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विश्वविद्यालय की पत्रिकाएँ
लेखक दीर्घा
उपन्यास
हिंदुस्तानी की परंपरा
लोग ही चुनेंगे रंग- लाल्टू
भूमिका
आ
कविता
क कथा
ख खेलें
अभी सबसे पहले
कवि की याद में
मैंने सुना
एक और रात
कोई बाहर से आता है
दिखना
आत्मकथा
निश्छल
जब तीस की होगी
अड्डे पर कविता
कब से
जिनको बुरा लगा उनसे कुट्टी
मैं तुमसे क्या ले सकता हूँ?
स्मिता और तुम
देखना ज़रा
आजीवन
बीस साल बाद
प्रेम
दुबारा शब्द प्रेम
आकांक्षा
लिखना चाहिए
लौटता मानसून
शरत् और दो किशोर
प्रासंगिक
बाहर अन्दर
हम जो देखते हैं
जीवन-1,2
उसे देखा
छोटे-बड़े
सफ़र हमसफ़र
मर्ज़
कुछ भी नहीं
कहानी-1,2
हर कोई