 1. दग्ध करने की क्रिया; दाह 2. हिंदुओं में मृत व्यक्ति का शव जलाने की क्रिया या भाव; दाहकर्म 3. ईर्ष्या; जलन; डाह।
दाग2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. चिह्न; धब्बा; चित्ती; निशान 2. शरीर पर जन्मजात या घाव आदि का चिह्न या जलने के कारण शरीर या वस्तु पर पड़ने वाला चिह्न 3. फल आदि पर सड़न या
गलन का चिह्न 4. {ला-अ.} चरित्र पर लगने वाला कलंक या दोष; किसी प्रकार का आरोप; लांछन। [मु.] -लगाना : कलंकित करना। -धोना :
कलंक मिटाना।
दागदार
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसपर दाग या चिह्न लगा हो; जिसमें दाग हो; धब्बेदार; चित्तीदार 2. {ला-अ.} जो किसी अपराध में दोषी पाया गया हो; कलंकित; लांछित; चरित्रहीन;
दागी।
दागना
(फ़ा.) [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ या शरीर पर गरम लोहे आदि से कोई चिह्न बनाना 2. अंकित करना; निशान बनाना 3. तेज़ दवा या तेज़ाब आदि से फोड़े को इस उद्देश्य से
जलाना जिससे उसका बढ़ना रुक जाए 4. तोप या रायफ़ल को चलाना।
दागबेल
(फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] वे चिह्न या रेखाएँ जो किसी ज़मीन पर इमारत आदि की नींव खोदने से पहले सीमा या विस्तार सूचित करने के लिए बनाई जाती हैं।
दागी
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसपर दाग या धब्बा लगा हो; धब्बेवाला; दागदार 2. अंगविकार वाला 3. कलंकित; कलुषित; चरित्रहीन 4. अपराधी; अभियुक्त; दोषी; सज़ायाफ़्ता; सज़ा
भुगता हुआ; दंडित 5. जिसपर सड़न का चिह्न हो, जैसे- दागी फल।
दाड़क
(सं.) [सं-पु.] 1. दाढ़; डाढ़ 2. दाँत।
दाडिंब
(सं.) [सं-पु.] 1. अनार का पेड़ 2. अनार का फल।
दाड़िम
(सं.) [सं-पु.] 1. अनार का पेड़ 2. अनार का फल।
दाढ़
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मुँह के भीतर के चौड़े दाँत जिनसे खाद्य पदार्थ चबाए जाते हैं; चौभर 2. घोर आवाज़; दहाड़; गरज; चिंघाड़।
दाढ़ना
(सं.) [क्रि-स.] किसी के मन में ईर्ष्या उत्पन्न करना; जलाना; संतप्त करना।
दाढ़ा1
[सं-पु.] 1. घने और लंबे बालों वाली दाढ़ी 2. बड़ा दाँत।
दाढ़ा2
(सं.) [सं-पु.] 1. वन की आग; दावानल 2. अग्नि 3. गरमी 4. दाह; जलन। [वि.] जलाया हुआ; संतप्त।
दाढ़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पुरुषों के गालों और ठोढ़ी के ऊपर उगने वाले बाल; (शेव) 2. होठों के नीचे का उभरा हुआ गोल भाग; ठुड्डी; चिबुक।
दाढ़ीजार
[सं-पु.] 1. एक प्रकार की अशिष्ट गाली 2. {शा-अ.} वह व्यक्ति जिसकी दाढ़ी जलाई गई हो।
दातव्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दान 2. दानशीलता 3. वह धन जो चुकाना या देना ज़रूरी हो। [वि.] 1. दान संबंधी; दान का 2. जो दिया जाने को हो; दिए जाने के योग्य।
दाता
(सं.) [सं-पु.] 1. देने वाला व्यक्ति; दानी 2. ईश्वर; भगवान।
दातार
(सं.) [वि.] 1. देने वाला; दाता 2. बहुत दान देने वाला।
दातून
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नीम, बबूल आदि पेड़ों की टहनी या शाखा जिससे दाँत साफ़ किए जाते हैं; दातौन 2. उक्त विधि से दाँत और मुँह साफ़ करने की क्रिया।
दातृत्व
(सं.) [सं-पु.] दाता का भाव; दानशीलता।
दात्यूह
(सं.) [सं-पु.] 1. चातक; पपीहा 2. जलकाक 3. मेघ; बादल।
दात्र
(सं.) [सं-पु.] घास, फल आदि काटने के लिए प्रयोग में लाई गई दराँती; हँसिया।
दात्री
(सं.) [सं-स्त्री.] हँसिया। [वि.] 1. देने वाली 2. दान करने वाली।
दाद1
[सं-स्त्री.] एक प्रकार का चर्म रोग और उससे होने वाले दाग।
दाद2
(फ़ा) [सं-स्त्री.] 1. शाबाशी; तारीफ़; प्रशंसा 2. न्याय; इंसाफ़। [मु.] -देना : (किसी काम की) न्यायोचित प्रशंसा करना।
दादनी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह रकम जिसे चुकाना हो; किसी को दी जाने वाली रकम; दातव्य; देनदारी 2. किसी कार्य के लिए पेशगी में दी जाने वाली रकम; अग्रिम; (एडवांस)
3. बनिए या महाजन द्वारा फ़सल के एवज़ में खेतिहर किसानों को दी जाने वाली वह पेशगी राशि जिससे किसान केवल उन्हें ही अनाज बेचने के लिए बाध्य होता है।
दादरा
[सं-पु.] एक प्रकार का गान; एक ताल।
दादा
[सं-पु.] 1. पिता के पिता अर्थात् पितामह के लिए प्रयुक्त आदरसूचक शब्द 2. अपने से बड़ा भाई 3. गुरुजन 4. दबंग; गुंडा।
दादागिरी
[सं-स्त्री.] दबंगई; गुंडागर्दी।
दादी
[सं-स्त्री.] दादा या पितामह की पत्नी; पिता की माता।
दादुर
(सं.) [सं-पु.] मेंढक; दर्दुर।
दादू
[सं-पु.] 1. दादा के लिए प्रयोग किया जाने वाला संबोधन 2. बड़े भाई को स्नेह से पुकारने का शब्द 3. एक प्रसिद्ध संत दादूदयाल जिनके नाम पर दादूपंथ चला है।
दादूपंथी
[सं-पु.] दादूदयाल नामक संत द्वारा चलाए हुए पंथ या संप्रदाय का अनुयायी।
दाधीच
(सं.) [सं-पु.] 1. राजस्थानी ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम 2. (पुराण) दधीचि के गोत्र का व्यक्ति; दधीचि का वंशज।
दान
(सं.) [सं-पु.] धर्म एवं श्रद्धा की दृष्टि से किसी को कुछ देना; ख़ैरात।
दानपत्र
(सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु या संपत्ति के दान-रूप में दिए जाने की सूचना देने वाला लेख या पत्र।
दान-पात्र
(सं.) [सं-पु.] 1. वह संदूक या पात्र जिसमें दान की राशि डाली जाती है; दानपेटी 2. वह व्यक्ति जिसे दान देना सार्थक हो; दान ग्रहण करने योग्य व्यक्ति।
दान-पुण्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दान आदि से प्राप्त होने वाला पुण्य; परोपकार 2. धार्मिक विश्वास से किया जाने वाला कर्मकांड।
दानव
(सं.) [सं-पु.] 1. राक्षस; असुर 2. (पुराण) दनु नामक पत्नी से उत्पन्न कश्यप के पुत्र।
दानवी
(सं.) [सं-स्त्री.] दानव जाति की स्त्री; राक्षसी। [वि.] 1. दानव संबंधी; दानव का 2. दानव जैसा।
दानवीर
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत बड़ा दानी 2. (काव्यशास्त्र) वीर रस का एक भेद।
दानशील
[वि.] जिसका स्वभाव दान देने वाला हो; सदा दान देते रहने वाला; महान दानी।
दानशीलता
(सं.) [सं-स्त्री.] दान देने का भाव रखना; बराबर दान देते रहने की प्रवृत्ति।
दाना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अनाज; अन्न; चारा 2. अनाज का कण; बीज 3. भोजन 4. चबेना; सूखा और भुना हुआ अनाज 5. कोई छोटी गोल वस्तु; माला का एक मोती 6. रोग आदि के कारण
शरीर पर होने वाले गोलाकार उभार; ददोरा; फुंसी; मुँहासे 7. पक्षियों का आहार। [मु.] -पानी उठना : दूसरी जगह जाने का संयोग होना। -पानी छोड़ना : अन्न-जल ग्रहण न करना। दाने-दाने को मोहताज होना या तरसना : दरिद्रता के कारण भोजन के लिए बहुत कष्ट उठाना।
दानाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बुद्धिमत्ता; अक्लमंदी।
दानादेश
(सं.) [सं-पु.] किसी को कुछ दान दिए जाने की आज्ञा; वह पत्र या आदेश जिसके अनुसार किसी को कुछ दिया या कोई बकाया राशि चुकता की जाती है; देयादेश; (पेमेंट
ऑर्डर)।
दाना-पानी
(फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] 1. अन्न और जल; खाद्य पदार्थ 2. जीवन-निर्वाह के लिए आवश्यक खाने-पीने की चीज़ें 3. {ला-अ.} जीविका; रोजी; गुज़र-बसर; भरण-पोषण का आयोजन;
आजीविका का आधार (कहीं बसने के संदर्भ में)।
दानिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] दान देने वाली स्त्री; दयालु स्त्री।
दानिश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बुद्धि; समझ; अक्ल; विवेक।
दानिशमंद
(फ़ा.) [वि.] बुद्धिमान; विद्वान; ज्ञानी।
दानी1
(सं.) [सं-पु.] नेपालियों की एक जाति या समुदाय। [वि.] दान करने वाला; दान देने वाला; दाता; उदार; दानवीर; गरीबनवाज़; दीनबंधु; (डोनर)।
दानी2
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] किसी वस्तु को रखने का छोटा पात्र या आधान, जैसे- सुरमेदानी; कलमदानी; चूहेदानी।
दानेदार
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें दाने हों; दानेयुक्त 2. मोटे कणों वाला।
दाब
[सं-पु.] 1. दबने या दबाने का भाव; दबाव, दबे होने की अवस्था, जैसे- वायुदाब, वाष्पदाब 2. शासन; नियंत्रण 3. अधिकार; प्रभुत्व; रौब 4. भार; वज़न; बोझ 5. ज़ोर;
बल।
दाबना
[क्रि-स.] 1. दबाना; चापना 2. गाड़ना।
दाबा
[सं-पु.] पौधों की शाखा को मिट्टी में गाड़ने की क्रिया; कलम लगाने के लिए वृक्ष की टहनी को मिट्टी में दबाना।
दाभ
(सं.) [सं-पु.] कुश की जाति का एक प्रकार का तृण या घास जिसकी पत्तियाँ नोंकदार होती हैं; डाभ।
दाम1
(सं.) [सं-पु.] शत्रु पर विजय पाने के चार कूटनीतिक उपायों (साम, दाम, दंड और भेद) में से एक।
दाम2
(फ़ा) [सं-पु.] 1. मूल्य; कीमत 2. रुपया; पैसा 3. बहुत पुराना एक छोटा सिक्का; पैसे का आठवाँ अंश। [मु.] -चुकाना : मूल्य दे देना। -भरना : किसी चीज़ के टूट-फूट जाने पर दंडस्वरूप उसका दाम देना। -खड़ा करना : उचित मूल्य या कीमत प्राप्त करना।
दामन
(फ़ा) [सं-पु.] 1. आँचल; पल्ला 2. पहाड़ के नीचे की ज़मीन 3. जहाज़ का पाल।
दामाद
(सं.) [सं-पु.] पुत्री का पति; जामाता; जँवाई; दमाद।
दामिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसमान में चमकने वाली बिजली; विद्युत; तड़ित 2. स्त्रियों का एक गहना।
दामी
[सं-स्त्री.] कर; मालगुजारी। [वि.] अधिक मूल्य का; कीमती; (एक्सपेंसिव)।
दामोदर
(सं.) [सं-पु.] 1. श्रीकृष्ण का एक नाम 2. एक जैन तीर्थंकर 3. बंगाल का एक प्रसिद्ध नद जो छोटा नागपुर के पहाड़ों से निकलकर भागीरथी में मिलता है। [वि.]
इंद्रियों को वश में रखने वाला।
दाय
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को दिया जाने वाला धन 2. दान 3. पैतृक संपत्ति में हिस्सा; बाँट 4. दहेज आदि के रूप में दिया जाने वाला धन।
दायक
(सं.) [वि.] 1. देने वाला; दाता; 2. (कार्य) जिसमें आर्थिक दृष्टि से लाभ होता या हो रहा हो।
दायभाग
(सं.) [सं-पु.] पैतृक धन संपत्ति का वह भाग जो उत्तराधिकारियों में बाँटा जाना होता है; उक्त सिद्धांत के आधार पर किसी उत्तराधिकारी को मिला धन।
दायर
(अ.) [वि.] 1. न्याय के लिए दर्ज किया गया; मुकदमा 2. जारी 3. चलने या फिरने वाला।
दायरा
(अ.) [सं-पु.] 1. अधिकार या कर्म का क्षेत्र 2. मंडल; गोल घेरा; वृत।
दायाँ
(सं.) [वि.] दाहिना; (राइट हैंड साइड)।
दायाद
(सं.) [सं-पु.] कुटुंब का ऐसा व्यक्ति जो संपत्ति के बँटवारे में हिस्सा पाने का अधिकारी हो। [वि.] जो दाय का अधिकारी हो; जिसे पैतृक संबंध के कारण किसी की
जायदाद में हिस्सा मिले।
दायित्व
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी बात या काम के लिए उत्तरदायी होने का भाव या क्रिया; ज़िम्मेदारी; कार्यभार 2. देनदार होने का भाव।
दायी
(सं.) [वि.] 1. देने वाला; दायक 2. जिसपर किसी प्रकार का दायित्व या भार हो; जवाबदेही।
दारण
(सं.) [सं-पु.] 1. चीरने-फाड़ने की क्रिया; चीर-फाड़; विदारण 2. वह अस्त्र आदि जिससे कुछ चीरा जाए 3. शल्य-चिकित्सा 4. ऐसी चीज़ या दवा जिसके लगाने से फोड़ा फट या
फूट जाए।
दार-परिग्रह
(सं.) [सं-पु.] विवाह करके किसी को अपनी पत्नी बनाना; पाणि-ग्रहण।
दारिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह युवती या स्त्री जो अविवाहित हो; कुँवारी लड़की; कुमारी; बालिका 2. पुत्री; बेटी।
दारिद्रय
(सं.) [सं-पु.] दरिद्रता; गरीबी; कंगाली।
दारुण
(सं.) [सं-पु.] 1. गरीब; विपन्न 2. करुण। [वि.] 1. भयंकर; घोर; प्रचंड 2. कड़ा; कठिन 3. निर्दय 4. कँपा देने वाला 5. जो बहुत बढ़ गया हो (रोग आदि)।
दारू
(फ़ा.) [सं-पु.] शराब; मद्य; मादक पेय पदार्थ।
दारोगा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. थाना अधिकारी; थानेदार 2. ऐसा आदमी जिसकी नियुक्ति किसी काम की ऊपरी देख-भाल के लिए हुई हो।
दारोमदार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. उत्तरदायित्व; ज़िम्मेदारी; ठीकरा; कार्यभार 2. निर्भरता; सहारा; आश्रय।
दार्शनिक
(सं.) [सं-पु.] 1. दर्शनशास्त्र का ज्ञाता 2. तत्ववेत्ता; मीमांसक। [वि.] दर्शनशास्त्र संबंधी।
दाल
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दली हुई अरहर या मूँग आदि जो सालन की तरह पकाकर खाते हैं; हल्दी, मसाला आदि के साथ पानी में उबाला हुआ कोई उक्त दला हुआ अन्न 2. दाल के
आकार की कोई गोल; चिपकी चीज़ 3. चेचक, फुंसी, फोड़े आदि के अच्छे हो जाने पर ऊपर की चमड़ी सूखकर गिरी हुई खुरंड। [मु.] -न गलना : प्रयोजन सिद्ध न
होना। -में कुछ काला होना : कार्य या बात में संदेह होना।
दालचीनी
[सं-स्त्री.] भोजन में प्रयुक्त होने वाला मसाला; दारचीनी।
दाल-दलिया
[सं-पु.] 1. सादा आहार 2. रूखा-सूखा भोजन।
दालमोठ
[सं-स्त्री.] घी या तेल में तली हुई दाल जिसमें नमक, मिर्च आदि मिलाते हैं; दाल से बनी हुई एक चटपटी नमकीन।
दालान
(फ़ा.) [सं-पु.] बैठक; बरामदा; मकान के बाहर लोगों के बैठने की छतदार खुली जगह; ओसारा।
दाव
(सं.) [सं-पु.] 1. वन; जंगल 2. दाह; क्लेश; पीड़ा 3. जंगल में लगने वाली आग।
दावत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रीतिभोज; भोज 2. बुलावा; भोजन के लिए आमंत्रण।
दावना
(सं.) [क्रि-स.] 1. दमन करना 2. नष्ट करना; मिटाना 3. आग लगाना 4. प्रकाशमान करना; चमकाना।
दावनी
(सं.) [सं-स्त्री.] माथे पर पहनने का एक प्रकार का गहना।
दावा
(अ.) [सं-पु.] 1. आधिकारिक कथन; (चैलेंज) 2. न्यायालय आदि में स्वत्व; अधिकार अथवा हक के लिए किया गया प्रतिवेदन; (क्लेम) 3. अभिमान या आत्मविश्वास से कही गई
बात।
दावागीर
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. दावा करने वाला; दावेदार; हक जताने वाला; अधिकार माँगने वाला 2. वादी; मुद्दई।
दावाग्नि
(सं.) [सं-स्त्री.] वन या जंगल में स्वतः लगने वाली आग; दावानल।
दावानल
(सं.) [सं-पु.] दावाग्नि; वन में स्वतः लगी हुई आग; जंगल की आग।
दावेदार
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] दावा करने वाला; हक जताने वाला।
दावेदारी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] दावा या हक जताने की अवस्था या भाव।
दाशमिक
(सं.) [वि.] 1. दशम संबंधी; दशम का 2. जिसका संबंध प्रत्येक दस या उसके घात अर्थात गुणनफल से हो; दशमलव के अनुसार दस या उसके गुणनफल से संबंध रखने वाला।
दाशरथि
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) राजा दशरथ के पुत्र राम, लक्ष्मण आदि। [वि.] 1. दशरथ के कुल का 2. दशरथ से संबंधित।
दाशेर
(सं.) [सं-पु.] 1. धीवर नामक समाज की संतति 2. धीवर स्त्री की संतान; दाशेय।
दाश्त
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. भरण-पोषण; देखरेख; रखवाली; परवरिश 2. कुम्हार का आवाँ (भट्टी)। [वि.] अपने पास का।
दाश्ता
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] पत्नी बना कर रखी हुई स्त्री; रखैल।
दास
(सं.) [सं-पु.] 1. पैसा देकर अपनी सेवा के लिए ख़रीदा गया व्यक्ति; गुलाम 2. नौकर; भृत्य; सेवक 3. दूसरे के वश में रहने वाला व्यक्ति।
दासता
(सं.) [सं-स्त्री.] गुलामी; परतंत्रता; बंधन; दासत्व का भाव; (स्लेवरी)।
दासत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. दास होने का भाव; दासता; दासवृत्ति 2. गुलामी; नौकरी 3. परतंत्रता।
दासप्रथा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी व्यक्ति को दास बनाकर रखने की प्रथा।
दासभाव
(सं.) [सं-पु.] 1. दासता; परावलंबन 2. नौकरी 3. स्वामिभक्ति।
दासा
(सं.) [सं-पु.] 1. दीवार से सटाकर ऊपर की तरफ़ बना हुआ ऊँचा पुश्ता या चबूतरा जिसपर वस्तुएँ रखी जाती हैं 2. वह पत्थर या मोटी लकड़ी जो दरवाज़े के चौखटे के ठीक ऊपर
रहती है और जिससे दीवार का बोझ चौखट पर नहीं पड़ता 3. पत्थरों की वह पंक्ति जो दीवार के नीचे वाले भाग में लंबाई के बल बैठाई जाती है।
दासानुदास
(सं.) [सं-पु.] 1. दासों का भी दास; सेवकों का सेवक 2. {ला-अ.} अत्यधिक विनम्र सेवक।
दासिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सेवा-टहल या चाकरी करने वाली स्त्री; दासी 2. सेविका; नौकरानी।
दासी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सेविका; नौकरानी 2. वह स्त्री जिसे दास बनाया गया हो; लौंडी।
दासेय
(सं.) [वि.] किसी दास का वंशज; दासीपुत्र।
दास्ताँ
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. दास्तान।
दास्तान
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कथा; अफ़साना; कहानी; वृत्तांत 2. बीती बातें 3. विस्तार में वर्णन या विवरण।
दास्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दासता; सेवा 2. भक्ति के नौ भेदों में से एक जिसमें भक्त या उपासक स्वयं को ईश्वर का दास समझता है। [वि.] दास संबंधी।
दाह
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर में जलन का रोग 2. ताप; जलन 3. जलाना 4. ईर्ष्या; डाह 5. {ला-अ.} संताप; दुख; शोक।
दाहक
(सं.) [सं-पु.] अग्नि; आग। [वि.] 1. जलाने वाला; जो दाहकर्म करने वाला हो 2. दग्धक; जलन पैदा करने वाला 3. तप्त करने वाला 4. भस्मक; विदाहक।
दाहन
(सं.) [सं-पु.] जलाने की क्रिया; दहन; जलवाने का काम।
दाहना1
[वि.] दाहिना; दायाँ।
दाहना2
(सं.) [क्रि-स.] 1. जलाना; भस्म करना 2. नष्ट करना 3. {ला-अ.} बहुत कष्ट या दुख देना; संतप्त करना।
दाह-संस्कार
(सं.) [सं-पु.] 1. हिंदू समाज के सोलह संस्कारों में अंतिम जिसमें शव को चिता या विद्युत शवदाहगृह में जलाया जाता है 2. मृतक को जलाने की क्रिया; शवदाह।
दाहिना
(सं.) [वि.] 1. दाएँ हाथ की तरफ़ का; दाहिनी ओर का; दायाँ; 'बायाँ' का विलोम 2. पूर्व दिशा की ओर मुँह करके खड़े होने पर दक्षिण दिशा की ओर पड़ने वाला शरीर का
भाग; दक्षिण पार्श्वीय। [मु.] -हाथ होना : बहुत बड़ा सहायक होना।
दिअली
[सं-स्त्री.] 1. मिट्टी का बना हुआ बहुत छोटा दीया या दीपक जिसमें प्रायः बत्ती जलाई जाती है 2. धातुओं आदि की बनी हुई वह छोटी कटोरी जो झालर आदि बनाने के लिए
कपड़ों में टाँकी जाती है।
दिउला
[सं-पु.] 1. मछली का शल्क 2. घाव का खुरंड 3. बड़ी दिअली।
दिक1
(सं.) [सं-स्त्री.] दिशा।
दिक2
(अ.) [सं-पु.] क्षय रोग; तपेदिक। [वि.] 1. जिसे कष्ट पहुँचा हो; परेशान; हैरान 2. पीड़ित; तंग आया हुआ 3. अस्वस्थ; बीमार।
दिकपाल
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) दिशा का स्वामी; दस दिशाओं का पालन करने वाले देवता, जैसे- पूर्व दिशा के इंद्र, अग्निकोण के अग्नि, दक्षिण के यम, नैऋत्य कोण के
नैर्ऋत, पश्चिम के वरुण, वायु कोण के मरुत, उत्तर के कुबेर, ईशान कोण के ईश, उर्ध्व दिशा के ब्रह्मा तथा अधो दिशा के अनंत 2. चौबीस मात्राओं का एक छंद जिसमें
बारह मात्राओं पर विराम होता है।
दिक्कत
(अ.) [सं-स्त्री.] कठिनाई; मुश्किल; परेशानी; तंगी; कष्ट; तकलीफ़; असुविधा।
दिक़्क़त
(अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. दिक्कत)।
दिक्सूचक
(सं.) [वि.] दिशा संबंधी सूचना देने वाला।
दिखना
[क्रि-अ.] 1. दिखाई देना; नज़र आना 2. सामने आना; प्रकट होना।
दिखलवाना
[क्रि-स.] दिखलाने का काम कराना; दिखलाने में प्रवृत्त करना।
दिखलाई
[सं-स्त्री.] 1. दिखलाने की क्रिया या भाव 2. वह धन जो देखने दिखाने के बदले में दिया जाए।
दिखलाना
[क्रि-स.] 1. दिखाने का काम 2. प्रदर्शित या प्रकट करना; जतलाना।
दिखाई
[सं-स्त्री.] 1. दिखने की अवस्था या भाव 2. देखने के बदले में दिया जाने वाला धन।
दिखाऊ
[वि.] 1. पाखंड से भरा; आडंबरपूर्ण; जो केवल देखने का हो; दिखावटी; जो काम का न हो; अनुपयोगी 2. प्रदर्शन करने योग्य; जो दिखाई जाए।
दिखाना
[क्रि-स.] दूसरों को देखने में प्रवृत्त करना; प्रस्तुत करना; प्रकाश डालना; प्रदर्शित करना; खोलना; दर्शाना; प्रकट करना; सामने लाना; ज़ाहिर करना; उजागर करना;
उद्घाटित करना।
दिखाव
[सं-पु.] 1. देखने की क्रिया 2. ऊपर से दिखाई देने वाला रूप।
दिखावट
[सं-स्त्री.] 1. कुछ दिखाने की क्रिया या भाव; (डिस्प्ले) 2. बाहर से दिखाई देने वाला रंग-रूप; बाह्य आकार-प्रकार 3. इठलाहट; पाखंड; ऊपरी तड़क-भड़क; दिखावा;
ठाठ-बाट; बाह्य आडंबर; दिखाने भर का व्यवहार; बनावट।
दिखावटी
[वि.] भड़कीला; अतिशयोक्तिपूर्ण; असत्य; सारहीन; नकली; जो रंग-रूप आदि के विचार से केवल दिखाने भर के लिए हो; तड़क-भड़क वाला; बनावटी; आडंबरपूर्ण सजावटी; पाखंड
से युक्त; औपचारिक।
दिखावा
[सं-पु.] 1. आडंबर; पाखंड; ढोंग; प्रपंच; बढ़ा-चढ़ा कर कहना; ऊपरी ठाठ-बाट; टीम-टाम; तड़क-भड़क; मुलम्मा; दिखावटीपन 2. केवल दिखाने के लिए ऊपरी मन से किया गया काम
3. विवाह में वधू द्वारा लाई गई वस्तुएँ देखने की रस्म।
दिखौआ
[वि.] दिखावटी; बनावटी; जो देखने भर को हो; जिसमें यथार्थ या सत्य का अभाव हो; सारहीन।
दिग
(सं.) [सं-स्त्री.] दिशा।
दिगंत
(सं.) [सं-पु.] 1. सब दिशाएँ 2. दिशा का अंत; छोर; क्षितिज।
दिगंतर
(सं.) [सं-पु.] दो दिशाओं के बीच का कोना; कोण।
दिगंबर
(सं.) [सं-पु.] 1. (जैन धर्म) एक संप्रदाय 2. शिव; महादेव 3. अंधकार। [वि.] जिसके लिए दिशाएँ ही वस्त्र हों; नंगा; नग्न।
दिगंश
(सं.) [सं-पु.] (खगोल) क्षितिज वृत्त का तीन सौ साठवाँ अंश या भाग।
दिग्कन्या
(सं.) [सं-स्त्री.] दिशा-रूपी कन्या; प्रत्येक दिशा जो ब्रह्मा की कन्या के रूप में मानी गई है।
दिग्गज
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) आठ हाथी जो चारों दिशाओं और चारों कोषों में पृथ्वी को दबाते हुए उसकी रक्षा करते हैं; महागज 2. {ला-अ.} किसी भी क्षेत्र के प्रसिद्ध
और शक्तिशाली व्यक्ति; वह जिसका प्रभुत्व हो। [वि.] 1. बहुत विशाल 2. भारी।
दिग्दर्शक
(सं.) [वि.] दिग्दर्शन कराने वाला; दिशाओं का ज्ञान कराने वाला; कुतुबनुमा नामक यंत्र।
दिग्दर्शन
(सं.) [सं-पु.] 1. दिशा का ज्ञान या बोध कराना 2. वह जो किसी वस्तु की जानकारी के लिए उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाए; नमूना 3. मार्गदर्शन; परामर्श; सलाह।
दिग्दाह
(सं.) [सं-पु.] क्षितिज में होने वाली प्राकृतिक विलक्षण घटनाएँ जिनमें कोई दिशा ऐसी लाल दिखाई देती है कि मानों आग-सी लगी हो। यह अशुभ मानी जाती है।
दिग्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. ज़हर में बुझा या बुझाया गया तीर या बाण 2. तेल 3. आग। [वि.] 1. विषाक्त; ज़हरीला 2. विष में बुझाया हुआ 3. गंदा किया हुआ 4. विस्तृत; दीर्घ;
बड़ा; लंबा।
दिग्भ्रम
(सं.) [सं-पु.] दिशाओं के संबंध में होने वाला भ्रम; दिशा भूल जाना।
दिग्भ्रमित
(सं.) [वि.] भटका हुआ; पथ भ्रमित।
दिग्भ्रांत
(सं.) [वि.] {ला-अ.} जिसे कोई रास्ता न सूझता हो; भ्रमित।
दिग्मंडल
(सं.) [सं-पु.] दिशाओं का समूह; समस्त दिशाएँ।
दिग्वधू
(सं.) [सं-स्त्री.] दिशा का वह रूप जिसमें उसे वधू या सुहागिन स्त्री मानते हैं; दिशा रूपी वधू।
दिग्विजय
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संपूर्ण दिशाओं या विश्व पर प्राप्त विजय 2. {ला-अ.} अपने गुणों के द्वारा समाज में अपना महत्व स्थापित करना।
दिग्विजयी
(सं.) [वि.] 1. सभी दिशाओं को जीतने वाला; दिग्विजय करने वाला; विश्वविजेता 2. बहुत बड़े क्षेत्र पर आधिपत्य करने वाला 3. सम्राट।
दिग्शूल
(सं.) [सं-पु.] (ज्योतिष) वह घड़ी, पहर या दिन जिसमें किसी कार्य के लिए विशिष्ट दिशा की ओर जाना अनिष्टकर या अशुभकारी माना जाता है।
दिठियार
[वि.] 1. जिसे दिखाई देता हो; दृष्टिवाला 2. बुद्धिमान; समझदार।
दिठौना
[सं-पु.] वह काली बिंदी या टीका जो बच्चों को नज़र लगने से बचाने के लिए माथे, गाल आदि पर लगाया जाता है।
दित
(सं.) [वि.] खंडित; विभक्त; कटा हुआ।
दिति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री जो राक्षसों की माता थी; दैत्यमाता 2. किसी चीज़ के टुकड़े करने या तोड़ने-फोड़ने की क्रिया; खंडन।
[सं-पु.] राजा। [वि.] देने वाला; दाता।
दित्य
(सं.) [सं-पु.] दैत्य; राक्षस; असुर। [वि.] काटने या छेदने के योग्य; जो काटा जा सके।
दित्सा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दान करने या देने की इच्छा 2. वह व्यवस्था जिसके अनुसार कोई व्यक्ति अपने मरने के उपरांत अपनी संपत्ति का बँटवारा अमुक-अमुक लोगों में
चाहता है; वसीयत।
दित्साक्रोड़
(सं.) [सं-पु.] वसीयतनामें के अंत में लिखा हुआ परिशिष्ट रूप में कोई संक्षिप्त लेख या टिप्पणी, जो किसी प्रकार की व्यवस्था या स्पष्टीकरण के लिए होती है।
दित्सापत्र
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र जिसमें कोई व्यक्ति यह लिखे कि उसके मरने के बाद उसकी संपत्ति का अधिकारी कौन बनेगा; वसीयतनामा।
दित्सु
(सं.) [वि.] 1. जो दान देने या करने का इच्छुक हो 2. वसीयत करने वाला; जिसने अपनी संपत्ति के संबंध में दित्सा-पत्र लिखा हो।
दिधि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धारण करने की क्रिया या भाव 2. धैर्य; धीरज 3. दृढ़ता; स्थिरता।
दिन
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्योदय से सूर्यास्त तक का समय 2. सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक का समय 3. तिथि; तारीख़ 4. नियत समय; काल-विशेष 5. काल; समय। [मु.] -में तारे दिखाई देना : अत्यधिक कष्ट या दुख के कारण बुद्धि ठिकाने न रहना। -को दिन रात को रात न समझना : कोई काम करते समय
अपने आराम का ध्यान छोड़ देना। -दूना रात चौगुना बढ़ना : बराबर बढ़ते रहना, बहुत उन्नति करना। -काटना या पूरे करना : किसी तरह
कष्ट से समय बिताना। -बिगड़ना : संकट के दिन आना। -चढ़ना : गर्भ का आरंभ होना। -फिरना : दुख के बाद सुख के दिन
आना।
दिनकर
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य; सूरज 2. आक नामक पौधा।
दिनचर्या
(सं.) [सं-स्त्री.] दैनिक कार्यकलाप; दिनभर का काम; (रूटीन)।
दिनदहाड़े
[क्रि.वि.] 1. दिन या दोपहर में; दिन के समय जब ख़ूब धूप या उजाला हो 2. खुले आम; सबके सामने।
दिनपत्र
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र या पत्र-समूह जिसमें अलग-अलग दिन या वार, तिथियाँ, तारीखें आदि क्रम से दी रहती हैं; तिथि-पत्र; (कैलेंडर)।
दिनमणि
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. मदार या आक का पौधा।
दिनमान
[सं-पु.] (ज्योतिष) गणना के अनुसार सूर्योदय से सूर्योदय तक का समय अर्थात पूरे दिन का मान, जो घड़ियों और पलों अथवा घंटों और मिनटों में निश्चित होता है।
दिन-रात
(सं.) [अव्य.] 1. निरंतर; लगातार; हमेशा; हर समय; सर्वदा; सदैव; अहोरात्र 2. चौबीस घंटे तक की स्थिति 3. {ला-अ.} उत्थान-पतन; उतार-चढ़ाव।
दिनांक
(सं.) [सं-पु.] कैलेंडर के अनुसार माह का कोई दिवस, तिथि, तारीख़; (डेट)।
दिनांत
(सं.) [सं-पु.] संध्या; सायंकाल; शाम; सूर्यास्त।
दिनांतक
(सं.) [सं-पु.] अंधकार; अँधेरा।
दिनांध
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसे दिन में दिखाई न देता हो 2. उल्लू पक्षी 3. चमगादड़। [वि.] जिसे दिन में दिखाई न देता हो; दिवांध।
दिनातीत
[वि.] जिसका प्रचलन न हो; अप्रचलित; आज-कल की रुचि या प्रचलन के विचार से पिछड़ा हुआ; जिसकी उपयोगिता न रह गई हो; (आउट ऑव डेट)।
दिनादि
(सं.) [सं-पु.] दिन का आरंभ; दिनागम; भोर का समय; प्रातःकाल; सवेरा।
दिनाधीश
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. मदार या आक नामक पौधा।
दिनानुदिन
(सं.) [क्रि.वि.] दिन-प्रतिदिन; दिन-पर-दिन; नित्यप्रति; प्रतिदिन; रोज़ाना; नियमित।
दिनेश
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य; सूरज 2. आक नामक पौधा।
दिनोंदिन
[क्रि.वि.] दिन-प्रतिदिन; एक-एक दिन पर; एक-एक दिन करते हुए।
दिनौंधी
[सं-स्त्री.] एक ऐसा रोग जिसमें रोगी को दिन में कम दिखाई देता है; दिवांधता।
दिपाना
[क्रि-स.] चमकाना; दीप्त करना।
दिमाग
(अ.) [सं-पु.] 1. मस्तिष्क; भेजा 2. अंतर्बोध; मानसिक शक्ति; सोचने-समझने की शक्ति 3. बुद्धि; अक्ल 4. अभिमान; गर्व; अहंकार। [मु.] -खाना या चाटना : बेकार की बातें करके तंग करना। -खाली होना : मानसिक शक्ति क्षीण होना। -लड़ाना : अच्छी तरह
सोचना; समझना।
दिमागचट
(अ.+हिं.) [वि.] 1. फालतू की बात करके लोगों का दिमाग चाटने वाला 2. बकवाद करने वाला; बकवादी।
दिमागदार
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. बुद्धिमान; समझदार 2. जिसका दिमाग तेज़ चलता हो; चतुर 3. अभिमानी; मगरूर; घमंडी।
दिमागी
(अ.) [वि.] 1. मस्तिष्क या दिमाग से संबंध रखने वाला; दिमाग संबंधी 2. बुद्धिमान; जो बहुत समझदार हो 3. अभिमानी; घमंडी।
दियरा
[सं-पु.] 1. डंडे के एक छोर पर कपड़ा बाँधकर और उसे जलाकर बनाया गया वह बड़ा-सा लुक (जलती मशाल) जिससे शिकारी हिरन आदि को आकर्षित करते हैं 2. दीया; दीपक।
दियासलाई
[सं-स्त्री.] दे. दीयासलाई।
दिल
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. शरीर का एक अंग जो शरीर में रक्त के संचरण का नियंत्रण करता है; हृदय; कलेजा 2. चित्त; मन; जी 3. इच्छा; मर्ज़ी 4. {ला-अ.} हिम्मत; साहस 5.
{ला-अ.} दानशीलता। [मु.] -कड़ा करना : हिम्मत करना। -के फफोले फोड़ना : भली-बुरी बातें कहकर अपना दुख कम करना।-जमना : किसी काम में जी लगना; संतोष होना। -ठिकाने होना : मन में शांति; संतोष अथवा धैर्य होना; चित्त स्थिर होना। -देना : किसी से प्रेम करना। -बुझना : उत्साह या उमंग न रह जाना। -में फ़र्क आना : पहले जैसा न रह जाना;
मनमुटाव होना। -से दूर करना : भुला देना।
दिलकश
(फ़ा.) [वि.] 1. दिल, मन या चित्त को लुभाने वाला; चित्ताकर्षक 2. आकर्षक; मनोहर।
दिलकुशा
(फ़ा.) [वि.] दिल को प्रसन्न या ख़ुश करने वाला; रमणीय।
दिलगीर
(फ़ा.) [वि.] शोकग्रस्त; दुखी; उदास; खिन्न; भग्नहृदय; रंजीदा।
दिलचला
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. मनचला; मनमौजी 2. रसिक।
दिलचस्प
(फ़ा.) [वि.] 1. रुचिकर; रोचक 2. जो दिल या मन को अच्छा लगे; मनोरंजक।
दिलचस्पी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. रुचि; पसंद 2. शौक; चाव।
दिलजमई
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी काम की ओर से मन में होने वाली तसल्ली; संतोष 2. इत्मीनान।
दिलजला
(फ़ा.+हिं.) [वि.] जिसे अत्यधिक मानसिक कष्ट पहुँचा हो; अत्यंत दुखी।
दिलजोई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दिलासा; तसल्ली; ढ़ाढ़स 2. किसी का मन रखने के लिए उसे प्रसन्न करने वाली बातें करना।
दिलदार
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसे दिल दिया गया हो; जो प्रेम का पात्र हो; जिससे प्रेम किया जा रहा हो 2. प्रेमी; प्रिय; प्रेयसी; माशूक 3. उदार; दाता 4. अच्छे स्वभाव वाला;
स्नेहिल।
दिलदारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दिलदार या प्रेममय होना; रसिकता 2. सांत्वना; दिलासा; तस्कीन 3. उदारता।
दिलनवाज़
(फ़ा.) [वि.] 1. दिल को तसल्ली देने वाला; दिलासा देने वाला; ढाढ़स बँधाने वाला 2. प्रेमपात्र; प्रेमी; महबूब।
दिलफ़रेब
(फ़ा.) [वि.] 1. सुंदर (नायिका) 2. प्रेमपात्र; प्रेमी।
दिलफ़रोश
(फ़ा.) [वि.] 1. दिल बेचने वाला 2. आशिक; प्रेमी।
दिलफेंक
(फ़ा.) [वि.] 1. किसी के भी रूप-सौंदर्य पर मोहित होकर उसके आगे-पीछे फिरने वाला 2. रूपलोभी 3. आशिकमिज़ाज 4. मनचला।
दिलबर
(फ़ा.) [सं-पु.] प्रेम-पात्र। [वि.] प्रिय; प्यारा; माशूक।
दिलबहलाव
(फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] दिल बहलाने की क्रिया या भाव; मन बहलाने का काम या साधन।
दिलरुबा
(फ़ा.) [सं-पु.] एक अरबी वाद्ययंत्र। [वि.] 1. मन को लुभाने वाला; प्यारा; प्रिय 2. प्रेमिका; प्रेयसी; महबूबा।
दिलवाना
[क्रि-स.] 1. देने का काम कराना 2. प्राप्त कराना 3. वसूल करवाना।
दिलशाद
(फ़ा.) [वि.] जिसका दिल प्रसन्न रहता हो; प्रसन्नचित्त; हर्षित-हृदय; ख़ुश।
दिलसाज़
(फ़ा.) [वि.] आनंदित; ख़ुश; प्रफुल्लित; हर्षित।
दिलाना
[क्रि-स.] 1. देने का काम कराना; दिलवाना 2. अर्जित कराना; प्राप्त कराना 3. वसूल करवाना।
दिलावर
(फ़ा.) [वि.] 1. वीर; साहसी; हिम्मती; शूर; बहादुर; दिलेर; हौसले वाला 2. प्रेमी 3. उत्साही।
दिलासा
(फ़ा.) [सं-पु.] सांत्वना; तसल्ली; ढाढ़स।
दिली
(फ़ा.) [वि.] 1. हार्दिक; मानसिक 2. सत्कारपरक; अंतरंग 3. दिल या हृदय से संबंधित 4. बहुत घनिष्ठ; गहरा।
दिलीप
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) इक्ष्वाकु वंश के एक राजा जो राम के पूर्वज थे।
दिलेबेरहम
(फ़ा.) [वि.] बेरहम दिल वाला; क्रूर।
दिलेर
(फ़ा.) [वि.] 1. बड़े दिल वाला; दिलावर 2. बहादुर; वीर; साहसी।
दिलेरपन
[सं-पु.] 1. दिलेर होने की अवस्था या भाव 2. हिम्मत; साहस 3. बहादुरी; वीरता।
दिलेरी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बहादुरी 2. हिम्मत।
दिलोजान
(फ़ा.) [सं-पु.] जी-जान; प्राण-मन, जैसे- किसी को दिलोजान से चाहना।
दिलोदिमाग
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मनुष्य का हृदय और मस्तिष्क 2. {ला-अ.} भावना और विवेक।
दिल्लगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मज़ाक; हास-परिहास; ठट्टा 2. मनोविनोद। [मु.] -करना : उपहास करना; किसी को तुच्छ ठहराने के लिए हँसी की बातें कहना।
दिल्लगीबाज़
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] हँसी-दिल्लगी करने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. दूसरों को हँसाने वाला; चुटकुलेबाज़; परिहास करने वाला 2. हँसोड़; मसख़रा; ठठोल 3. विनोदप्रिय।
दिल्ला
[सं-पु.] दरवाज़े के पल्ले के ढाँचे में कसा तथा जड़ा हुआ लकड़ी का एक चौकोर टुकड़ा जो दरवाज़े में शोभा बढ़ाने के लिए लगाया जाता है; दिलहा।
दिवंगत
(सं.) [वि.] जो मर चुका हो; मृत; स्वर्गगत; स्वर्गवासी।
दिवस
(सं.) [सं-पु.] 1. दिन; वार; रोज़ 2. कार्यदिवस 3. जयंती।
दिवसीय
(सं.) [वि.] दिन का; दिन संबंधी।
दिवा
(सं.) [सं-पु.] 1. दिन; दिवस; वार 2. दीपक; चिराग।
दिवांध
(सं.) [सं-पु.] उल्लू। [वि.] जिसे दिन में दिखता न हो।
दिवाकर
(सं.) [सं-पु.] सूर्य; दिनकर; भानु; सूरज।
दिवाभिसारिका
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) वह नायिका जो दिन के समय शृंगार करके प्रिय से मिलने संकेत-स्थान पर जाए।
दिवाल
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. दीवार।
दिवाला
[सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति या प्रतिष्ठान द्वारा आर्थिक बदहाली में ऋण न चुका पाना; ऋणग्रस्तता 2. व्यापारी या पूँजीपति द्वारा ख़ुद को कंगाल घोषित करने की स्थिति
3. दरिद्र हो जाना; अंकिचनता; अभावग्रस्त होना; कंगाली; कड़की। [मु.] -निकलना : ऋण चुकाने में असमर्थता प्रकट करना।
दिवालिया
[वि.] 1. जिसका दिवाला निकल गया हो 2. कंगाल; बहुत ही गरीब 3. ऋण चुकाने में असमर्थ।
दिवालियापन
[सं-पु.] 1. कंगाली 2. गरीबी।
दिवास्वप्न
(सं.) [सं-पु.] निराशा या अकर्मण्यता की स्थिति में बैठे-बैठे ख़्वाब देखना; तरह-तरह की असंभव कल्पनाएँ करना; हवाई किले बनाना।
दिव्य
(सं.) [वि.] 1. अलौकिक; लोकातीत 2. चमकीला; दीप्तियुक्त 3. अतिसुंदर; भव्य 4. स्वर्ग या आकाश संबंधी।
दिव्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दिव्य होने का भाव 2. अलौकिकता।
दिव्यत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. श्रेष्ठ होने की अवस्था या गुण 2. अलौकिकता।
दिव्यदृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह अलौकिक दृष्टि जिससे सभी गुप्त या अदृश्य वस्तुएँ दिखाई दें 2. ज्ञानदृष्टि 3. ऐसी दृष्टि जिससे भूत, भविष्य और वर्तमान का सब कुछ देखा
जा सके।
दिव्य-पुरुष
(सं.) [सं-पु.] अलौकिक या पारलौकिक व्यक्ति, जैसे- देवी, देवता, गंधर्व, यक्ष आदि।
दिव्यलोक
(सं.) [सं-पु.] स्वर्ग; ज़न्नत।
दिव्यशक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] अलौकिक शक्ति; चमत्कारिक शक्ति।
दिव्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. परम सुंदरी; रूपवती स्त्री; सुंदरी नायिका 2. हरीतकी; हरड़ 3. शतावर; आँवला 4. सफ़ेद दूब 5. ब्राह्मी 6. पारिजात वृक्ष।
दिव्यांगना
[सं-स्त्री.] 1. अप्सरा 2. किसी देवता की स्त्री; देव-स्त्री।
दिव्यांशु
(सं.) [सं-पु.] सूर्य।
दिव्यासन
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का योगासन; योग की मुद्रा।
दिव्यास्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) कथाओं में वर्णित देवताओं के अस्त्र; देवायुध, जैसे- इंद्रवज्र, नागपाश, ब्रह्मास्त्र तथा सुदर्शन आदि 2. विशिष्ट रीति से चलने वाला
हथियार।
दिश
[सं-स्त्री.] दिशा; दिक।
दिशा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्षितिज मंडल के चारों भागों पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में से प्रत्येक भाग का विस्तार 2. क्षितिज-मंडल में माने गए चारों दिशाओं के
चार कोण तथा सिर के ऊपर और पैर के नीचे की दिशा मिलकर दस क्षेत्र।
दिशानिर्देश
(सं.) [सं-पु.] किसी कार्य या कार्यवाही हेतु दिया गया निर्देश।
दिशा-निर्धारण
(सं.) [सं-पु.] {ला-अ.} कार्य करने की पद्धति निर्धारित करना।
दिशाबोधक
(सं.) [वि.] दिशा का बोध कराने वाला।
दिशाभ्रम
(सं.) [सं-पु.] दिशा का ज्ञान न होना; दिशा भूल जाना; दिग्भ्रम।
दिशाविहीन
(सं.) [वि.] जिसके कार्य या सोच की कोई दिशा न हो; दिशाहीन।
दिशा-शूल
[सं-पु.] (ज्योतिष) वह घड़ी, पहर जिसमें किसी जगह जाना अशुभ माना जाता है।
दिशासूचक
(सं.) [वि.] दिशा का संकेत करने वाला।
दिसंबर
(इं.) [सं-पु.] ईसवी कैलेंडर का अंतिम महीना; (डिसेंबर)।
दिसावर
(सं.) [सं-पु.] 1. दूसरा देश; परदेश; विदेश 2. व्यापारियों की बोलचाल में वह स्थान या देश जहाँ कोई माल या सामान भेजा जाता हो या जहाँ से आता हो।
दिहंदा
(फ़ा.) [वि.] देने वाला।
दिहला
[सं-स्त्री.] दहलीज।
दिहाड़ी
[सं-स्त्री.] 1. मज़दूरों आदि को दिया जाने वाला दैनिक पारिश्रमिक या मज़दूरी; एक दिन का काम करने की मज़दूरी 2. उतना पूरा समय जिसमें मज़दूर दिन भर की मज़दूरी लेकर
काम करता है।
दीक्षक
(सं.) [सं-पु.] 1. गुरु; शिक्षक 2. दीक्षा देने वाला व्यक्ति; मंत्र का उपदेश देने वाला व्यक्ति।
दीक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. दीक्षा देने की क्रिया 2. प्रशिक्षण; उपनयन।
दीक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपदेश; सीख 2. गुरु से मंत्र लेने की क्रिया 3. यज्ञों का अनुष्ठान; कोई धार्मिक कृत्य।
दीक्षांत
(सं.) [सं-पु.] अध्ययन काल की समाप्ति; उच्च शिक्षा के अध्ययन का संपन्न होना।
दीक्षांत भाषण
(सं.) [सं-पु.] किसी विद्वान का वह भाषण जो किसी विश्वविद्यालय के उत्तीर्ण छात्रों के सामने उन्हें उपाधि या प्रमाणपत्र आदि देने के समय होता है; (कॉन्वोकेशन
ऐड्रेस)।
दीक्षागुरु
(सं.) [सं-पु.] मंत्र देने वाला गुरु।
दीक्षार्थी
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो दीक्षा लेना चाहता है 2. शिष्य; चेला।
दीक्षित
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्राह्मणों की एक शाखा या भेद 2. धार्मिक शिष्य। [वि.] 1. जिसे दीक्षा दी गई हो; जो दीक्षा-ग्रहण कर चुका हो 2. शिक्षित; प्रशिक्षित 3. जिसने
गुरु से मंत्र लिया हो।
दीक्ष्य
(सं.) [वि.] दीक्षा के योग्य।
दीखना
[क्रि-अ.] दे. दिखना।
दीगर
(फ़ा.) [वि.] 1. दूसरा; अन्य और; भिन्न 2. फिर; दुबारा; पुनः।
दीठ
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दृष्टि 2. बुरी निगाह 3. अनुग्रह; कृपादृष्टि 4. देखने की शक्ति 5. परख। [मु.] -मिलाना : किसी के सामने होकर उसे देखना। -उतारना : बुरी दृष्टि का प्रभाव नष्ट करना।
दीठवंत
[वि.] 1. जिसे दिव्य दृष्टि प्राप्त हो 2. जिसे दिखाई पड़ता हो; दृष्टिवान।
दीदा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. आँख; नेत्र 2. दृष्टि; नज़र। [मु.] -लगना : किसी काम में मन लगना।
दीदार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. दर्शन; मुलाकात 2. साक्षात्कार; देखादेखी 3. दीद; जलवा; सौंदर्य; छवि।
दीदी
[सं-स्त्री.] 1. बड़ी बहन; जीजी; आपा 2. बड़ी बहन के लिए आदरसूचक संबोधन।
दीन
(सं.) [वि.] 1. जो मन में दया उत्पन्न कर सके; दयनीय; कारुणिक; दुखी 2. निर्धन; गरीब; दरिद्र 3. दुख, भय आदि के कारण विनीत; नम्र।
दीनता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दीन होने का भाव; नम्रता 2. गरीबी; दरिद्रता 3. विपन्नता; अर्थहीनता 4. दुरवस्था; दुर्दशा।
दीनदयाल
(सं.) [वि.] 1. दीनों पर दया करने वाला 2. दानशील; दानी। [सं-पु.] परमेश्वर।
दीनदार
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसे धर्म पर विश्वास हो; धार्मिक; धर्माचारी 2. जिसमें विनम्रता हो 3. नमाज़गुज़ार।
दीनदारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दीनदार होने की अवस्था या भाव 2. अपने धर्म पर विश्वास 3. धर्मानुकूल आचरण या व्यवहार करने का भाव 4. धार्मिकता।
दीन-दुनिया
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. इहलोक; वर्तमान लोक तथा परलोक; संसार; दुनिया 2. सांसारिक गतिविधियाँ।
दीनानाथ
(सं.) [सं-पु.] 1. दीनों का नाथ या रक्षक 2. दानवीर; दानशील 3. सहायक 4. परमेश्वर।
दीनार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. कुछ देशों में चलने वाली मुद्रा 2. एक निष्क की तौल 3. प्राचीन समय में एशिया और यूरोप में चलने वाली स्वर्णमुद्रा; अशरफ़ी।
दीप
(सं.) [सं-पु.] 1. दीपक; दीया; चिराग 2. {ला-अ.} किसी परिवार या समुदाय का श्रेष्ठ व्यक्ति।
दीपक
(सं.) [सं-पु.] 1. मिट्टी का बना हुआ लघु आकार का पात्र जिसमें बत्ती जलाते हैं; चिराग; दीप; दीया 2. संगीत का एक राग 3. (काव्यशास्त्र) काव्य का एक अर्थालंकार
4. (काव्यशास्त्र) एक मात्रिक छंद। [वि.] 1. दीप्त करने वाला; प्रकाशित करने वाला 2. यश बढ़ाने वाला।
दीपक-माला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (काव्यशास्त्र) दीपक अलंकार का एक भेद 2. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार के वर्ण-वृत्त का नाम।
दीपदान
(सं.) [सं-पु.] 1. कमरे की दीवार में बना स्थान जहाँ दीप रखा जाता है 2. किसी देवता के सामने दीपक जलाकर रखना।
दीपन
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रकाश करने के लिए दीपक या और कोई चीज़ जलाना 2. मन के आवेगों को उत्तेजित या तीव्र करना 3. जठराग्नि तीव्र या प्रज्वलित करना; पाचन-शक्ति
बढ़ाना 4. एक संस्कार जो मंत्र आदि को सक्रिय करने के लिए किया जाता है 5. मयूरशिखा नामक बूटी। [वि.] 1. आग प्रज्वलित करने वाला 2. पाचन-शक्ति बढ़ाने वाला।
दीप-मालिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दीपों की पंक्ति; जलते हुए दीपों की श्रेणी 2. दीपावली का त्योहार जो कार्तिक मास की अमावस्या को होता है।
दीपशिखा
(सं.) [सं-स्त्री.] दीपक की लौ।
दीपस्तंभ
(सं.) [सं-पु.] दीप, मोमबत्ती आदि रखने के लिए लकड़ी या धातु का बना नक्काशीदार आधार; दीवट।
दीपावली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला दीपों का त्योहार; दीवाली 2. दीपों की पंक्ति; श्रेणी।
दीपिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा दीपक 2. (संगीत) संध्या के समय गाई जाने वाली एक प्रकार की रागिनी 3. किसी ग्रंथ का अर्थ बताने वाली टीका 4. चाँदनी। [वि.] उजाला
करने वाली।
दीपित
(सं.) [वि.] 1. चमकता हुआ 2. दीपों से युक्त; दीप्त 3. जलाया हुआ 4. प्रकाशित 5. उत्तेजित।
दीपोत्सव
(सं.) [सं-पु.] 1. दीवाली 2. दीप जलाकर मनाया जाने वाला उत्सव।
दीप्त
(सं.) [वि.] 1. प्रकाशयुक्त 2. चमकीला 3. उत्तेजित 4. धधकता हुआ। [सं-पु.] 1. सोना 2. नाक का एक रोग।
दीप्तक
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वर्ण; सोना 2. नासिका में जलन होने का एक रोग।
दीप्तांग
(सं.) [सं-पु.] मयूर; मोर पक्षी। [वि.] 1. ओजस्वी 2. सुंदर; आभायुक्त 3. जिसका शरीर कांतिमान हो; जिसके शरीर में चमक हो; नूरा; अनवर।
दीप्तांशु
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. आक नामक पौधा; मदार।
दीप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दीप्त होने की अवस्था या भाव 2. प्रकाश; उजाला; रोशनी 3. चमक; आभा; द्युति; कांति 4. शोभा; छवि 5. (योग) ज्ञान का प्रकाश जिससे हृदय का
अंधकार दूर होता है।
दीप्तिमान
(सं.) [वि.] 1. प्रभायुक्त; कांतिमान 2. शोभन।
दीप्यमान
(सं.) [वि.] चमकता हुआ; दीप्त।
दीमक
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] चींटी की जाति का सफ़ेद रंग का एक छोटा कीड़ा जो समूह में रहता है और कागज़, लकड़ी, पौधों आदि को खा जाता है।
दीयट
(सं.) [सं-स्त्री.] लकड़ी आदि का बना हुआ वह आधार या स्तंभ जिसपर दीया जलाकर रखा जाता है।
दीयासलाई
[सं-स्त्री.] दीया जलाने की सींक; माचिस या माचिस की तीली; आग जलाने की वह छोटी सींक जिसके सिरे पर गंधक आदि मिला हुआ मसाला लगा होता है।
दीर्घ
(सं.) [वि.] 1. लंबा 2. बड़ा 3. ऊँचा 4. गहरा 5. विशाल; विस्तृत 6. छंद से संबंधित गुरु मात्रा 7. ह्स्व का विलोम। [सं-पु.] 1. ऊँट 2. एक तरह की घास; सरपत।
दीर्घकाय
(सं.) [वि.] 1. शारीरिक दृष्टि से बड़े डील-डौल वाला 2. बड़े शरीर या काया वाला।
दीर्घकाल
(सं.) [सं-पु.] लंबा समय; लंबी अवधि।
दीर्घकालिक
(सं.) [वि.] लंबी अवधि तक होने या चलने वाला; दीर्घकाल तक होने वाला; चिरकालिक; दीर्घकालीन।
दीर्घकालीन
(सं.) [वि.] 1. बहुत अवधि तक होने या चलने वाला 2. दीर्घकाल तक होने वाला; चिरकालिक; दीर्घकालिक।
दीर्घजीवी
(सं.) [वि.] अधिक दिनों तक जीवित रहने वाला; दीर्घ जीवन वाला; लंबी आयुवाला।
दीर्घतर
(सं.) [वि.] अपेक्षाकृत दीर्घ।
दीर्घता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दीर्घ होने की अवस्था या गुण 2. लंबाई-चौड़ाई 3. विस्तार।
दीर्घ-सूत्र
(सं.) [वि.] जो हर काम में आवश्यकता से अधिक देर लगाता हो; बहुत धीरे-धीरे काम करने वाला।
दीर्घ-सूत्रता
(सं.) [सं-स्त्री.] दीर्घसूत्र या दीर्घसूत्री होने की अवस्था, भाव या स्थिति।
दीर्घसूत्री
(सं.) [वि.] 1. जो हर काम में आवश्यकता से अधिक देर लगाता हो 2. बहुत धीरे-धीरे काम करने वाला।
दीर्घ स्वर
(सं.) [सं-पु.] जिस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व से ज़्यादा समय लगे, जैसे- 'आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ'।
दीर्घा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आने-जाने के लिए कोई लंबा और ऊपर से छाया हुआ मार्ग 2. किसी घर या भवन के अंदर कुछ ऊँचाई पर दर्शकों आदि के बैठने के लिए बना हुआ स्थान 3.
किसी कला प्रदर्शनी के आयोजन के लिए बना हुआ लंबी गैलरियों वाला भवन।
दीर्घायु
(सं.) [वि.] लंबी आयु वाला; दीर्घजीवी; अधिक आयु वाला।
दीर्घावकाश
(सं.) [सं-पु.] 1. लंबी छुट्टी 2. न्यायालयों, विद्यालयों के दो सत्रों के बीच की छुट्टी।
दीर्घावधि
(सं.) [सं-स्त्री.] बड़ी अवधि; लंबी अवधि।
दीर्घिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा जलाशय या तालाब; बावड़ी 2. एक प्रकार की पुरानी बड़ी नाव।
दीर्घित
(सं.) [वि.] जिसे दीर्घ रूप दिया गया हो।
दीर्घीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु को पहले से अधिक बड़ा या विस्तारित करना 2. दीर्घ रूप देने की क्रिया या भाव।
दीर्ण
(सं.) [वि.] 1. फटा हुआ; विदीर्ण 2. दरका हुआ 3. विदारित 4. टूटा हुआ; भग्न।
दीवट
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लकड़ी का वह पुराने ढंग का स्तंभ जिसपर दीया रखा जाता है 2. धातु का बना हुआ दीपक रखने का आधार।
दीवान
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक पदवी; ओहदा 2. मंत्री; वज़ीर 3. राजा या बादशाह के बैठने की जगह; राजसभा; कचहरी 4. अर्थ-मंत्री 5. उर्दू में किसी कवि या शायर की रचनाओं का
संग्रह 6. ग़ज़लों की किताब 7. पुलिस का उपनायक; (हेडकांस्टेबिल)।
दीवानख़ाना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. बैठक; दीवानघर; मुलाकात भवन 2 घर में वरिष्ठ लोगों या मेहमानों के मिलने-जुलने या बैठने का कमरा; (ड्राइंगरूम) 3. कचहरी; दरबार 4. कचहरी का
दफ़्तर।
दीवानगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पागलपन; दीवानापन 2. किसी कार्य की तन्मयता; तल्लीनता 3. मोहब्बत का जुनून।
दीवाना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जो किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति गहरा लगाव रखता हो 2. प्रेम में पागल व्यक्ति; आशिक; प्रेमी 3. सनकी; विक्षिप्त 4. जो किसी कार्य में
तन्मय रहता हो।
दीवानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. आर्थिक मामलों से संबद्ध न्यायालय; कचहरी 2. दीवान का पद 3. बावली प्रेमिका 4. जुनूनी।
दीवानी न्यायालय
(फ़ा.+सं.) [सं-पु.] वह न्यायालय जिसमें संपत्ति या अर्थ संबंधी व्यवहारों या मुकदमों का विचार या निर्णय होता है; (सिविल कोर्ट)।
दीवाने-आम
(फ़ा.+अ.) [सं-पु.] ऐसा दरबार या न्यायालय जिसमें राजा या बादशाह के सामने सभी उपस्थित होकर अपनी बात रख सकें; वह स्थान जहाँ उक्त प्रकार का दरबार लगता हो।
दीवाने-ख़ास
(फ़ा.+अ.) [सं-पु.] ऐसा राज दरबार जहाँ गिने-चुने या महत्वपूर्ण लोग ही सम्मिलित हो सकते हैं; वह दरबार जिसमें राजा अपने मंत्रियों या मुख्य सरदारों के साथ बैठकर
विचार-विमर्श करता है; ख़ास दरबार।
दीवार
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] ईंट, मिट्टी आदि की बनी हुई ऊँची भित्ति; दीवाल; भीत।
दीवारगीर
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दीया, मोमबत्ती, लैंप आदि रखने का आधार जो दीवार में जड़ा जाता है 2. उक्त प्रकार से जलाया जाने वाला दीया, मोमबत्ती आदि 3. दीवार पर टाँगा
जाने वाला रंगीन विशेषतः बेल-बूटों वाला परदा।
दीवाली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दीपावली 2. हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार।
दुंद
(सं.) [सं-पु.] 1. दो व्यक्ति के बीच होने वाली लड़ाई या युद्ध; दो व्यक्ति के बीच होने वाला द्वंद्व 2. शोरगुल; हो-हल्ला 3. उपद्रव; ऊधम; उत्पात।
दुंदुभ
(सं.) [सं-पु.] 1. बड़ा नगाड़ा; धौंसा 2. बड़ा ढोल।
दुंदुभि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नगाड़ा; धौंसा 2. बड़ा ढोल।
दुंदुह
(सं.) [सं-पु.] पानी में रहने वाला साँप; डेंड़हा।
दुंबक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक तरह का मेढ़ा 2. दुंबा।
दुंबा
(फ़ा.) [सं-पु.] मेढ़ों या भेड़ों की एक जाति जिनकी दुम चक्की की पाट की तरह गोल और भारी होती है; उक्त जाति का मेढ़ा।
दुःख
(सं.) [सं-पु.] तत्सम वर्तनी (दे. दुख)।
दुःशासन
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरा या अराजक शासन 2. (महाभारत) दुर्योधन का छोटा भाई।
दुःस्पर्श
(सं.) [वि.] 1. जिसे स्पर्श करना कठिन हो 2. जिसे पाना कठिन हो। [सं-पु.] करंज नामक लता; केवाँच; कौंच; दुरालभा।
दुअन्नी
(सं.) [सं-स्त्री.] भारत में प्राचीन काल में प्रचलित दो आने का सिक्का।
दुआ
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. आशीर्वाद; शुभकामना 2. ईश्वर से प्रार्थना या याचना करना 3. विनती।
दुआल
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. चमड़े का तसमा 2. रकाब का चमड़ा; दुवाल।
दुआ-सलाम
(अ.) [सं-पु.] 1. हालचाल की जानकारी 2. अभिवादन 3. अल्पपरिचय वाला संबंध।
दुआह
[सं-पु.] पहली पत्नी या पहले पति की मृत्यु के पश्चात स्त्री-पुरुष का होने वाला दूसरा विवाह।
दुकड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. एक साथ जुड़ी या मिली हुई दो चीज़ें; युग्म 2. एक पैसे का चौथाई भाग; छदाम।
दुकड़ी
[सं-स्त्री.] 1. एक साथ मिली हुई वस्तु 2. चारपाई की वह बुनावट जिसमें दो-दो रस्सियाँ एक साथ बुनी जाती है 3. एक साथ दिए या लिए जाने वाले दो रुपए 4. घोड़ों का
दोहरा साज 5. ऐसी गाड़ी जिसमें दो घोड़े एक साथ जुतते हों 6. दो कड़ियों वाली लगाम।
दुकान
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्थान जहाँ सामान की ख़रीद-बिक्री होती है; पण्यशाला; हट्टी; हट्ट 2. {ला-अ.} एक जगह फैली हुई बहुत-सी चीज़ें। [मु.] -बढ़ाना : दुकान बंद करना।
दुकानदार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. दुकान में चीज़ें बेचने वाला व्यक्ति 2. दुकान का मालिक 3. {ला-अ.} व्यवहार में मोल-भाव करने वाला व्यक्ति।
दुकानदारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दुकान में सामान बेचने का काम; दुकानदार का कामकाज; दुकानदार का पद 2. {ला-अ.} वस्तुओं का दाम बढ़ाकर कहना; मोलभाव 3. {ला-अ.} पैसा कमाने
के लिए किया जाने वाला ढोंग; ठगने के लिए की जाने वाली बातें; ठगी; धोखाधड़ी 4. {ला-अ.} लेनदेन की मानसिकता।
दुकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. अकाल 2. दुर्भिक्ष।
दुकूल
(सं.) [सं-पु.] 1. बढ़िया और महीन कपड़ा 2. सन या तीसी के रेशे से बना कपड़ा; क्षौम-वस्त्र 3. उत्तरीय; दुपट्टा।
दुकूलिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] नदी; सरिता।
दुकेला
[सं-पु.] वह जो अकेला न हो; जो किसी के साथ हो या उसके साथ कोई दूसरा हो।
दुक्कड़
[सं-पु.] 1. तबले की तरह का एक बाजा जो शहनाई के साथ बजाया जाता है 2. दो बड़ी नावों को जोड़कर बनाया गया बेड़ा।
दुक्का
(सं.) [वि.] 1. जिसके साथ कोई और भी हो; दुकेला 2. जोड़ा; युग्म।
दुक्की
[सं-स्त्री.] 1. ताश का वह पत्ता जिसपर दो बूटियाँ होती हैं 2. दुक्का।
दुख
(सं.) [सं-पु.] 1. कष्ट; दर्द; तकलीफ़; पीड़ा 2. संकट; विपत्ति; अज़ा 3. मानसिक कष्ट; रंज; खेद; गम 4. रोग; बीमारी; मर्ज़। [मु.] -बाँटना :
संकट के समय किसी का साथ देना।
दुखड़ा
[सं-पु.] 1. दुख; दुख का किस्सा या वृत्तांत; दुख की गाथा; ऐसी बातें जिनमें दुखों या विपत्तियों का वर्णन हो 2. विपत्ति; कष्ट; संकट; आफ़त; तकलीफ़; तकलीफ़ों का
हाल। [मु.] -रोना : अपना दुख किसी से कहना।
दुखद
(सं.) [वि.] दुख या कष्ट देने वाला; जिसके कारण या फलस्वरूप मन को दुख पहुँचे।
दुखदायक
(सं.) [वि.] 1. दुख देने वाला; अप्रिय; कष्टकारी; जो कष्ट पहुँचाता हो 2. दुखद; खेदजनक।
दुखदायी
(सं.) [वि.] 1. दुख देने वाला; जो दूसरों को दुख देता हो 2. पीड़ाप्रद; कष्टप्रद।
दुखना
[क्रि-अ.] 1. किसी अंग विशेष का दर्द करना या घाव, फुंसी, चोट आदि में पीड़ा होना 2. कष्ट या पीड़ा होना।
दुखमय
(सं.) [वि.] दुखों से भरा हुआ; दुखों से परिपूर्ण, जैसे- दुखमय संसार।
दुखवाद
(सं.) [सं-पु.] (बौद्ध धर्म) वह मत या सिद्धांत जिसमें यह वर्णित है कि जीवन दुखमय है।
दुखांत
(सं.) [सं-पु.] 1. दुख की समाप्ति 2. दुख की पराकाष्ठा 3. मोक्ष। [वि.] 1. जिसका अंत दुखपूर्ण हो 2. त्रासदी; (ट्रैजडी)।
दुखांतिका
(सं.) [सं-स्त्री.] ऐसा नाटक जिसका अंत मृत्यु या घोर कष्ट में हो; (ट्रैजडी)।
दुखाना
[क्रि-स.] 1. दुख देना या दुखी करना 2. पीड़ा पहुँचाना; कष्ट देना 3. किसी की चोट या घाव में पीड़ा उत्पन्न करना 4. जलाना; तड़पाना 5. कलपाना; मसोसना। [मु.] जी दुखाना : किसी को मानसिक कष्ट पहुँचाना।
दुखित
(सं.) [वि.] 1. जिसे दुख हो; पीड़ित; जिसे कष्ट हो 2. खिन्न; त्रस्त; बदहाल 3. गमज़दा; गमगीन 4. उदास; करुण।
दुखिया
[वि.] 1. दुखी; पीड़ित; व्यथित; खिन्न 2. बीमार।
दुखियारा
[वि.] 1. जिसे दुख हो; दुखिया; जो कष्ट या विपत्ति में हो 2. गरीब; कंगाल 3. संकटग्रस्त 4. बीमार; रोगी।
दुखी
(सं.) [वि.] 1. जिसे दुख हो; पीड़ित; संत्रस्त; दुख से भरा हुआ 2. उदास; ग़मज़दा; बदहाल 3. बेचारा; निरुपाय 4. व्याकुल; बेचैन; अशांत 5. करुण; दीन 6. अनुशयी;
अप्रसन्न।
दुगदुगी
[सं-स्त्री.] 1. सीने या छाती के बीच का गड्ढा 2. धुकधुकी 3. घबराहट।
दुगना
(सं.) [वि.] दूना; दो गुना।
दुग्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. दूध 2. पौधों के तने या टहनी से निकलने वाला दूध जैसा सफ़ेद गाढ़ा रस। [वि.] 1. दुहा हुआ 2. भरा हुआ।
दुग्धचूर्ण
(सं.) [सं-पु.] रासायनिक प्रक्रिया से बनाया गया दूध का चूर्ण; (मिल्क पाउडर)।
दुग्ध-धवल
(सं.) [वि.] दूध की तरह स्वच्छ।
दुग्धपान
(सं.) [सं-पु.] 1. दूध पिलाना 2. दूध पीना।
दुग्धमुख
(सं.) [वि.] 1. जो अभी माता के दूध से ही पलता हो 2. दुधमुँहाँ।
दुग्धशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्थान जहाँ गाय-भैंसों का दूध बेचा जाता है 2. गाय-भैंस पालने का स्थान; (डेरी)।
दुग्धाग्र
(सं.) [सं-पु.] दूध को उबालने से उस पर आने वाली मलाई।
दुग्धाब्धि
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) कल्पित दूध का समुद्र; क्षीर सागर।
दुग्धिल
(सं.) [वि.] दूध की तरह सफ़ेद; दूधिया।
दुग्धी
(सं.) [सं-स्त्री.] दुद्धी नामक घास; दूधिया। [सं-पु.] क्षीर नामक वृक्ष। [वि.] जिसमें दूध हो; दूध से युक्त।
दुग्धोद्योग
(सं.) [सं-पु.] दूध और उससे संबंधित घी, मक्खन, मावा आदि खाद्य पदार्थ तैयार करने का उद्योग; (मिल्क इंडस्ट्री)।
दुचंद
(फ़ा.) [वि.] दूना; दोगुना।
दुचित
(सं.) [वि.] संदेह में पड़ा हुआ; दुचित्ता।
दुचिताई
[सं-स्त्री.] 1. दुचित्ते होने की अवस्था या भाव 2. चित्त की अस्थिरता; दुविधा; असमंजस 3. आशंका; खटका; संदेह।
दुचित्ती
[सं-स्त्री.] 1. दुचित्ते होने की अवस्था या भाव 2. चित्त की अस्थिरता।
दुजायगी
[सं-स्त्री.] जिनके साथ आपसी मेल-मिलाप रहा हो उनको पराया, भिन्न और गैर समझना; आपसी लोगों के प्रति दिखाया जाने वाला परायापन।
दुत
[अव्य.] 1. घृणा या तिरस्कार के साथ किसी को परे हटाने के लिए कहा जाने वाला शब्द; दुतकारने का शब्द 2. कभी-कभी प्रेमभरी दुत्कार में कहा जाने वाला शब्द।
दुतकार
[सं-स्त्री.] 1. दुतकारने की क्रिया या भाव 2. तिरस्कार; अपमान; डाँट; लानत; धिक्कार; फटकार।
दुतकारना
[क्रि-स.] 1. अपमानपूर्वक फटकारना; धिक्कारना; तिरस्कार करना 2. दुत कहकर अपने से दूर हटाना।
दुतरफ़ा
(फ़ा.) [वि.] 1. जो दोनों तरफ़ हो 2. इधर भी; उधर भी, जैसे- कपड़े की दुतरफ़ा छाप 3. द्विपार्श्वीय 4. (व्यवहार में) जो किसी एक ओर न हो।
दुताबी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] प्राचीन समय की एक प्रकार की दुधारी तलवार।
दुद्धी
[सं-स्त्री.] 1. एक घास जिसमें दूध जैसा तरल निकलता है 2. खड़िया मिट्टी 3. एक तरह का धान।
दुद्रुम
(सं.) [सं-पु.] प्याज़ का हरा पौधा।
दुधमुँहाँ
[वि.] 1. जो माँ के दूध पर पल रहा हो 2. जिसके दूध के दाँत न टूटे हों; नन्हा (बच्चा); छोटा।
दुधारी
[वि.] दोनों ओर धारवाली। [सं.स्त्री.] एक प्रकार की कटार जिसमें दोनों तरफ़ धार होती है।
दुधारू
[वि.] 1. दूध देने वाली (गाय, भैंस आदि) 2. जो अधिक दूध देती हो।
दुनाली
[वि.] 1. जिसमें दो नालियाँ हों 2. दो नालों या नलियों वाली (बंदूक)।
दुनिया
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. जगत; संसार; आलम 2. जीव समष्टि 3. पृथ्वी; सृष्टि 4. मृत्युलोक; इहलोक 5. {ला-अ.} दुनिया के लोग; जनता 6. {ला-अ.} संसार का झंझट।
दुनियादार
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. परिवार के लिए काम करने वाला व्यक्ति; गृहस्थ 2. संसार के प्रपंच में उलझा हुआ व्यक्ति; संसारी 3. व्यवहारकुशल व्यक्ति। [वि.] 1. जो लोक
व्यवहार में कुशल हो; लोकचतुर 2. संसार के ऊँच-नीच अथवा अच्छे-बुरे का ज्ञान रखने वाला 3. चतुराई से अपना काम निकालने वाला।
दुनियादारी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दुनियादार होने का भाव या गुण 2. व्यवहार-कुशलता; लोकचातुरी 3. सांसारिक प्रपंच; लोकाचार; लोकव्यवहार; संसार का जंजाल 4. घर-गृहस्थी
का कामकाज; घर-परिवार का प्रपंच; गृहस्थी का झंझट या बखेड़ा 5. लोगों को दिखाने के लिए किया गया आचरण।
दुनियापरस्त
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. दुनिया के मोह में बँधा हुआ 2. गृहस्थी में रमा हुआ 3. अवसरवादी; कंजूस।
दुनियावी
(अ.) [वि.] सांसारिक; दुनिया का; लौकिक।
दुपटी
[सं-स्त्री.] 1. छोटा दुपट्टा 2. चादर।
दुपट्टा
[सं-पु.] 1. स्त्रियों के सिर पर ओढ़ने की चादर; चुन्नी; ओढ़नी; पामरी 2. कंधे पर रखने वाला कपड़ा; उत्तरीय।
दुपल्ला
[वि.] 1. जो दो टुकड़े जोड़कर बनाए गए हों 2. (वस्तु) जिसमें दो पल्ले हों।
दुपल्ली
[वि.] 1. दो पल्लों वाली 2. जिसके दो भाग हों।
दुपहरिया
[सं-स्त्री.] 1. मध्याह्न; दोपहर 2. गुलदुपहरिया नामक एक छोटा पौधा जिसमें लाल फूल लगते हैं।
दुपहरी
[सं-स्त्री.] दोपहर का समय; वह समय जब सूर्य बिलकुल मध्य आकाश में होता है; तेज धूप का समय; दिन के मध्य की बेला।
दुपहिया
[वि.] दो पहियों वाला (वाहन)।
दुफ़सली
[वि.] 1. रबी और खरीफ़ दोनों फ़सलों में उत्पन्न होने वाला 2. जिसके दो रुख या पक्ष हों 3. दुरंगी।
दुबकना
[क्रि-अ.] 1. सिकुड़ना 2. भय के कारण छिपना।
दुबकी
[सं-स्त्री.] 1. सिकुड़ जाने की अवस्था 2. दुबककर या छिपकर रहना।
दुबला
(सं.) [वि.] 1. क्षीण शरीर या आकृति का; कृश; दुर्बल; कमज़ोर 2. पतला।
दुबलापन
[सं-पु.] दुबला होने की अवस्था या भाव।
दुबारा
[क्रि.वि.] दे. दोबारा।
दुबाह
[सं-पु.] दोनों हाथों से एक साथ दो तलवारें चलाने की क्रिया।
दुबाहना
[क्रि-स.] दोनों हाथों से एक साथ दो तलवारें चलाना।
दुबे
[सं-पु.] ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम; द्विवेदी।
दुभाषिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] दो भाषाओं का ज्ञान रखने वाली स्त्री।
दुभाषिया
(सं.) [वि.] दो भाषाओं का ज्ञान रखने वाला; एक से दूसरी भाषा में मौखिक भाषांतरण करने वाला; श्रोताओं को एक भाषा की बात दूसरी भाषा में समझाने वाला।
दुम
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पूँछ; पुच्छ 2. पूँछ की तरह पीछे की तरफ़ लगी हुई कोई चीज़ 3. पिछवाड़ा 4. {ला-अ.} किसी कार्य का अंतिम चरण; किसी बात का अंतिम अंश 5.
{ला-अ.} वह जो बराबर पीछे लगा रहता है; पिछलग्गू। [मु.] -दबा कर भागना : डरकर चुपचाप भागना। -में तेल लगाना : ख़ुशामद करना या
अधीनता स्वीकार करना। -हिलाना : दीनतापूर्वक प्रसन्नता प्रकट करना।
दुमंज़िला
(फ़ा.+अ.) [वि.] दो मंज़िल या खंडवाला (मकान, वाहन आदि)।
दुमची
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. घोड़ों की पूँछ के नीचे दबा रहने वाला चमड़ा 2. वह हड्डी जो पुट्ठों के बीच रहती है; पूँछ की हड्डी 3. पतली और हलकी शाखा।
दुमट
(सं.) [सं-स्त्री.] चिकनी रेतीली मिट्टी जो फ़सल के लिए अधिक उपयुक्त मानी जाती है।
दुमदार
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसके दुम या पूँछ हो; दुमवाला; पुच्छल 2. जिसके पीछे दुम जैसी चीज़ लगी या जुड़ी हो।
दुमहिलाऊ
[वि.] 1. दुम हिलाने वाला 2. {ला-अ.} ख़ुशामदी।
दुमाता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सौतेली माँ; विमाता 2. बुरी या दुष्ट माता; कुमाता।
दुमाहा
[वि.] 1. दो महीने की अवस्था वाला 2. प्रत्येक दो महीने पर होने वाला।
दुर1
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] दूषण या निषेध का सूचक एक प्रत्यय, जैसे- दुराग्रह, दुर्दशा। [अव्य.] तिरस्कार सूचक अव्यय जो 'दूर हो' का संक्षिप्त रूप है।
दुर2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मोती; मुक्ता 2. नाक में पहनने का मोती का लटकन; लोलक 3. कान की बाली जिसमें मोती पिरोए हों।
दुरंगा
[वि.] 1. जिसमें दो रंग हों 2. दो तरह या प्रकार का 3. {ला-अ.} दोहरी चाल चलने वाला।
दुरंगी
[वि.] 1. दो रंग का 2. {ला-अ.} दोहरी चाल वाला; धोखेबाज़।
दुरंत
(सं.) [वि.] 1. जिसका पार पाना मुश्किल हो; अपार 2. बहुत बड़ा या भारी 3. जो बाद में कष्ट पहुँचाए 4. जिसका अंत या परिणाम बुरा हो 5. कठिन 6. प्रबल; प्रचंड;
तीव्र 7. बहुत गंभीर 8. जो दुष्ट हो; खल; पाजी।
दुरंतक
(सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव।
दुरंतर
(सं.) [वि.] 1. दुर्गम 2. कठिन।
दुरदुराना
[क्रि-स.] दुर-दुर कहते हुए तिरस्कारपूर्वक दूर करना; अपमानित करते हुए भगाना या हटाना।
दुरधिगम
(सं.) [वि.] 1. जिसे हासिल करना मुश्किल हो; दुर्लभ; दुष्प्राप्य 2. जिसके पास पहुँचना कठिन हो; दुर्गम 3. जिसे समझना कठिन हो; दुर्बोध; दुर्ज्ञेय।
दुरधीत
(सं.) [सं-पु.] वेद ग्रंथों का अशुद्ध तरीके से किया जाने वाला अध्ययन; वेदों का अशुद्ध उच्चारण।
दुरन्वय
(सं.) [सं-पु.] अशुद्ध निष्कर्ष। [वि.] 1. जिसका अनुसरण करना कठिन हो 2. दुष्प्राप्य।
दुरपवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. निंदा 2. कुत्सा; बदनामी।
दुरबचा
[सं-पु.] मोतियों से बना कान का एक गहना; एक ही मोती वाली छोटी बाली।
दुरभिचेष्टा
(सं.) [सं-स्त्री.] गलत प्रयास।
दुरभियोजन
(सं.) [सं-पु.] 1. षड्यंत्र; छल 2. किसी को संकट में डालने के लिए बनाई जाने वाली योजना 3. किसी को हानि पहुँचाने के लिए होने वाली गुप्त कार्यवाही; (प्लॉट)।
दुरभिसंधि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कुटिलता और छल के लिए की गई गुप्त मंत्रणा; कुमंत्रणा; षड्यंत्र; कुचक्र; छल 2. दुष्ट अभिप्राय से दल बनाकर की गई मिलीभगत।
दुरमुस
(सं.) [सं-पु.] कंकड़ या मिट्टी पीटकर सड़क बनाने का एक उपकरण; ज़मीन समतल करने का एक हत्थेदार उपकरण।
दुरवस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुरी दशा; बुरा हाल; दुर्दशा 2. कष्ट, दरिद्रता आदि के कारण होने वाली दीन-हीन अवस्था।
दुराक्रंद
(सं.) [वि.] दहाड़ मारकर खूब ज़ोर से रोता हुआ।
दुराक्रमण
(सं.) [सं-पु.] 1. धोखे या कपट से किया गया आक्रमण 2. वह स्थान जहाँ पहुँचना या जाना कठिन हो।
दुरागम
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुचित रूप से आना 2. अवैध रूप से प्राप्त होना।
दुरागमन
(सं.) [सं-पु.] 1. दूसरी बार आना; पुनरागमन 2. वधू का अपने पति के साथ दूसरी बार अपनी ससुराल में आना; गौना; द्विरागमन।
दुराग्रह
(सं.) [सं-पु.] अनुचित बात पर अड़ने का भाव; अनुचित हठ; ज़िद।
दुराग्रही
(सं.) [वि.] 1. जो दुराग्रह करता है; अपनी बात पर अनुचित तरीके से अड़ा रहने वाला; हठी; ज़िद्दी 2. मतांध।
दुराचरण
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरा आचरण 2. कुकृत्य; गलत व्यवहार।
दुराचार
(सं.) [सं-पु.] 1. निंदनीय आचरण; बदचलनी 2. कदाचार; कुकृत्य; दुष्कर्म; कुकर्म।
दुराचारी
(सं.) [वि.] 1. दुराचार करने वाला; निंदनीय आचरण करने वाला; दुष्ट; दुर्जन; दुर्व्यवहारी; दुष्चरित्र 2. दुष्कर्मी; कुकर्मी; बलात्कारी 3. व्यभिचारी; बदचलन;
विपथगामी 4. भ्रष्टाचारी; घोटालेबाज़ 5. पापी 6. ओछा; कमीना; अधम 7. कलुषित; पतित; ऐबी।
दुराजी
(सं.) [वि.] 1. जिसपर दो राजाओं का अधिकार हो 2. (प्रदेश या स्थान) जिसमें दो राजा हों।
दुरात्मा
(सं.) [सं-पु.] 1. दुष्ट और नीच आचरण करने वाला व्यक्ति 2. भ्रष्टाचारी व्यक्ति; भ्रष्ट 3. अत्याचारी व्यक्ति। [वि.] 1. दुष्ट और नीच प्रवृत्तिवाला 2. जिसके मन
में खोट हो 3. दुर्जन; दुराचारी; दुर्व्यवहारी 4. पापी 5. दुष्कर्मी 6. भ्रष्टाचारी।
दुरादुरी
[सं-स्त्री.] 1. छिपाव; गोपन 2. दुराव।
दुराधर्ष
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पीली सरसों 2. (पुराण) विष्णु का एक नाम। [वि.] 1. जिसका दमन करना कठिन हो 2. जिसका पराभव न हो सकता हो; जो कठिनाई से विजित हो 3. उग्र;
प्रचंड; विकट।
दुराधार
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) शिव का एक नाम; महादेव।
दुरानम
(सं.) [वि.] 1. जिसे झुकाना बहुत कठिन हो 2. जो बड़ी मुश्किल से दबाया जा सके।
दुराना
[क्रि-स.] 1. छिपाना; आँखों से ओझल करना 2. दूर करना। [क्रि-अ.] 1. छिपना; आड़ में होना 2. हटना; दूर होना।
दुराराध्य
(सं.) [वि.] जिसे संतुष्ट करना कठिन हो; मुश्किल से प्रसन्न होने वाला; जिसको आराधना से प्रसन्न करना कठिन हो।
दुरारुह
(सं.) [वि.] जिसपर चढ़ना कठिन हो। [सं-पु.] नारियल; बेल; खजूर; सेमल वृक्ष।
दुरारूढ़
(सं.) [वि.] किसी मत, सिद्धांत या बात से न हटने की ज़िद।
दुरालभ
(सं.) [वि.] जिसे प्राप्त करना कठिन हो; दुष्प्राप्य; दुर्लभ।
दुरालाप
(सं.) [सं-पु.] 1. अभद्र या अनुचित बातचीत; कुवार्ता; गाली-गलौज 2. दुर्वचन।
दुरालोक
(सं.) [सं-पु.] 1. चकाचौंध उत्पन्न करने वाली चमक 2. कुदृश्य। [वि.] 1. जिसे देखना कठिन हो; सरलता से न दिखने वाला 2. जिसकी ओर देखने से आँखों में चौंध लगती हो।
दुराव1
[सं-पु.] दूरी; दूर होने का भाव।
दुराव2
(सं.) [सं-पु.] 1. भेद बनाए रखने का भाव; छिपाव 2. छल; कपट।
दुरावस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्गति; दुर्दशा; बुरी दशा; हीनावस्था 2. ख़राब हालत; दयनीय दशा।
दुरावार
(सं.) [वि.] 1. जिसे रोकना कठिन हो 2. जिसे ढकना कठिन हो।
दुराश
(सं.) [वि.] 1. जिसे बुरी आशा हो; बुरी नीयत या दुराशावाला; दुष्कामना करने वाला 2. जिसे व्यर्थ की आशा हो।
दुराशय
(सं.) [सं-पु.] 1. दुष्ट आशय या उद्देश्य; बुरा विचार 2. वह जिसके विचार निम्नकोटि के हों; कुटिल व्यक्ति; दुष्कामना करने वाला व्यक्ति। [वि.] बुरे आशय या
उद्देश्य वाला; जिसकी नीयत ख़राब हो; बदनीयत; दुष्ट; खल; निंदनीय सोच वाला; खोटा; नीच; कुटिल; दुर्जन।
दुराशा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कठिनाई से पूरी होने वाली आशा; व्यर्थ की आशा 2. निराशा 3. वह आशा जो पूरी न हो सके।
दुरासद
(सं.) [वि.] 1. जिसके पास जाना कठिन हो; दुर्गम 2. दुर्लभ; दुस्साध्य; दुष्प्राप्य 3. अद्वितीय 4. दुर्जय।
दुरित
(सं.) [सं-पु.] 1. पाप; अपराध; दुष्कृत 2. संकट; ख़तरा। [वि.] 1. पापी; पातकी 2. कठिन।
दुरियाना
(सं.) [क्रि-स.] दूर करना या हटाना; दुरदुराना।
दुरिष्ट
(सं.) [सं-पु.] 1. पाप; पातक 2. किसी का अनिष्ट करने के लिए किया जाने वाला यज्ञ; पूजा-पाठ; मारण अनुष्ठान।
दुरिष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] अभिचार (षड्कर्म मारण, मोहन आदि) के उद्देश्य से किया जाने वाला यज्ञ; दुरिष्ट यज्ञ।
दुरीषणा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी का बुरा चाहना; अमंगल कामना; शाप; किसी के अहित की कामना; अनुचित इच्छा।
दुरुक्त
(सं.) [सं-पु.] दुर्वचन; अपशब्द; बुरा कथन। [वि.] 1. जो दुबारा कहा गया हो; दुहराया हुआ 2. बुरी तरह से कहा गया।
दुरुक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी शब्द या बात का दुहराया जाना 2. ख़राब या बुरी युक्ति अथवा कथन 3. दुर्वचन; गाली।
दुरुच्छेद
(सं.) [वि.] 1. जिसका उच्छेद करना कठिन हो; जिसे उखाड़ना, काटना, छेदना या नष्ट करना कठिन हो 2. जिसका निवारण कठिन हो; दुर्वार।
दुरुत्तर
(सं.) [सं-पु.] ख़राब उत्तर। [वि.] 1. जिसका उत्तर देना कठिन हो 2. जिसका उत्तर मिलना कठिन हो; दुस्तर।
दुरुत्साहक
(सं.) [सं-पु.] वह जो किसी को अनुचित या नियमविरुद्ध कार्य में लगाए या ऐसे कार्य में प्रवृत्त करे।
दुरुत्साहन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को अपराध या अनुचित कार्य में प्रवृत्त करना 2. गैरकानूनी काम के लिए उकसाना; अपराध के लिए प्रोत्साहन देना; अवप्रेरण; (एबेटमेंट)।
दुरुत्साहित
(सं.) [वि.] जिसे किसी ने किसी अनुचित कार्य के लिए उकसाया हो।
दुरुपयोग
(सं.) [सं-पु.] गलत इस्तेमाल; बुरा उपयोग।
दुरुपयोजन
(सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु या संपत्ति का दुरुपयोग करना या किसी अनुचित कार्य में लगा देना।
दुरुस्त
(फ़ा.) [वि.] जो अच्छी दशा में हो; दोष-रहित; ठीक; उपयुक्त; उचित।
दुरुस्ती
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दुरुस्त या ठीक होने का भाव; दुरुस्त किए जाने की क्रिया; सुधारना; मरम्मत; इस्लाह 2. संशोधन; शुद्धि; सुधार।
दुरूह
(सं.) [वि.] 1. जो जल्दी समझ में न आता हो; कठिनाई से समझ में आने वाला 2. अपठनीय; दुर्बोध; दुर्गम।
दुर्
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] संज्ञापद या क्रियापद में जोड़ा जाने वाला निषेध का सूचक प्रत्यय, जैसे- दुर्बोध, दुर्दमनीय।
दुर्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. किला; गढ़ 2. दुर्गम पथ 3. (पुराण) एक प्रसिद्ध राक्षस जिसका वध दुर्गा के हाथों हुआ था। [वि.] दुर्गम।
दुर्गंध
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बदबू; बास; बुरी गंध; सड़ाँध 2. {ला-अ.} किसी असामाजिक बात या वस्तु का प्रसार। [वि.] 1. जिससे दुर्गंध निकलती हो 2. बुरी गंधवाला।
दुर्गंधक
(सं.) [वि.] जिससे दुर्गंध निकलती हो; बदबू करने वाला; वह वस्तु या पदार्थ जिसके कारण बदबू फैलती हो।
दुर्गंधनाशक
(सं.) [वि.] 1. दुर्गंध या बदबू दूर करने वाला 2. जो ख़ुशबू फैलाता हो।
दुर्गंधपूर्ण
(सं.) [वि.] जिससे दुर्गंध आती हो; दूषित; घिनौना; बदबूदार; गंदा; सड़ाँधवाला।
दुर्गंधमय
(सं.) [वि.] दुर्गंध से भरा हुआ; दुर्गंधपूर्ण।
दुर्गंधित
(सं.) [वि.] जिसमें दुर्गंध भरी हो; दुर्गंधपूर्ण; बदबूदार; दूषित; गंदा।
दुर्गत
(सं.) [वि.] 1. जिसकी बुरी गति हुई हो; दुर्दशाग्रस्त 2. दरिद्र; गरीब; अभावग्रस्त।
दुर्गति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्दशा; बुरी गति 2. दरिद्रता 3. कुपरिस्थिति 4. दुर्दशाग्रस्त होने की क्रिया या भाव।
दुर्गपति
(सं.) [सं-पु.] दुर्ग या गढ़ का प्रधान अधिकारी; किले का अधिकारी; किलेदार।
दुर्गपाल
(सं.) [सं-पु.] किलेदार; गढ़पति; मध्यकाल में दुर्ग या गढ़ की रक्षा करने वाला व्यक्ति; दुर्गरक्षक; कोटपाल।
दुर्गम
(सं.) [वि.] 1. जहाँ पहुँचना बहुत कठिन हो; जिसमें गमन करना या चलना कठिन हो; अगम 2. कठिन; विकट; दुरूह 3. जो शीघ्र समझ में न आता हो; दुर्बोध 4. अभेद्य;
पर्वतीय; अजेय।
दुर्गमता
(सं.) [सं-स्त्री.] दुर्गम होने की अवस्था; दुर्बोधता; विकटता; कठिनाई; अपारगम्यता।
दुर्गा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) एक देवी जिन्होंने अनेक असुरों का वध किया और जो आदि शक्ति मानी जाती हैं 2. एक संकर रागिनी जो गौरी, मालश्री, सारंग और लीलावती
के योग से बनी है 3. वह कन्या जो नौ वर्ष की हो 4. एक छोटा काला पक्षी; श्यामा पक्षी 5. एक प्रकार की बेल जिसके फूल सफ़ेद और नीले रंग के होते हैं; अपराजिता
नामक लता।
दुर्गा नवमी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्गा की पूजा की कार्तिक शुक्ल नवमी की तिथि 2. चैत्र-शुक्ल नवमी 3. आश्विन-शुक्ल नवमी।
दुर्गापूजा
(सं.) [सं-स्त्री.] दुर्गा का पूजन; नवरात्र की पूजा; उत्तर भारत में चैत्र और आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा से नवमी तक के नौ दिनों में दुर्गा की स्थापना के बाद
होने वाली पूजा-अर्चना।
दुर्गाष्टमी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 2. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि।
दुर्गुण
(सं.) [सं-पु.] दोष; बुराई।
दुर्गोत्सव
(सं.) [सं-पु.] नवरात्र में होने वाला दुर्गापूजा का उत्सव।
दुर्ग्रह
(सं.) [वि.] 1. जिसे ग्रहण करना या पकड़ना कठिन हो 2. जो कठिनाई से प्राप्त किया जा सके; दुष्प्राप्य 3. जिसे समझना कठिन हो; दुर्ज्ञेय।
दुर्ग्राह्य
(सं.) [वि.] जिसका अवगाहन कठिन हो; जिसे धारण करना कठिन हो; अबोध्य; कठिनाई से समझ आने वाला।
दुर्घट
(सं.) [वि.] जिसका होना कठिन हो; दुःसाध्य; जिसका घटित होना असंभव हो; जो संभव न हो।
दुर्घटना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह घटना जिससे जन-धन की हानि होती है; अशुभ या बुरी घटना; वह बात जिससे शोक हो; वारदात; अनहोनी; हादसा; (ऐक्सीडेंट) 2. विपत्ति; आफ़त 3.
अनर्थ 4. कांड।
दुर्घात
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरी तरह से किया जाने वाला प्रहार; तेज़ आघात 2. छल; फ़रेब; धोख़ेबाज़ी।
दुर्घोष
(सं.) [सं-पु.] 1. भालू; रीछ 2. दुःश्रव शब्द। [वि.] 1. जो बुरी आवाज़ करता है; कर्कश, कटु ध्वनि करने वाला 2. जिससे कानफोड़ू ध्वनि उत्पन्न हो।
दुर्जन
(सं.) [सं-पु.] दुष्ट व्यक्ति; खल वृत्ति वाला व्यक्ति।
दुर्जेय
(सं.) [सं-पु.] परमेश्वर। [वि.] जिसपर विजय पाना कठिन हो।
दुर्ज्ञेय
(सं.) [वि.] जिसे सरलता से जाना न जा सके; जो जल्दी से समझ में न आए; दुर्बोध।
दुर्दम
(सं.) [वि.] 1. जिसका दमन करना कठिन हो; वश में न आने वाला; 2. प्रबल; प्रचंड।
दुर्दमनीय
(सं.) [वि.] 1. प्रबल 2. जिसका दमन बहुत कठिन हो 3. जिद्दी; हठीला।
दुर्दम्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका दमन करना कठिन हो; दुर्दम 2. प्रबल; प्रचंड।
दुर्दर्श
(सं.) [वि.] 1. जिसके दर्शन कठिन हों; जिसे देखना कठिन हो 2. जिसको देखकर भय की अनुभूति हो 3. देखने में बुरा; भद्दा; कुरूप 4. जिसके दर्शन का परिणाम बुरा हो।
दुर्दशा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुरी हालत या अवस्था; दुर्गति 2. गरीबी 3. विपत्ति।
दुर्दांत
(सं.) [वि.] 1. क्रूर; हिंसक; आतताई 2. दुष्ट प्रवृत्ति का व्यक्ति; प्रबल 3. जिसका दमन कठिन हो; जिसे दबाना या वश में करना कठिन हो; बेकाबू।
दुर्दिन
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़राब दिन या दिवस 2. वर्षण; वृष्टि 3. घना अंधकार 4. विपत्ति का समय; संकट काल।
दुर्दैव
(सं.) [सं-पु.] 1. दुर्भाग्य; बदकिस्मती 2. बुरा समय; बुरे दिन।
दुर्धर
(सं.) [वि.] 1. जिसे पकड़ना कठिन हो 2. प्रबल; प्रचंड 3. जल्दी समझ में न आने वाला; दुर्बोध।
दुर्धर्ष
(सं.) [वि.] 1. जिसे वश में करना कठिन हो 2. जिसे परास्त करना या हराना कठिन हो 3. प्रबल; प्रचंड; उग्र 4. जिसे दबाया न जा सके 5. दुर्व्यवहारी। [सं-पु.] 1.
(महाभारत) हस्तिनापुर सम्राट धृतराष्ट्र का एक पुत्र 2. (रामायण) रावण की सेना का एक राक्षस।
दुर्नम्य
(सं.) [वि.] कठिनाई से झुकाने योग्य; जिसे झुकाना कठिन हो।
दुर्नाम
(सं.) [सं-पु.] 1. अपयश; अपकीर्ति 2. कुख्याति; बुरा नाम 3. कलंक; बदनामी 4. सीप 5. बवासीर रोग। [वि.] 1. बदनाम 2. बुरे नाम वाला; कुख्यात।
दुर्निवार
(सं.) [वि.] 1. जिसे टालना (निवारण करना या हटाना) मुश्किल हो 2. जिसे सहसा रोका न जा सके 3. जिसका हल निकालना मुश्किल हो।
दुर्नीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निंदनीय और बुरी नीति 2. नीति के विरुद्ध व्यवहार; दुराचार 3. अनैतिक आचरण; दुराचार 4. अन्याय; कुनीति।
दुर्बल
(सं.) [वि.] कमज़ोर; दुबला-पतला; क्षीणकाय; कृश।
दुर्बलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्बल होने की अवस्था या भाव 2. कमज़ोरी 3. दुबलापन।
दुर्बुद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ख़राब बुद्धि; कुबुद्धि 2. सोचने समझने की शक्ति क्षीण होना 3. बुरी बातें सोचने वाला व्यक्ति 4. हतबुद्धि; मूर्ख।
दुर्बोध
(सं.) [वि.] 1. जो शीघ्र समझ में न आए; कठिन; क्लिष्ट; गूढ़; कूटबद्ध 2. जो अपठनीय हो।
दुर्भागी
(सं.) [वि.] 1. भाग्यहीन; बदकिस्मत; अभागा 2. मुसीबतज़दा।
दुर्भाग्य
(सं.) [सं-पु.] ख़राब भाग्य; बदकिस्मती।
दुर्भाग्यवश
(सं.) [क्रि.वि.] दुर्भाग्य या बुरे भाग्य के कारण।
दुर्भाव
(सं.) [सं-पु.] किसी के प्रति होने वाला द्वेषभाव; दुष्कामना; बुरा भाव; कुभाव; तुच्छ विचार; नफ़रत; वैमनस्य; भीतरी बैर।
दुर्भावना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुरी भावना; दुष्कामना; वैमनस्य; कुविचार 2. आशंका; खटका।
दुर्भाषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुरी बातें; बुरी भाषा 2. दुर्वचन; गाली-गलौज।
दुर्भिक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. अकाल; अवर्षा; सूखा; कहर 2. वह समय जब अनाज की कमी पड़ जाए; अन्नाकाल; भुखमरी 3. दुर्दिन; आपत्ति काल।
दुर्भेद
(सं.) [वि.] दे. दुर्भेद्य।
दुर्भेद्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे भेदना कठिन हो; अति दृढ़ 2. जो बहुत कठिनाई से छेदा जा सके 3. शीघ्र पार न होने वाला 4. जिसके अंदर जाना या जिसपर अधिकार करना कठिन हो;
दुर्गम, जैसे- दुर्भेद्य गढ़।
दुर्भेद्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] दुर्भेद्य होने की अवस्था या भाव; अभेद्यता।
दुर्मति
(सं.) [सं-स्त्री.] दुष्ट बुद्धि। [वि.] 1. मूर्ख; पागल 2. दुर्जन; दुष्ट; कुटिल।
दुर्मद
(सं.) [वि.] 1. अहंकारी; घमंडी; गर्वित 2. जो नशे में चूर हो 3. मदांध; मदमत्त 4. उन्मत्त; पागल
दुर्मर
(सं.) [वि.] जिसकी मृत्यु सहज न हो; बहुत कठिनाई या कष्ट से मरने वाला।
दुर्मर्ष
(सं.) [वि.] असहनीय; दुःसह।
दुर्मिल
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का मात्रिक छंद; सवैया। [वि.] 1. दुष्प्राप्य; जो सहज न मिलता हो 2. अनमेल।
दुर्मुख
(सं.) [सं-पु.] 1. घोड़ा 2. गुप्तचर; भेदिया; जासूस 3. (रामायण) राम की सेना का एक वानर; राम का एक गुप्तचर। [वि.] कुमुख; कटुभाषी।
दुर्मोहा
(सं.) [सं-पु.] सफ़ेद घुँघची; कौआठोंठी।
दुर्यश
(सं.) [सं-पु.] अपयश; कुख्याति; बदनामी।
दुर्योग
(सं.) [सं-पु.] बुरा अवसर; बुरा योग; ख़राब समय।
दुर्योधन
(सं.) [सं-पु.] (महाभारत) धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम; हस्तिनापुर साम्राज्य का वह कौरव योद्धा जिसकी हठधर्मिता से महाभारत का युद्ध हुआ था।
दुर्रा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. चाबुक; कोड़ा 2. बड़ा मोती।
दुर्रानी
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अफ़गानों की एक जाति 2. उक्त जाति का व्यक्ति।
दुर्लंघ्य
(सं.) [वि.] जिसे लाँघना बहुत कठिन हो; जिसे सहजता से न लाँघा जा सके।
दुर्लक्ष्य
(सं.) [सं-पु.] बुरा लक्ष्य या उद्देश्य। [वि.] जो कठिनाई से दिखाई पड़े।
दुर्लभ
(सं.) [वि.] 1. जिसको प्राप्त करना कठिन हो; दुष्प्राप्य 2. जो कम मिलता हो 3. बढ़िया; विलक्षण; अनोखा; (रेअर)। [सं-पु.] 1. विष्णु 2. कचूर।
दुर्ललित
(सं.) [वि.] 1. जिसका रंग-ढंग अच्छा न हो 2. ख़राब; बुरा 3. नटखट; पाजी; दुष्ट।
दुर्लेख्य
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़राब लिखा हुआ लेख 2. वह लेख जो विधिक व्यवहार में अप्रमाणिक माना जाए; (इनवैलिड डीड) 3. जाली दस्तावेज़। [वि.] बुरी लिखावट वाला।
दुर्वचन
(सं.) [सं-पु.] 1. कटु वचन; कटाक्ष 2. अपशब्द; दूषित कथन; गाली।
दुर्वर्ण
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़राब वर्ण 2. चाँदी; रजत। [वि.] 1. श्वेत कुष्ठ वाला 2. बुरे वर्ण वाला।
दुर्वह
(सं.) [वि.] 1. दुस्सह; असह्य 2. जिसे वहन करना या ढोना कठिन हो।
दुर्वाणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुनने में बुरी लगने वाली बात; कटुक्ति 2. शत्रुवाणी।
दुर्वाद
(सं.) [सं-पु.] 1. निंदा; अपवाद; बदनामी 2. अनुचित विवाद; तकरार 3. गाली; दुर्वचन।
दुर्वासना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुरी इच्छा, कामना या वासना 2. ऐसी कामना या वासना जो कभी अथवा जल्दी पूरी न हो सके।
दुर्वासा
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) अत्रि और अनुसूया के पुत्र एक प्रसिद्ध ऋषि जो बहुत ही क्रोधी स्वभाव के थे और ज़रा-ज़रा-सी बात पर शाप दे बैठते थे 2. {ला-अ.} शीघ्र
क्रोधित होने वाला व्यक्ति।
दुर्विदग्ध
(सं.) [वि.] 1. जो भली प्रकार से जला न हो; अधजला 2. गर्वित; अभिमानी 3. अल्पज्ञानी 4. कम ज्ञान होने पर भी फूलने वाला; ओछा 5. जो पूरी तरह से पका न हो।
दुर्विनय
(सं.) [सं-स्त्री.] अविनय; उद्दंडता। [वि.] जिसमें विनय की कमी हो; दुर्व्यवहारी; जो उद्दंड हो।
दुर्विनियोग
(सं.) [सं-पु.] धन का अनुचित विनियोग; बिना सोचे समझे किसी व्यवसाय में धन लगाना।
दुर्विनीत
(सं.) [वि.] जो नम्र न हो; अशिष्ट; दुष्ट; दुर्व्यवहारी; अविनीत; अक्खड़; उद्दंड।
दुर्विपाक
(सं.) [सं-पु.] 1. दुखद घटना; दुर्घटना; कहर 2. बुरा परिणाम; दुष्परिणाम; कुफल; बुरा संयोग।
दुर्विभाव्य
(सं.) [वि.] जिसका अनुमान कठिनाई से हो; जिसकी कल्पना सहज संभव न हो।
दुर्विलास
(सं.) [सं-पु.] भाग्य का विपरीत होना; बदकिस्मत होना।
दुर्विष
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसपर ज़हर का असर न हो 2. शिव। [वि.] 1. बुरे स्वभाव का 2. दुराशय।
दुर्वृत्त
(सं.) [वि.] 1. बुरे आचरण वाला; दुश्चरित्र; दुराचारी 2. निंदनीय तरीकों से आजीविका चलाने वाला; बुरी वृत्तिवाला; ख़राब पेशेवाला।
दुर्वृत्तफलक
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र या फलक जिसपर किसी दुर्वृत्त या दुश्चरित्र व्यक्ति के द्वारा किए गए अपराधों आदि का लेखा-जोखा रहता है।
दुर्व्यवस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] बुरी व्यवस्था; अव्यवस्था; कुप्रबंध; बदइंतज़ामी।
दुर्व्यवहार
(सं.) [सं-पु.] बुरा व्यवहार; अनुचित या बुरा आचरण; अनुचित बर्ताव।
दुर्व्यसन
(सं.) [सं-पु.] किसी बुरी या हानिप्रद चीज़ की आदत (लत); ख़राब आदत; बुरी लत।
दुर्व्यसनी
(सं.) [वि.] 1. बुरे व्यसन वाला 2. बुरी लत या आदत वाला।
दुलकना
[क्रि-अ.] 1. कहकर मुकर जाना; इनकार करना 2. (घोड़े का) धीमी चाल से चलना। [क्रि-स.] किसी बात को दुबारा कहना; फिर से बतलाना।
दुलकी
[सं-स्त्री.] 1. घोड़े की कुछ उछलते हुए मध्यम गति से दौड़ने की चाल 2. द्रुत गति।
दुलखना
[क्रि-अ.] 1. कहकर मुकर जाना; इनकार करना 2. (घोड़े का) धीमी चाल से चलना। [क्रि-स.] किसी बात को बार-बार कहना; फिर से बतलाना।
दुलड़ी
[सं-स्त्री.] दो लड़ों की माला या हार।
दुलत्ती
[सं-स्त्री.] गाय, घोड़े आदि चौपायों द्वारा पिछले दोनों पैरों को एक साथ उठाकर किसी पर किया जाने वाला आघात; उक्त प्रकार से किया जाने वाला या लगने वाला आघात।
दुलदुल
(अ.) [सं-पु.] 1. वह मादा खच्चर जो मिस्र के हाकिम ने मुहम्मद साहब को भेंट की थी 2. मुहर्रम की आठवीं तारीख़ को जुलूस के साथ निकाला जाने वाला वह कोतल घोड़ा
जिसके साथ शिया मुसलमान मातम करते हुए चलते हैं।
दुलराना
[क्रि-अ.] 1. प्यार जतलाना या करना 2. लाड़ले बच्चे की तरह रूठना-मनाना आदि। [क्रि-स.] बच्चों से दुलार करना।
दुलहन
[सं-स्त्री.] 1. वधू; नववधू; नई बहू; नवविवाहिता; सद्यःपरिणीता; नवोढ़ा स्त्री 2. भ्रातृवधू; पुत्रवधू 3. पत्नी।
दुलहेटा
[सं-पु.] दुलारा लड़का; लाड़ला बेटा।
दुलाई
(सं.) [सं-स्त्री.] कपड़े की दो परतों में रुई भरकर सिला हुआ ओढ़ने का मोटा कपड़ा; ओढ़ने की रुईदार चादर; हलकी रजाई; लिहाफ़।
दुलार
[सं-पु.] दुलारने की क्रिया या भाव; लाड़-प्यार; बच्चों को पुचकारना, हाथ फेरना, चूमना आदि स्नेहसूचक चेष्टाएँ; प्यार।
दुलारना
(सं.) [क्रि-स.] बच्चों से दुलार करना; प्यार करना; पुचकारना, हाथ फेरना, चूमना आदि स्नेहसूचक चेष्टाएँ करना।
दुलारा
[वि.] जिसका बहुत दुलार किया गया हो या किया जाता हो; लाड़ला।
दुलारी
[सं-स्त्री.] प्यारी; चहेती; लाड़ली।
दुलीचा
[सं-स्त्री.] 1. गलीचा; कालीन 2. छोटा ऊनी आसन; दुलैचा।
दुलोही
[सं-स्त्री.] लोहे के दो टुकड़ों को जोड़ कर बनाई गई एक प्रकार की तलवार।
दुल्हन
[सं-स्त्री.] दे. दुलहन।
दुवन
(सं.) [सं-पु.] 1. दुष्ट चित्त का मनुष्य; खल; दुर्जन 2. दुश्मन; शत्रु 3. राक्षस।
दुवाज
[सं-पु.] एक प्रकार का घोड़ा।
दुवाल
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. चमड़े का तसमा 2. रिकाब में का चमड़ा या तसमा।
दुवाली1
[सं-स्त्री.] रंगे या छपे हुए कपड़ों पर चमक लाने के लिए घोंटने का बेलन; घोंटा।
दुवाली2
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] कमर में तलवार आदि लटकाने का चमड़े का परतला।
दुविधा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनिश्चय की मनःस्थिति; मन की अस्थिरता; द्वंद्व; असमंजस; पशोपेश; कशमकश 2. संदेह; संशय; आशंका; खटका।
दुविधाग्रस्त
(सं.) [वि.] दुविधा से भरा हुआ; दुविधायुक्त।
दुविधाहीन
[वि.] जो दुविधा रहित हो; जिसे कोई दुविधा न हो; असमंजस न हो।
दुशवार
(फ़ा.) [वि.] दे. दुश्वार।
दुशवारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दुशवार होने की अवस्था; मुश्किल; कठिनाई; विपत्ति; कठिन काम; संकट की अवस्था।
दुशाला
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार की ऊनी गरम चादर जिसके किनारों पर कढ़ाई होती है 2. पशमीने की चादरों का जोड़ा।
दुशील
(सं.) [वि.] 1. दुष्ट या बुरे स्वभाव वाला 2. बुरे आचरण वाला।
दुश्चक्र
(सं.) [सं-पु.] षड्यंत्र; चालबाज़ी।
दुश्चरित्र
(सं.) [सं-पु.] बुरा चरित्र या निंदनीय आचरण; बदचलनी; गुनाह। [वि.] जिसका चरित्र बुरा हो; बदचलन।
दुश्चिंतन
(सं.) [सं-पु.] बुरी या दूषित बातों पर विचार या चिंतन करते रहना।
दुश्चिंता
(सं.) [सं-स्त्री.] बुरी चिंता।
दुश्चेष्टा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी इच्छा की पूर्ति हेतु ख़राब प्रयास; बुरी चेष्टा; कुप्रयत्न।
दुश्मन
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. शत्रु; बैरी 2. अपकारी; बुरा चाहने वाला व्यक्ति।
दुश्मनी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] वैमनस्यता; वैर; शत्रुता।
दुश्वार
(फ़ा.) [वि.] 1. मुश्किल; कठिन; दुरूह 2. समस्यात्मक; विपत्तियों से भरा हुआ।
दुश्वारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मुश्किल; कठिनता; दुरूहता 2. दरिद्रता 3. आपत्ति; मुसीबत।
दुष्कर
(सं.) [वि.] जिसे करना कठिन हो; कष्टसाध्य।
दुष्कर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. बलात्कार 2. अनुचित, बुरा या निंदनीय काम 3. पाप।
दुष्कर्मी
(सं.) [वि.] 1. दुष्कर्म करने वाला 2. बलात्कारी 3. कुकर्मी; गुनहगार 4. अनुचित काम करने वाला।
दुष्कांड
(सं.) [सं-पु.] कुकृत्य; बुरा कार्य; बुरी घटना।
दुष्काल
(सं.) [सं-पु.] 1. आपातकाल; बुरा समय; कुपरिस्थिति; संकट से भरा हुआ समय 2. प्रलय; अकाल; दुर्भिक्ष 3. शिव।
दुष्कीर्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] बुरी कीर्ति; बदनामी; निंदा।
दुष्कुलीन
(सं.) [वि.] निम्न कुल या घराने का; अकुलीन।
दुष्कृति
(सं.) [सं-स्त्री.] अपराध। [सं-पु.] बुरा काम; कुकर्म; कुकृत्य। [वि.] बुरा काम करने वाला।
दुष्कृत्य
(सं.) [सं-पु.] बुरा या अनुचित कार्य; कुकर्म।
दुष्चिंतन
(सं.) [सं-पु.] बुरी बातों या नीच कार्य के विषय में सदा विचार करते रहना या सोचना।
दुष्ट
(सं.) [वि.] 1. बुरे आचरण वाला 2. कुटिल मनोवृत्ति वाला 3. दुर्जन; बदमाश; नीच।
दुष्टता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुष्ट होने का भाव 2. कुटिलता; क्रूरता; निष्ठुरता 3. बदमाशी।
दुष्टतापूर्ण
(सं.) [वि.] 1. दुष्टता से भरा हुआ 2. अनैतिक या अन्यायपूर्ण।
दुष्टदलन
(सं.) [वि.] दुष्टों का दलन अर्थात विनाश करने वाला।
दुष्टाचार
(सं.) [सं-पु.] दुराचार; बुरा व्यवहार।
दुष्टाचारी
(सं.) [वि.] बुरे आचरण वाला; दुर्जन; बदमाश; नीच।
दुष्टात्मा
(सं.) [वि.] 1. बुरे अंतःकरण या विचारों वाला; जिसका अंतःकरण दूषित हो; पापी 2. खोटा; नीच प्रकृति का।
दुष्टान्न
(सं.) [सं-पु.] 1. गलत तरीके से प्राप्त किया गया अनाज; अवैध कमाई का अन्न 2. सड़ा हुआ या बासी अनाज; ख़राब अन्न 3. कुत्सित व्यक्ति का अन्न।
दुष्परिणाम
(सं.) [सं-पु.] बुरा नतीजा; घातक परिणाम।
दुष्पार
(सं.) [वि.] 1. जिसे पार करना कठिन हो 2. जिसका पार, थाह या अंत पाना आसान न हो।
दुष्पूर
(सं.) [वि.] 1. जो शीघ्र पूरा न हो सके 2. जिसे भरना कठिन हो 3. जिसका निवारण करना सहज न हो।
दुष्प्रकृति
(सं.) [वि.] नीच स्वभाव का; नीच प्रवृत्ति वाला।
दुष्प्रचार
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरा प्रचार 2. झूठी बातों का प्रचार।
दुष्प्रभाव
(सं.) [सं-पु.] बुरा प्रभाव; गलत असर।
दुष्प्रयत्न
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरी चेष्टा; कुचेष्टा 2. ऋणात्मक दिशा में प्रयत्न।
दुष्प्रयोग
(सं.) [सं-पु.] किसी चीज़ का किया जाने वाला अनुचित प्रयोग; बुरा उपयोग; दुरुपयोग।
दुष्प्रवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] कुटिल या बुरी प्रवृत्ति; अनुचित प्रवृत्ति। [वि.] दुष्ट या बुरी प्रवृत्ति वाला।
दुष्प्राप्य
(सं.) [वि.] जो कठिनाई से प्राप्त किया जा सके; जो सरलता से प्राप्त न हो।
दुष्प्रेक्ष्य
(सं.) [वि.] 1. जो कठिनाई से देखा जा सके; जिसे देखना सहज न हो 2. जो देखने में बहुत भद्दा लगे; कुरूप; भद्दा 3. विकराल; भीषण।
दुष्प्रेरक
(सं.) [वि.] बुरी प्रेरणा देने वाला; बहकाने वाला।
दुष्प्रेरण
(सं.) [सं-पु.] उकसावा; बुरी प्रेरणा देना।
दुष्प्रेरणा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी को भड़काना 2. बुरी प्रेरणा।
दुष्प्रेरित
(सं.) [वि.] जिसे दुष्प्रेरण दिया गया हो; उकसाया हुआ; भड़काया हुआ।
दुष्यंत
(सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) प्रसिद्ध पुरुवंशीय राजा जिन्होंने कण्व ऋषि के आश्रम में पलने वाली शकुंतला से गंधर्व विवाह किया था 2. दुख का अंत।
दुसह
(सं.) [वि.] जिसे सहन करना या झेलना कष्टकर हो; जो सहन-शक्ति से बाहर हो; असह्य।
दुसाध
(सं.) [सं-पु.] 1. सुअर पालन का काम करने वाला व्यक्ति 2. एक जाति।
दुसाध्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका उपाय या प्रतिकार करना बहुत कठिन हो; कठिनाई से वश में होने वाला 2. (रोग) जिसका उपचार या चिकित्सा कठिन हो; असाध्य।
दुसूती
[सं-स्त्री.] दोहरे सूतों का मोटा कपड़ा।
दुस्तर
(सं.) [वि.] 1. जिसे पार करना कठिन हो; अपारगम्य; दुर्गम 2. जिसे पूरा करना कठिन हो; दुर्घट।
दुस्तर्क्य
(सं.) [वि.] जिसके संबंध में तर्क करना कठिन हो; जिसे तर्क से सिद्ध करना कठिन हो।
दुस्वप्न
(सं.) [वि.] बुरा सपना; डरावना सपना।
दुस्सह
(सं.) [वि.] जिसे सहन करना कठिन हो; असहनीय।
दुस्साध्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे साधना अत्यंत जटिल हो; असाध्य 2. जिसे करना कठिन हो; दुष्कर 3. (रोग) जिसकी चिकित्सा करना कठिन हो।
दुस्साहस
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी असंभव या बेहद कठिन कार्य के लिए किया गया साहस; ऐसा साहस जिससे हानि या संकट की संभावना हो; व्यर्थ का अनुचित साहस 2. धृष्टता; ढिठाई।
दुस्साहसिक
(सं.) [वि.] दे. दुस्साहसी।
दुस्साहसी
(सं.) [वि.] 1. दुस्साहस करने वाला 2. अनुचित साहस करने वाला; धृष्ट; ढीठ 3. असंभव या दुष्कर कार्य करने वाला।
दुहता
[सं-पु.] बेटी का बेटा; दोहता; नाती।
दुहत्था
[वि.] दोनों हाथों से समान रूप से काम करने में कुशल।
दुहना
(सं.) [क्रि-स.] 1. गाय-भैंस आदि के स्तनों से दूध निकालना 2. अंदर का तरल बाहर निकालना; किसी चीज़ का सत्त या सार भाग निकालना 3. {ला-अ.} धोखा देकर किसी से
निरंतर माल वसूलते या हड़पते रहना; धन वसूल करना।
दुहरा
[वि.] 1. दूना करना 2. दुहरा करना; एक भाग को दूसरे पर मोड़ना।
दुहराना
[क्रि-स.] 1. किसी बात या काम को दुबारा कहना या करना; पुनरावृत्ति करना 2. काम या दस्तावेज़ की अशुद्धि को जाँचने के लिए दुबारा देखना 3. कपड़े आदि की दो तहें
बनाना।
दुहराव
[सं-पु.] दुहराने की क्रिया या भाव; पुनरुक्ति।
दुहाई1
[सं-स्त्री.] 1. गाय, भैंस आदि दुहने का कार्य 2. दुहने की मज़दूरी।
दुहाई2
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी बात या सूचना जो तेज़ स्वर में चिल्लाकर लोगों को सुनाई जाए; घोषणा; मुनादी 2. दीनतापूर्वक की जाने वाली याचना; फ़रियाद। [मु.] -देना : अपने बचाव के लिए किसी को बुलाना।
दुहागिल
[वि.] 1. अभागा 2. अनाथ 3. निर्जन; खाली; सूना।
दुहाना
[क्रि-स.] दुहने का काम किसी और से कराना।
दुहावनी
[सं-स्त्री.] दूध दुहने की मज़दूरी; दुहाई।
दुहिता
(सं.) [सं-स्त्री.] बेटी; पुत्री; लड़की।
दुहेला
(सं.) [वि.] 1. दुखपूर्ण; दुखदायी 2. कठिन 3. दुस्साध्य; कष्टप्रद 4. विपत्ति से घिरा हुआ।
दुहैया
[वि.] गाय, भैंस आदि दुहने वाला।
दूकान
[सं-पु.] दुकान।
दूज
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. चंद्र मास के प्रत्येक पक्ष की दूसरी तिथि; द्वितीया 2. भाई दूज का त्योहार।
दूजा
(सं.) [वि.] 1. दूसरा 2. पराया।
दूत
(सं.) [सं-पु.] 1. सूचना, पत्र आदि को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने वाला व्यक्ति; संदेशवाहक 2. किसी राजा या राष्ट्र का वह प्रतिनिधि जो राजनीतिक कार्य से अन्य
राष्ट्र में भेजा गया हो; राजदूत।
दूतकर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. दूत का काम; संदेशवहन 2. राजनय।
दूतता
(सं.) [सं-स्त्री.] दूत का काम या भाव; दूतत्व।
दूतत्व
(सं.) [सं-पु.] दूत का कर्म; दूत्य; दूतता।
दूतपन
(सं.) [सं-पु.] दूतत्व; दूतता।
दूतमंडल
(सं.) [सं-पु.] किसी कार्य के लिए भेजे गए दूतों का दल या समूह।
दूतसंवाद
(सं.) [सं-पु.] दूत द्वारा भेजा हुआ संवाद।
दूतायन
(सं.) [सं-पु.] वह भवन या क्षेत्र जहाँ दूसरे राज्य या राष्ट्र के दूत, कर्मचारी आदि कार्य करते हैं; दूतावास।
दूतावास
(सं.) [सं-पु.] राजदूत का कार्यालय और निवास-स्थान; दूतायन।
दूतिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संदेश पहुँचाने वाली स्त्री या गणिका 2. (नाटक) वह स्त्री पात्र जो प्रेमी और प्रेमिका का मिलन करवाती है 3. कुटनी।
दूध
(सं.) [सं-पु.] 1. वह सफ़ेद या हलका पीला तरल पदार्थ जो गाय, भैंस, बकरी आदि स्तनधारी जीवों के स्तन से निकलता है तथा जिससे नवजात शिशुओं का पोषण होता है 2. वह
सफ़ेद तरल पदार्थ जो अनेक प्रकार के पौधों की पत्तियों या डंठलों को तोड़ने पर निकलता है 3. डिब्बाबंद दूध पावडर। [मु.]-की मक्खी की तरह निकाल कर फेंक देना : किसी को तुच्छ समझ कर अलग करना। -के दाँत न टूटना : सयाना न होना। -भर आना (छाती में) : माँ का बच्चे के प्रति स्नेह छलकना।
दूधभाई
[सं-पु.] ऐसे दो बालकों या व्यक्तियों में से कोई एक जो सहोदर (एक ही माँ के) न हो लेकिन एक ही स्त्री का दूध पीकर पला हो।
दूधा
[सं-पु.] 1. अनाज के कच्चे दाने से निकलने वाला दूध जैसा रस 2. अगहन में तैयार होने वाली धान की एक किस्म जिसका चावल कई वर्षों तक ख़राब नहीं होता है।
दूधिया
[सं-पु.] 1. दूध मिलाकर बनने वाला हलुआ; हलवा 2. एक मूल्यवान रत्न या पत्थर 3. नीली झलक वाला श्वेत रंग 4. आम की उत्तम किस्म। [सं-स्त्री.] 1. दुद्धी नामक
वनस्पति 2. ज्वार या चरी की एक किस्म 3. खड़िया मिट्टी 4. एक प्रकार की चिड़िया; लटोरा। [वि.] 1. जिसमें दूध मिला हो 2. दुधारु 3. जिसमें दूध हो 4. जिसका रंग
दूध जैसा सफ़ेद हो 5. जिसमें कच्चा होने से दूध हो, जैसे- दूधिया मक्का 6. अपक्व; कच्चा।
दून
[सं-स्त्री.] 1. दुगुना होने का भाव 2. दो पर्वतों के मध्य का स्थान; घाटी। [वि.] दुगुना; दोहरा। [मु.] -की लेना या हाँकना : शेखी बघारना;
बढ़-चढ़ कर बातें करना।
दूना
[वि.] दुगुना; दोगुना; दोहरा; (डबल)।
दूब
(सं.) [सं-स्त्री.] बहुतायत में उगने वाली हरे रंग की एक प्रसिद्ध घास; दूर्वा।
दूबस्थली
(सं.) [सं-स्त्री.] दूब से भरा हुआ मैदान; ऐसा स्थान जो दूब या घास से भरा हुआ हो।
दूबे
[सं-पु.] 1. ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम 2. द्विवेदी।
दूभर
(सं.) [वि.] जिसे सहना कठिन हो; भारी; मुश्किल; बोझिल; दुष्कर।
दूर
(सं.) [क्रि.वि.] 1. पृथक; अलग; किसी स्थान विशेष से हट कर; फासले पर 2. देशकाल के विचार से बहुत अंतर पर।
दूरंदेश
(फ़ा.) [वि.] बहुत दूर तक की बात सोचने वाला; दूरदर्शी; अग्रसोची।
दूरगामिता
(सं.) [सं-स्त्री.] दूरगामी होने की अवस्था या भाव।
दूरगामी
(सं.) [वि.] 1. जो दूर तक जाता हो 2. जिसका असर लंबे समय तक रहे; दीर्घकालीन 3. जिसके होने में विलंब हो।
दूरदराज़
(सं.+फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. बहुत दूर 2. दूरवर्ती।
दूरदर्शक
(सं.) [सं-पु.] 1. दूरवीक्षण यंत्र; दूरबीन; (टेलीस्कोप) 2. ज्ञानवान; प्राज्ञ। [वि.] 1. दूर तक की बात सोचने वाला 2. दूर तक देखने वाला; दूरदर्शी 3. बुद्धिमान;
समझदार; विवेकी।
दूरदर्शन
(सं.) [सं-पु.] 1. विद्युत तरंगों की मदद से बहुत दूर के दृश्य को प्रत्यक्ष रूप से देखने की प्रणाली; (टेलीविज़न) 2. दूर की चीज़ देखना।
दूरदर्शिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दूर की बात सोचने या समझने का गुण 2. पांडित्य; विद्वता।
दूरदर्शी
(सं.) [वि.] 1. दूर तक की बात सोचने वाला; बहुत आगे की समझने वाला 2. दूरंदेश परिणामदर्शी 3. चतुर; अक्लमंद; सयाना 4. चौकस; ख़बरदार; जागरूक। [सं-पु.] 1.
विद्वान 2. गिद्ध।
दूरदृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दूरदर्शिता; दूरंदेशी 2. भविष्य के बदलावों को सोचने-समझने की क्षमता।
दूरध्वनि
(सं.) [सं-स्त्री.] वह प्रणाली जिसके द्वारा एक स्थान से कही हुई बात दूसरे स्थान पर सुनाई पड़ती है; दूरभाष; (टेलीफ़ोन)।
दूरबीन
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक यंत्र या उपकरण जो दूर की चीज़ों को पास और स्पष्ट दिखाता है; (टेलिस्कोप)।
दूरभाष
(सं.) [सं-पु.] दूरवाणी; एक प्रकार का यंत्र जिसकी सहायता से दूर के शब्द या दूर की आवाज़ ज्यों की त्यों सुनाई पड़ती है; (टेलीफ़ोन)।
दूरमुद्रक
(सं.) [सं-पु.] एक यंत्र जिससे दूर से प्राप्त संदेश या समाचार कागज़ पर छप जाता है; (टेलीप्रिंटर)।
दूरवर्ती
(सं.) [वि.] जो बहुत दूर स्थित हो; दूरी पर रहने वाला; दूर का।
दूरविक्षेपण
(सं.) [सं-पु.] 1. एक स्थान से ध्वनि, चित्र या फ़िल्म आदि को बहुत दूर तक पहुँचाने की क्रिया 2. संचारण; पारेषण; (ट्रांसमिशन)।
दूरवीक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. दूर की चीज़ें देखने की क्रिया 2. टेलीविज़न।
दूरव्यापी
(सं.) [वि.] दूर तक फैला हुआ; जो बहुत दूर तक विस्तृत हो।
दूरशिक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] शिक्षण-संस्थान से दूर रह कर शिक्षा प्राप्त करना; दूरस्थ-शिक्षा।
दूरसंचार
(सं.) [सं-पु.] 1. शब्द का किसी विद्युत संकेत माध्यम द्वारा किसी दूरार्ध क्षेत्र तक संचारित या प्रेषित होना 2. इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों, जैसे- टेलीफ़ोन, मोबाइल
आदि की सहायता से बहुत दूर तक समाचार या संदेश पहुँचाने तथा प्राप्त करने की व्यवस्था; (टेलीकम्यूनिकेशन) 3. दूर-दूर तक संपर्क करने के साधन।
दूरसंवेदी
(सं.) [वि.] 1. दूर रह कर भी संवेदित करने वाला 2. दूर से कोई बात जतलाने या बतलाने वाला।
दूरस्थ
(सं.) [वि.] 1. जो दूरी पर स्थित हो; जो दूर हो; जो निकट न हो 2. जिसकी वर्तमान में घटित होने की संभावना न हो।
दूरागत
(सं.) [वि.] दूर से आया हुआ।
दूरान्वय
(सं.) [सं-पु.] रचना में एक दोष जो कर्ता और क्रिया, विशेष्य और विशेषण आदि के एक-दूसरे से दूर होने पर आता है।
दूरारूढ़
(सं.) [वि.] 1. बहुत आगे बढ़ा हुआ; ऊँचाई पर चढ़ा हुआ 2. तीव्र 3. प्रगाढ़।
दूरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दूर होने की अवस्था या भाव 2. दो स्थानों या वस्तुओं के बीच अंतर; (डिस्टेंस) 3. दो वस्तुओं के बीच का स्थान 4. अंतराल; फ़ासला; फ़र्क 5.
लंबाई।
दूरूह
(सं.) [वि.] 1. कठिन; दूभर 2. बोझिल।
दूर्वा
(सं.) [सं-स्त्री.] दूब नामक घास।
दूली
(सं.) [सं-स्त्री.] नील का पौधा जिससे नील तैयार किया जाता है।
दूल्हा
(सं.) [सं-पु.] 1. विवाह के लिए सजा हुआ युवक; वर; नौशा 2. वह जिसका अभी विवाह हुआ हो 3. स्त्री की दृष्टि में उसका पति 4. बना-ठना आदमी 5. नायक; नेता।
दूषक
(सं.) [सं-पु.] 1. दोष लगाने वाला व्यक्ति 2. आक्षेप करने वाला व्यक्ति 3. दुष्ट व्यक्ति। [वि.] 1. दूषित करने वाला; दोषजनक 2. विकार उत्पन्न करने वाला 3.
कलंकित करने वाला 4. अपराधी 5. बुरा।
दूषण
(सं.) [सं-पु.] 1. दोष लगाने का कार्य; दोषारोपण 2. प्रदूषण; संक्रमण 3. अवगुण; दोष; ऐब; कमी; दुर्गुण; ख़राबी 4. त्याज्य बात; बुराई 5. लांछन 6. (रामायण) रावण
का एक भाई जिसे पंचवटी में राम ने मारा था। [वि.] संहार करने वाला; विनाशकारी।
दूषित
(सं.) [वि.] 1. बुरा; ख़राब; बेकार 2. दोषयुक्त; आरोपित।
दूष्य
(सं.) [वि.] 1. जिसमें दोष लगाया या निकाला जा सके 2. निंदनीय; बुरा 3. तुच्छ; हीन।
दूसरा
[वि.] 1. अन्य; कोई और 2. पुनः; फिर से 3. क्रम के हिसाब से पहले के बाद पड़ने वाला 4. जो प्रस्तुत हो उससे भिन्न, जैसे- दूसरा काम 5. पराया।
दूहना
(सं.) [क्रि-स.] दे. दुहना।
दृकपथ
(सं.) [सं-पु.] दृष्टिपथ; दृष्टि की परिधि तक का पथ।
दृकपात
(सं.) [सं-पु.] 1. देखने की क्रिया; दृष्टिपात 2. अवलोकन; निरीक्षण।
दृग
(सं.) [सं-पु.] आँख; नेत्र; नयन; दृष्टि।
दृगंचल
(सं.) [सं-पु.] 1. पलक 2. कटाक्ष; चितवन।
दृगंबु
(सं.) [सं-पु.] 1. आँखों से निकलने वाला पानी 2. आँसू; अश्रु।
दृग-मिचाव
[सं-पु.] आँख-मिचौली नाम का खेल।
दृग्गोचर
(सं.) [वि.] जो आँख से दिखाई देता हो।
दृढ़
(सं.) [वि.] 1. पुष्ट; सबल; मज़बूत; पक्का; प्रगाढ़ 2. जो जल्दी टूट-फूट न सके; टिकाऊ; अटूट 3. जो हिलडुल न सके; अविचल; अडिग; स्थायी 4. अच्छी तरह बँधा हुआ; जो
ढीला न हो 5. हृष्टपुष्ट 6. ठोस; कड़ा 7. निश्चित; पक्का 8. संकल्पशील 9. एकनिष्ठ 10. आत्मविश्वासी; धीर।
दृढ़चेता
(सं.) [वि.] 1. दृढ़ संकल्प वाला 2. पक्के विचार वाला।
दृढ़ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दृढ़ होने की अवस्था या भाव; मज़बूती 2. अपने विचार एवं संकल्प पर दृढ़ रहने या जमे होने की क्रिया 3. कठोरता।
दृढ़निश्चयी
(सं.) [वि.] निश्चय या संकल्प का पक्का।
दृढ़प्रतिज्ञ
(सं.) [वि.] जो अपनी प्रतिज्ञा से न डिगे; कठोर प्रतिज्ञा वाला।
दृढ़ीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. दृढ़ करने की क्रिया 2. पुष्टि।
दृढ़ीभूत
(सं.) [वि.] दृढ़ किया हुआ।
दृप्त
(सं.) [वि.] 1. उग्र; प्रचंड 2. प्रज्वलित 3. तेजयुक्त 4. इतराया हुआ; गर्वित; अभिमानी।
दृप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आभा; चमक 2. रोशनी; प्रकाश 3. तेजस्विता 4. गर्व; अभिमान 5. उग्रता; प्रचंडता।
दृशद्वती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऋग्वेद में उल्लेखित प्राचीन नदी जिसे आजकल (थानेश्वर के निकट बहने वाली) घग्घर कहा जाता है 2. ऋषि विश्वामित्र की पत्नी का नाम।
दृश्य
(सं.) [सं-पु.] 1. जिसे देखा जा सकता हो; देखने योग्य; नज़ारा 2. जो दृष्टिगोचर हो; जो दिखता हो; (विज़ुअल) 3. अभिनय योग्य काव्य; नाटक 4. नाटक का एक दृश्य;
(सीन) 5. दर्शनीय स्थान; (सीनरी)। [वि.] 1. दर्शनीय; सुंदर 2. स्पष्ट।
दृश्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] दिखाई पड़ने की स्थिति।
दृश्यमान
(सं.) [वि.] 1. जो आँखों के समक्ष हो; चाक्षुष; साक्षात 2. प्रत्यक्ष रूप में दिखाई देने वाला 3. जो देखा जा रहा हो 4. मनोहर; सुरम्य; सुंदर 5. अभिव्यक्त 6.
प्रकट; प्रत्यक्ष; स्पष्ट; समक्ष 7. दृष्टिगोचर; चित्रवत।
दृश्य-श्रव्य
(सं.) [वि.] एक साथ देखा और सुना जा सकने वाला (टीवी; वीडियो); (ऑडियो-विज़ुअल)। दृश्यांकन (सं.) [सं-पु.] किसी दृश्य या घटना का अंकन।
दृश्याभास
(सं.) [सं-पु.] देखे गए चित्र या दृश्य का वह प्रतिबिंब या आभास जो आँखें बंद करने पर भी सामने ही विद्यमान प्रतीत होता हो।
दृश्यावली
(सं.) [सं-स्त्री.] दृश्यों की पंक्ति या श्रेणी।
दृष्ट
(सं.) [सं-पु.] 1. दर्शन; साक्षात्कार 2. अनुभूति 3. सांख्य दर्शन में प्रत्यक्ष प्रमाण। [वि.] 1. ज्ञात 2. जाना हुआ; देखा हुआ 3. अवलोकित 4. साक्षात देखा जाने
वाला; दिखाई पड़ने वाला; गोचर; प्रत्यक्ष।
दृष्टकूट
(सं.) [सं-पु.] 1. पहेली 2. (साहित्य) वह कविता जिसका अर्थ या आशय उसके वाच्यार्थ से नहीं बल्कि रूढ़ अर्थों और प्रसंग से निकलता हो।
दृष्टमान
(सं.) [वि.] जो देखा जा रहा हो।
दृष्टव्य
(सं.) [वि.] 1. देखने योग्य 2. जिसे दिखाया जाना हो।
दृष्टांत
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय को समझाने के लिए उसके समान किसी दूसरी बात का कथन; उदाहरण; मिसाल 2. (काव्यशास्त्र) एक अर्थालंकार।
दृष्टार्थ
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी शब्द का स्पष्ट और सरलता से समझ में आने वाला अर्थ 2. वह तत्व जिसका बोध कराने वाला तत्व सृष्टि में विद्यमान हो। [वि.] 1. जिसका अर्थ या
विषय स्पष्ट हो 2. व्यावहारिक।
दृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नज़र; निगाह 2. देखने की वृत्ति या क्षमता 3. विचार; सिद्धांत; मत 4. आशा 5. प्रकाश 6. ज्ञान 7. पहचान 8. उद्देश्य; अभिप्राय। [मु.] -जुड़ना : सामना होना; आँखें मिलना। -जोड़ना : सामना करना; आँखें मिलाना। -रखना : ध्यान रखना।
दृष्टिक
(सं.) [वि.] दृष्टि संबंधी।
दृष्टिकोण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी बात या विषय को किसी ख़ास पहलू से देखने-विचारने का ढंग या वृत्ति; नज़रिया 2. किसी विषय में निश्चित किया गया मत; (प्वाइंट ऑव व्यू) 3.
परिप्रेक्ष्य 4. विचार; राय; मत 5. समझ।
दृष्टिक्रम
(सं.) [सं-पु.] चित्रों आदि में वह अभिव्यक्ति जिससे दर्शक को यथाक्रम प्रत्येक वस्तु अपने उपयुक्त स्थान पर और ठीक मान में दिखाई दे।
दृष्टिगत
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो देखने का विषय हो 2. सिद्धांत। [वि.] 1. जो दिखाई पड़ता हो 2. देखा हुआ 3. जो देखने में आया हो।
दृष्टिगोचर
(सं.) [वि.] दिखाई पड़ने वाला; जो आँखों से देखा जा सके।
दृष्टिदोष
(सं.) [सं-पु.] 1. आँखों का रोग जिसमें पास या दूर की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं; दृष्टि में आ जाने वाली कमी या ख़राबी 2. देखने में त्रुटि होना 3.
पढ़ने में होने वाली गलती।
दृष्टिपात
(सं.) [सं-पु.] 1. देखने की अवस्था या भाव 2. सरसरी निगाह से देखना; अवलोकन।
दृष्टिबंध
(सं.) [सं-पु.] 1. जादू; इंद्रजाल 2. हाथ की चालाकी जो दूसरों को धोखा देने के लिए की जाए।
दृष्टिबंधक
(सं.) [सं-पु.] कोई चीज़ बंधक या रेहन रखने का वह प्रकार जिसमें धन या संपत्ति देने वाले को सिर्फ़ सूद ही मिलता है, संपत्ति की आय या देख-रेख से उसका कोई संबंध
नहीं होता।
दृष्टिभ्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. देखने में होने वाला धोखा; मायाजाल 2. किसी अस्तित्वहीन वस्तु का आभास होना 3. देखने में होने वाला वह भ्रम जिसमें चीज़ कुछ हो जबकि दिखाई कुछ
और देती हो; भ्रांति।
दृष्टिमंदता
(सं.) [सं-स्त्री.] आँखों से कम दिखाई देने की अवस्था या भाव।
दृष्टिमांद्य
(सं.) [सं-पु.] 1. आँखों से कम दिखाई देने की अवस्था 2. दृष्टिमंदता रोग।
दृष्टिवंत
(सं.) [वि.] 1. जिसमें देखने की शक्ति हो 2. जिसमें सोचने समझने की क्षमता हो 3. ज्ञानी; ज्ञानवान; जानकार।
दृष्टिविहीन
(सं.) [वि.] 1. जिसकी नेत्र ज्योति समाप्त हो गई हो; जिसे दिखाई न देता हो; अंधा; बिना आँखवाला 2. जिसमें समझ या सूझ-बूझ न हो।
दृष्टिसंपन्न
(सं.) [वि.] 1. जो देख और समझ सकता हो 2. दूरदर्शी; ज्ञानवान।
दृष्टिहीन
(सं.) [वि.] दृष्टिविहीन; अंधा।
दृष्टिहीनता
(सं.) [सं-स्त्री.] दृष्टिहीन होने की स्थिति।
देखना
(सं.) [क्रि-स.] 1. नेत्रों से किसी वस्तु के रंग-रूप, आकार-प्रकार आदि का ज्ञान प्राप्त करना 2. ताकना 3. निहारना 4. जाँच करना, अवलोकन करना 5. पता लगाना,
परखना 6. अनुभव करना 7. पत्र-पत्रिका आदि पढ़ना 8. देख-रेख करना। [मु.] -देखते रह जाना : चकित होकर चुप-चाप रह जाना।
देखना-परखना
[क्रि-स.] 1. निरीक्षण करना 2. परीक्षण करना; जाँचना।
देखभाल
[सं-स्त्री.] देख-रेख; निगरानी; हिफ़ाजत।
देखादेखी
[सं-स्त्री.] 1. एक-दूसरे को देखने की क्रिया 2. आँखों से देखने की अवस्था 3. साक्षात्कार; दर्शन। [क्रि.वि.] दूसरे को कुछ करते देखकर होने वाला अनुकरण; नकल।
देग
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. दाल या चावल आदि पकाने का बड़े आकार का धातु-निर्मित बरतन जिसका मुँह चौड़ा और पेंदा गोलाकार होता है तथा जिसे बड़े चूल्हे या भट्ठी पर
चढ़ाने-उतारने के लिए उसमें अमूमन कड़ेदार हत्थे लगे होते हैं 2. एक प्रकार का बाज़ पक्षी।
देगचा
(फ़ा.) [सं-पु.] पतीला; बटलोई।
देगची
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा देगचा 2. पीतल, स्टील आदि का एक बरतन।
देदीप्यमान
(सं.) [वि.] 1. चमकता हुआ; प्रकाशमान; चमक-दमक वाला 2. वैभवशाली 3. यशस्वी।
देन
[सं-स्त्री.] 1. देने की क्रिया या भाव; दान 2. किसी से प्राप्त की गई बेशकीमती चीज़; उपहार 3. वह वस्तु जो किसी को दी गई हो; प्रदत्त वस्तु 4. वह धन जो किसी को
देना या चुकाना हो; बाकी रकम 5. किसी प्रकार की देनदारी चुकता करने का दायित्व; देयता।
देनदार
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसे ऋण चुकाना हो; जिसे कुछ देना बाकी हो; कर्ज़दार; ऋणी 2. आभारी।
देनदारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] देनदार होने की अवस्था।
देना
[क्रि-स.] 1. किसी को कोई वस्तु आदि सौंपना; प्रदान करना 2. अपने अधिकार से दूसरे के अधिकार में पहुँचाना 3. समर्पित करना 4. डालना; उड़ेलना 5. मारना; आघात करना
6. पैदा करना; जनना 7. थमाना; पकड़ाना; हवाले करना 8. अनुभव कराना 9. परोसना; बाँटना 10. चुकाना 11. मुहैया कराना। [सं-पु.] कर्ज़; ऋण; देय।
देय
(सं.) [वि.] 1. जो देने योग्य हो 2. जो दिया जा सकता हो 3. जो लौटाया जाने का हो; बकाया 4. (धन) जो दिया जाना हो; (पेएबल)।
देयक
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र जिसमें किसी के नाम मुख्यतः बैंक के नाम यह लिखा हो कि अमुक व्यक्ति को हमारे खाते में से इतने रुपए दे दो; धनादेश; (चेक)।
देयता
(सं.) [सं-स्त्री.] धन चुकाने या कर्ज़ अदा करने की ज़िम्मेदारी।
देयादेय-फलक
(सं.) [सं-पु.] किसी व्यापारिक संस्था या प्रतिष्ठान आदि का एक निश्चित अंतराल पर या प्रतिवर्ष तैयार किया जाने वाला सभी देयों और आदेयों का लेखा; आय-व्यय फलक;
(बैलेंस शीट)।
देयादेश
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र जिसमें यह लिखा हो कि अमुक व्यक्ति को इतना धन दे दिया जाए; (पे-ऑर्डर)।
देयासी
[सं-पु.] झाड़-फूँक करने वाला ओझा।
देर
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जितना वक्त लगना चाहिए था उससे ज़्यादा वक्त; विलंब 2. समय; वक्त।
देरी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] किसी कार्य में नियत समय से अधिक लगने वाला समय; विलंब; देर।
देव1
(सं.) [सं-पु.] 1. ईश्वर; देवता 2. पूज्य या आदरणीय व्यक्ति 3. बड़ों के लिए आदरसूचक संबोधन।
देव2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. राक्षस; दैत्य; दानव 2. भीमकाय व्यक्ति।
देवअंशी
(सं.) [वि.] 1. जो देवता के अंश से उत्पन्न हो 2. जो किसी देवता का अवतार हो।
देवऋण
(सं.) [सं-पु.] देवताओं के ऋण से मुक्त होने के लिए किए जाने वाले यज्ञादि धार्मिक कृत्य।
देवऋषि
(सं.) [सं-पु.] देवताओं के लोक में रहने वाला और उनके समकक्ष माना जाने वाला ऋषि; देवर्षि।
देवकन्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. देवता की पुत्री 2. बहुत सुंदर स्त्री।
देवकार्य
(सं.) [सं-पु.] देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले होम, पूजा आदि धार्मिक कार्य।
देवकी
(सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) वसुदेव की पत्नी और कृष्ण की माता; कंस की चचेरी बहन।
देवकीनंदन
(सं.) [सं-पु.] देवकी के पुत्र कृष्ण; वासुदेव।
देवकीय
(सं.) [वि.] देवता से संबंधित, देवता का।
देवगज
(सं.) [सं-पु.] इंद्र का हाथी; ऐरावत।
देवगण
(सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं का समूह 2. देवताओं का अनुचर 3. आदित्य 4. अश्विनी, रेवती और पुष्य आदि नक्षत्रों का समूह 5. (ज्योतिष) तीन गणों में से पहला गण।
देवगृह
(सं.) [सं-पु.] 1. देवालय, मंदिर 2. देवताओं के निमित्त निर्मित भवन।
देवज़ाद
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. तेज़ और शक्तिशाली घोड़ा 2. बड़े डीलडौल का भयानक आदमी।
देवट
(सं.) [सं-पु.] शिल्पकार, शिल्पी, कारीगर।
देवठान
(सं.) [सं-पु.] 1. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 2. विष्णु भगवान का सोकर उठना; देवोत्थान।
देवतही
[सं-पु.] 1. (अंधविश्वास) किसी देवी-देवता को चढ़ाया हुआ वस्त्र 2. देवी-देवता की मूर्ति की उतरन।
देवता
(सं.) [सं-पु.] 1. वह स्वर्गीय प्राणी जिसमें दैव शक्ति विद्यमान हो तथा जो मृत्यु से मुक्त हो, सुर 2. {ला-अ.} उच्च मानवीय गुणों वाला व्यक्ति।
देवतात्मा
(सं.) [सं-पु.] 1. अलौकिक शक्ति 2. पीपल का वृक्ष। [वि.] 1. जो देवताओं की तरह हो 2. पावन, पवित्र।
देवता-स्वरूप
(सं.) [वि.] देवताओं के जैसा, देवता के लक्षणों से युक्त, देवस्वरूप।
देवत्त
(सं.) [वि.] 1. देवता द्वारा दिया हुआ 2. देवता के निमित्त दिया हुआ।
देवत्व
(सं.) [सं-पु.] देवता होने का भाव या धर्म; देवता का गुण; सुरत्व; अमरत्व।
देवदार
(सं.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध पर्वतीय वृक्ष; देवदारु।
देवदास
(सं.) [सं-पु.] 1. मंदिर या देवालय में कार्य करने वाला सेवक 2. मद्यप 3. {ला-अ.} किसी स्त्री के प्रेम में निमग्न (डूबा हुआ) व्यक्ति।
देवदासी
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रथा जिसमें जीवन भर अविवाहित रहकर देव-मंदिर में सेवा करने के लिए समर्पित कन्या जो बाद में मंदिर की नर्तकी हो जाती थी।
देवदूत
(सं.) [सं-पु.] देवताओं या ईश्वर का दूत; पैगंबर।
देवधरा
(सं.) [सं-पु.] देवालय; मंदिर।
देवधुनि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गंगा नदी 2. कोई पवित्र नदी।
देवनागरी
(सं.) [सं-स्त्री.] भारत की बहुप्रचलित लिपि जिसमें संस्कृत, हिंदी, मराठी, कोंकणी, डोगरी, नेपाली आदि भाषाएँ लिखी जाती हैं। इसे राष्ट्रीय लिपि भी कहा जाता है।
देवपथ
(सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं के चलने का मार्ग; आकाश 2. देव-मंदिर की ओर जाने का रास्ता।
देवपुर
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) इंद्र की नगरी; अमरावती 2. स्वर्ग।
देवपुरी
(सं.) [सं-स्त्री.] देवताओं की नगरी जो स्वर्ग में इंद्र की राजधानी मानी गई है; अमरावती।
देवप्रयाग
(सं.) [सं-पु.] उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध पर्वतीय तीर्थ स्थान और पर्यटन स्थल जो गंगा और अलकनंदा के संगम पर है।
देवभाग
(सं.) [सं-पु.] 1. यज्ञ और पूजन में देवताओं के लिए निकाला गया हिस्सा 2. संपत्ति का वह भाग जो किसी देवता या धार्मिक कार्य के लिए अलग निकाल दिया गया हो।
देवभाषा
(सं.) [सं-स्त्री.] संस्कृत भाषा।
देवभूमि
(सं.) [सं-पु.] स्वर्ग; ज़न्नत।
देवमंदिर
(सं.) [सं-पु.] किसी देवता की पूजा के लिए बनाया गया भवन; देवता का मंदिर; देवालय; धार्मिक उद्देश्य के लिए निर्मित इमारत।
देवमानव
(सं.) [सं-पु.] ऐसा मनुष्य जिसमें देवताओं जैसे गुण हों।
देवमूर्ति
(सं.) [सं-पु.] किसी देवी या देवता की प्रतिमा।
देवयज्ञ
(सं.) [सं-पु.] होम आदि कर्म जो पंचयज्ञों में से एक है तथा जिसे करना गृहस्थ का कर्तव्य है।
देवयानी
(सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) शुक्राचार्य की कन्या जो राजा ययाति की पत्नी थी।
देवयोनि
(सं.) [सं-स्त्री.] स्वर्ग, अंतरिक्ष आदि में रहने वाले उन जीवों का वर्ग जो देवताओं के अंतर्गत माने जाते हैं, जैसे- अप्सरा, किन्नर, यक्ष, गंधर्व आदि।
देवर
(सं.) [सं-पु.] पति का छोटा भाई।
देवराज
(सं.) [सं-पु.] देवताओं का राजा; इंद्र।
देवरानी
(सं.) [सं-स्त्री.] पति के छोटे भाई की पत्नी।
देवरिपु
(सं.) [सं-पु.] धर्म-ग्रंथों में मान्य वे दुष्ट आत्माएँ जो धर्म विरोधी कार्य करती हैं तथा देवताओं, ऋषियों आदि की शत्रु हैं; दानव; दैत्य; असुर।
देवर्षि
(सं.) [सं-पु.] देवता माने जाने वाले ऋषि, जैसे- नारद, कश्यप, भृगु, मरीचि आदि।
देवल
(सं.) [सं-पु.] 1. देवता का मंदिर; देवालय 2. मंदिर में पूजा के चढ़ावे से रोज़ी-रोटी चलाने वाला व्यक्ति; पंडा 3. पति का छोटा भाई; देवर 4. धार्मिक व्यक्ति 5.
नारद मुनि 6. धान की एक किस्म।
देवली
[सं-स्त्री.] 1. मिट्टी का बना ऊँचा चबूतरा 2. देवस्थान 3. छोटा दिया।
देवलोक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक कल्पित लोक 2. स्वर्गलोक 3. इंद्रलोक; देवताओं का निवास स्थल।
देववधू
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. देवता की स्त्री; देवी 2. अप्सरा।
देववल्भा
(सं.) [सं-स्त्री.] देवताओं को प्रिय लगने वाली स्त्री।
देववाणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) देवता के मुँह से निकला वचन; दिव्यवाणी 2. वह बात जो देवता द्वारा कही हुई मानी जाए 3. सुरवाणी; आकाशवाणी; (ओरेकल) 4. संस्कृत
भाषा।
देववाद
(सं.) [सं-पु.] देवताओं की सत्ता स्वीकार करने का सिद्धांत।
देववृक्ष
(सं.) [सं-पु.] कल्पतरु; कल्पवृक्ष।
देवशिल्पी
(सं.) [सं-पु.] देवताओं के शिल्पी; विश्वकर्मा।
देवसभा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. देवताओं की सभा या समाज 2. राजसभा 3. जुआ खेलने का स्थान।
देवसेना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) देवताओं की सेना 2. देवताओं के सेनापति स्कंद (कार्तिकेय) की पत्नी।
देवस्थल
(सं.) [सं-पु.] देवालय; मंदिर।
देवस्थान
(सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ किसी देवता की मूर्ति या मूर्तियाँ स्थापित करके उनकी पूजा की जाती है; देवताओं का स्थान; देवथान 2. देवालय; मंदिर; देवगृह।
देवा
(सं.) [सं-पु.] देवता; देव। [सं-स्त्री.] 1. पटसन 2. पद्मचारिणी नामक लता। [वि.] देने वाला; दाता।
देवांगना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. देवी 2. देवपुत्री 3. देवदासी 4. देवस्त्री।
देवांश
(सं.) [सं-पु.] 1. देवता का भाग; देवता हेतु निकाला गया अंश (हिस्सा) 2. ईश्वर का अंशभूत; परमात्मा का अंशावतार।
देवाक्रीड़
(सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं और इंद्र का उपवन; देवोद्यान 2. नंदनवन।
देवागार
(सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं के रहने का स्थान; स्वर्ग 2. मंदिर; देवालय।
देवात्मा
(सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं की तरह पवित्र और शुद्ध आत्मा वाला व्यक्ति 2. अश्वत्थ; पीपल।
देवाधिदेव
(सं.) [सं-पु.] विष्णु, शिव आदि देवता।
देवाधिप
(सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं के अधिपति; इंद्र 2. परमेश्वर 3. द्वापर युग के एक राजा।
देवानांप्रिय
(सं.) [सं-पु.] 1. सम्राट अशोक हेतु एक संबोधन 2. (अंधविश्वास) बकरा जो देवी के लिए बलि चढ़ाया जाता था। [वि.] 1. देवताओं को प्रिय 2. मूर्ख 3. बड़ों के लिए
प्रयुक्त होने वाला आदरसूचक विशेषण।
देवानीक
(सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं की सेना 2. सगर के वंशज एक राजा 3. सावर्णि मनु के एक पुत्र का नाम।
देवानुचर
(सं.) [सं-पु.] 1. यक्ष, विद्याधर आदि दस उपदेव जो देवताओं से साथ चलते हैं 2. देवता का सेवक; देवानुग।
देवान्न
(सं.) [सं-पु.] अमृत; हवि; चरू।
देवाभियोग
(सं.) [सं-पु.] जैन ग्रंथों में वर्णित एक विश्वास जिसके अनुसार देवता किसी शरीर में प्रवेश करके अनुचित कर्म में प्रवृत्त करता है।
देवार्चन
(सं.) [सं-पु.] देवी-देवताओं का पूजन या कर्मकांड; देवार्चना।
देवार्पण
(सं.) [सं-पु.] 1. देवता हेतु चढ़ावा; नैवेद्य 2. किसी देवता या मंदिर आदि के लिए वस्तु का दान या उत्सर्ग।
देवाल
[वि.] 1. देने वाला; दाता 2. दूसरों को देने की प्रवृत्तिवाला 3. बेचने वाला।
देवालय
(सं.) [सं-पु.] 1. मंदिर 2. देवताओं के रहने का स्थान; स्वर्ग।
देवाश्र्व
(सं.) [सं-पु.] इंद्र का घोड़ा; उच्चैःश्रवा।
देवासुर
(सं.) [सं-पु.] सुर और असुर; देवता और राक्षस।
देवी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रेष्ठ गुणों वाली स्त्री; सुंदर स्त्री 2. दुर्गा; सरस्वती; पार्वती 3. विवाहिता स्त्री के लिए आदरसूचक संबोधन 4. स्त्रियों के नाम के
अंत में लगने वाला शब्द 5. पटरानी 6. हरीतकी; अलसी 7. कुलीन स्त्री 8. दिव्यांगना 9. श्यामा नाम की चिड़िया।
देवेंद्र
(सं.) [सं-पु.] इंद्र; देवताओं का राजा।
देवेश
(सं.) [सं-पु.] 1. ईश्वर 2. देवताओं के राजा इंद्र 3. विष्णु 4. शिव।
देवेश्वर
(सं.) [सं-पु.] देवेश।
देवोत्तर
(सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं को चढ़ाया जाने वाला धन 2. देवता या मंदिर आदि के निमित्त उत्सर्ग की गई संपत्ति।
देवोत्थान
(सं.) [सं-पु.] 1. एक तिथि कार्तिक शुक्ल एकादशी 2. उक्त तिथि का एक पर्व; धार्मिक विचार से विष्णु का शेषनाग की शय्या से उठना जो पर्व के रूप में मनाया जाता
है।
देवोन्माद
(सं.) [सं-पु.] 1. देवता के कोप से उत्पन्न एक प्रकार का मानसिक रोग या उन्माद 2. वह उन्माद जिसमें रोगी पूजनादि पवित्र कार्य करता है।
देवोपासना
(सं.) [सं-स्त्री.] देवताओं की अराधना; पूजा; अर्चना।
देश
(सं.) [सं-पु.] 1. प्राकृतिक आधार पर विभाजित विशिष्ट भू-भाग 2. एक शासन पद्धति के अंतर्गत आने वाला मुल्क या राष्ट्र 3. एक राग।
देशकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी काल विशेष में देश या समाज की दशा 2. देश और काल 3. स्थान और समय; दिक्काल।
देशगत
(सं.) [वि.] 1. देश से संबंधित 2. किसी स्थान विशेष से जुड़ा हुआ 3. देश का।
देशगान
(सं.) [सं-पु.] 1. राष्ट्र के सम्मान में गाया जाने वाला गान या गीत 2. अपने देश की ख़ूबियों का बखान गीत के माध्यम से करना।
देशज
(सं.) [वि.] 1. जो बोलचाल की भाषा से स्वतः उत्पन्न हो 2. देश या लोक में प्रचलित 3. लोक से आगत या उत्पन्न।
देशज्ञ
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी देश के बारे में पूरी जानकारी या ज्ञान रखने वाला व्यक्ति 2. देश की रीति-नीति और संस्कृति से परिचित व्यक्ति।
देशत्याग
(सं.) [सं-पु.] अपने देश को छोड़कर किसी दूसरे देश में चले जाने की क्रिया; देशांतरण।
देशद्रोह
(सं.) [सं-पु.] 1. देश या देशवासियों को क्षति पहुँचाने वाला कार्य 2. विश्वासघात; बेईमानी; गद्दारी; नमकहरामी 3. राष्ट्रीय संसाधनों को नष्ट करना 4. भ्रष्टाचार
5. दलाली 6. राजद्रोह; विद्रोह; बगावत।
देशद्रोही
(सं.) [सं-पु.] अपने देश से द्रोह करने वाला व्यक्ति। [वि.] अपने देश से विद्रोह करने वाला; गद्दार।
देशधर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी देश के लिए अनुकूल धर्म; रीति-रिवाज के अनुसार व्यवहार 2. देश विशेष के लिए किया जाने वाला उचित आचार-विचार।
देशनिकाला
(सं.) [सं-पु.] किसी व्यक्ति के द्वारा जघन्य अपराध या देशद्रोह किए जाने पर उसे मृत्युदंड न देकर देश से निकाल देना; देश से बाहर निकाले जाने की सज़ा; देश
निर्वासन का दंड।
देश निष्कासन
(सं.) [सं-पु.] देश से निकाले जाने का दंड; देशनिकाला; देशनिर्वासन।
देशपति
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा; नृपति 2. किसी देश का प्रधान शासक।
देशप्रेम
(सं.) [सं-पु.] 1. देश के प्रति होने वाला अनुराग या लगाव; राष्ट्रीयता; देशभक्ति; वतनपरस्ती; स्वदेशप्रेम 2. देश की उन्नति के लिए कार्य करने की भावना।
देशप्रेमी
(सं.) [सं-पु.] वह जो देश से प्रेम करता हो; राष्ट्रभक्त; देशानुरागी; जो देश के लिए बलिदान करने को तत्पर रहता हो।
देशबंधु
(सं.) [सं-पु.] 1. देशवासी जो भाई के समान होता है 2. हमवतन।
देशभक्त
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो देश से प्यार करता हो; राष्ट्रभक्त 2. अपने देश या मुल्क की उन्नति के लिए प्रयास करने वाला व्यक्ति।
देशभक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] देश के प्रति भक्ति-भावना; स्वदेश प्रेम।
देशमुख
(सं.) [सं-पु.] मराठी भाषियों में प्रचलित एक कुलनाम या सरनेम।
देशरक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] देश को शत्रुओं से बचाना; बाहरी और आंतरिक शत्रुओं से राष्ट्र की रक्षा करना।
देशवासी
(सं.) [सं-पु.] देश में रहने वाले या बसे हुए लोग; नागरिक; जन; अवाम।
देशव्यापी
(सं.) [वि.] 1. पूरे देश में व्याप्त; सारे देश में फैला हुआ 2. जो देश भर में मिलता हो 3. बहुत विस्तृत।
देशस्थ
(सं.) [वि.] देश में स्थित; देश में रहने वाला। [सं-पु.] महाराष्ट्र के ब्राह्मणों का एक भेद।
देशहितैषी
(सं.) [सं-पु.] 1. देश की उन्नति करने वाला व्यक्ति 2. देश का भला चाहने वाला व्यक्ति; देशभक्त 3. जनता का कल्याण करने वाला व्यक्ति 4. जनसेवी; समाजसेवी।
देशांतर
(सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी के मानचित्र के अनुसार ग्रीन विच (लंदन) से गुजरते हुए उत्तरी से दक्षिणी ध्रुव तक जाने वाली रेखा की पूर्व या पश्चिम में किसी स्थान
की (उस रेखा से) दूरी, जिसे डिग्रियों में नापा जाता है; लंबांश (लॉगिच्यूड) 2. विदेश; दूसरा देश।
देशांतरण
(सं.) [सं-पु.] दूसरे देश में चले जाना; देशांतरगमन।
देशांतरित
(सं.) [वि.] दूसरे देश में जाकर बसा हुआ।
देशांतरी
(सं.) [वि.] दूसरे देश का; परदेशी; विदेशी; दूसरे देश से संबंधित।
देशांतरीय
(सं.) [वि.] देशांतरी।
देशांश
(सं.) [सं-पु.] भूगोल में ध्रुवों से होकर उत्तर दक्षिण गई हुई किसी सर्वमान्य मध्य रेखा से पूर्व या पश्चिम की दूरी; लंबांश।
देशाचार
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी देश में बहुत दिनों से प्रचलित आचार-व्यवहार 2. किसी देश के रीति-रिवाज।
देशाटन
(सं.) [सं-पु.] दूसरे देशों में पर्यटन के लिए जाना; भ्रमण करना; दूर-दूर के देशों की लंबी यात्रा; पर्यटन।
देशानुराग
(सं.) [सं-पु.] देश के प्रति होने वाली श्रद्धा या आदर भाव; देशभक्ति; राष्ट्रभक्ति।
देशानुरागी
(सं.) [वि.] देश के प्रति होने वाली श्रद्धा या आदर भाव रखने वाला; देशभक्त; राष्ट्रभक्त।
देशाहंकार
(सं.) [सं-पु.] देश पर किया जाने वाला अहंकार या अभिमान।
देशाहंकारी
(सं.) [वि.] देश पर अहंकार या अभिमान करने वाला।
देशी
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का नृत्य। [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की रागिनी 2. संगीत के दो भेदों में से एक 3. स्थान या किसी देश विशेष की बोली। [वि.] 1. स्वदेशी;
देश में बना हुआ 2. स्थानीय; (लोकल) 3. देश संबंधी।
देशीकरण
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी विदेशी वस्तु या विचार को देश के अनुरूप ढाल लेना 2. समावेश; समत्व 3. अनुकूलन 4. नागरिक बनाना।
देशीय
(सं.) [वि.] 1. देश का; देश संबंधी 2. स्वदेश का; अपने देश का 3. अपने देश में उत्पन्न या बना हुआ।
देशीयता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. देश संबंधी भाव 2. स्थानीयता।
देशी राज्य
(सं.) [सं-पु.] बिट्रिश शासन काल में वे अनेक छोटे-बड़े राज्य जो राजाओं और सामंतों के अधीन थे और आज़ादी के बाद जिनका भारत में विलय हो गया था; रियासत।
देशोत्पन्न
(सं.) [वि.] 1. देश में उपजा या उत्पन्न 2. देश में जन्मा हुआ।
देशोन्नति
(सं.) [सं-स्त्री.] देश की प्रगति या विकास।
देसावर
[सं-पु.] अन्य देश; विदेश; परदेश; देशांतर।
देसावरी
[वि.] 1. जो दूसरे देश से संबंधित हो या दूसरे देश का हो 2. जो दूसरे देश का रहने वाला हो; देसावर का; दूसरे देश से आया हुआ।
देह
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर; काया; तन 2. जीवन 3. शरीर का कोई अंग 4. देवता आदि की मूर्ति।
देहत्याग
(सं.) [सं-पु.] मृत्यु; मरण; मौत।
देहधारण
(सं.) [सं-पु.] शरीर प्राप्त करना; जन्म लेना।
देहधारी
(सं.) [सं-पु.] प्राणी; जीव। [वि.] 1. जिसने शरीर धारण किया हो 2. शरीरी; अंगधारी; देहवान।
देहपंजर
(सं.) [सं-पु.] हड्डियों का ढाँचा; कंकाल।
देहपात
(सं.) [सं-पु.] 1. देह या शरीर का नाश 2. मृत्यु; मौत।
देहपिंजर
(सं.) [सं-पु.] 1. हड्डियों का ढाँचा 2. शरीर की आकृति।
देहभाषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मनुष्य के हाव भाव की भाषा 2. शारीरिक चेष्टा; (बॉडी लैंग्वेज)।
देहयष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शारीरिक गठन 2. देह की संरचना या बनाव; कदकाठी।
देहर
(सं.) [सं-स्त्री.] वह नीची भूमि जो किसी नदी के किनारे हो और जहाँ नदी के बढ़ने पर पानी आ जाता हो।
देहरक्षक
(सं.) [सं-पु.] किसी के शरीर की रक्षा करने के लिए नियुक्त व्यक्ति; अंगरक्षक। [वि.] देह या अंग की सुरक्षा करने वाला; अंगसंरक्षी।
देहरा
(सं.) [सं-पु.] मंदिर; देवालय।
देहरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. द्वार की चौखट के नीचे वाली लकड़ी या पत्थर जो ज़मीन पर रहती है 2. देहली; दहलीज़; ड्योढ़ी; डेहरी; बरोठा; चौखट; दहलीज़ 3. घर के
मुख्य-द्वार का बाहरी भाग।
देहवंत
(सं.) [सं-पु.] देहधारी; जीव। [वि.] शरीरधारी; जिसकी देह हो; देहवान।
देहवान
(सं.) [सं-पु.] प्राणी; जीव। [वि.] जो शरीर से युक्त हो; शरीरी; अंगधारी।
देहव्यापार
(सं.) [सं-पु.] वेश्यावृति का धंधा।
देहांत
(सं.) [सं-पु.] देह का अंत; प्राणांत; जीवन का अंत; मृत्यु; मरण।
देहांतर
(सं.) [सं-पु.] 1. एक शरीर त्यागने पर मिलने वाला दूसरा शरीर 2. जन्मांतर 3. पुनर्जन्म।
देहांतरण
(सं.) [सं-पु.] आत्मा के एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश करने की क्रिया; देहांतर।
देहात
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. गाँव; ग्राम 2. ग्रामीण क्षेत्र।
देहाती
[वि.] 1. गाँव का 2. गाँव संबंधी 3. गाँव में रहने वाला 4. देहात जैसा 5. ग्रामीय; ग्राम्यतापूर्ण। [सं-पु.] गाँव में रहने वाला व्यक्ति; ग्रामीण।
देहातीत
(सं.) [वि.] 1. जो देह से परे हो 2. विदेह 3. देह के अभिमान से रहित 4. अचेत।
देहात्म
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर और आत्मा 2. देह और आत्मा की अभिन्नता।
देहात्मवाद
(सं.) [सं-पु.] एक दार्शनिक सिद्धांत जिसमें देह को ही आत्मा मानते हैं; देह से भिन्न आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं माना गया है।
देहात्मवादी
(सं.) [सं-पु.] देहात्मवाद का अनुयायी या समर्थक; चार्वाक मत का पोषक।
देहात्मा
(सं.) [सं-पु.] देह (शारीर) और आत्मा।
देहावरण
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर पर पहनने के या उसको ढकने के कपड़े 2. ज़िरह; बख़्तर; कवच।
देहावसान
(सं.) [सं-पु.] 1. मृत्यु; निधन 2. देह का अवसान या अंत।
देही
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर 2. आत्मा 3. देहधारी; जीव। [वि.] देह धारण करने वाला; शरीरी।
देहोत्सर्ग
(सं.) [सं-पु.] आत्मा के एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश करने की क्रिया; देहांतर; मरना।
दैत्य
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) कश्यप की पत्नी दिति से उत्पन्न पुत्र 2. दानव; राक्षस; असुर 3. पुराणों में उल्लेखित एक जाति विशेष 4. राक्षस प्रवृति का व्यक्ति 5.
नीच; दुराचारी; अमानवीय 6. {ला-अ.} बड़े डील-डौल वाला लंबा-चौड़ा बलिष्ठ या कुरूप व्यक्ति।
दैत्याकार
(सं.) [वि.] बहुत बड़े आकार का; भयंकर स्वरूप का; दैत्य जैसा।
दैत्यारि
(सं.) [सं-पु.] 1. दैत्यों के शत्रु विष्णु 2. देवता 3. इंद्र।
दैत्येंद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. दैत्यों का राजा 2. गंधक।
दैनंदिन
(सं.) [वि.] नित्य का; प्रतिदिन होने वाला। [क्रि.वि.] 1. दिनोंदिन 2. प्रतिदिन; दैनिक 3. निरंतर; लगातार।
दैनंदिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह पुस्तिका जिसमें नित्य दिन भर के कार्यों का विवरण लिखा जाता है; दैनिक लेखापुस्तिका 2. दैनिकी; (डायरी)।
दैनिकपत्र
(सं.) [सं-पु.] प्रतिदिन प्रकाशित होने वाला समाचारपत्र; रोज़ छपने वाला अख़बार।
दैनिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] दिन-प्रतिदिन होने वाले कार्य और विवरण लिखने की पुस्तिका; (डायरी)।
दैन्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दीनता का भाव 2. विपन्नता; गरीबी; दरिद्रता 3. दुख में करुणामय हो जाने का भाव; नम्रता 4. कातरता 5. (काव्यशास्त्र) एक संचारी भाव।
दैया
[अव्य.] आश्चर्य, भय या दुखसूचक शब्द।
दैर्घ्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दीर्घ का भाव 2. दीर्घता; लंबाई 3. बड़प्पन; बड़ाई।
दैव
(सं.) [वि.] 1. दैव संबंधी 2. देवता द्वारा प्रेरित 3. ईश्वरीय; दिव्य।
दैवकृत
(सं.) [वि.] ईश्वर का किया हुआ; दैवीय।
दैवगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ईश्वरीय इच्छा; घटना 2. नियति; भाग्य; प्रारब्ध।
दैवज्ञ
(सं.) [सं-पु.] फलित ज्योतिष का ज्ञाता, ज्योतिषी। [वि.] दैव संबंधी बातों का जानकार।
दैवत
(सं.) [वि.] 1. ईश्वर संबंधी 2. ईश्वर का किया हुआ; दैवीय।
दैवत्य
(सं.) [सं-पु.] देवता।
दैवयोग
(सं.) [सं-पु.] इत्तेफ़ाक; ईश्वर की इच्छा से बना संयोग।
दैवल
(सं.) [सं-पु.] प्रेत-पूजा करने वाला व्यक्ति।
दैववश
(सं.) [क्रि.वि.] दैवयोग से; संयोगवश; अकस्मात।
दैववाद
(सं.) [सं-पु.] दुनिया की समस्त बातों और घटनाओं के होने में ईश्वर की प्रेरणा को मानने का सिद्धांत; नियतिवाद।
दैववादी
(सं.) [वि.] होनी को ही प्रधान मानने वाला; भाग्य के भरोसे रहने वाला।
दैवविवाह
(सं.) [सं-पु.] हिंदू धर्मशास्त्रों में उल्लिखित आठ प्रकार के विवाहों में से एक।
दैवाकरि
(सं.) [सं-पु.] दिवाकर या सूर्य के पुत्र- शनि तथा यम।
दैवाकरी
(सं.) [सं-स्त्री.] दिवाकर की पुत्री यमुना।
दैवागत
(सं.) [वि.] 1. जो दैवयोग से हुआ हो 2. ईश्वर द्वारा होने वाला 3. अनपेक्षित; संयोगजन्य 4. अचानक होने वाला; आकस्मिक।
दैवात
(सं.) [अव्य.] 1. दैवयोग से 2. अकस्मात; अचानक 3. संयोगवश; इत्तिफ़ाक से।
दैवाधीन
(सं.) [वि.] 1. ईश्वर के अधीन; दैव के नियंत्रण में 2. भाग्य या किस्मत के भरोसे रहने वाला 3. प्रारब्ध; दैवायत्त।
दैविक
(सं.) [वि.] 1. प्राकृतिक कारणों से होने वाला 2. आध्यात्मिक; ईश्वरीय 3. देवता संबंधी 4. देवता द्वारा किया हुआ 5. दिव्य; नैसर्गिक।
दैवी
(सं.) [वि.] 1. देव संबंधी 2. देवी-देवताओं द्वारा की हुई; देवकृत 3. प्राकृतिक; आकस्मिक 4. संयोग से होने वाला।
दैशिक
(सं.) [वि.] 1. देश स्तरीय; राष्ट्रीय 2. देश या राज्य में होने वाला; देशजनित 3. देश या स्थान संबंधी 4. स्थान विशेष से परिचित।
दैष्टिक
(सं.) [सं-पु.] भाग्यवादी। [वि.] भाग्य में बदा हुआ; पूर्वनियत।
दैहकीय
(सं.) [वि.] शरीर या उसके अंगों से संबंधित; शारीरिक।
दैहिक
(सं.) [वि.] 1. शारीरिक; देह से संबंधित 2. देहजनित; शरीर से उत्पन्न।
दैहिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] वह शास्त्र जिसमें शरीर के अंगों की बनावट और उनके कार्यों का विवेचन होता है; शरीरशास्त्र।
दो
(सं.) [वि.] संख्या '2' का सूचक।
दोंचना
[क्रि-स.] दबाव में डालना।
दोअन्नी
[सं-स्त्री.] दो आने का पुराना सिक्का।
दोआब
(फ़ा.) [सं-पु.] दो नदियों के बीच का स्थल-क्षेत्र (भूमि); पंजाब प्रांत का एक क्षेत्र (दोआबा)।
दोआह
[सं-पु.] पहली पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी करने वाला पुरुष; दूजा।
दोकोहा
[सं-पु.] दो कूबड़वाला ऊँट; वह ऊँट जिसकी पीठ पर दो कूबड़ हों।
दोगला1
[सं-पु.] बाँस की कमचियों का बना एक गोल और कुछ गहरा टोकरा जिससे किसान लोग पानी उलीचते हैं।
दोगला2
(फ़ा.) [वि.] 1. दो तरह की बातें करने वाला 2. जिसकी कथनी और करनी में विसंगति हो।
दोगा
[सं-पु.] 1. एक प्रकार का लिहाफ़ जो मोटे देशी कपड़े पर बेल-बूटे छापकर बनाया जाता है 2. पानी में घोला हुआ चूना जिससे सफ़ेदी की जाती है।
दोगाड़ा
[सं-पु.] दो नली वाली बंदूक; दोनाली।
दोगाना
[सं-पु.] 1. दो व्यक्तियों द्वारा क्रमवार मिलकर गाया जाने वाला गाना या गीत; युगल गीत 2. एक प्रकार का प्रश्नोत्तरात्मक शैली का गीत जिसमें एक व्यक्ति प्रथम
चरण में गीत गाकर प्रश्न करता है और दूसरे व्यक्ति द्वारा द्वितीय चरण में गीत गाकर ही उत्तर दिया जाता है।
दोगुना
[वि.] दुगना; दूना; द्विगुणित।
दोघड़िया
[सं-पु.] (ज्योतिष) एक प्रकार का मुहूर्त।
दोच
[सं-स्त्री.] 1. हाँ या न की स्थिति; दुविधा 2. मन की वह अप्रिय और कष्ट देने वाली अवस्था या बात जिससे छुटकारा पाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है; दुख; तकलीफ़
3. दबाव; दबाए जाने का भाव।
दोचंद
(फ़ा.) [वि.] दुगना; दूना।
दोज़ख़
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. नरक; जहन्नुम 2. (इस्लाम धर्म) मरने के बाद पापियों के लिए बहुत बुरा स्थान।
दोज़ख़ी
(फ़ा.) [वि.] 1. नरक संबंधी 2. नरक का।
दोज़र्बी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दोनली बंदूक।
दोज़ानू
(फ़ा.) [क्रि.वि.] घुटनों के बल या दोनों घुटने टेककर बैठना।
दोजिया
[सं-स्त्री.] गर्भवती स्त्री; वह स्त्री जिसके पेट में बच्चा हो।
दो-टूक
[वि.] 1. साफ़-साफ़; स्पष्ट 2. पूरी तरह से स्पष्ट और अंतिम।
दोतरफ़ा
(फ़ा.) [वि.] 1. दोनों ओर का; दोनों ओर होने वाला 2. दोनों पक्षों के अनुकूल 3. पारस्परिक 4. द्विपार्श्वीय। [क्रि.वि.] 1. दोनों तरफ़; दोनों ओर 2. इधर भी-उधर
भी।
दोतल्ला
[वि.] दो तलवाला; दोमंज़िला।
दोतारा
[सं-पु.] दो तारों वाला एक प्रकार का वाद्ययंत्र।
दोधारा
[वि.] दोनों ओर से धार वाला।
दोधी
[सं-स्त्री.] दूध से निर्मित एक पौष्टिक पेय पदार्थ।
दोन
[सं-पु.] 1. दो पर्वतों के बीच का नीचा स्थान; घाटी; तराई; दून 2. दो नदियों के बीच का प्रदेश; दोआब 3. दो नदियों का संगम स्थल 4. दो चीज़ों का मेल 5. अनाज की
एक पुरानी माप 6. द्रोण; दोना।
दोनली
[वि.] दो नलियों वाला।
दोना
(सं.) [सं-पु.] 1. पलाश या महुए के पत्तों का सींक खोंसकर बनाया गया कटोरेनुमा पात्र 2. उक्त पात्र में रखी हुई चीज़ 3. करदौना; पतोखा; संपुट 4. द्रोण।
दोपल्ला
[वि.] दो पल्लोंवाला।
दोपल्लू
[वि.] दोपल्ला।
दोपहर
[सं-पु.] दुपहर; मध्याह्न; दिन के बारह बजे का समय; वह समय जब सूर्य मध्य आकाश में होता है।
दोपहिया
[सं-पु.] दो पहियों वाला इंजनचालित वाहन, जैसे- स्कूटर।
दोपाया
[सं-पु.] मनुष्य। [वि.] दो पैरों वाला।
दोप्याज़ा
(फ़ा.) [सं-पु.] प्याज़ के साथ पकाया गया मांस जिसमें प्याज़ की मात्रा अधिक होती है।
दोफ़सली
(फ़ा.) [वि.] 1. जो वर्ष में दो बार फल देता हो (वृक्ष) 2. जिसमें दो फ़सलें उगाई जाएँ (ज़मीन) 3. दो फ़सलों से संबंधित।
दोफुटा
[सं-पु.] लंबाई मापने का दो फ़ुट का गज।
दोबल
[सं-पु.] अपराध; दोष।
दोबारा
(फ़ा.) [क्रि.वि.] एक के बाद एक; पुनः; एक बार और; दूसरी दफ़ा; फिर; दुबारा।
दोमंज़िला
[सं-पु.] दो खंडों का मकान। [वि.] जिसमें दो खंड या मंज़िलें हों (भवन); दोतल्ला।
दोमट
[वि.] 1. ऐसी भूमि जिसमें चिकनी मिट्टी के साथ बालू या रेती भी मिली हो 2. बलुई ज़मीन।
दोमुँहा
[वि.] 1. जिसके दो मुँह हों; जिसके दोनों तरफ़ मुँह हो, जैसे- दोमुँहा सर्प 2. दो तरह से प्रभाव डालने वाला 3. {ला-अ.} जो दोहरी चाल चलता हो; चालबाज़; फ़रेबी;
कपटी।
दोयम
(फ़ा.) [वि.] 1. वरीयता क्रम में दूसरे स्थान का 2. जो द्वितीय स्तर का हो 3. कमतर।
दोरंगा
[वि.] दो रंगों वाला।
दोरसा
[वि.] दो प्रकार के स्वाद या रस वाला; वह जिसमें दो तरह के रस या स्वाद हों।
दोराहा
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ दो रास्ते मिलते हों 2. वह स्थल जहाँ दो में से एक चुनना आवश्यक तो हो पर दुविधा हो कि कौन सा चुना जाए।
दोरुख़ा
[वि.] दो रुख़ वाला।
दोरुखी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दो रंग की; दुरंगी।
दोल1
(सं.) [सं-पु.] 1. हिंडोला; झूला; झूलना 2. डोली; चंडोल।
दोल2
(फ़ा.) [सं-पु.] पानी निकालने का बरतन (कुएँ या हौज से); डोल।
दोलक
(सं.) [सं-पु.] एक उपकरण जिसमें एक वस्तु इस प्रकार लगी होती है कि वह गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में स्वतंत्र रूप से झूल सके; लोलक; (पेंडुलम)। [वि.] दोलन करने
वाला।
दोलत्ती
[सं-स्त्री.] दुलत्ती।
दोलन
(सं.) [सं-पु.] 1. कंपन; प्रदोलन 2. इधर-उधर झूलते रहने की अवस्था या भाव 3. झूलना।
दोला
(सं.) [सं-पु.] 1. झूला; हिंडोला 2. डोला; चतुर्डोल; चंडोल 3. ऐसी स्थिति जिसमें किसी विषय पर मनुष्य ऊहापोह में पड़ा होता है।
दोलायमान
(सं.) [वि.] 1. चंचल; अस्थिर 2. झूलता हुआ; हिलता-डुलता हुआ 3. ढुलमुल; विचलनशील 4. भयभीत; संशयग्रस्त; वहमी 5. नील का पौधा।
दोलित
(सं.) [वि.] डोलता या झूलता हुआ।
दोली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पालना; झूला 2. डोली।
दोलोत्सव
[सं-पु.] फाल्गुन की पूर्णिमा को होने वाला एक उत्सव जिसमें, वैष्णव मतानुयायी भगवान कृष्ण को हिंडोले पर झुलाते हैं।
दो शब्द
[सं-पु.] 1. पुस्तक आदि की भूमिका 2. भाषण; उद्बोधन।
दोशाखा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह शमादान जिसमें दो बत्तियाँ हों 2. भाँग छानने की लकड़ी जिसमें दो शाखाएँ होती हैं और जिसमें साफी (कपड़ा) बाँध कर भाँग छानते हैं।
दोशाला
(फ़ा.) [सं-पु.] पशमीने की चद्दरों का जोड़ा जिनके किनारे पर पशमीने की रंग बिरंगी बेलें बनी रहती हैं।
दोशीज़ा
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कुमारी कन्या 2. जवान और अल्हड़ लड़की।
दोष
(सं.) [सं-पु.] 1. कमी; ऐब; अपूर्णता; त्रुटि; गलती 2. ऐसी बात जो नियम या विधि की दृष्टि से अनुचित हो 3. अवगुण; बुराई; ख़राबी 4. मूर्खता; भूल 5. किसी पर
लगाया हुआ अभियोग; लांछन 6. अपराध; कसूर 7. (आयुर्वेद) शरीर के तीन दोष- वात, पित्त और कफ़ 8. उक्त दोषों से उत्पन्न विकार।
दोषकर
(सं.) [वि.] 1. दुर्गुण पैदा करने वाला 2. अनिष्टकारी।
दोषग्रस्त
(सं.) [वि.] दोषपूर्ण; दोषी।
दोषन
(सं.) [सं-पु.] 1. दूषण; दोष 2. अपराध।
दोषपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. जिसमें दोष हो 2. दोषों से युक्त; गलत।
दोषमार्जन
(सं.) [सं-पु.] दोषमुक्त करने की क्रिया या भाव।
दोषमुक्त
(सं.) [वि.] 1. जिसे दोष मुक्त कर दिया गया हो 2. दोष से रहित।
दोषरहित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें दोष न हो 2. जिसका दोष न हो।
दोषविहीन
(सं.) [वि.] दोष से मुक्त; दोषमुक्त; दोषरहित।
दोष-शोधन
(सं.) [सं-पु.] दोष सुधारने की क्रिया या भाव।
दोषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रात्रि; रात 2. रात्रि का अंधकार 3. संध्या 4. भुजा; बाँह।
दोषाक्षर
(सं.) [सं-पु.] लगाया हुआ अपराध; अभियोग।
दोषारोपण
(सं.) [सं-पु.] दोष लगाना; इल्ज़ाम लगाना; लांछन लगाना।
दोषावह
(सं.) [सं-पु.] वह जो अवगुणों या दोषों से भरा हुआ हो; दोषपूर्ण।
दोषी
(सं.) [सं-पु.] 1. अभियुक्त; कसूरवार 2. वह जिसने विधि या नियम का उल्लंघन किया हो; गलती करने वाला; ऐबी; दुर्गुणी 3. अपराधी 4. पापी।
दोस्त
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिससे स्नेहिल संबंध हो 2. मित्र; सखा; यार 3. प्रेमपात्र; प्रेमी; प्रेमिका 4. सुख-दुख में साथ देने वाला व्यक्ति।
दोस्ताना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मित्रता; मैत्री; दोस्ती 2. मित्रवत व्यवहार 3. सहयोगपूर्ण व्यवहार। [वि.] दोस्ती का; मित्रता का; दोस्तों का-सा; मित्रों की तरह।
दोस्ती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मित्रता; यारी 2. सौहार्द।
दोस्तीरोटी
[सं-पु.] विशिष्ट प्रकार से पकाई गई रोटी या पराठा; दो लोइयाँ बेलकर उन्हें एक साथ मिलाकर बनाई गई रोटी या पराठा, दूपड़ी।
दोहता
[सं-पु.] लड़की का लड़का; नाती; पुत्री का पुत्र।
दोहत्थड़
[सं-पु.] दोनों हथेलियों से किया जाने वाला प्रहार या आघात। [वि.] दोनों हाथों से मारा जाने वाला (थप्पड़)।
दोहद
(सं.) [सं-पु.] 1. गर्भावस्था 2. गर्भावस्था के दौरान स्त्री के मन में उत्पन्न होने वाली इच्छाएँ या कामनाएँ 3. गर्भवती होने के लक्षण; डकौना; मिचली 4.
(ज्योतिष) वे पदार्थ जिनका सेवन दिशा, वार एवं तिथि संबंधी दोषों को शांत करता है 5. कवि समय के अनुसार रमणियों के जल के कुल्ले, पदाघात, स्पर्श, दृष्टिपात आदि
से अशोक, नवमल्लिका, तिलक, प्रियंगु आदि वृक्षों में फूल लगते हैं।
दोहदवती
(सं.) [सं-स्त्री.] गर्भवती स्त्री।
दोहदी
(सं.) [सं-स्त्री.] गर्भवती। [वि.] अत्यंत इच्छुक; प्रबल इच्छायुक्त।
दोहन
(सं.) [सं-पु.] 1. दूध दुहने का काम; दोह 2. दूध का पात्र; दोहनी 3. प्राकृतिक संसाधनों, जैसे- वन्य संपदा या खनिज आदि का अनियंत्रित उपयोग 4. {ला-अ.} किसी का
शोषण करना; लूटपाट।
दोहनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दूध दुहने की क्रिया 2. वह बरतन जिसमें दूध दुहते हैं; दुग्धपात्र।
दोहर
[सं-स्त्री.] 1. ऐसी चादर जो दोहरी सिली हुई हो 2. मोटी चादर या दो पाटों वाली चादर 3. तह।
दोहरा
[वि.] 1. दुगना; दूना 2. दो परतों, पल्लों या तहों वाला; दो परत या तह का 3. दो पक्षों पर लागू होने वाला। [सं-पु.] 1. एक ही पत्ते में लपेटे हुए पान के दो
बीड़े 2. कतरी हुई सुपारी; सुपारी के छोटे-छोटे टुकड़े 3. सुपारी, कत्था, लौंग, तंबाकू तथा चूने का मिश्रण 4. दोहा नाम का छंद।
दोहराई
[सं-स्त्री.] 1. दोहराने की क्रिया या भाव 2. कोई बात या काम दूसरी बार कहना या करना 3. दोहराने के बदले मिलने वाली मज़दूरी।
दोहरान
[सं-पु.] भूल, संयोग या असावधानी से एक ही अंक में किसी समाचार या अन्य सामग्री का दो बार छप जाना।
दोहराना
[क्रि-स.] 1. किसी काम को दुबारा करना 2. किसी बात को फिर से बोलना।
दोहराव
[सं-पु.] किसी काम या बात को दुबारा करने की क्रिया; दोहराना।
दोहरी
(सं.) [वि.] 1. दो तह की हुई 2. दो परतोंवाली 3. दुगुनी।
दोहल
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिलाषा; इच्छा 2. गर्भवती की इच्छा 3. गर्भवती होने की अवस्था; दोहद 4. अशोक वृक्ष।
दोहा
(सं.) [सं-पु.] 1. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का छंद जिसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 तथा द्वितीय चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं 2. एक राग।
दोही
(सं.) [सं-पु.] ग्वाला। [वि.] दुहने वाला।
दौंचना
[क्रि-स.] 1. दबाव डालकर लेना 2. किसी न किसी प्रकार लेना 3. लेने के लिए अड़ना।
दौंरी
[सं-स्त्री.] कटी हुई फ़सल से अनाज के दानें अलग करने के लिए बैलों से रौंदवाना; दँवरी।
दौड़
[सं-स्त्री.] 1. दौड़ने की क्रिया या भाव 2. किसी को पकड़ने के लिए तेज़ गति से पहुँचना 3. गति 4. पहुँच 5. दौड़ने की प्रतियोगिता 6. बुद्धि या अक्ल की सीमा 7.
आक्रमण; हमला; चढ़ाई 8. किसी कार्य या प्रयोजन के लिए बहुत अधिक चक्कर लगाना 9. किसी से आगे निकल जाने हेतु किया जाने वाला प्रयत्न।
दौड़धूप
[सं-स्त्री.] 1. ऐसा प्रयत्न जिसमें अनेक स्थानों पर बार-बार जाना पड़े और अनेक व्यक्तियों से भेंटवार्ता तथा अनुनय करनी पड़े 2. इधर-उधर घूमने-फिरने का कार्य
3. ज़ोरदार कोशिश; प्रयास 4. भरपूर उद्योग 5. आपाधापी।
दौड़ना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. भागना; तीव्र गति से चलना; कदम बढ़ाना; डग भरना 2. किसी दिशा में जाना 3. दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लेना; धावना; रेस करना 4. किसी
उद्देश्य के लिए किसी स्थान पर बार-बार जाना।
दौड़भाग
[सं-स्त्री.] 1. बार-बार इधर से उधर आना-जाना 2. किसी कार्य हेतु पूर्ण प्रयत्न।
दौड़ादौड़ी
[सं-स्त्री.] 1. बहुत से लोगों का एक साथ दौड़ना 2. आतुरता; तेज़ी; त्वरा 3. जल्दबाज़ी; हड़बड़ी 4. दौड़धूप।
दौड़ान
[सं-स्त्री.] 1. दौड़ने की क्रिया 2. दौड़ने का क्रम; दौड़ का चक्कर या फेरा 3. आक्रमण 4. द्रुत गति; वेग; झोंक 5. क्रम; सिलसिला 6. लंबाई।
दौड़ाना
[क्रि-स.] 1. दौड़ने में प्रवृत्त करना 2. आनाकानी करना 3. किसी को किसी काम के सिलसिले में तुरंत रवाना करना।
दौत्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दूत का काम; दूत का पद; दूतत्व 2. संदेश 3. संदेशवहन। [वि.] दूत संबंधी।
दौर
(अ.) [सं-पु.] 1. समय; काल-चक्र; ज़माना 2. चक्कर; फेरा 3. पारी; बारी 4. वैभव व प्रताप के दिन; धाक।
दौरदौरा
[सं-पु.] 1. बोलबाला 2. बहुलता; प्राधान्य 3. किसी बात की प्रबलता।
दौरा
(अ.) [सं-पु.] 1. भ्रमण; फेरा 2. किसी अफ़सर की जाँच-पड़ताल संबंधी यात्रा; गश्त 3. समय-समय पर होने वाला आगमन 4. किसी रोग का समय-समय उभरना या एकदम से प्रकट
होना, जैसे- दिल का दौरा।
दौरात्म्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दुरात्मा का भाव; दुर्जनता 2. दुरात्मा का काम; दुष्टता।
दौरान
(अ.) [सं-पु.] 1. दौर; समय; ज़माना 2. दो घटनाओं के मध्य का समय 3. दिनों का हेरफेर 4. चक्कर; दौरा; फेरा 5. पारी। [क्रि.वि.] इस बीच।
दौरी
[सं-स्त्री.] 1. छोटा दौरा 2. चँगेरी; बाँस या मूँज की छोटी टोकरी।
दौर्गत्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दुर्गति होने की अवस्था 2. दुर्दशा; कष्ट; परेशानी।
दौर्जन्य
(सं.) [सं-पु.] दुर्जनता; दुष्टता।
दौर्बल्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दुर्बल होने की अवस्था 2. दुर्बलता; कमज़ोरी।
दौर्भाग्य
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरा भाग्य 2. दुर्भाग्य; बदकिस्मती।
दौर्मनस्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दुर्मना होने का भाव 2. बुरा स्वभाव; दुर्जनता 3. मानसिक कष्ट; शोक 4. नैराश्य।
दौर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दूरी 2. अंतर 3. दूर का भाव।
दौर्वृत्य
(सं.) [सं-पु.] 1. दुर्वृत्त या दुराचारी होने की अवस्था 2. कुटिलता; दुराचार।
दौर्हार्द
(सं.) [सं-पु.] 1. दुर्हृद होने का भाव; दुष्ट स्वभाव 2. दुर्भाव; बैर।
दौलत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. धन; संपत्ति; (वेल्थ) 2. कोई अमूल्य या महत्वपूर्ण वस्तु, विचार आदि।
दौलतख़ाना
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. धन-संपत्ति रखने का स्थान, ठौर 2. दूसरे के निवास स्थान के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द; घर; मकान।
दौलतमंद
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. धनवान; धनाढ्य; अमीर; रईस 2. समृद्ध; संपन्न।
दौवारिक
(सं.) [सं-पु.] 1. द्वार का रक्षक; द्वारपाल 2. प्रतिहार।
दौहित्र
(सं.) [सं-पु.] 1. बेटी की संतान; नाती; दोहता; धेवता 2. तिल 3. गाय का घी 4. तलवार।
दौहित्रायण
(सं.) [सं-पु.] दौहित्र का पुत्र; दोहते की संतान।
द्युति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. चमक 2. आभा; कांति 3. लावण्य; सौंदर्य; छवि 4. किरण।
द्युतिमा
[सं-स्त्री.] 1. वह शक्ति या तत्व जिसके योग से वस्तुओं आदि का रूप आँख को दिखाई देता है 2. एक तरह का प्रकाश; चमक; दीप्ति 3. तेज।
द्युतिमान
(सं.) [वि.] जिसमें कांति या चमक हो; कांतिमान; आभामय।
द्युलोक
(सं.) [सं-पु.] स्वर्गलोक; स्वर्ग।
द्यूत
(सं.) [सं-पु.] दाँव लगाकर खेला जाने वाला एक प्रकार का खेल; जुआ; अक्ष-क्रीड़ा।
द्यूतक्रीड़ा
(सं.) [सं-स्त्री.] जुए का खेल; अक्ष-क्रीड़ा।
द्यूतशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] जुआ खेलने का अड्डा या स्थान; जुआख़ाना; जुआघर।
द्योत
(सं.) [सं-पु.] 1. चमक 2. प्रकाश।
द्योतक
(सं.) [वि.] 1. प्रकाश करने वाला; प्रकाशक 2. किसी चीज़ को प्रकट या अभिव्यक्त करने वाला 3. प्रतीक; सूचक।
द्योतन
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रकाशयुक्त करने की क्रिया या भाव 2. प्रकट या व्यक्त करना 3. दिखाना। [वि.] चमकीला; प्रकाशमान।
द्योतित
(सं.) [वि.] 1. चमकता हुआ 2. प्रकाशित 3. प्रकट।
द्रव
(सं.) [सं-पु.] 1. तरल; रस; अर्क; आसव 2. तरल होना या पिघलना 3. तरल पदार्थ का बहना; रिसना 4. द्रवण 5. किसी पदार्थ की वह अवस्था जब उसे किसी पात्र में रखा जाए
तो उसी का आकार ग्रहण कर ले। [वि.] 1. जो पानी की तरह पतला हो; बहता हुआ 2. गीला 3. पिघला हुआ 4. रिसता हुआ।
द्रवक
(सं.) [वि.] 1. बहने वाला; प्रवाह युक्त 2. रिसने वाला; चूने वाला; क्षरणशील।
द्रवण
(सं.) [सं-पु.] 1. तरल या द्रव होने की क्रिया 2. स्राव; बहना 3. पिघलना; पसीजना 4. गैस का द्रव रूप धारण करना 5. गमन; दौड़ 6. रिसना 7. {ला-अ.} चित्त या मन का
कोमल होना; दयालु होना।
द्रवणशील
(सं.) [वि.] 1. जो द्रव में परिवर्तित हो सके 2. पिघलने वाला 3. पसीजने वाला 4. {ला-अ.} जिसका हृदय दूसरों के कष्ट को देखकर करुणामय या दयालु हो जाता हो।
द्रवणांक
(सं.) [सं-पु.] वह ताप जिसपर कोई ठोस पदार्थ द्रव में परिवर्तित होने या पिघलने लगता है; (मेल्टिंग प्वाइंट)।
द्रवाधार
(सं.) [सं-पु.] 1. अंजलि; चुल्लू 2. छोटा बरतन।
द्रविड़
(सं.) [सं-पु.] 1. दक्षिण भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक बड़े प्रदेश का प्राचीन नाम; आधुनिक आंध्रप्रदेश और तमिलनाड़ु का क्षेत्र 2. द्रविड़ प्रदेश का वासी;
तमिल। [वि.] द्रविड़ प्रदेश से संबंध रखने वाला; द्राविड़।
द्रवीभूत
(सं.) [वि.] 1. जो द्रव या तरल में परिवर्तित हुआ हो; पिघला या पिघलाया हुआ 2. तरलित 3. {ला-अ.} जिसके हृदय में दया उत्पन्न हुई हो; दयार्द्र।
द्रव्य
(सं.) [सं-पु.] 1. वस्तु; पदार्थ; चीज़ 2. घटक 3. धन; दौलत; सिक्के; धातु 4. वह पदार्थ जिसमें भार और जड़त्व हो अर्थात जो विरामावस्था और गति की दशा के परिवर्तन
का प्रतिरोध करे। यह तीन अवस्थाओं में मिलता है- ठोस, द्रव और गैस 5. दार्शनिक क्षेत्र में वह पदार्थ जिसमें किसी प्रकार की क्रिया या गुण अथवा दोनों हों और जो
किसी का समवाय कारण हो 6. वह जिससे कोई चीज़ बनती हो; सामान 7. वह विशुद्ध तत्व जिसमें कोई अन्य तत्व न मिला हो, वैशेषिकों ने द्रव्य के नौ प्रकार बताए हैं-
पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, काल, दिक, आत्मा और मन।
द्रव्यमान
(सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु में विद्यमान पदार्थ की मात्रा; (मास)।
द्रव्यवान
(सं.) [सं-पु.] 1. पदार्थ की वह मात्रा जिसका अपना कोई विशिष्ट आकार-प्रकार हो; (मास) 2. किसी पिंड पर बल लगाने पर उसमें उत्पन्न होने वाला त्वरण (ऐक्सेलेरेशन)
बल (फ़ोर्स) का समानुपाती होता है और इस अनुपात का नियतांक ही द्रव्यमान होता है; (द्रव्यमान=बल/त्वरण) 3. शरीर; काया 4. तत्व। [वि.] 1. द्रव्य या पदार्थ से
युक्त 2. संपन्न; धनवान।
द्रष्टव्य
(सं.) [वि.] 1. देखने या दिखाने लायक; दर्शनीय 2. दिखाई देने वाला; दृष्टिगोचर 3. साक्षात्कार करने योग्य 4. विचारणीय 5. जानने या निरीक्षण करने योग्य 6. जो
देखने में अच्छा लगता हो; नयनाभिराम।
द्रष्टा
(सं.) [सं-पु.] 1. साक्षी 2. सत्य का दर्शन करने वाला 3. सांख्य के अनुसार आत्मा 4. दर्शक; प्रेक्षक 5. विचारक 6. प्रकाशक 7. धर्मज्ञानी। [वि.] 1.
प्रत्यक्षदर्शी; देखने वाला 2. साक्षात्कार करने वाला 3. दिखलाने वाला।
द्राक्षशर्करा
(सं.) [सं-स्त्री.] अंगूर के रस से बनी हुई शर्करा या चीनी; (ग्लूकोज़)।
द्राक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंगूर; किशमिश; दाख 2. मुनक्का।
द्राक्षासव
(सं.) [सं-पु.] 1. एक आयुर्वेदिक औषधि 2. अंगूर की शराब; मदिरा।
द्राव
(सं.) [सं-पु.] 1. तरल होने की क्रिया; पिघलना; पसीजना 2. गलकर बहने की क्रिया 3. जाने या भागने की क्रिया; गमन 4. क्षरण; चूना; रिसना 5. {ला-अ.} दया या करुणा
से नम्र होना।
द्रावक
(सं.) [वि.] 1. द्रवित करने वाला 2. पिघलाने वाला 3. दया उत्पन्न करने वाला।
द्रावण
(सं.) [सं-पु.] 1. द्रवित करने की क्रिया 2. गलाना; पिघलाना 3. दौड़ाने या भगाने की क्रिया 4. किसी द्रव में किसी पदार्थ या अन्य द्रव के घुल मिल जाने से बना
पारदर्शी मिश्रण; घोल।
द्राविड़
(सं.) [सं-पु.] 1. द्रविड़ देश; तमिल 2. उक्त देश या प्रदेश का वासी 3. दक्षिण भारतीय भाषाओं का सामूहिक परिवार 4. आँबा हल्दी। [वि.] 1. द्रविड़ का 2. द्रविड़
देश में रहने वाला।
द्राविड़ी
(सं.) [वि.] द्रविड़ संबंधी।
द्रुत
(सं.) [सं-पु.] 1. कुछ तेज़ लय 2. संगीत में ताल की एक मात्रा का आधा। [वि.] 1. तेज़; भागा हुआ 2. पिघला हुआ 3. जो तरल हो।
द्रुतगति
(सं.) [वि.] 1. तीव्र गति वाला; शीघ्रगामी 2. जो तेज़ रफ़्तार से चलता हो; फुरतीला।
द्रुतगामी
(सं.) [वि.] 1. तीव्र गति से चलने वाला; द्रुत 2. शीघ्र जाने वाला।
द्रुतविलंबित
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का वार्णिक छंद; सुंदरी छंद जिसमें क्रमश एक नगण, दो भगण तथा एक रगण होता है।
द्रुम
(सं.) [सं-पु.] 1. पेड़; वृक्ष 2. पारिजात 3. कुबेर 4. रुक्मिणी के गर्भ से उत्पन्न कृष्ण का एक पुत्र।
द्रुमालय
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत सारे वृक्षों का स्थान; वन; जंगल 2. वृक्ष का घर।
द्रुमिला
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का मात्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरणों में बत्तीस-बत्तीस मात्राएँ होती हैं।
द्रुमोत्पल
(सं.) [सं-पु.] 1. कनकचंपा 2. कर्णिकार वृक्ष; कनियारी।
द्रोण
(सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) कौरवों और पांडवों को शिक्षा देने वाले एक गुरु और वीर योद्धा 2. बत्तीस सेर की एक पुरानी माप 3. लकड़ी का रथ 4. पानी रखने का लकड़ी
का प्राचीन पात्र; कठवत; कठौता 5. दोआब 6. पत्तों का दोना 7. बिच्छू 8. बड़ी नाव; डोंगा 9. द्रोणाचल नामक एक पर्वत 10. डोमकौआ 11. अंजलि।
द्रोणाचार्य
(सं.) [सं-पु.] (महाभारत) एक प्रसिद्ध गुरु और वीर योद्धा जिन्होंनें कौरवों और पांडवों को धनुर्विद्या सिखाई थी और जिनके पुत्र का नाम अश्वत्थामा था; द्रोण।
द्रोणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. डोंगी; छोटी नाव 2. एक नदी 3. लकड़ी से बना पात्र; कठौता 4. पेड़ के पत्तों से बना पात्र; दोना 5. एक नमक 6. नील का पौधा 7. इंद्रायन 8.
पानी रखने के लिए केले की छाल से बना पात्र 9. दो पर्वतों के बीच की भूमि; मार्ग; दर्रा 10. द्रोणाचार्य की पत्नी 11. केला।
द्रोह
(सं.) [सं-पु.] 1. अनिष्ट; द्वेष; वैर 2. किसी दूसरे को नुकसान पहुँचाने की आदत या नीयत 3. हिंसा; अपराध 4. विद्रोह।
द्रोही
(सं.) [सं-पु.] 1. द्रोह करने वाला व्यक्ति 2. बैरी; शत्रु। [वि.] 1. द्रोह करने वाला; विद्रोही 2. गद्दार 3. विश्वासघाती; हानि पहुँचाने वाला 4. आज़ादख़याल 5.
षड्यंत्रकारी।
द्रौपद
(सं.) [सं-पु.] (महाभारत) पांचाल देश के राजा द्रुपद का पुत्र धृष्टद्युम्न।
द्रौपदी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (महाभारत) राजा द्रुपद की पुत्री; कृष्णा 2. पांडव-पत्नी 3. सत्यसंधा; मुक्तवेणी।
द्वंद्व
(सं.) [सं-पु.] 1. मानसिक संघर्ष; ऊहापोह 2. उत्पात; संघर्ष; कलह; बखेड़ा 3. नर-मादा का जोड़ा; युग्म; मिथुन 4. दो विपरीत वस्तुओं या भावों का जोड़ा, जैसे-
सुबह-शाम, अमीर-गरीब 5. अनिश्चय 6. (व्याकरण) समास का एक भेद 7. रहस्य।
द्वंद्वयुद्ध
(सं.) [सं-पु.] दो व्यक्तियों के बीच होने वाली मारपीट या संघर्ष।
द्वंद्वातीत
(सं.) [वि.] 1. द्वंद्व से रहित 2. बिना किसी टकराव या मतभेद के।
द्वय
(सं.) [सं-पु.] 1. युग्म; जोड़ा 2. समासांत में प्रयोग किया जाने वाला, जैसे- लेखकद्वय। [वि.] दो; दोनों।
द्वयता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दो का भाव; द्वैत 2. अपने-पराए का भाव।
द्वयर्थ
(सं.) [वि.] 1. दो अर्थ वाला 2. भ्रामक।
द्वयर्थक
(सं.) [वि.] दो प्रकार के अर्थ देने वाला (शब्द)।
द्वयर्थता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दो अर्थ होना 2. भ्रम।
द्वयर्थी
(सं.) [वि.] 1. दो अर्थों वाला; जिसके दो अर्थ निकलते हों; द्वयर्थी (शब्द या कथन) 2. श्लेषोक्तिपूर्ण 3. द्वयर्थक।
द्वयात्मक
(सं.) [वि.] दो प्रकार के स्वभाव वाला।
द्वादश
(सं.) [वि.] संख्या '12' का सूचक।
द्वादशाक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. गौतम बुद्ध 2. कार्तिकेय। [वि.] जिसकी बारह आँखें हों।
द्वादशायतन
(सं.) [सं-पु.] (जैन सिद्धांत) पाँच ज्ञानेंद्रियों; पाँच कर्मेंद्रियों तथा मन और बुद्धि इन बारह पूज्य स्थानों का समूह।
द्वादशाह
(सं.) [सं-पु.] 1. बारह दिनों का समूह 2. बारह दिनों तक चलने वाला यज्ञ 3. मृत्यु-तिथि से बारहवें दिन किया जाने वाला श्राद्ध।
द्वापर
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) चार युगों में तीसरा युग जिसे 864000 वर्ष का माना गया है 2. त्रेतायुग और कलयुग के बीच का युग।
द्वार
(सं.) [सं-पु.] 1. दरवाज़ा; फाटक 2. प्रवेश-मार्ग 3. छिद्र 4. उपाय; युक्ति।
द्वारका
(सं.) [सं-स्त्री.] गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र का एक पुराना नगर जिसके बारे में कहा जाता है कि कृष्ण ने इसे राजधानी बनाया था (चारों धामों में एक)।
द्वारकाधीश
(सं.) [सं-पु.] 1. द्वारका के राजा कृष्ण 2. मथुरा के एक मंदिर में स्थापित कृष्ण की प्रतिमा।
द्वारकानाथ
(सं.) [सं-पु.] द्वारका के नाथ या स्वामी; कृष्ण।
द्वारकेश
(सं.) [सं-पु.] द्वारका के राजा कृष्ण; द्वारकाधीश।
द्वारचार
(सं.) [सं-पु.] 1. कुछ क्षेत्रों में प्रचलित विवाह की एक रस्म जिसमें कन्या पक्ष के द्वार पर वर का पूजन होता है 2. विवाह के दिन कन्यादान करने वाले व्यक्ति
द्वारा दरवाज़े पर वर की पूजा करने की एक रस्म 3. वरस्वागत; द्वारपूजा।
द्वारपटी
(सं.) [सं-स्त्री.] दरवाज़े पर लगाने या टाँगने का परदा।
द्वारपाल
(सं.) [सं-पु.] पहरेदार; चौकीदार; ड्योढ़ीदार; चोबदार; दरबान।
द्वारपूजा
(सं.) [सं-स्त्री.] हिंदुओं के विवाह में होने वाली एक रस्म; द्वारचार।
द्वारमंडप
(सं.) [सं-पु.] 1. मंडप; अलिंद; द्वारालिंद 2. ड्योढ़ी।
द्वारयंत्र
(सं.) [सं-पु.] ताला; अरगल।
द्वार-रक्षक
(सं.) [सं-पु.] द्वारपाल।
द्वारा
(सं.) [सं-पु.] 1. दरवाज़ा; द्वार 2. बरास्ता; (वाया)। [अव्य.] 1. किसी माध्यम के आधार पर; जरिए 2. किसी के हाथ से; साधन से; मारफ़त।
द्वाराधिप
(सं.) [सं-पु.] द्वारपाल।
द्वारिक
(सं.) [सं-पु.] द्वारपाल।
द्वारिका
(सं.) [सं-स्त्री.] द्वारका (नगरी); द्वारावती।
द्वारी
(सं.) [सं-स्त्री.] छोटा दरवाज़ा; उपद्वार। [सं-पु.] द्वारपाल।
द्वि
(सं.) [वि.] दो।
द्वि-ओष्ठ्य
दोनों ओठों की सहायता से उच्चारित ध्वनियाँ, जैसे- 'प्, फ्, ब्, भ्, म्'।
द्विकर्मक
(सं.) [वि.] 1. हिंदी व्याकरण में क्रिया का एक प्रकार; वह क्रिया जिसके साथ दो-दो कर्म लगे हों; दो कर्म वाला 2. व्याकरण में वह क्रिया जो अकर्मक तथा सकर्मक
दोनों रूपों में चलती है।
द्विकल
(सं.) [सं-पु.] (छंदशास्त्र) दो मात्राओं का समूह या वर्ग।
द्विगु
(सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) एक प्रकार का समास; समास का एक भेद जिसमें पूर्वपद संख्यावाचक होता है। [वि.] दो गायों वाला।
द्विगुण
(सं.) [वि.] दूना; दुगुना।
द्विगुणित
(सं.) [वि.] दूना; दुगुना।
द्विगूढ़
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का गीत 2. (नाट्यशास्त्र) लास्य के दस अंगों में से एक जिसमें सभी पद सम और सुंदर होते हैं, नाट्य संधि, रस तथा भाव से संपन्न
लास्याग।
द्विज
(सं.) [सं-पु.] 1. अंडे से उत्पन्न होने वाले प्राणी जिनका जन्म दो बार होना माना जाता है, एक बार अंडा उत्पन्न होने पर और दूसरी बार अंडे से बाहर निकलने पर,
जैसे- पक्षी आदि 2. यज्ञोपवीत संस्कार विशेष जिसमें उक्त का धारण करने को दूसरा जन्म माना जाता है इसलिए यज्ञोपवीत धारण करने वाला व्यक्ति द्विज कहलाता है 3.
ब्राह्मण 4. चंद्रमा 5. दाँत जो एक बार टूटकर दुबारा उगते हैं। [वि.] दो बार जन्मा हुआ।
द्विजन्मा
(सं.) [वि.] दो बार जन्म लेने वाला; द्विज।
द्विजालय
(सं.) [सं-पु.] 1. द्विज का घर 2. घोंसला।
द्विजेंद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. ज्ञानवान 2. चंद्रमा 3. कपूर 4. गरुड़ 5. द्विजराज।
द्विजेश
(सं.) [सं-पु.] 1. ज्ञानवान 2. चंद्रमा; कपूर 3. गरुड़ 4. द्विजराज।
द्विजोत्तम
(सं.) [सं-पु.] 1. द्विज प्राणियों में उत्तम 2. ज्ञानी व्यक्ति।
द्वितक
(सं.) [सं-पु.] 1. पावती; रसीद 2. प्रतिलिपि; (डुप्लिकेट)।
द्वितल
(सं.) [वि.] जिसमें दो तल हों; दुतल्ला।
द्वितीय
(सं.) [वि.] 1. गणना में दूसरा 2. महत्व या गुणवत्ता की दृष्टि से दूसरी श्रेणी का; दोयम दरज़े का। [सं-पु.] 1. पुत्र या पुत्री 2. मित्र; सहायक व्यक्ति 3.
मुकाबला करने वाला व्यक्ति 4. उत्तरार्द्ध।
द्वितीयक
(सं.) [वि.] 1. दूसरा 2. दूसरी बार होने वाला 3. जिसका स्थान या महत्व पहले वाले के बाद हो; दूसरे स्थान का 4. किसी चीज़ के अनुकरण पर बना दूसरा; (डुप्लिकेट)।
द्वितीया
(सं.) [सं-स्त्री.] चंद्र मास के शुक्ल या कृष्ण पक्ष की दूसरी तिथि; दूज।
द्विदल
(सं.) [सं-पु.] दो दलों वाला अनाज, जैसे- चना, मटर आदि। [वि.] दो दलों वाला।
द्विदिवसीय
(सं.) [वि.] दो दिनों तक होने या चलने वाला।
द्विदिश
(सं.) [वि.] जो दो दिशाओं में एक साथ उन्मुख या सक्रिय हो।
द्विदिशात्मक
(सं.) [वि.] दो दिशाओं में एक साथ उन्मुख या सक्रिय।
द्विध
(सं.) [वि.] दो खंडों में बँटा हुआ; दो भागों वाला।
द्विधा
(सं.) [क्रि.वि.] 1. दो भागों में या टुकड़ो में 2. दो तरह से 3. दोनों ओर।
द्विधाग्रस्त
(सं.) [वि.] 1. जो दुविधा या असमंजस में हो; ऊहापोह में उलझा हुआ 2. दो खंडों में विभाजित।
द्विपक्षीय
(सं.) [वि.] 1. दो पक्षों, दलों, राष्ट्रों आदि के बीच होने वाला या उनसे संबंधित 2. कुछ एक पक्ष या दूसरे पक्ष में पड़ने वाला।
द्विपद
(सं.) [वि.] 1. दो पैरों वाला 2. जिसमें दो पद या शब्द हों 3. गणित की वह संख्या जिसमें दो अलग-अलग अंक या संख्याएँ एक साथ मानी या ली जाती हैं। [सं-पु.] 1. दो
पैरों वाले जीव-जंतु 2. मनुष्य 3. (वास्तुशास्त्र) वास्तु मंडल में एक घर या कक्ष 4. भारतीय ज्योतिष के अनुसार मिथुन, तुला, कुंभ, कन्या तथा धनु लग्न का पूर्व
भाग।
द्विपार्श्विक
(सं.) [वि.] 1. दो पार्श्वों वाला 2. दो पक्षों की ओर से होने वाला; द्विपक्षीय।
द्विभाजन
(सं.) [सं-पु.] 1. दो भागों में विभाजित 2. दो समान भाग करने की क्रिया या भाव।
द्विभाजित
(सं.) [वि.] दो भागों में विभक्त।
द्विभाषिक
(सं.) [वि.] 1. दो भाषाओं का 2. जो दो भाषाओं में हो 3. दो भाषाओं से संबंधित।
द्विभाषिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] दो भाषाएँ समझने और बोल सकने का गुण या स्थिति।
द्विभाषी
(सं.) [सं-पु.] दुभाषिया; जो व्यक्ति दो भाषाएँ बोल लेता हो। [वि.] दो भाषाएँ बोलने वाला।
द्विरद
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथी 2. (महाभारत) दुर्योधन के भाई का नाम। [वि.] दो दाँतोंवाला।
द्विरदांतक
(सं.) [सं-पु.] द्विरद (हाथी) को मार डालने वाला (अंतक); सिंह; शेर।
द्विरदाशन
(सं.) [सं-पु.] सिंह; शेर।
द्विरागमन
(सं.) [सं-पु.] 1. विवाहोपरांत वधू का अपने ससुराल में दूसरी बार आना; गौना 2. पुनरागमन; दूसरी बार आना।
द्विरुक्त
(सं.) [वि.] 1. दो बार कहा गया 2. दुबारा कहा हुआ; उल्लिखित 3. एक ही बात का दो प्रकार से कथन। [सं-पु.] पुनर्कथन।
द्विरुक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] कही हुई बात को दुबारा कहना; पुनरुक्ति।
द्विरूपी
(सं.) [वि.] 1. दो रूपों वाला 2. दो तरह का आचरण करने वाला 3. दोहरे चरित्र का 4. जो दो प्रकार से किया जाए।
द्विलिंगी
(सं.) [वि.] 1. दोनों लिंगों में प्रयुक्त होने वाला (शब्द) 2. स्त्री और पुरुष दोनों के प्रति आकृष्ट होने वाला (व्यक्ति) 3. एक प्रकार की वनस्पति 4. उभयलिंगी
प्राणी, जैसे- केंचुआ।
द्विवर्षी
(सं.) [वि.] प्रत्येक दो वर्ष में होने वाला।
द्विवर्षीय
(सं.) [वि.] 1. दो वर्ष का 2. दो वर्षों में होने वाला।
द्विविध
(सं.) [वि.] दो तरह का। [क्रि.वि.] दो तरह से।
द्विवेदी
(सं.) [सं-पु.] 1. दो वेदों का ज्ञाता 2. ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम।
द्विसत्री
(सं.) [वि.] दो सत्रों वाला; दो सत्रों में समाप्त होने वाला।
द्विसदनी
(सं.) [वि.] दो सदनों वाली (शासन-प्रणाली या संसद)।
द्विसाप्ताहिक
(सं.) [वि.] प्रत्येक दो सप्ताह में होने वाला; (बाई-वीकली)।
द्विसूत्री
(सं.) [वि.] दो सूत्रों वाला।
द्विस्तरी
(सं.) [वि.] दो स्तरों वाला।
द्वीप
(सं.) [सं-पु.] 1. वह भू-भाग जो चारों ओर से जल से घिरा रहता है; टापू 2. (पुराण) पृथ्वी के सात बड़े भू-भाग।
द्वीपपुंज
(सं.) [सं-पु.] समुद्र में कई छोटे-छोटे द्वीपों और टापुओं का समूह।
द्वीपवती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नदी; सरिता 2. भूमि; ज़मीन।
द्वीपवासी
(सं.) [वि.] द्वीप में निवास करने वाला।
द्वीपसमूह
(सं.) [सं-पु.] द्वीपपुंज।
द्वीपांतरण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति या वस्तु को एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर भेजने की क्रिया 2. बड़े अपराधियों या बंदियों को कठोर सज़ा देने के लिए किसी अन्य स्थान
या समुद्र पार किसी द्वीप में भेजना; काले पानी की कैद।
द्वेष
(सं.) [सं-पु.] 1. वैर का भाव 2. मनमुटाव; शत्रुता 3. चिढ़।
द्वेषपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. जिसमें द्वेष या नफ़रत हो 2. शत्रुतापूर्ण; अनिष्टकारी।
द्वेषाग्नि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. द्वेष या वैर रूपी आग 2. नफ़रत का भाव; जलन या उग्रता 3. द्वेष का उग्र रूप।
द्वेषी
(सं.) [वि.] द्वेष रखने या करने वाला; विद्वेषी।
द्वेष्टा
(सं.) [वि.] द्वेषी।
द्वैगुणिक
(सं.) [सं-पु.] दुगुना सूद लेने वाला महाजन; शत-प्रतिशत ब्याज लेने वाला साहूकार। [वि.] दूना सूद खाने वाला; जो दूना ब्याज लेता हो।
द्वैगुण्य
(सं.) [वि.] 1. दुगुना होने की अवस्था या भाव 2. दुगुनी रकम 3. दूनी मात्रा या परिमाण 4. सत्व, रज और तम में से दो गुणों या प्रवृत्तियों से युक्त होने की
अवस्था 5. द्वैतता; द्वैत।
द्वैत
(सं.) [सं-पु.] 1. दो होने की अवस्था या भाव 2. किसी को पराया या अलग समझने का भाव 3. भेदभाव; भेददृष्टि 4. युग्म; युगल; जोड़ा 5. असमंजस 6. आत्मज्ञान; द्वैतता
7. अज्ञान; मोह 8. द्वैतवाद।
द्वैतवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. एक दार्शनिक अवधारणा या सिद्धांत जिसमें जीव और ब्रह्म को अलग-अलग माना जाता है 2. वह वाद जिसमें आत्मा और परमात्मा को भिन्न माना जाता है 3.
जीव और प्रकृति या विश्व और ब्रह्म की भिन्नता का मत 4. भेदवाद; भेदज्ञान 5. 'अद्वैतवाद' का विलोम 6. वेदांत के अलावा पाँचों आस्तिक दर्शन इस वाद के समर्थक हैं
7. दो भिन्न सिद्धांतों को स्वीकृत करने वाली विचारधारा; (ड्यूअलिज़म)।
द्वैध
(सं.) [सं-पु.] 1. दो प्रकार का होने का भाव; द्वैतता; भिन्नता 2. दुविधा 3. परस्पर विरुद्ध होने का भाव 4. दो तरह की नीतियाँ अपनाने की अवस्था 5. दूसरे देशों
के साथ राजनीतिक व्यवहार में मुख्य उद्देश्य छिपाकर अन्य उद्देश्यों के साथ बनाया जाने वाला संबंध; (डिप्लोमैसी) 6. वह शासन प्रणाली जिसमें कुछ विभाग सरकार के
हाथ में तथा कुछ जनप्रतिनिधियों के हाथ में होते है; वह शासन प्रणाली जिसमें सत्ता दो वर्गों में विभक्त हो; (डायार्की)।
द्वैधवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] दो परस्पर विरोधी भावों के एक साथ होने की स्थिति।
द्वैपायन
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) महाभारत और पुराणों के रचनाकार वेदव्यास जिनका जन्म एक द्वीप पर होने के कारण यह नाम पड़ा 2. कुरुक्षेत्र के पास एक ताल जिसमें युद्ध
के दौरान दुर्योधन छिप गया था। [वि.] द्वीप पर जन्म लेने वाला।
द्वैभाषिक
(सं.) [वि.] 1. दो भाषाओं वाला; दो भाषाओं से संबंधित 2. जहाँ दो भाषाओं का समान रूप से प्रचलन हो (क्षेत्र या व्यव्स्था) 3. दो भाषाओं का प्रयोग करने वाला।
द्वैमातुर
(सं.) [सं-पु.] विनायक; गणेश।
द्वैमातृक
(सं.) [सं-पु.] ऐसा प्रदेश जहाँ पर खेती नदी के जल और वर्षा दोनों साधनों के द्वारा की जाती है।
द्वैमासिक
(सं.) [सं-पु.] वह पत्रिका जो दो महीने में एक बार छपती हो।
द्वैराज्य
(सं.) [सं-पु.] किसी दुर्बल क्षेत्र पर दो प्रबल राज्यों का सम्मिलित शासन।
द्वैवार्षिक
(सं.) [वि.] प्रत्येक दो वर्ष पर होने वाला।