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लोग ही चुनेंगे रंग-  ‘लाल्टू’


 
बाहर अंदर

 

बाहर लू चलने को है
जो कमरे में बन्द हैं किस्मत उनकी

कैद में ही सुकून

खूबसूरत सपनों में लू नहीं चलती
यह बात और कि कमरे में बन्द
आदमी के सपने खूबसूरत नहीं होते

कोई है कि वक्त की कैद में है
बाहर लू चलने को है.

(अलाव - 2009)


 

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