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कविता संग्रह

औषधीय पौधों की कहानी… उनकी जुबानी

आनंद वर्धन


मैं पलाश, मैं किंशुक टेसू
मुझको ढाक कहें
मेरे पुष्प लाल सुंदर से
खिल खिल खिले रहें

रंग बने होली के मुझसे
मैं जंगल की आग
मेरे खिलने से लगता वन
आज गया है जाग

लेकिन मुझमें औषधि के गुण
भरे हुए भरपूर
मैं बसंत में खिल जाता
रोगों को रखता दूर

हाथीपाँव रोग में मेरी
जड़ आती है काम
संधिवात में बीज बहुत ही
देता है आराम

आंतों में कृमि कुष्ठ रोग में
लाभ करेगा बीज
कैंसर में या गर्भकाल में
बड़े काम की चीज


हिंदी नाम - पलाश
वैज्ञानिक नाम - ब्यूटिया मानोस्पैरमा
परिवार - फैबेसी
उपयोग में लाया जाने वाला भाग - फूल, बीज
उपयोग - कैंसर, आंतों, हाथीपाँव, संधिवात में
 


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