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आलोकधन्वा/
दुनिया रोज़ बनती है/भागी हुई लड़कियाँ(ii)
दो
तुम तो पढ़कर सुनाओगे नहीं
उसका जो बचपन है तुम्हारे भीतर
लेकिन उसके भागने की बात
वह कोई पहली लड़की नहीं है
लड़की भागती है
चार
कई दूसरे जीवन प्रसंग हैं
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