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डॉ. रणजीत की प्रतिनिधि कविताएँ

कवि परिचय

कविताएँ (पीडीएफ़)

फ्लैप से...

रणजीत की ये कविताएँ उनके रक्त-मांस से बनी हुई हैं। इन कविताओं में रणजीत का पूरा व्यक्तित्व आप देख सकते हैं। उसके कवि की आसक्ति, उसकी चाह, उसकी उत्कृष्टता, उसका औघड़पन, उसकी दरियादिली, संघर्ष करने की क्षमता और प्यार करने की शिद्दत सभी इन कविताओं में विद्यमान है।

कवि को जीविका के कारण बहुत दिनों तक अपने परिवार से अलग रहना पड़ा है। ऐसी स्थिति में किसी की अनुपस्थिति, अथवा न होकर भी पास होने का एहसास, उसमें एक अजीब तरह की चाहत और वेदना जगाता है। आसपास किसी के होने से ही जीवन की सार्थकता है। प्राणप्रिया के पास न होने पर, या रहकर चले जाने पर कमरे में उसकी उपस्थिति की जो स्मृति छूट जाती है, कवि उसे अपने पूरे व्यक्तित्व के साथ अनुभव करता है। स्मृति दंश से पीड़ित रणजीत की कविताएँ जानदार हैं।... इन कविताओं में स्वस्थ भोगासक्ति भी व्यक्त हुई है। बच्चों के प्रति रणजीत की ललक उसके व्यक्तित्व के सृजेता पक्ष को व्यक्त करती है।

-डॉ. रमाशंकर द्विवेदी

कवि ने साम्यवादी व्यवस्था की विसंगतियों का जैसा उद्‍घाटन किया है वह न केवल उनकी अनुभूति की ईमानदारी एवम विचार-स्वतंत्रता के प्रति सच्ची निष्ठा का परिचायक है, अपितु कलात्मक दृष्टि से भी उनकी व्यंजना-शक्ति को प्रमाणित करता है। वस्तुतः उनका कवि रूप जितने प्रभावशाली ढंग से उनकी रचनाओं में व्यक्त हुआ, उतना अन्यत्र नहीं। अवश्य ही इस स्थिति में वे अपने ही वर्ग में - साम्यवाद के अनुयायियों में “विद्रोही” या “गद्दार” कहे जा सकते हैं, किन्तु वे इसके लिए तैयार हैं - इसलिए उन्होंने अब अपने को ‘साम्यवादी’ के स्थान पर ‘समतावादी’ कहना शुरू कर दिया है।

-डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त
हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास
भाग-
2

नाम : डॉ. रणजीत

जन्म : 20 अगस्त, 1937 ग्राम कटार, जिला भीलवाड़ा- राजस्थान

शिक्षा : एम.ए., पी.एच-डी. (राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर)

प्रकाशित रचनाएँ :  1. अभिशप्त आग (कविता संग्रह) 2. प्रगतिशील कविता के मील के पत्थर, 3. प्रतिनिधि कविताएँ 4. आजादी के परवाने/हुतात्माओं की जीवनियाँ

सम्मान/पुरस्कार : इतिहास का दर्द (कविता) उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुरस्कृत (1969), हिंदी की प्रगतिशील कविता (शोध प्रबन्ध) को सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार (1971), अल्मा-अता (तत्कालीन सोवियत संघ) में आयोजित पाँचवें अफ़्रीकी एशियाई लेखक सम्मेलन में सोलह अन्य भारतीय भाषाओं के लेखकों के साथ भारत का प्रतिनिधित्व (सितम्बर-1973), राजस्थान साहित्य अकादमी-उदयपुर द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान (1984), बिहार राजभाषा विभाग द्वारा केदार नाथ मिश्र ‘प्रभात’ पुरस्कार (1991), भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा अतिविशिष्ट गौतम बुद्ध सम्मान (1997), जर्मन भाषा में प्रकाशित आधुनिक हिंदी कविता के एक प्रतिनिधि संकलन "मॉडर्न हिंदी लिरिक" में पाँच कविताएँ संकलित

संपर्क : A 004, आदर्श विहार, 5/1 - बन्‍नेरगट्ट रोड,
बेंगलूरु -
500029, कर्नाटक

मोबाइल : 09341556673

ई-मेल : anurag.ranjeet@gmail.com

हिंदी समय में उपलब्ध- प्रतिनिधि कविताएँ (PDF)



 

 

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