हिंदी का रचना संसार

मुखपृष्ठ | उपन्यास | कहानी | कविता | नाटक | आलोचना | विविध | भक्ति काल | हिंदुस्तानी की परंपरा | विभाजन की कहानियाँ | अनुवाद | ई-पुस्तकें | छवि संग्रह | हमारे रचनाकार | हिंदी अभिलेख | खोज | संपर्क

लोग ही चुनेंगे रंग-  ‘लाल्टू’


 
जब शहर छोड़कर जाऊंगा

 

कुछ दिनों तक
कुछ लोग करेंगे याद
छोड़ी हुई किताबें रहेंगीं
कुछ दोस्तों के पास
कपड़े या बर्तन जैसी चीज़ें
छोड़ने लायक हैं नहीं
जो रह जाएँगीं फेंकी ही जाएँगीं

कुछ तो फटे पैरों के चिह्न रह ही जाएँगे
दफ्तरी सामान पर होगी दफ्तरी लोगों की मारकाट
ठीक है, मर्जी थी, जाना था,
चला गया कह कह कर
झपटेंगे वे हर स्क्रू, हर नट बोल्ट पर

यह कोई मौत तो नहीं
कि कोई रोएगा भी
वक्त भी ऐसा कि वक्त पहले जा चुका
अब पूरा ही तब होऊँगा, जब जाऊँगा यहाँ से

होगी चर्चा सबसे अधिक
मेरे अधूरेपन पर ही
जब शहर छोड़ कर जाऊँगा.

(अलाव - 2009)

 

<हर कोई <          सूची              >    नियम>

 

मुखपृष्ठ | उपन्यास | कहानी | कविता | नाटक | आलोचना | विविध | भक्ति काल | हिंदुस्तानी की परंपरा | विभाजन की कहानियाँ | अनुवाद | ई-पुस्तकें | छवि संग्रह | हमारे रचनाकार | हिंदी अभिलेख | खोज | संपर्क

Copyright 2009 Mahatma Gandhi Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalaya, Wardha. All Rights Reserved.