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 दिनेश कुमार शुक्ल/ ललमुनिया की दुनिया

वर्षा विगत
 

विदा की बेला
अकेला
और अन्तिम
फूल फूला
चटक पीला...

आ गये खंजन
तरोई की लता
अब जा रही है


 

पुनरोदय
 

डूबते सूर्य के पुनरोदय का भ्रूण लिये
यह रात गहन घिर आई है

शोकाकुल लय के समतल में
अब चाहो
तो तुम सो जाओ
 

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