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 दिनेश कुमार शुक्ल/ ललमुनिया की दुनिया

अंगराग
 

वो हवा है
उसे तुमसे क्या मिलेगा

बस ज़रा-सा अंगराग

राग का यह अंग कब किसने सुना है

धूल का यह राग
धूल की यह देह
 
 

रक्त का संगीत
 

अगर तुमने छू लिया खुद को
कभी एकान्त में
तो हज़ारों साल बाद
भी हमारे रक्त का संगीत आयेगा
उमड़ता ढूँढ़ लेगा तुम्हें
और ले जायेगा

 

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