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आलोकधन्वा/
दुनिया रोज़ बनती है/भागी हुई लड़कियाँ(iii)
कुछ भी कर सकती है
वह कहीं भी हो सकती है
पाँच
तुम
पत्नियों को अलग रखते हो
अब तो वह कहीं भी हो सकती है
छह
क्या तुम्हारे लिए कोई लड़की भागी?
क्या तुम्हारी रातों में
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