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भारतेंदु हरिश्चंद्र
 

जन्म : १८ वीं शताब्दी में काशी में।
प्रमुख रचनाएँ -
नाटक : 'वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति'(१८७३), 'भारत दुर्दशा'(१८७५), 'सत्य हरिश्चंद्र'(१८७६), 'श्री चंद्रावली'(१८७६) 'नीलदेवी'(रचना-काल १८८१)। 'अंधेर नगरी'(रचर्नाकाल १८८१)
प्रमुख काव्यकृतियाँ हैं: 'भक्तसर्वस्व'(१८७०), प्रेममालिका'(रचना-काल-१८७१), 'प्रेम-माधुरी' (१८७५), 'प्रेम-तरंग' (१८७७), 'उत्तरार्द्ध-भक्तमाल' (१८७६-७७), 'प्रेम-प्रलाप'(१८७७), 'गीत-गोविंदानंद' (१८७७-७८), 'होली'(१८७९), 'मधु-मुकुल'(१८८१), 'राग-संग्रह'(१८८०), 'वर्षा-विनोद'(१८८०), 'विनय प्रेम पचासा'(१८८१), 'फूलों का गुच्छा'(१८८२), 'प्रेम-फुलवारी'(१८८३) और 'कृष्णचरित्र' (१८८३)।
अनुवाद : बंगला से 'विद्यासुंदर' नाटक, संस्कृत से 'मुद्राराक्षस' नाटक, और प्राकृत से 'कपूरमंजरी' नाटक।
निबंध संग्रह : 'भारतेंदु ग्रंथावली' (तीसरा खंड) में संकलित हैं। उनका 'नाटक' शीर्षक प्रसिद्ध निबंध (१८८५) ग्रंथावली के दूसरे खंड के परिशिष्ट में नाटकों के साथ दिया गया है।

नाटक -
वैदिक हिंसा हिंसा न भवति (1873)
भारत दुर्दशा (1875)
सत्‍य हरिश्‍चंद्र (1876)
श्री चंद्रावली (1876)
नीलदेवी (1881)
अँधेर नगरी (1881)


काव्‍य-कृतियाँ :

भक्‍त-सर्वस्‍व (1870)
प्रेम-मालिका (1871)
प्रेम-माधुरी (1875)
प्रेम-तरंग (1877)
उत्‍तरार्द्ध-भक्‍तमाल (1876-77)
प्रेम-प्रलाप (1877)
गीत-गोविंदानंद (1877-78)
होली (1879)
मधु-मुकुल (1881)
राग-संग्रह (1880)
वर्षा-विनोद (1880)
विनय प्रेम पचासा (1881)
फूलों का गुच्‍छा (1882)
प्रेम-फुलवारी (1883)
कृष्‍णचरित्र (1883)

 

 कविताएँ


निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल - भारतेंदु हरिश्चंद्र
अन्य काव्य रचनाएं - भारतेंदु हरिश्चंद्र


हास्य – व्यंग्य

लघु हास्य-व्यंग्य : परिहासिनी
हास्य – व्यंग्य : कंकर स्तोत्र

 भारतेंदु हरिश्चंद्र : एक परिचय

 

 

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